Thursday 9 December 2021

रूस और भारत के रिश्ते समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के बीच सोमवार को 21वीं भारत-रूस वार्षिक शिखर बैठक हुई। दुनियाभर में कोरोना वायरस के नए प्रतिरूप ओमिक्रॉन की दस्तक के बाद भी रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन का भारत आना इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि बीते दो साल में उन्होंने सिर्फ दो बार ही विदेश यात्रा की है। पुतिन भले ही कुछ घंटों के लिए भारत आए, मगर उनकी यात्रा दोनों देशों के रिश्तों की प्रगाढ़ता और निरंतरता को ही रेखांकित करती है। पुतिन की भारत यात्रा ऐसे समय हुई, जब हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में तनाव फैला हुआ है और अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी के बाद से संदेह और आशंका का माहौल बना हुआ है। हालांकि उनकी यह यात्रा संक्षिप्त है, लेकिन इसका महत्व इसलिए बढ़ जाता है कि इसी अवसर पर दोनों देशों के विदेश एवं रक्षामंत्रियों के स्तर पर भी बातचीत हुई। दोनों देशों के बीच की यह प्रगाढ़ता उन चर्चाओं को निराधार साबित करने वाली है कि भारत अमेरिका की तरफ कुछ ज्यादा ही झुक रहा है और इस क्रम में रूस की अनदेखी कर रहा है। यही नहीं, चीन अपनी विस्तारवादी नीतियों को निरंतर अंजाम दे रहा है। पिछले कुछ दशकों में कई बुनियादी बातों में बदलाव आया है। नए समीकरण सामने आए हैं। तमाम बदलावों के बीच भारत-रूस की दोस्ती कायम रही है। दोनों देशों ने एक-दूसरे की मदद की है और एक-दूसरे की संवेदनशीलता का भी ख्याल रखा है। वहीं पुतिन ने भारत को बड़ी ताकत और समय की कसौटी पर परखा हुआ दोस्त बताया। उन्होंने आतंकवाद, नशीली दवाओं की तस्करी और संगठित अपराध को दोनों देशों के लिए साझा चुनौती बताया। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरेथ ने कहा कि भारत ने एस-400 मिसाइल सिस्टम की डील को पूरा कर अमेरिका को मजबूती से जवाब दिया है कि वह एक संप्रभु राष्ट्र है और फैसला ले सकता है कि उसको किससे हथियार खरीदने हैं। अमेरिका ने डील को लेकर प्रतिबंध तक की चुनौती दे दी थी। इस सबके बीच दोनों देशों के रिश्ते में सोमवार को एक नया आयाम तब जुड़ गया, जब दोनों देशों के विदेश और रक्षामंत्रियों के बीच 2+2 वार्ता भी शुरू हो गई। इससे पहले भारत का ऐसा रिश्ता अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के साथ ही रहा है। वास्तविकता यह है कि अंतरिक्ष विज्ञान के साथ ही रक्षा मामलों में भारत और रूस के रिश्ते बेहद भरोसेमंद हैं। इसका प्रमाण सोमवार को अत्याधुनिक असॉल्ट राइफल एके-203 की खरीद के लिए हुए समझौते से भी मिलता है। समझौते के तहत अमेठी की आयुध फैक्टरी में इन राइफलों का निर्माण रूसी मदद से होगा। भारत ने पहले ही रूस से लंबी दूरी के जमीन से हवा में मार करने वाले एयर मिसाइल डिफेंस सिस्टम एस-400 की खरीद के लिए करार किया है, जिसकी आपूर्ति शुरू हो चुकी है। इस सौदे ने अमेरिका को असहज किया है, लेकिन रूस और भारत के द्विपक्षीय रिश्ते समय की कसौटी पर परखे हुए हैं, जिसे पुतिन की यात्रा से और मजबूती मिली है। यह सही है कि रूस की चीन से भी नजदीकी है। लेकिन उम्मीद की जाती है कि भारतीय नेतृत्व रूसी राष्ट्रपति के जरिये उसे सही संदेश देने में सफल होगा।

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