Tuesday 21 December 2021

पूर्वांचल में प्रधानमंत्री के दौरों की अहमियत

काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर के उद्घाटन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र बनारस के लिए दो दिनों का वक्त निकाला। पिछले दो महीनों में प्रधानमंत्री का पूर्वांचल में यह छठा दौरा है। बनारस में काशी विश्वनाथ मंदिर हिन्दुओं की आस्था का एक बड़ा केंद्र रहा है। उस नजरिये से कॉरिडोर के शिलान्यास और लोकार्पण दोनों ही भाजपा शासनकाल में होने को योगी सरकार की एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर पेश किया जा रहा है। हालांकि प्रधानमंत्री जिस तरह से बार-बार उत्तरांचल के दौरे कर रहे हैं, वो इस इलाके की लगातार बढ़ती राजना]ितक अहमियत को दर्शाता है। वैसे उत्तर प्रदेश के चार मुख्य राजनीतिक इलाकों (पूर्वांचल के अलावा बुंदेलखंड, अवध और पश्चिमी उत्तर प्रदेश) में सीटों के लिहाज से पूर्वांचल काफी महत्वपूर्ण है। पिछले दो महीनों में भाजपा ने पूर्वांचल में पूरी तरह प्रशासनिक और राजनीतिक ताकत झोक दी है। 2022 के विधानसभा चुनावों में आचार संहिता लगने की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। इस बीच भाजपा अपनी तमाम बड़ी परियोजनाओं का लोकार्पण खुद पीएम मोदी से करवा रही है। ऐसी परियोजनाओं की फेहरिस्त काफी लंबी है। सबसे पहले प्रधानमंत्री ने 20 अक्तूबर को गोरखपुर से सटे कुशीनगर जिले में अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का लोकार्पण किया उसके बाद 25 अक्तूबर को उन्होंने पूर्वांचल के नौ जिलों में मेडिकल कॉलेजों का लोकार्पण किया। फिर पीएम ने 16 नवम्बर को सुल्तानपुर में लखनऊ से गाजीपुर को जोड़ने वाले 341 किमी लंबे और 22,500 करोड़ की लागत से बने पूर्वांचल एक्सप्रेसवे का उद्घाटन किया। फिर सात दिसम्बर को 9600 करोड़ रुपए की कई परियोजनाओं का लोकार्पण किया। इसमें गोरखपुर के एम्स के अलावा एक बड़ा फर्टिलाइजर प्लांट भी शामिल हैं। 11 दिसम्बर को प्रधानमंत्री मोदी ने गोंडा, बलरामपुर और बहराइच जिलों में 9600 करोड़ रुपए की लागत से सरयू कनाल प्रोजेक्ट का लोकार्पण किया और सबसे ताजा कार्यक्रम सोमवार का रहा, जब नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र बनारस में 339 करोड़ रुपए से बनाए गए काशी कॉरिडोर का लोकार्पण करते हुए इस मौके को एक त्यौहार के रूप में मनाया। दरअसल भाजपा अपने पक्ष में माहौल बरकरार रखने की हर संभव कोशिश कर रही है। मोदी और योगी दोनों की जो निजी छवि है, उस छवि को बरकरार रखना एक बड़ा सवाल है। आपको याद होगा कि 2018 के गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री रहते भाजपा जब वो सीट हार गई थी, तब जगह-जगह उनकी आलोचना होती थी और लोग उस पर सवाल खड़े करने लगे थे। इसलिए वे किसी भी स्थिति में इस दांव को गंवाने देना नहीं चाहते। जी न्यूज की एक रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के लगभग 26 जिले पूर्वांचल में आते हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में यहां की 156 में से 106 सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी। एक रिपोर्ट के मुताबिक 2019 के लोकसभा चुनावों में पूर्वांचल की 30 में से 21 सीटों पर भाजपा के सांसद चुने गए। 2022 के विधानसभा चुनावों में पूर्वांचल में भी पार्टी की कोशिश होगी कि वो किसी भी तरह इस इलाके में अपना वर्चस्व कायम रखे। हाल में एबीपी न्यूज-सी वोटर के सर्वे में पूर्वांचल में मौजूदा हालात में भाजपा और उसके सहयोगी दलों को 40 प्रतिशत, सपा और उसके सहयोगियों को 34 प्रतिशत, बसपा को 17 प्रतिशत वोट मिलने का अनुमान है। किसान आंदोलन खत्म होने के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा के पक्ष में माहौल बदलने में अभी थोड़ा वक्त लग सकेगा। भाजपा किसान आंदोलन से होने वाले नुकसान की भरपायी पूर्वांचल से करने की कोशिश कर रही है। वैसे भी सीएम का इलाका गोरखपुर और बनारस, दोनों पूर्वांचल में ही हैं। इसलिए प्रधानमंत्री का बार-बार उत्तर प्रदेश के दौरे पर जाने का मतलब समझा जा सकता है।

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