Thursday, 16 December 2021
अब श्रीनगर में पुलिस बस पर हमला
संसद पर हमले की 20वीं वर्षगांठ पर श्रीनगर के बाहरी इलाके जेवान में आतंकियों ने सोमवार की शाम पुलिस बस पर हमला कर अंधाधुंध गोलियां बरसाईं। हमले में जम्मू-कश्मीर पुलिस के दो जवान मारे गए जबकि 12 पुलिसकर्मी घायल हो गए। इस हमले को शाम के करीब सात बजे जेवान कनमोह मार्ग पंथा चौक पर अंजाम दिया गया। इस हमले के बाद कई सवाल खड़े हो गए हैं। जिस जगह पर यह हमला हुआ है उस पूरे इलाके के इर्द-गिर्द सुरक्षा की कड़ी निगरानी रहती है। यह इलाका श्रीनगर-जम्मू राजमार्ग से सटा हुआ है। सोमवार को जवान इलाके की घटना से पहले श्रीनगर के रंगराइट इलाके में पुलिस ने दो चरमपंथियों को एक मुठभेड़ में मारने का दावा किया था। दो दिन पहले ही उत्तरी कश्मीर के बांदीपुर इलाके में जम्मू-कश्मीर पुलिस के दो जवान व एक आतंकी हमले में मारे गए थे। बीते कुछ महीनों में कश्मीर में आम लोगें की हत्याओं में भी सुरक्षा की इतनी बड़ी चूक नहीं होनी चाहिए थी। जम्मू-कश्मीर पुलिस के पूर्व डायरेक्टर जनरल डाक्टर शेष पाल वेद ने बीबीसी को बताया कि इतने बड़े सुरक्षा इलाके में इस तरह का आतंकी हमला नहीं होना चाहिए था और इस हमले को रोका भी जा सकता था। वह बताते हैं-कि यह इलाका शहर का बाहरी इलाका है। दूसरी बात यह है कि इस इलाके में हमेशा सुरक्षा बल तैनात रहते हैं। इलाके की निगरानी रहती है। इस इलाके में आतंकवादी ऐसा करने की कोशिश करें तो यह हमारी चूक है। मुझे लगता है कि रोड ओपनिंग पार्टी (आरओजी) लगी होनी चाहिए थी और एरिया डोमिनेशन भी होनी चाहिए था। मैं समझता हूं कि इस तरह के हमले को रोका जा सकता था और ऐसा नहीं होना चाहिए था। किसी दूर-दराज इलाके में ऐसा हमला होता तो बात कुछ और थी, लेकिन जहां सुरक्षा बलों की मौजूदगी है वहां इस तरह की घटना को टाला जा सकता था। रोड ओपनिंग पार्टी (आरओपी) सुरक्षा बलों के उस दस्ते में होती है, जो सड़क लगाई जाती है और अपने आसपास के इलाके को पूरी निगरानी में रखती है। पुलिस की बस जिस समय वहां से गुजरी है। उससे पहले ही वहां से रोड ओपनिंग पार्टी अपने ठिकानों पर रवाना हो चुकी थी। उनका कहना था कि इस इलाके में सबसे बड़ी चूक यही हुई कि रोड ओपनिंग पार्टी को जब निकाला गया, उसके बाद हमलावरों को हमला करने का मौका मिला और उन्होंने हमले को अंजाम दिया। कश्मीर जोन के इंस्पेक्टर जनरल विजय कुमार को बीबीसी ने हाई सिक्यूरिटी जोन में हुए हमले के हवाले से व्हाट्सअप पर सवाल भेजे थे लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया। श्रीनगर के वरिष्ठ पत्रकार हारुन रेशी कहते हैं कि कश्मीर में आतंकियों के हमले में बढ़ोतरी बताती है कि परिस्थितियां ठीक नहीं हैं। वह कहते हैं कि सुरक्षा एजेंसियां बार-बार दावा कर रही है कि स्थिति नियंत्रण में है लेकिन यह सच नहीं है। हम देख रहे हैं कि आतंकी लगातार हमले कर रहे हैं इसलिए यह साफ है कि कश्मीर में ग्राउंड पर यह हम जो देख रहे है वो अच्छा नहीं है। कश्मीर में आतंकी घटनाओं में अचानक तेजी बताती है कि ये एक सोची समझी साजिश के तहत हो रहा है, कश्मीर में हम उस नेरेटिव को बदलने की कोशिश हो रही है जिसमें कहा जा रहा था कि आर्टिकल 370 को हटाने से कश्मीर में माहौल बेहतर होंगे। अब नेरेटिव को खत्म करने के लिए उस पार से ऐसा करने के मंसूबे बनते हैं। जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवानों को इसलिए निशाना बनाया जा रहा है ताकि वह आतंकियों के खिलाफ अभियानों में शामिल न हों। पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट कर लिखा है। श्रीनगर हमले में दो पुलिस कर्मियों की मौत पर दुख हुआ है। कश्मीर में हालात ठीक होने के सरकार के खोखले दावों से फिर पर्दा उठ गया है और गलतियों से सबक नहीं सीखा जा रहा है। बीजेपी प्रवक्ता अलताफ ठाकुर ने कहा यह बुजदिली है और यह रात के अंधेरे में निशाना बनाया जा रहा है।
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