Tuesday, 7 December 2021

विधायक खुद को कानून से ऊपर मानते हैं

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के पूर्व विधायक हसरत उल्लाह शेरवानी की जमानत याचिका खारिज कर दी है। कासगंज के सत्र न्यायालय ने शेरवानी को पुलिस हवालात में एक व्यक्ति पर हमला करने का दोषी करार दिया था। न्यायमूर्ति मोहम्मद असलम ने शेरवानी की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि आजकल विधायक और राजनीतिक लोग खुद को कानून से ऊपर मानते हैं। इस समस्या को हल्के में नहीं लिया जा सकता और इससे कड़ाई से निपटे जाने की जरूरत है। अपीलकर्ता शेरवानी 30 अगस्त 2012 को इस घटना के समय विधायक थे। अदालत ने कहाöकानून के दुरुपयोग का मुद्दा विधानसभा में उठाना उनकी जिम्मेदारी थी, लेकिन इसके बजाय उन्होंने खुद कानून को अपने हाथ में लिया और पीड़ित को हवालात में डलवाया। यह कृत्य पुलिस तंत्र का दुरुपयोग है। इसलिए उनका कृत्य सहानुभूति के लायक नहीं है, बल्कि निंदा के लायक है। उल्लेखनीय है कि कासगंज के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने 25 अगस्त 2021 को अपीलकर्ता शेरवानी और अन्य सात लोगों को हत्या के प्रयास के अपराध समेत भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत दोषी करार दिया था और दो साल की कठोर कारावास की सजा के साथ ही 1000-1000 रुपए जुर्माना लगाया था। मुकदमे के मुताबिक किसी मामले में शमशाद नामक व्यक्ति को पुलिस ने हवालात में डाला था। 30 अगस्त 2012 को शेरवानी अपने रिश्तेदारों और समर्थकों के साथ थाने में गए और पुलिस को शमशाद की बुरी तरह से पिटाई करने को कहा। इसके बाद राइफल से लैस शेरवानी और लाठी-डंडों से लैस उसके समर्थकों ने शमशाद की पिटाई की। हालांकि तत्कालीन एचएसओ राममूर्ति यादव के हस्तक्षेप से शमशाद की जान बच गई। इस घटना के बाद शमशाद ने अपीलकर्ता एवं अन्य सात लोगों के खिलाफ 14 सितम्बर 2012 को कासगंज के ढलाना पुलिस थाने में इस संबंध में एफआईआर दर्ज कराई। अदालत ने 12 नवम्बर 2021 के अपने आदेश में कहा कि ऐसा लगता है कि अपीलकर्ता शेरवानी के प्रभाव में आकर गवाह मुकर गए हैं। अदालत ने अपील पर सुनवाई के लिए 10 जनवरी 2022 की तारीख निर्धारित की है।

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