Friday, 10 December 2021
देश में 13 अखाड़े, करोड़ों की सम्पत्ति
अखाड़े का मतलब साधुओं का ऐसा दल, जो अस्त्र और शस्त्र विद्या में पारंगत होता है। यह परंपरा हजारों वर्षों से चली आ रही है। मान्यता है कि हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए आदिगुरु शंकराचार्य ने ही पहला अखाड़ा बनाकर साधुओं को शस्त्र कला की शिक्षा दी थी। वर्तमान में मान्यता प्राप्त 13 अखाड़े हैं। यह अलग-अलग पंथ को अपनाते हैं। शैवमत, वैष्णवमत और मदासीन पंथ। ज्यादातर अखाड़ों का बेस यूपी, उत्तराखंड और गुजरात हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार 2019 में किन्नर अखाड़े को भी आधिकारिक मान्यता मिल गई थी। ऐसे में देश में प्रमुख रूप से 14 अखाड़े कहे जा सकते हैं। कई वर्ष पुराने होने के कारण ज्यादातर अखाड़ों के पास काफी जमीन है। कई ऐसे अखाड़े हैं, जो मंदिरों का संचालन भी करते हैं। मंदिरों में आने वाला चंदा करोड़ों में पहुंच जाता है। इसके अलावा अखाड़ों को लाखों की संख्या में लोग मानते हैं। इस कारण अखाड़ों का अपना राजनीतिक रसूख भी होता है। धर्मगुरु के पास नेताओं का आना-जाना लगा रहता है। प्रवचन और भजन करने वाले संत हों या कोई और उनके लाखों-करोड़ों अनुयायी होने के कारण पार्टियां सबसे बेहतर संबंध बनाकर रखती हैं। कुंभ या अर्द्धकुंभ जैसे विशाल धार्मिक आयोजनों के मौके पर सभी अखाड़े भाग लेते हैं। ऐसे आयोजनों में साधु-संतों के टकराव की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए अखाड़ा परिषद की स्थापना हुई। अखाड़ा परिषद की सभा में सर्वसम्मति से अध्यक्ष चुना जाता है। महंत नरेंद्र गिरि दो बार अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रहे।
-अनिल नरेन्द्र
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