Thursday, 30 December 2021

भाजपा के गढ़ में आप की सेंध

शहरी और हिंदू मतदाताओं के भरोसे पंजाब की राजनीति में जगह तलाशने की कोशिश कर रही भाजपा के लिए चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव के नतीजे किसी बड़े झटके से कम नहीं है। भाजपा को चंडीगढ़ नगर निगम में पहली बार मैदान में उतरी आम आदमी पार्टी ने कड़ी टक्कर देते हुए न सिर्प उसे इस केन्द्र शासित क्षेत्र की सत्ता से बाहर कर दिया बल्कि पंजाब की उसकी मिली राजनीति के सपनों पर भी कड़ा पहार किया है। पंजाब में भाजपा के पुराने सहयोगी शिरोमणि अकाली दल के तीन कृषि कानून के मसले पर भाजपा से अपना नाता तोड़ने और किसान आंदोलन के चलते राज्य की राजनीति में हाशिए पर चली गई पार्टी ने अपनी राजनीति कुशलता से भले ही कांग्रेस के बागी पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह कि पंजाब लोक कांग्रेस और शिअद के बागी सुखदेव सिंह ढींढसा की शिअद (संयुक्त) के साथ गठबंधन करके अपना राजनीतिक इरादा तो जाहिर कर दिया लेकिन चंडीगढ़ के मतदाताओं ने जिस तरह का फैसला दिया है वह भाजपा के लिए एक बड़े सबक से कम नहीं माना जा रहा है। पिछली बार पूर्ण बहुमत से शहर में सरकार बनाने वाली भाजपा 12 सीटों पर सिमट गई। वर्ष 2016 में 26 सीटों पर निगम चुनाव हुए थे जिसमें 20 भाजपा को मिली थीं। पहली बार निगम चुनाव लड़ी आप 35 सीटों में से 14 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी है। इस बार निगम में नौ सीटें बढ़ गई हैं। पिछली बार 4 सीटें जीती कांग्रेस की सीटें दोगुनी हो गई जबकि शिअद को सिर्प एक सीट मिली है। इसके साथ ही 29.79 फीसदी वोट पाकर वोट शेयर के मामले में कांग्रेस पहले स्थान पर है। भाजपा को 29.30 पतिशत और आप को 27.08 पतिशत वोट मिले हैं। निगम चुनाव में आप की लहर में भाजपा अपने मजबूत गढ़ कहे जाने वाले वार्ड भी नहीं बचा सकी। आप ने भाजपा पदेश अध्यक्ष अरुण सूद का वार्ड भी जीत लिया। दूसरी बार चुनाव लड़ रहे मेयर रविकांत शर्मा, भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष सुनीता धवन खुद भी हार गईं । लगातार तीसरी बार जीत रहे भाजपा के पूर्व मेयर देवेश मोदगिल अपना वार्ड भी नहीं बचा सके भाजपा के एक और पूर्व मेयर राकेश कालिया न केवल चुनाव हारे बल्कि तीसरे नंबर आ गिरे। भाजपा की एंटी-इनकैंवेंसी के साथ ही आंतरिक असंतोष से नुकसान उठाना पड़ा है। भाजपा चंडीगढ़ में लगे झटके पर पार्टी आला नेता मौन हैं पर माना जा रहा है कि चंडीगढ़ में महंगाई के मुद्दे पर भाजपा को मार पड़ी। इसी के चलते पहले हिमाचल उपचुनाव में भाजपा को एक लोकसभा और 3 विधानसभा सीटों पर भी मार झेलनी पड़ी थी। चंडीगढ़ नगर निगम में कुल 35 सीटें है। इसमें कांग्रेस तीसरे पायदान पर खिसकी है तो जाहिर है कि पार्टी को अब मौजूदा सीएम या सिद्धू को कोसने की जगह भविष्य पर नजर गढ़ाने की आवश्यकता है क्योंकि इस नतीजे के साथ उसे भाजपा के भावी चुनावी राजनीतिकों से भी जुझना होगा।

परिजनों को वैवाहिक विवादों में जबरन फंसाया जा रहा है

उच्चतम न्यायालय ने दहेज उत्पीड़न के मामले में एक पुरुष और एक महिला के खिलाफ आपराधिक मुकदमा यह कहते हुए रद्द कर दिया कि पाथमिकी में बेढंगे आरोपों के जरिये पति के परिजनों को वैवाहिक विवादों में आरोपी बनाया जा रहा है। न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय की पीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश को खारिज कर दिया जिसमें दहेज हत्या मामले में पीड़िता के देवर और सास को आत्मसमर्पण करने और जमानत के लिए अर्जी दायर करने का निर्देश दिया था। पीठ ने कहा, बड़ी संख्या में परिवार के सदस्यों के नाम बेढंगे संदर्भ के जरिये पाथमिकी में दर्ज किए गए हैं, जबकि पदत्त विषयवस्तु उनकी सकिय भागीदारी का खुलासा नहीं करती है। इसलिए उनके खिलाफ मामले का संज्ञान लेना उचित नहीं था। यह भी कहा गया है कि इस तरह के मामलों में संज्ञान लेने से न्यायिक पकिया का दुरुपयोग होता है। शीर्ष अदालत ने कहा कि मृतका के पिता द्वारा दर्ज की गई शिकायत का अवलोकन करने से आरोपी की संलिप्तता का खुलासा करने वाले किसी विशेष आरोप का संकेत नहीं मिलता है। पीठ ने हाल ही में एक आदेश में कहा है कि इस अदालत ने बार-बार पति के परिवार के सदस्यों को वैवाहिक विवादों में बेढंगे संदर्भों के जरिये आरोपी बनाने पर ध्यान दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा है कि चोट लगने के आरोप तो दर्ज किए गए हैं, लेकिन पोस्टमार्टम पमाण-पत्र में सिवाय गर्दन के चारों ओर मृत्यु-पूर्व चोट के निशान और दम घुटने के कारण मौत के अलावा कोई अन्य बाहरी चोट के पमाण नहीं है। पीठ ने कहा, अपीलकर्ताओं के मामले और रिकार्ड में रखी गई सामग्री के संबंध में, हमारा विचार है कि अपीलकर्ताओं के खिलाफ अस्पष्ट और बेतुके आरोपों को छोड़कर, कोई विशेष आरोप नहीं है जो कथित अपराधों के लिए उन पर मुकदमा चलाने के लिए अपीलकर्ताओं की संलिप्तता का खुलासा करते हैं। मृतका के पिता ने 25 जुलाई 2018 को गोरखपुर के कोतवाली थाने में शिकायत दर्ज कराई थी कि उसकी छोटी बेटी का पति, देवर, ननद और सास दहेज के तौर पर चार पहिया वाहन और नकद 10 लाख रुपए की लगातार मांग कर रहे थे। यह भी आरोप है कि मांगें पूरी नहीं हेने पर वे उसकी बेटी को पीटते थे और जान से मारने की धमकी देते थे। शिकायत में आगे कहा गया था कि 24 जुलाई 2018 को रात करीब आठ बजे आरोपियों ने साझा मंशा से उनकी बेटी को पीटा, उसके गले में फंदा डालकर उसकी हत्या कर दी और फिर लटका दिया।

गाड़ियां काट-काटकर जमा की 100 करोड़ की संपत्ति

चोरी व लूट के वाहन काटकर 20 साल से सोतीगंज (मेरठ) के हाजी गल्ला ने अकूत संपत्ति अर्जित की। पंजाब में गल्ला की 100 करोड़ की संपत्ति चिन्हित कर ली है, जिसके दस्तावेज भी पुलिस ने जुटा लिए हैं। पुलिस की एक टीम पंजाब रवाना हो गई है। गल्ला की 15 करोड़ की संपत्ति जब्त पहले ही हो चुकी है, अब कैंट वाला गोदाम भी जब्त होगा। बताया जा रहा है कि सोतीगंज में चोरी की गाड़ियां कटवाने का काम गल्ला ने ही शुरू कराया था। इसके बाद दिल्ली-एनसीआर में उसने अपना नेटवर्प फैलाया। चोरी की गाड़ी के इंजनों की सप्लाई सबसे ज्यादा पंजाब में गल्ला करता था, जहां पर उसने यह संपत्ति अर्जित की। अब गल्ला पांच साल से पंजाब में काम कर रहा था। पुलिस ने हाजी गल्ला और उसके बेटों के बैंक खातों की जांच की, जिसमें सिर्प तीन लाख रुपए होने की बात की गई है। जबकि गल्ला के पास अकूत संपत्ति है। पुलिस दावा करती है कि गल्ला आयकर से बचने के लिए बैंक से लेनदेन नहीं करता था। वो पैसा अपने घर या फिर रिश्तेदारों के यहां रखता था। इसके चलते उसके पास कभी बैंक का नोटिस तक नहीं आया। कैंट के बंगला नंबर 235 पर गल्ला ने अवैध कब्जा किया हुआ है। जिसकी कीमत दस करोड़ बताई जा रही है। रक्षा संपदा अधिकारी ने गल्ला और इसके बेटों पर मुकदमा दर्ज कराया है। हाजी गल्ला और उसके बेटों समेत 65 कबाड़ियों पर गैंगस्टर के मुकदमें दर्ज हैं। 120 कबाड़ियों पर गुंडा एक्ट की कार्रवाई हो चुकी है। बड़े कबाड़ियों पर गैंगस्टर की कार्रवाई होनी है। öअनिल नरेन्द्र

Wednesday, 29 December 2021

पंजाब का खतरनाक कॉकटेल सामने आ रहा है

लुधियाना कोर्ट में ब्लास्ट करने वाले गगनदीप का शव कई टुकड़ों में बिखर गया था, उसकी पहचान शरीर पर बने एक टेटू से हुई। लुधियाना कोर्ट कॉम्प्लैक्स में हुए बम ब्लास्ट के लिए आरडीएक्स का इस्तेमाल किया गया था। पंजाब पुलिस की फोरेंसिक जांच में यह खुलासा हुआ है। हालांकि धमाके से पानी की पाइपलाइन फट गई, जिससे भारी मात्रा में विस्फोटक बह गया। डीजीपी का कहना है कि मामले की फोरेंसिक जांच कराई जा रही है, क्योंकि टिफिन बम की भी आशंका है। डीजीपी सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय ने चंडीगढ़ में बताया कि हमले के पीछे ड्रग माफिया, गैंगस्टर और पाकिस्तान बेस्ट खालिस्तानियों का हाथ है। डीजीपी ने यह भी कहा कि शुरुआती जांच में सुबूत मिले हैं कि मृतक गगनदीप सिंह के सीमा पार यानि पाकिस्तान में बैठे नशा तस्करों से लिंक थे। हालांकि पुलिस इसकी जांच कर रही है। गौरतलब है कि मृतक गगनदीप सिंह का पाकिस्तान में बैठे बब्बर खालसा इंटरनेशनल से जुड़े हरविंदर सिंह रिवां से कॉन्टेक्ट सामने आ रहे हैं। वहीं रिवां के तार जर्मनी में बैठे खालिस्तानी आतंकी जसविंदर सिंह मुल्तानी से जुड़े बताए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि धमाके में मारा गया गगनदीप ही कोर्ट कॉम्प्लैक्स में बम ब्लास्ट प्लांट करने के लिए गया था। वह पहले नशे के केस में पकड़ा गया था। जेल जाने पर उसकी ड्रग माफिया से साठगांठ हुई। माफिया के बाद वह टेरर की तरफ चला गया। इस दौरान ही वह ऑर्गेनाइज्ड क्राइम यानि गैंगस्टर के सम्पर्प में आया। डीजीपी ने कहा कि गगनदीप को बम कहीं और प्लांट करना था और वह बाथरूम में बम के तार जोड़ने के लिए गया था। असैंबल करते वक्त ही बम फट गया। गनीमत यह रही कि उस समय गगनदीप वहां अकेला था। मृतक के शरीर की पोजिशन को देखकर इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि शुरुआती जांच में गगनदीप अकेला इस साजिश का हिस्सा लग रहा था लेकिन इसमें और लोग भी शामिल हो सकते हैं। पुलिस को लुधियाना में सीसीटीवी में कुछ संदिग्ध नजर आए हैं, जिनकी जांच की जा रही है। गगनदीप कहीं और ब्लास्ट करना चाहता था लेकिन तार गलत जुड़ने से धमाका हो गया। गगनदीप के खिलाफ 2019 में एनडीपीएस एक्ट का केस दर्ज हुआ था। उसके पास से 11 अगस्त 2019 को 385 ग्राम हेरोइन बरामद की गई थी। उस वक्त वह खन्ना के थाना सदर में मुंशी था। इसके बाद उसके साथियों अमनदीप और विकास को भी 400 ग्राम हेरोइन के साथ गिरफ्तार किया गया था। दो साल जेल में रहने के बाद वह जमानत पर बाहर आ गया था। इस मामले में उसका ट्रायल भी चल रहा था। डीजीपी ने यह भी कहा कि पंजाब में अब क्राइम के पीछे खतरनाक कॉकटेल नजर आ रहा है। उन्होंने कहा कि इसमें नशा तस्कर ऑर्गेनाइज्ड क्राइम और आतंक का मिश्रण सामने आ रहा है। उन्होंने कहा कि ड्रग माफिया, गैंगस्टर और फिर उनके आतंक के साथ मिलने की वजह से यह काफी खतरनाक स्थिति है। शुरुआती जांच में यह भी सामने आया है कि गगनदीप की धमाके के अगले ही दिन कोर्ट में पेशी थी। वह लुधियाना कोर्ट का रिकॉर्ड रूम उड़ाना चाहता था। उसकी योजना कोर्ट के रिकॉर्ड रूम को बम से ध्वस्त करने की रही होगी जिससे उसके केस से जुड़े रिकॉर्ड नष्ट हो जाएंगे और वह केस से बच जाएगा। यह भी आशंका है कि जैसे आतंकवाद के दौर में जजों पर अटैक हुए थे, इसमें भी कुछ इस तरह की मंशा हो सकती है।

नम्बर वन हरियाणा

केंद्र सरकार की ओर से तैयार और शनिवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा जारी गुड गवर्नेंस रिपोर्ट-2 के ग्रुप ए में शामिल हरियाणा का स्थान भले ही चौथा रहा हो, लेकिन राज्य ने सिटीजन सेंट्रिक गवर्नेंस में पहला स्थान पाया है। प्रदेश ने चार अंकों की उछाल लगाई है। 2019 में प्रदेश की ओवरऑल रैंकिंग आठ थी। हरियाणा से बेहतर एक नम्बर पर गुजरात, दूसरे पर महाराष्ट्र और तीसरे पर गोवा रहा है। हालांकि सभी प्रदेश में सोशल वेलफेयर, पब्लिक हैल्थ, ज्यूडिशियरी एंड पब्लिक सेफ्टी और एनवायरनमेंट को लेकर बहुत काम करने की जरूरत है। इसमें हरियाणा अपने ग्रुप के 10 राज्यों से बहुत पीछे है। पब्लिक हैल्थ, सोशल वेलफेयर एंड डेवलपमेंट सेक्टर में ग्रुप ए के 10 राज्यों में प्रदेश 10वें स्थान पर है। सिटीजन सेंट्रिक-प्रदेश इसमें पहले नम्बर पर रहा है। लगातार नए पोर्टल बनाए जा रहे हैं जिससे लोगों को घर बैठे सुविधा मिल रही है। एग्रीकल्चर-दूसरे नम्बर पर रहा। बागवानी घटी, दूध, मीट के साथ समस्त फसलों का उत्पादन बढ़ा है। फसल बीमा वाले किसान बढ़े हैं। ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेंट-हरियाणा दूसरे नम्बर है। स्किल ट्रेनिंग बढ़ी है। शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। महिला-पुरुष समानता घटी है। पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर पर हरियाणा दूसरे नम्बर पर है। गांवों में बिजली कनेक्शन बढ़े हैं। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस और उद्योगों की ग्रोथ रेट बढ़ रही है। इस क्षेत्र में हरियाणा चौथे नम्बर पर रहा है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर व तमाम अधिकारीगण को बधाई।

स्थिति भयावह है, रुकी नहीं तो सैकड़ों मौतें संभव

ओमीक्रोन के बढ़ते खतरे के बीच दिल्ली के सरोजिनी नगर मार्केट में बेकाबू भीड़ को देखते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने सख्त रुख अख्तियार किया है। कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि हालात बेहद डरावने हैं। कोरोना के बढ़ते मामलों और मार्केट में लोगों का हुजूम है। कोर्ट ने कहा कि यदि महामारी या भगदड़ से एक भी मौत हुई तो इनके लिए कौन जिम्मेदार होगा? न्यायमूर्ति विपिन सांघी और जस्टिस जसमीत सिंह ने मार्केट की तस्वीरें देखने के बाद कहा कि स्थिति भयावह है। भगदड़ हुई तो सैकड़ों जानें जा सकती हैं। भगवान न करे, अगर वहां दोबारा धमाका होता है तो सोचिए धमाके और भगदड़ से कितनी जानें जाएंगी। मार्केट में अतिक्रमण और अवैध रेहड़ी-पटरी से जुड़ी याचिका पर सुनवाई के दौरान अपने आदेश का पालन न होने पर एनडीएमसी को अवमानना नोटिस दिया। फिर दिल्ली आपदा प्रबंधन अथारिटी (डीडीएमए) की हाल ही में हुई मीटिंग में बताया गया कि फेस मास्क के नियम के उल्लंघन के सबसे ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। जितने चालान हो रहे हैं, उनमें करीब 87 प्रतिशत चालान फेस मास्क को लेकर ही हैं। लोग या तो मास्क लगाते ही नहीं या फिर नाक के नीचे रखते हैं जिसका कोई फायदा नहीं। जब तक नाक नहीं ढकी होगी मास्क लगाने का कोई फायदा नहीं है। दिल्ली पुलिस के अभियान की रिपोर्ट बताती है कि अप्रैल से लेकर अब तक पुलिस ने 2,39,338 (86.29 प्रतिशत) चालान मास्क के नियम के उल्लंघन पर किए हैं।। उसके बाद 30,186 यानि 10.86 प्रतिशत चालान सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों के उल्लंघन को लेकर किए हैं। इसके बाद भीड़ जुटाने, सार्वजनिक जगहों पर थूकने और शराब पीने पर भी चालान किए हैं। दिल्ली पुलिस ने कोविड नियमों के उल्लंघन पर भी अभी तक 22,442 लोगों को अरेस्ट भी किया है, जिन्हें जमानत लेनी पड़ी। कोविड के केस एक बार फिर बढ़ने लगे हैं और डीडीएमए ने पुलिस प्रशासन को सख्त हिदायत दी है कि एक बार फिर से एनफोर्समेंट अभियान में तेजी लाई जाए। अप्रैल से लेकर 18 दिसम्बर 2021 तक कुल 246 करोड़ (246,49,97,257) का जुर्माना लगाया गया है। अब भी संभल जाओ नहीं तो परिणाम भयंकर होंगे। -अनिल नरेन्द्र

Tuesday, 28 December 2021

नोट गिनते-गिनते हांफ गईं नोट गिनने वाली मशीनें

समाजवादी इत्र बनाने वाले कारोबारी पीयूष जैन के ठिकाने पर कर चोरी मामले में कार्रवाई शुक्रवार को भी जारी रही। यहां मिली नकदी को गिनने में मशीनें भी हांफ गईं। गरम होकर कई बार बंद हो गईं। इस पर जांच टीम को 13 और मशीनें मंगानी पड़ीं। नोटों को रखने के लिए 80 बॉक्स मंगवाए गए और इन्हें ले जाने के लिए कंटेनर मंगाया गया। जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय अहमदाबाद की टीम ने दो दिन में 175 करोड़ रुपए की नकदी मिलने की पुष्टि की है। संभवत प्रदेश में इतनी बड़ी बरामदगी कानपुर व उत्तर प्रदेश के इतिहास में पहली बार हुई है। छापे के बाद दूसरे दिन कस्टम और आयकर के अधिकारी भी जांच के लिए पहुंचे। हालांकि आयकर टीम ने अभी जांच शुरू नहीं की है। पीयूष जैन खुद फरार हैं। जबकि बेटे प्रियांश जैन को हिरासत में ले लिया गया है। पीयूष मूल रूप से कन्नौज के छिपट्टी का निवासी है। वहां भी उसकी कंपनियां हैं। इत्र कारोबारी पीयूष जैन के घर पर चल रही जीएसटी की कार्रवाई को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। कहा जा रहा है कि पीयूष जैन के बहाने सरकार पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के सबसे करीबी समाजवादी पार्टी के एमएलसी पुष्पराज जैन उर्प पम्मी जैन को अखिलेश का खजांची और पीयूष जैन का करीबी माना जाता है। कुछ दिन पहले जिस तरह से एक बड़े कपड़ा व्यापारी समेत अखिलेश के कई करीबियों पर जीएसटी के छापे डालकर दबाव बनाने की कोशिश की गई। उसी कड़ी से पीयूष जैन के यहां हुई कार्रवाई को जोड़कर देखा जा रहा है। पीयूष जैन की तरह पम्मी जैन का भी बड़ा कारोबार है। कानपुर और कन्नौज में पीयूष जैन के घर हैं, वहीं पम्मी जैन का भी आवास है। ऐसे में पम्मी जैन भी चर्चा के घेरे में आ गए हैं। पम्मी का पुराना राजनीतिक इतिहास है। वह कांग्रेस और बसपा के भी काफी खास रहे हैं। बाद में वह समाजवादी पार्टी से जुड़ गए और अखिलेश यादव के सबसे विश्वास पात्र लोगों में शामिल हो गए। कहा जा रहा है कि जिस तरह से अडानी को भाजपा के साथ जोड़कर देखा जाता है, उसी तरह से पम्मी को सपा से जोड़ा जाता है। वहीं पम्मी जैन ने कहाöमेरा पीयूष से कोई लेना-देना नहीं है। मेरे कारोबारी ठिकानों को बिना वजह पीयूष का बताया जा रहा है। मेरा मुंबई में और एक्सपोर्ट का भी कारोबार है, यहां पर पीयूष का कुछ नहीं है।

सड़क पर डॉक्टर, तड़प रहे मरीज

उत्तर प्रदेश के विमांषु को रक्त कैंसर है। उनके शरीर में हर हफ्ते प्लेटलेट्स कम हो जाते हैं, जिसके लिए उन्हें अतिरिक्त प्लेटलेट्स की जरूरत होती है। बृहस्पतिवार को अपने गांव से दिल्ली पहुंचे 18 वर्षीय मरीज के भाई अभिषेक ने बताया कि वह दो दिन तक दिल्ली के अस्पतालों में चक्कर लगाते रहे, लेकिन उन्हें कहीं इलाज नहीं मिला। आखिर में एम्स की इमरजेंसी में करीब चार घंटे इंतजार के बाद जब उनका नम्बर आया तो पता चला कि मरीज की हालत बहुत गंभीर है। आनन-फानन में यहां डॉक्टरों ने मरीज की जान तो बचा ली, लेकिन अब डॉक्टर कहीं और ले जाने के लिए कह रहे हैं। अभिषेक का कहना है कि वह कई बार विमांषु को लेकर डॉक्टरों से अपील कर चुके हैं लेकिन उनकी सुनवाई करने वाला कोई नहीं। अभिषेक और विमांषु की तरह हजारों मरीज इन दिनों दिल्ली के अस्पतालों में चक्कर लगा रहे हैं। बीते आठ-नौ दिनों से रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल पर हैं, जिससे मरीजों को कोई उपचार नहीं मिल पा रहा है। लोगों का कहना है कि न ओपीडी और न ही इमरजेंसी में डॉक्टर मिल रहे हैं। एम्स, सफदरजंग अस्पताल में कुछ डॉक्टर हैं परन्तु वह सिर्प कुछ घंटों के लिए ही इलाज करते हैं और उसके बाद घर चले जाते हैं। दरअसल डॉक्टरों का यह विरोध पिछले कई दिनों से इसलिए चल रहा है कि इस साल नीट-पीजी काउंसलिंग में देरी हो रही है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। कोर्ट से सुनवाई की अगली तारीख छह जनवरी की मिली है। डॉक्टरों का कहना है कि सरकार को यह सुनवाई जल्द से जल्द कराने की अपील करनी चाहिए। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि मामले की अपील की जा चुकी है। कई बार प्रदर्शनकारी डॉक्टरों से बातचीत भी हुई है। कानूनी प्रक्रिया का एक दायरा है, जिसका पालन सभी को करना है। बहरहाल सरकार और डॉक्टरों के बीच मरीजों की स्थिति काफी गंभीर हो रही है। उम्मीद है कि इस मसले का मरीजों की खातिर जल्द हल हो और डॉक्टर अपनी ड्यूटी पर लौटें। समय रहते इसका हल नहीं निकाला गया तो यह हड़ताल और फैल सकती है।

लंदन में हर 20वां व्यक्ति कोविड-19 से संक्रमित

कोरोना के नए वेरिएंट ओमीक्रोन ने पूरी दुनिया में तबाही मचा रखी है। यूरोपीय देश इससे ज्यादा परेशान हैं। ब्रिटेन से बेहद डरावने आंकड़े सामने आ रहे हैं। 24 घंटे में कोरोना संक्रमण के रिकॉर्ड 1,22,186 नए मामले हैं और 137 मौतें हो चुकी हैं। वहीं एक प्राथमिक सांख्यिकी मॉडल आंकड़ों के मुताबिक पिछले हफ्ते लंदन में कोरोना से हर 20वां व्यक्ति संक्रमित है। समाचार एजेंसी रायटर की रिपोर्ट के मुताबिक ओमीक्रोन के बढ़ते मामलों के चलते क्रिसमस और उसकी पूर्व संध्या पर तीन हजार से ज्यादा उड़ानें रद्द कर दी गई थीं। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की तरफ से गुरुवार को प्रकाशित प्रारंभिक मॉडल अनुमान के मुताबिक ब्रिटेन में 13-19 दिसम्बर के हफ्ते के दौरान 17 लाख लोग संक्रमित हुए। इनमें अकेले इंग्लैंड में 15.44 लाख संक्रमित शामिल हैं। केप वेल्स 70 हजार, उत्तरी आयरलैंड में 44,900 और स्कॉटलैंड में 79,250 संक्रमित हैं। 2175 उड़ानें विश्वभर में रद्द की गईं जिनमें अकेले अमेरिका में ही 448 उड़ानें शामिल हैं। इनमें घरेलू एयरलाइंस डेल्टा ने 138, यूनाइटेड एयरलाइंस ने 170 उड़ानें रद्द कीं। क्रिसमस के दिन विश्वभर में 1259 उड़ानें रद्द की गई हैं। चीन के पश्चिमोत्तर शियान शहर में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने पर 26 अधिकारियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई भी की गई। -अनिल नरेन्द्र

Sunday, 26 December 2021

सवाल अयोध्या में जमीन घोटाले का

अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद कुछ रसूखदार लोगों के बड़े पैमाने पर मंदिर परिसर के आसपास जमीनें खरीदे जाने की खबर परेशान करने वाली जरूर है। अच्छा है कि प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने अविलंब इस मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। राजस्व विभाग के स्पेशल सैक्रेटरी स्तर के अधिकारी द्वारा की जाने वाली इस जांच की रिपोर्ट एक हफ्ते में आने वाली है। एक अंग्रेजी अखबार में राम मंदिर के पांच किलोमीटर के दायरे में जमीन खरीदे जाने की यह खबर छपते ही विपक्ष ने भी इस पर तीखी प्रतिक्रिया जताई। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने इसे घोटाला बताते हुए मंदिर न्यास द्वारा दुरुपयोग का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय को इसका स्वत संज्ञान लेकर इसकी जांच करानी चाहिए। अयोध्या में जमीन घोटाले की नैतिक जिम्मेदारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ही नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक की है। प्रियंका ने कहा कि राम मंदिर के लिए देश के तकरीबन हर परिवार ने चंदा दिया है। लोगों की आस्था पर चोट पहुंचाई जा रही है। दलितों की जमीन खरीदी गई जो कानून के तहत खरीदी नहीं जा सकती यानि उनकी जमीन हड़पी गई है। जमीन राम मंदिर ट्रस्ट को बहुत अधिक दामों पर बेची गई। इसका मतलब यह है कि बहुत बड़ा घोटाला हुआ है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती ने अयोध्या में नेताओं और अफसरों के जरिये बड़े पैमाने पर जमीन औने-पौने दामों में खरीदे जाने के आरोपों की उच्च स्तरीय जांच की मांग करते हुए हाई कोर्ट से हस्तक्षेप का आग्रह किया है। अयोध्या के निर्माणाधीन राम मंदिर के निकट की जमीनें कथित रूप से भाजपा के विधायकों, महापौर और प्रशासन के आला अधिकारियों के जरिये औने-पौने दाम में खरीदे जाने का मामला सामने आया है, जिसके बाद राज्य सरकार ने राजस्व विभाग को मामले की गहराई से जांच करने के आदेश दिए हैं। उत्तर प्रदेश में चुनाव करीब हैं, इसलिए इसे राजनीतिक मुद्दा बनाया जा रहा है। अगर इस मुद्दे पर सियासत की बात रहने भी दें तो अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर देश-विदेश के करोड़ों हिन्दुस्तानियों के लिए आस्था से जुड़ा एक संवेदनशील मुद्दा रहा है। ऐसे में मंदिर के आसपास स्थित जमीन के मालिकों से येन-केन-प्रकारेण जमीन का मालिकाना हक हासिल कर लेने की प्रृवत्ति के पीछे कुछ नहीं, कमाई करने का है। सबसे बड़ी बात है कि इसमें सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा के विधायक, मेयर और महत्वपूर्ण प्रशासनिक अधिकारियों के परिजनों के नाम आ रहे हैं। मामले की जांच में जो भी लोग दोषी पाए जाएं उनके खिलाफ कानून के मुताबिक ऐसी ठोस कार्रवाई होनी चाहिए जो भविष्य में एक नजीर बने।

जान है तो जहान है, चुनाव टालने की सलाह

देश में कोरोना का ओमिक्रॉन वेरिएंट तेजी से फैल रहा है। इस बीच इलाहाबाद हाई कोर्ट ने निर्वाचन आयोग से आग्रह किया है कि उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में कोरोना की तीसरी लहर से जनता को बचाने के लिए राजनीतिक दलों की रैलियों पर रोक लगाएं। हाई कोर्ट ने प्रधानमंत्री से भी अनुरोध किया है कि वह चुनाव टालने पर विचार करें, क्योंकि जान है तो जहान है। दरअसल हाई कोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव गुरुवार को जेल में बंद एक आरोपी की जमानत पर सुनवाई कर रहे थे। कोर्ट ने कहा कि ग्राम पंचायत चुनाव में और बंगाल विधानसभा चुनाव में काफी लोग संक्रमित हुए थे। इससे लोग मौत के मुंह में गए। अब यूपी में विधानसभा चुनाव निकट हैं। इसके लिए सभी पार्टियां रैली, सभाएं करके लाखों की भीड़ जुटा रही हैं। रैलियों में कोरोना प्रोटोकॉल का पालन संभव नहीं है। इसे समय रहते नहीं रोका गया तो स्थिति दूसरी लहर से ज्यादा भयावह होगी। चुनाव आयुक्त से अनुरोध है कि वह पार्टियों को आदेशित करें कि वे प्रचार दूरदर्शन और समाचार पत्रों के जरिये करें। संभव हो तो फरवरी में होने वाले चुनाव को एक-दो महीने के लिए टाल दें। हाई कोर्ट ने एक दैनिक समाचार पत्र के अनुसार 24 घंटे में 6000 नए मामले मिले हैं एवं 318 लोगों की मौत हुई है और यह समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इस भयावह महामारी को देखते हुए चीन, नीदरलैंड, आयरलैंड, जर्मनी, स्कॉटलैंड जैसे देशों ने पूर्ण या आंशिक लॉकडाउन लगा दिया है। ऐसी दशा में महानिबंधक, उच्च न्यायालय से आग्रह है कि इस विकट स्थिति से निपटने के लिए नियम बनाएं, यह कहना था याचिकाकर्ता का। इससे पहले ही गुरुवार को केंद्र सरकार ने उन सभी राज्यों को टीकाकरण को लेकर निर्देश दिए थे, जहां आगामी महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं। अब सबकी नजरें चुनाव आयोग पर टिकी हैं। देखें, वह क्या फैसला करता है।

लव जेहाद पर पहली सजा

लव जेहाद के एक मामले में सुनवाई करते हुए जिला कोर्ट ने आरोपी को 10 साल की सजा सुनाई है, साथ ही 30 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। जुर्माने की राशि में से 20 हजार पीड़िता को बतौर क्षतिपूर्ति दिए जाएंगे। यह मामला 15 मई 2017 का है। जूही थाना क्षेत्र की कच्ची बस्ती में एक किशोरी रहती है। जावेद नाम के एक युवक ने खुद को हिन्दू बताते हुए उसे अपना नाम मुन्ना बताया था। बाद में दोनों की नजदीकियां बढ़ने लगीं। धीरे-धीरे दोनों में प्रेम-संबंध हो गए। फिर आरोपी किशोरी को शादी का झांसा देकर अपने साथ भगा ले गया। बेटी के लापता होने के बाद पीड़ित परिवार वाले जूही थाने पहुंचे और शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने अगले दिन ही आरोपी को गिरफ्तार कर किशोरी को बरामद कर लिया था। पीड़िता की मां की तहरीर पर पॉस्को एक्ट समेत रेप का मुकदमा दर्ज कर आरोपी को जेल भेज दिया था। मामले में 164 के बयान में पीड़िता ने बताया कि जावेद ने खुद को हिन्दू बताकर उससे दोस्ती की थी। इसके बाद शादी का झांसा देकर साथ ले गया। जब वह उसके घर पहुंची तो उसे अपना असली धर्म बताकर निकाह करने के लिए कहा। इस पर लड़की ने इंकार कर दिया। डीसीपी क्राइम दिलीप कुमार ने बताया कि पीड़िता से धर्म की पहचान छिपा कर फरेब किया गया है। उत्तर प्रदेश में नवम्बर 2020 में अवैध धर्मांतरण कानून उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिबंध प्रतिवेध अध्यादेश-2020 लागू हुआ था। इसमें बहला-फुसला कर, जबरन, छल-कपट कर, लालच देकर या विवाह से एक धर्म में किया गया परिवर्तन गैर-कानूनी माना गया है। ऐसा करने के लिए अधिकतम सजा दो साल की है, साथ ही 25 हजार रुपए जुर्माना भी होगा। -अनिल नरेन्द्र

Saturday, 25 December 2021

परिसीमन आयोग की सिफारिशों पर मचा बवाल

जम्मू-कश्मीर में जल्द राजनीतिक प्रक्रिया शुरू होने की संभावना पर परिसीमन आयोग के प्रस्ताव ने गर्मी पैदा कर दी है। इसने प्रदेश की राजनीति को दो हिस्सों में बांट दिया है। इसमें एक हिस्सा जम्मू है जिसके नेता अभी भी कम हिस्सा मिलने की शिकायत कर रहे हैं तो दूसरी तरफ कश्मीरी नेता व कश्मीर केंद्रित राजनीतिक दल हैं जिनका कहना है कि यह प्रस्ताव कश्मीर के चुनावी नक्शे को बदल कर रख देगा जो कश्मीरियों को कभी मंजूर नहीं होगा। दरअसल परिसीमन आयोग ने जम्मू-कश्मीर में विधानसभा क्षेत्रों की सीमा को नए सिरे से निर्धारित करने के मकसद से गठित जम्मू क्षेत्र में छह अतिरिक्त सीट और कश्मीर घाटी में एक अतिरिक्त सीट का प्रस्ताव रखा है। नेकां, पीडीपी समेत कश्मीर में लगभग प्रत्येक राजनीतिक दल ने इन प्रस्तावों का विरोध करना शुरू कर दिया है। आयोग ने सोमवार को दिल्ली में हुई बैठक में सभी सदस्यों के साथ विधानसभा में सीटों के आवंटन के नए प्रस्ताव को साझा किया। सभी से 31 दिसम्बर तक विचार मांगे गए हैं। जम्मू की 37 सीटों से बढ़कर 43 हो जाएंगी और कश्मीर की सीटें 46 से बढ़कर 47 हो जाएंगी। अधिकृत कश्मीर के लिए अलग से 24 सीटें आरक्षित हैं। नेशनल कांफ्रेंस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का कहना है कि सीटों का यह आवंटन 2011 की जनगणना के आधार पर नहीं किया गया है। उनका आरोप है कि आयोग भाजपा के राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ा रहा है। वादा किया गया था कि परिसीमन वैधानिक दृष्टिकोण से किया जाएगा, लेकिन यह इसके बिल्कुल विपरीत है। आयोग के एसोसिएट सदस्य और नेशनल कांफ्रेंस के नेता हसनैन मसूदी का कहना है कि उन्होंने आयोग से कहा कि जिस जम्मू-कश्मीर का पुनर्गठन अधिनियम के तहत परिसीमन किया जा रहा है, उसे अदालत में चुनौती दी गई है। ऐसे में उसके तहत फैसले कैसे लिए जा सकते हैं। पीडीपी अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती का कहना है कि आयोग को लेकर उनकी आशंका सही निकली और यह लोगों को धार्मिक और प्रांतीय आधार पर बांटकर भाजपा के राजनीतिक हितों के लिए काम कर रहा है। परिसीमन के नियमों के अनुसार विधानसभा सीटों का पुनर्गठन जनसंख्या के आधार पर होना चाहिए। 2011 की जनगणना के अनुसार कश्मीर की आबादी 68.8 लाख और जम्मू की आबादी 53.5 लाख से 15 लाख ज्यादा है। इसी वजह से जम्मू और कश्मीर की विधानसभा में कश्मीर की 46 सीटें थीं और जम्मू की 37। इनके अलावा लद्दाख की चार सीटें भी थीं। 2019 में राज्य का दर्जा खत्म कर दिया गया और जम्मू-कश्मीर व लद्दाख नाम के दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बना दिए गए। लेकिन नए प्रस्ताव के अनुसार आबादी के आंकड़ों में इतना फर्क होने के बावजूद जम्मू में कश्मीर से बस चार ही सीटें कम रह जाएंगी यानि विधानसभा में जम्मू का प्रतिनिधित्व बढ़ जाएगा। परिसीमन पर सहमति बनानी जरूरी है ताकि राजनीतिक प्रक्रिया शीघ्र शुरू हो सके। कश्मीर के हालात पहले से ही नाजुक हैं। ऐसे में कोई भी फैसला, जिसे यहां का एक वर्ग ठीक न माने, स्थितियों को बेहतर बनाने में मददगार साबित नहीं हो सकता इसलिए परिसीमन के मामले में कश्मीर और जम्मू दोनों ही क्षेत्रों के प्रतिनिधियों और जनता का भरोसा हासिल करना बेहतर होगा।

मुकेश के राज खोलेंगी नोरा फतेही

200 करोड़ रुपए के मनीलांड्रिंग केस में नया मोड़ आ गया है। इस मामले में जेल में बंद ठग मुकेश चंद्रशेखर के खिलाफ फिल्म एक्सट्रेस नोरा फतेही सरकारी गवाह बन गई हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) नोरा से इस मामले में पहले ही पूछताछ कर चुकी है। इससे पहले चंद्रशेखर ने ईडी को दिए बयान में जैकलीन फर्नांडीस और नोरा फतेही के अलावा शिल्पा शेट्टी, श्रद्धा कपूर, हरमन बवेजा जैसे कई बॉलीवुड सेलेब्स का नाम लिया था। अब इस मामले में नोरा फतेही के सरकारी गवाह बनने से मुकेश चंद्रशेखर की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ती दिख रही हैं। बता दें कि मुकेश ने रैनबैक्स के पूर्व फाउंडर को जेल से बाहर निकालने का झांसा देकर उनके परिवार से 200 करोड़ रुपए की ठगी की है। कहा जा रहा है कि यही पैसा वह फिल्मी कलाकारों पर लुटा रहा था। मुकेश ने जेल से ही फोन पर कई एक्ट्रेस से कांटेक्ट किया और खुद को बहुत बड़ा आदमी बताकर उन्हें अपने जाल में फंसाया था। उन्हें महंगे तोहफे दिए थे। इनमें महंगी गाड़ी, ज्वैलरी और हवाई यात्रा का खर्च भी शामिल है। दावा है कि लालच में चाहत खन्ना, नेहा कपूर और नोरा फतेही ने मुकेश से तिहाड़ जेल में जाकर कई बार मुलाकात भी की थी। सूत्रों ने यह बताया कि नोरा फतेही ने पूछताछ के दौरान कहा कि अधिकारी मुकेश चंद्रशेखर की ओर से दी गई बीएमडब्ल्यू कार सीज करने के लिए स्वतंत्र है। इसी तरह की कार जैकलीन फर्नांडीस को भी दी गई थी। उन्होंने यह जानकारी ईडी के अधिकारियों को दी। सूत्रों ने कहा जैकलीन ने हमें बताया कि उन्हें मुकेश चंद्रशेखर के अतीत के बारे में जानकारी नहीं थी और वह मिले गिफ्ट की जब्ती की प्रक्रिया में सहयोग के लिए तैयार थीं। इन मामलों में सामान को जब्त करने की प्रक्रिया मनीलांड्रिंग कानून के तहत की जाएगी। ईडी ने एक्ट्रेस जैकलीन फर्नांडीस के विदेश जाने देने की गुजारिश खारिज कर दी है। जैकलीन ने अपने खिलाफ लुकआउट नोटिस को हटाने की मांग की थी। इसकी वजह से उनके विदेश जाने पर पाबंदी लगी हुई है। ईडी लुकआउट सर्कुलर को हटाने के लिए राजी नहीं है। डिस्क्लोजर स्टेटमेंट के मुताबिक चंद्रशेखर ने शिल्पा शेट्टी से भी कांटेक्ट किया था जिसमें उसने राज कुंद्रा की कंडिशनल रिलीज के बारे में बात की थी। पटियाला हाउस कोर्ट ने हाल ही में 200 करोड़ रुपए के मनीलांड्रिंग मामले में मुकेश चंद्रशेखर, पत्नी लीना मारिया पॉल और अन्य के खिलाफ दायर ईडी की चार्जशीट पर संज्ञान लिया था। फिलहाल सभी आरोपी न्यायिक हिरासत में हैं। -अनिल नरेन्द्र

Thursday, 23 December 2021

कैप्टन और बीजेपी में गठबंधन

पंजाब विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी और कैप्टन अमरिन्दर सिंह की नई पार्टी के बीच गठबंधन का औपचारिक ऐलान हो गया है। पंजाब एक ऐसा राज्य है जहां बीजेपी के लिए सत्ता पाना पहाड़ तोड़ने जैसा है। लेकिन कांग्रेस के कद्दावर नेता और पंजाब के मझे हुए सियासी खिलाड़ी कैप्टन अमरिन्दर को अपनी टीम का हिस्सा बनाकर बीजेपी ने कोशिश तो शुरू कर दी है। अकेले अपने दम पर चुनाव लड़कर न तो कैप्टन अमरिन्दर सिंह हैट्रिक लगा पाते और उधर अकाली दल के बगैर बीजेपी के लिए अकेले पंजाब का किला फतह करना एक सपना बनकर ही रह जाता। ऐसे में इंडियन पॉलिटिक्ल लीग की यह नई टीम अब कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और अकाली-बसपा के लिए भी बड़ी चुनौती बन सकती है। बीजेपी के नजरिए से देखें तो यह सही रणनीति है। पार्टी ने पंजाब के शहरी हिंदुओं का प्रतिनिधित्व किया है और कैप्टन के साथ हाथ मिलाकर वह सिख वोटों को भी लुभाने में सक्षम होगी। इसके अलावा कैप्टन प्रदेश के तीन हिस्से मालवा, माझा और दोआबा की जमीनी राजनीति को बारीकी से समझने के साथ ही ये भी जानते हैं कि पिछले चुनावों में कांग्रेस कहां-कहां कमजोर थी और अब इस गठबंधन को उन्हें कहा और कैसे मजबूत करना है। वे कांग्रेस के साथ ही अकालियों की भी कमजोर नब्ज से वाकिफ हैं। इसी वजह से इस गठबंधन को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। इस तरह के संकेत मिल रहे हैं कि चुनावी तारीख घोषित होने के बाद दूसरे दलों के कई विधायक कैप्टन की पार्टी ज्वाइन कर सकते हैं। दूसरे दलों के लिए यह नया गठबंधन इसलिए टैशंन पैदा किए हुए है कि कुछ न कुछ सभी को नुकसान करेगा। यह जमीनी हकीकत है कि बीजेपी ने कैप्टन से समझौता करके अकालियों के किसान वाले सबसे बड़े वोट बैंक में सेंध लगाने का दांव खेला है। क्योंकि कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सीएम रहते हुए किसानों के आंदोलन का समर्थन किया था और अपने तौर पर उनकी मदद करने में भी कोई कसर बाकी नहीं रखी थी। वैसे पंजाब का किसान बीजेपी से नाराज है कैप्टन से नहीं, बल्कि वो कैप्टन को अपने खैरख्वाह मानता है। इसलिए अकाली दल से नाता तोड़ने के बाद बीजेपी को जिस किसान वोट बैंक के उनके खिसक जाने का खतरा सता रहा था, अब वह कैप्टन के जरिए कुछ हद तक उसकी झोली में आ सकता है। हालांकि इस गठबंधन के लिए सत्ता की राह अभी उतनी आसान भी नहीं है क्योंकि आम आदमी पार्टी ने पिछले कुछ सालें में जिस तरह से अपनी सियासी जमीन मजबूत की है। उसे देखते हुए उसकी ताकत को कम करके आंकना भूल होगी। यह जरूर हो सकता है कि कैप्टन के चुनावी मैदान में कूदने से कांग्रेस के वोट बैंक का कुछ हिस्सा इस गठबंधन की तरफ शिफ्ट हो सकता है।

ममता सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने दिया करारा झटका

सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा पेगासस जासूसी आरोपों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस मदन बी. लोकुर की अगुवाई वाली जांच आयोग को किसी भी तरह की कार्रवाई करने पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट में पश्चिम बंगाल सरकार ने कहा कि अब आयोग पर उसका कोई कंट्रोल नहीं है। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने आयोग को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एन वी रमन की अगुवाई वाली बैंच ने उस याचिका पर संज्ञान लिया जिसमें कहा गया कि पश्चिम बंगाल सरकार के आश्वासन के बाद भी आयोग ने काम शुरू कर दिया है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में आश्वासन दिया था कि जस्टिस लोकुर आयोग अभी जांच नहीं करेगी। सुनवाई के दौरान बताया गया कि आयोग ने राहुल गांधी, प्रशांत किशोर समेत अन्य को जांच में पेश होने को कहा है। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट में प. बंगाल सरकार की ओर से पेश वकील अभिषेक मनु सिंघवी से सवाल किया और याद दिलाया कि आपने तो आश्वासन दिया था कि आयोग को संयम बरतने को बताएंगे, मामले में आदेश की जरूरत नहीं है। इस पर सिंघवी ने कहा कि अब राज्य सरकार का आयोग के कामकाज पर कंट्रोल नहीं है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने आदेश पारित कर दिया। गौरतलब है कि 27 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस जासूसी मामले में जांच के लिए टेक्निकल कमेटी गठित की थी। वहीं पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को कहा कि पेगासस जासूसी कांड के लिए जांच आयोग के गठन के बारे में उन्हें अधूरी ओर चुनिंदा सूचना दी गई। राज्यपाल ने राज्य के मुख्य सचिव एफके द्विवेद्वी को शनिवार शाम तक पूरा रिकार्ड मुख्यालय में भेजने को कहा गया है।

अब जमाकर्ताओं का पैसा नहीं डूबता

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जमा बीमा के क्षेत्र में किए गए सुधारों से खाता धारकों का भरोसा बढ़ाने का जिक्र करते हुए रविवार को कहा कि बैंकों के डूबने पर अब जमाकर्ताआंs का पैसा नहीं डूबता और उनकी जमा का समयबद्ध तरीके से भुगतान किया जाता है। मोदी ने जमाकर्ता प्रथम पांच लाख रुपए तक गारंटीशुदा समयबद्ध जमा बीमा भुगतान कार्यक्रम में कहा कि एक समय जमाकर्ताओं को दबाव वाले बैंकों से अपना पैसा वापस पाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता था। गरीब, मध्य वर्ग बरसों तक इस परेशानी से जूझता रहा। लेकिन सरकार के जमा बीमा सुधार से खाताधारकों का बैंकिंग प्रणाली के प्रति भरोसा ब़ढ़ा है। संसद ने गत अगस्त में जमा बीमा एवं ऋण गारंटी निगम (संशोधन) विधेयक 2021 को पारित किया था। इसके तहत किसी बैंक पर रिजर्व बैक की ‘रोक’ के बाद 90 दिनों के अंदर जमाकर्ताओं को उनकी जमा में से 5 लाख रुपए तक की राशि का भुगतान किया जाता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि एक साल में एक लाख से अधिक जमाकर्ताओं को उनका फंसा पैसा वापस मिला है। यह राशि 1,300 करोड़ रुपए भी ज्यादा है। उन्होंने कहा कि करीब तीन लाख अन्य खाताधारकों को भी जल्द ही अपने फंसे हुए पैसे मिलेंगे। प्रधानमंत्री ने कहा, बैंकों को बचाना है तो जमाकर्ताओं को सुरक्षा देनी होगी। हमने बैकों को बचाकर उन्हें यह सुरक्षा दी है। उन्होंने कहा कि वित्तीय समावेशन तथा कर्ज तक सुगम पहुंचे का सबसे अधिक लाभ महिलाओं को मिल रहा है। इस मौके पर रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने निवेशकों को आगाह करते हुए कहा उसे रिटर्न या ज्यादा ब्याज के साथ जोखिम ज्यादा होता है। बैंक ज्यादा कर की पेशकश कर रहा है तो पैसा लगाने से पहले जमाकर्ताओं को सजग होना चाहिए। -अनिल नरेन्द्र

Wednesday, 22 December 2021

खतरा बन सकती हैं बेअदबी की घटनाएं

पंजाब के गुरुद्वारों में 24 घंटे के भीतर बेअदबी के दो मामले सामने आना गंभीर चिंता का विषय है। पंजाब में विधानसभा चुनाव निकट हैं। ऐसे में अमृतसर के बाद कपूरथला में बेअदबी की घटना खुशहाल पंजाब के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकती है। पहले ही पंजाब सूबे में ऐसे काले दौर का दंश देश झेल चुका है, जिससे उबरने में पंजाब को दशकों लग गए। अब चुनाव से पहले एकाएक बेअदबी की घटनाएं होने के पीछे की सियासत पंजाब के हिन्दू-सिख भाईचारे पर काले धब्बे न छोड़ दें। इसके पीछे कारण कोई भी रहा हो, लेकिन समाज के प्रति फिक्रमंद लोगों में सवाल कौंधने लगा है कि इतनी कट्टरता कहीं समाज के लिए घातक न साबित हो? कुछ इसे हिन्दू-सिख भाईचारे में दरार डालने की कोशिश करार दे रहे हैं। लोगों के मनों में एक अज्ञात भय भी घर करने लगा है, जिसे शुभ संकेत नहीं माना जा सकता है। चूंकि ऐसी घटनाएं पंजाब के माहौल को बिगाड़ने वाली साबित हो सकती हैं इसलिए इनकी गहन जांच होनी चाहिए ताकि यह पता चल सके कि लोगों की भावनाओं को भड़काने और सामाजिक सद्भाव को क्षति पहुंचाने वाली यह घटनाएं किसी सुनियोजित साजिश का हिस्सा तो नहीं? पंजाब में इस तरह की घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं, लेकिन कोई नहीं जानता कि उनकी तह तक क्यों नहीं जाया जा सका? कम से कम अब तो सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इस तरह की घटनाएं क्यों हो रही हैं और उनके लिए जिम्मेदार कौन है? ऐसे में पता लगाना जरूरी है कि चुनाव से पहले यह खतरनाक साजिश देश के भीतर रची जा रही है या फिर सीमा पार पाकिस्तान में। उन युवकों के जीवित होने पर इस साजिश के बारे में शायद पता चल सकता था। लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि दोनों ही जगह आरोपियों की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। दरअसल पवित्र धर्मग्रंथ की बेअदबी पंजाब में हमेशा एक भावनात्मक मुद्दा रही है। किसान आंदोलन के दौरान गत 15 अक्तूबर में दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर भी कथित बेअदबी के आरोप में एक व्यक्ति की हत्या कर दी गई थी। अगर शुरू से ही इन मामलों को गंभीरता से लिया जाता तो ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं से बचा जा सकता था। ऐसे मामले इसलिए भी बढ़ रहे हैं क्योंकि राज्य सरकारें दोषित को दंडित करने में विफल साबित हुई हैं और पुलिस का रवैया भी ठीक नहीं रहा। पंजाब की पिछली सरकार के दौरान पवित्र धर्मग्रंथ की बेअदबी के कई मामले सामने आए थे और जगह-जगह भारी विरोध प्रदर्शन हुआ था। दोषियों के मामले में निक्रियता और कोटकपुरा गोली कांड की शिरोमणि अकाली दल ने पिछले चुनाव में भारी कीमत चुकाई थी। यदि अमृतसर और कपूरथला जैसी घटनाएं होंगी तो विधि के शासन का तो उपहास उड़ेगा ही, देश-दुनिया में कई तरह के सवाल भी उठेंगे, जिनका जवाब देना भी कठिन होगा। बेअदबी या फिर किसी अन्य अपराध के आरोपितों को खुद सजा देने की बजाय उन्हें पुलिस के हवाले किया जाना चाहिए और उन्हें जल्द से जल्द कठोर सजा देने की मांग होनी चाहिए। पुलिस और सरकार को इस मांग को पूरा करने के लिए न केवल तत्पर होना चाहिए, बल्कि ऐसा दिखना भी चाहिए। मौजूदा मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने स्वर्ण मंदिर का दौरा किया और बेअदबी मामले की जांच के लिए एसआईटी भी गठित कर दी है, पर इसका मतलब तभी है, जब कुछ ठोस हासिल हो। चूंकि कुछ महीने बाद राज्य में विधानसभा चुनाव हैं। ऐसे में पूरे तंत्र को सतर्प रहना होगा, ताकि इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति न हो पाए। यह समय की मांग है कि पंजाब सरकार यह देखे कि जो कुछ अमृतसर और फिर कपूरथला में हुआ वह आगे न होने पाए।

उत्तर प्रदेश के चुनाव में छापों की एंट्री

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव की तैयारी में हाई वोल्टेज प्रचार के बीच छापेमारी की एंट्री हो गई है। सपा नेता अखिलेश यादव के करीबियों के यहां इन्कम टैक्स विभाग के छापों ने यूपी की सियासत को नया रंग दे दिया है। सपा इसे भाजपा का घटिया हथकंडा बता रही है। वहीं विभाग की तरफ से संकेत हैं कि बड़ी बेनामी रकम इकट्ठी करने की सूचना के आधार पर छापेमारी हुई है। शुक्रवार को सपा के राष्ट्रीय सचिव राजीव राय के मऊ स्थित आवास पर छापे पड़े। राजीव राय को घर में नजरबंद कर वित्तीय लेन-देन, बैंकिंग दस्तावेज, गहने, शेयर में निवेश के विविध पत्रों की जांच-पड़ताल में जुटे आयकर अधिकारियों ने लैपटॉप समेत कई दस्तावेज कब्जे में लिए हैं। आयकर विभाग की टीम जब पहुंची उस समय राजीव राय की फीजियोथैरेपी चल रही थी। छापेमारी के दौरान डाक्टरों को वहां से बाहर किए जाने से दोपहर में राजीव राय की अचानक तबीयत बिगड़ने से अधिकारियों के हाथ-पांव फूल गए। डाक्टरों की टीम को बुलाकर उनका चैकअप कराया गया। इसके बाद फिर पूछताछ फिर शुरू हुई। राजीव राय के आवास पर छापेमारी की खबर मिलते ही पार्टी के बड़ी संख्या में कार्यकर्ता पहुंचकर उन्होंने हंगामा शुरू कर दिया। इसके बाद राजीव राय के घर के बाहर पीएसी तैनात कर दी गई। सीओ सिटी धनंजय मिश्रा शहर के चार थानों की फोर्स के साथ डटे रहे। सपा नेताओं का कहना है कि राजनीतिक द्वेष के चलते छापेमारी की गई। मूल रूप से बलिया के रहने वाले राजीव राय का बेंगलुरु में पैरामेडिकल कॉलेज और संस्थान हैं। आईटी की छापेमारी अखिलेश यादव के काफी करीबी माने जाने वाले कारोबारी राहुल भसीन के यहां भी हो रही है। उन्हें पार्टी का फाइनेंसर भी माना जाता है। टीम ने गोमती नगर विशाल खंड-2 में जेनेंद्र यादव उर्प नीटू के घर पर भी छापा मारा। कहा जाता है कि मुलायम सिंह यादव के लखनऊ वाले 5, विक्रमादित्य मार्ग वाले बंगले के सर्वेंट रूम में नीटू रहते हैं। सपा से जुड़े कई नेताओं के यहां आयकर के छापेमारी पर अखिलेश यादव ने सवाल उठाते हुए कहा कि भाजपा कांग्रेस की तरह बर्ताव कर रही है। उन्होंने कहा कि यूपी में चुनाव होने जा रहे हैं, यहां पर अभी आईटी टीम आई है अब ईडी वाले भी आएंगे। अखिलेश यादव ने रायबरेली में कहाöअगर उनके पास पहले से जानकारी थी तो पहले कार्रवाई करनी चाहिए थी। चुनाव से दो महीने पहले यह कार्रवाई हो रही है। जोकि दिखाती है कि आईटी और सीबीआई वाले भी इस चुनाव में लड़ने आएंंगे। अखिलेश ने कहा कि इसके पहले कांग्रेस भी लोगों को डराने के लिए एजेंसियों का इस्तेमाल करती रही है। उसी रास्ते पर भाजपा भी निकल पड़ी है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने जनता को लगातार परेशानियां दी हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले ही छापेमारी क्यों की जा रही है? कोई भी इस सरकार में सुरक्षित नहीं है। आजम खान पर कितने मुकदमे लगे हैं। किसानों पर कितने मुकदमे लगे हैं? यह कोई नया तरीका नहीं है।

पाकिस्तानी सरजमीं का इस्तेमाल करते आतंकी समूह

अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने आतंकवाद 2020 पर एक रिपोर्ट पेश करते हुए पाकिस्तान को आड़े हाथों लिया है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत को निशाना बना रहे आतंकी समूह जब भी पाकिस्तानी सरजमीं से गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं। पाकिस्तान ने जैश-ए-मोहम्मद संस्थापक और संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादी मसूद अजहर तथा 2008 मुंबई हमले का प्रोजेक्ट मैनेजर साजिद मीर समेत अन्य आतंकियों के खिलाफ भी कार्रवाई नहीं की है। अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन द्वारा बृहस्पतिवार को आतंकवाद पर जारी कंट्री रिपोर्ट 2020 में खुलासा किया है कि आतंकी समूह पाकिस्तान से गतिविधियां जारी रखे हुए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक अफगान तालिबान और हक्कानी नेटवर्प समेत अफगानिस्तान विरोधी समूहों के साथ भारत को निशाना बना रहे लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद समेत अन्य आतंकी समूहों द्वारा पाकिस्तानी सरजमीं का उपयोग जारी है। मसूद अजहर जैसे आतंकियों पर भी कोई कार्रवाई नहीं की। रिपोर्ट में कहा गया पाकिस्तान ने वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) की कार्ययोजना को पूरा करने की दिशा में 2020 में अतिरिक्त प्रगति की लेकिन कार्ययोजना के कामों को पूरा नहीं किया और एफएटीएफ की ग्रे सूची में बना है। ताजा रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि आतंकी संगठन आईएस में भारतीय मूल के 66 लड़ाके भी हैं। -अनिल नरेन्द्र

Tuesday, 21 December 2021

पूर्वांचल में प्रधानमंत्री के दौरों की अहमियत

काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर के उद्घाटन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र बनारस के लिए दो दिनों का वक्त निकाला। पिछले दो महीनों में प्रधानमंत्री का पूर्वांचल में यह छठा दौरा है। बनारस में काशी विश्वनाथ मंदिर हिन्दुओं की आस्था का एक बड़ा केंद्र रहा है। उस नजरिये से कॉरिडोर के शिलान्यास और लोकार्पण दोनों ही भाजपा शासनकाल में होने को योगी सरकार की एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर पेश किया जा रहा है। हालांकि प्रधानमंत्री जिस तरह से बार-बार उत्तरांचल के दौरे कर रहे हैं, वो इस इलाके की लगातार बढ़ती राजना]ितक अहमियत को दर्शाता है। वैसे उत्तर प्रदेश के चार मुख्य राजनीतिक इलाकों (पूर्वांचल के अलावा बुंदेलखंड, अवध और पश्चिमी उत्तर प्रदेश) में सीटों के लिहाज से पूर्वांचल काफी महत्वपूर्ण है। पिछले दो महीनों में भाजपा ने पूर्वांचल में पूरी तरह प्रशासनिक और राजनीतिक ताकत झोक दी है। 2022 के विधानसभा चुनावों में आचार संहिता लगने की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। इस बीच भाजपा अपनी तमाम बड़ी परियोजनाओं का लोकार्पण खुद पीएम मोदी से करवा रही है। ऐसी परियोजनाओं की फेहरिस्त काफी लंबी है। सबसे पहले प्रधानमंत्री ने 20 अक्तूबर को गोरखपुर से सटे कुशीनगर जिले में अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का लोकार्पण किया उसके बाद 25 अक्तूबर को उन्होंने पूर्वांचल के नौ जिलों में मेडिकल कॉलेजों का लोकार्पण किया। फिर पीएम ने 16 नवम्बर को सुल्तानपुर में लखनऊ से गाजीपुर को जोड़ने वाले 341 किमी लंबे और 22,500 करोड़ की लागत से बने पूर्वांचल एक्सप्रेसवे का उद्घाटन किया। फिर सात दिसम्बर को 9600 करोड़ रुपए की कई परियोजनाओं का लोकार्पण किया। इसमें गोरखपुर के एम्स के अलावा एक बड़ा फर्टिलाइजर प्लांट भी शामिल हैं। 11 दिसम्बर को प्रधानमंत्री मोदी ने गोंडा, बलरामपुर और बहराइच जिलों में 9600 करोड़ रुपए की लागत से सरयू कनाल प्रोजेक्ट का लोकार्पण किया और सबसे ताजा कार्यक्रम सोमवार का रहा, जब नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र बनारस में 339 करोड़ रुपए से बनाए गए काशी कॉरिडोर का लोकार्पण करते हुए इस मौके को एक त्यौहार के रूप में मनाया। दरअसल भाजपा अपने पक्ष में माहौल बरकरार रखने की हर संभव कोशिश कर रही है। मोदी और योगी दोनों की जो निजी छवि है, उस छवि को बरकरार रखना एक बड़ा सवाल है। आपको याद होगा कि 2018 के गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री रहते भाजपा जब वो सीट हार गई थी, तब जगह-जगह उनकी आलोचना होती थी और लोग उस पर सवाल खड़े करने लगे थे। इसलिए वे किसी भी स्थिति में इस दांव को गंवाने देना नहीं चाहते। जी न्यूज की एक रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के लगभग 26 जिले पूर्वांचल में आते हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में यहां की 156 में से 106 सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी। एक रिपोर्ट के मुताबिक 2019 के लोकसभा चुनावों में पूर्वांचल की 30 में से 21 सीटों पर भाजपा के सांसद चुने गए। 2022 के विधानसभा चुनावों में पूर्वांचल में भी पार्टी की कोशिश होगी कि वो किसी भी तरह इस इलाके में अपना वर्चस्व कायम रखे। हाल में एबीपी न्यूज-सी वोटर के सर्वे में पूर्वांचल में मौजूदा हालात में भाजपा और उसके सहयोगी दलों को 40 प्रतिशत, सपा और उसके सहयोगियों को 34 प्रतिशत, बसपा को 17 प्रतिशत वोट मिलने का अनुमान है। किसान आंदोलन खत्म होने के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा के पक्ष में माहौल बदलने में अभी थोड़ा वक्त लग सकेगा। भाजपा किसान आंदोलन से होने वाले नुकसान की भरपायी पूर्वांचल से करने की कोशिश कर रही है। वैसे भी सीएम का इलाका गोरखपुर और बनारस, दोनों पूर्वांचल में ही हैं। इसलिए प्रधानमंत्री का बार-बार उत्तर प्रदेश के दौरे पर जाने का मतलब समझा जा सकता है।

अब 21 वर्ष होगी लड़कियों की शादी की उम्र

देश में लड़कियों की शादी की कानूनी उम्र 21 साल होने जा रही है। संसद में जारी गतिरोध के बीच केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लड़कियों की शादी की वैधानिक उम्र 18 वर्ष से बढ़ाकर लड़कों की तरह 21 वर्ष करने से संबंधित प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। केंद्र सरकार बाल विवाह निषेध कानून 2006 में इस आशय का संशोधन करने के लिए संसद के इसी सत्र में विधेयक ला सकती है। न्यूनतम उम्र सीमा के बदलाव का यह फैसला जया जेटली समिति की सिफारिशों के आधार पर किया गया है। पिछले साल गठित इस समिति को यह देखना था कि शादी और मातृत्व की उम्र का मां और नवजात शिशु के स्वास्थ्य और विभिन्न हेल्थ इडिकेटर्स जैसे शिशु मृत्यु दर, मातृत्व मृत्यु दर इत्यादि पर कैसा और कितना संबंध है? यह लैंगिक समानता की दिशा में वाकई अहम कदम है। प्रधानमंत्री मोदी ने 2020 में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले से दिए अपने भाषण में इसकी घोषणा की थी। यह कदम इस लिहाज से भी अहम है, क्योंकि करीब 13 वर्ष पहले विधि आयोग ने लड़के और लड़कियों, दोनों के लिए शादी की कानूनी उम्र 18 साल करने की सिफारिश कर दी थी। अपने आपमें यह सुझाव प्रगतिशील है। आज जब हर क्षेत्र में लड़कों और लड़कियों को लेवल प्लेइंग फील्ड मुहैया कराने की कोशिश हो रही है, तब कोई कारण नहीं कि विवाह की न्यूनतम उम्र को लेकर दोनों में भेदभाव किया जाए। 18 साल की उम्र तक तो कॉलेज की पढ़ाई भी पूरी नहीं होती। ऐसे में अगर लड़कों को अपनी पढ़ाई पूरी कर खुद को अच्छी नौकरी के लिए तैयार करने का मौका मिलता है तो लड़कियों को तीन साल पहले ही शादी के झंझट में डाल देने की वकालत भला कैसे की जा सकती है? औपनिवेशक शासन ने सितम्बर 1929 में बाल विवाह निरोधक कानून बनाकर लड़कियों के लिए शादी की न्यूनतम उम्र 14 वर्ष और लड़कों के लिए 18 वर्ष तय की थी। कहने की जरूरत नहीं कि यह कानून लंबे समय तक लड़कियों को शिक्षा से वंचित रखने की वजह बनी। आखिरकार 1978 में कानून में संशोधन के बाद लड़कियों के लिए शादी की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष और लड़कों की 21 वर्ष की गई। आज जब लड़कियां किसी भी क्षेत्र में लड़कों से कम नहीं तो शादी की उम्र में फर्क?

रोहिणी कोर्ट धमाका ः आरोपी ने रिमोट से किया था

दिल्ली की रोहिणी अदालत में हुए बम धमाके की जांच कर रही दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने एक वरिष्ठ वैज्ञानिक को गिरफ्तार किया है। आरोपी का नाम अशोक विहार निवासी भारत भूषण कटारिया है और वह डीआरडीओ में कार्यरत है। जबकि पुलिस का दावा है कि आरोपी ने पड़ोसी वकील से रंजिश के चलते उसे मारने के लिए साजिश रची थी। पुलिस मुख्यालय में इस बाबत आयोजित एक प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए दिल्ली पुलिस के आयुक्त राकेश अस्थाना ने शनिवार को बताया कि गिरफ्तार आरोपी भारत भूषण कटारिया (45) से पूछताछ में पता चला है कि उसने अपने एक पड़ोसी वकील से व्यक्तिगत दुश्मनी के कारण अदालत में उसके बैठने के स्थान के पास आईईडीयुक्त एक बैग रखा था और रिमोट के जरिये विस्फोट किया था। उनके अनुसार नौ दिसम्बर को हुए धमाके के स्थान के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की जांच में पता चला कि जब वह वैज्ञानिक अदालत में दाखिल हुआ उस समय उसके पास दो बैग थे, जबकि बाहर निकलते समय उसके पास सिर्फ एक ही बैग था। इस सुराग के बाद आरोपी से पूछताछ की गई और आरोपी ने वारदात में अपना हाथ होना स्वीकार किया। पूछताछ में पता चला कि वकील और वैज्ञानिक पड़ोसी हैं, जबकि दोनों के बीच लंबे अरसे से विवाद चल रहा है। इस सिलसिले में एक-दूसरे के खिलाफ चार-पांच मुकदमे लंबे समय से चल रहे हैं। पुलिस आयुक्त ने बताया कि जांच के दौरान रोहिणी बम धमाके की गुत्थी सुलझाने के लिए अदालत परिसर में खड़ी 1000 से अधिक कारों के मालिकों से पूछताछ की गई। गहन पूछताछ एवं सीसीटीवी कैमरे की फुटेज खंगालने पर ठोस सुराग मिला और आरोपी पकड़ा गया। दिल्ली पुलिस की सराहना करनी होगी कि इतने कम समय में यह गुत्थी सुलझा ली है। -अनिल नरेन्द्र

Sunday, 19 December 2021

एक माह में 25 लाख शादियां

बीते एक माह में हुईं ताबड़तोड़ शादियों के चलते सोने की जोरदार मांग रही। इससे पहले त्यौहारों के सीजन में भी सोने की तगड़ी मांग देखी गई थी। 2021 में लगभग 900 टन सोने के आयात का अनुमान है, जो मात्रा के लिहाज से बीते सात साल में सबसे ज्यादा है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के आंकड़ों के मुताबिक यह पिछले साल की तुलना में 350 टन और 2019 के मुकाबले 69 टन अधिक है। मध्य नवम्बर से अब तक देश में 25 लाख से भी अधिक शादियां हुई हैं। नतीजतन सोने-चांदी और ज्वैलरी का बाजार गुलजार है। डेढ़ साल से भी ज्यादा समय तक शादी-विवाह की ग्राहकी के लिए तरस रहे ज्वैलर्स बढ़ी हुई डिमांड पूरी करने में जुटे हैं। दरअसल पिछले साल कोविड महामारी के चलते धूमधाम से होने वाली शादियों पर रोक लगी हुई थी और इस वजह से शादियां टल गई थीं। अब शादी समारोह की छूट मिलने के बाद शादियों की झड़ी लगी हुई है। मेटल फोकस के एक कंसल्टेंट ने कहा कि सोने के दाम घटने के अलावा पेंट-अप डिमांड ने भी बिक्री बढ़ाई है, लेकिन सोने की मांग बढ़ने की सबसे बड़ी वजह पिछले साल टली शादियां हैं। इस साल रिकॉर्ड स्तर पर शादियां हो रही हैं। इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन के प्रवक्ता के मुताबिक इस साल ग्राहक हैवी ज्वैलरी पसंद कर रहे हैं। मुश्किल समय के सहारे के रूप में सोने पर भरोसा लौट रहा है। ग्राहकों के सेंटिमेट में सुधार के अलावा पिछले साल की तुलना में सोने के दाम घटने से भी डिमांड बनी रहने की उम्मीद है।

पाकिस्तान दिवालिया हो चुका है

पाकिस्तान एफबीआर के पूर्व चेयरमैन शब्बर जैदी इमरान खान की सरकार में ही 10 मई 2019 से आठ अप्रैल 2020 तक एफबीआर के चेयरमैन थे। पाकिस्तान के फेडरल बोर्ड रेवेन्यू यानि एफबीआर के पूर्व चेयरमैन शब्बर जैदी ने कहा है कि पाकिस्तान दिवालिया हो चुका है। उन्होंने कहाöसरकार का यह दावा कि सब कुछ ठीक है और चीजें अच्छी हो रही हैं, यह सारी बातें झूठ हैं। शब्बर जैदी ने यह बातें हाल ही में हमदर्द यूनिवर्सिटी में एक भाषण के दौरान कहीं। हालांकि अब जैदी ने ट्विटर पर इसे लेकर सफाई दी है। उनका कहना है कि उनके भाषण के तीन मिनट के क्लिप पर ही बात हो रही है। जैदी का कहना है कि उन्होंने समाधान की बात भी कही थी। जैदी ने कहाöकिसने कर्ज लिया था, इस पर ताना देने से कुछ नहीं होगा। यह पाकिस्तान का कर्ज है। ब्याज दरों पर फैसला तार्किक तरीके से होना चाहिए। दुनिया के किसी भी मुल्क की तरक्की निर्यात के दम पर होती है। हमें निर्यात को दुरुस्त करना होगा। रेमिटेंस की धारणा से बाहर निकलना होगा। इससे देश नहीं चलेगा। हमें सर्विस निर्यात करनी है न कि काम करने वाले लोगों को एक्सपोर्ट करना है। अफगानिस्तान में जब तक समावेशी सरकार नहीं आएगी तब तक पाकिस्तान फंसा रहेगा। पाकिस्तान का निर्यात 20 अरब डॉलर का है और हमारा कोई खरीददार है तो पश्चिम है। हमें निर्यात बढ़ाना है तो अमेरिका से दोस्ती करनी होगी मुझे तो आज तक सीपीईएस समझ में नहीं आया। इसमें पारदर्शिता लानी होगी। इससे हमारी अर्थव्यवस्था तबाह हो रही है। भारत से हम दवाइयां ले रहे हैं। यह जो ड्रामेबाजी है कि भारत से व्यापारिक संबंध नहीं रखेंगे, यह बंद होना चाहिए। हर प्राथमिक स्कूल में अंग्रेजी होनी चाहिए, जो बच्चा अंग्रेजी नहीं पढ़ता तो वो दोयम दर्जे का नागरिक बन जाता है। तमाम मजहबी शिक्षा ग्रेजुएशन के बाद होनी चाहिए। पाकिस्तान के दिवालिया होने वाली बात को तूल मिलने पर शब्बर जैदी ने ट्वीट पर कहाöहमदर्द यूनिवर्सिटी में मेरे भाषण की गलत व्याख्या हो रही है। वहां आधे घंटे का प्रेजेंशन था। इसमें से केवल तीन मिनट के क्लिप पर बात हो रही है। मैंने चालू खाता घाटा और राजस्व घाटे की बात उठाई थी और यह दिवालिया का मुद्दा है जोकि चिंताजनक है। हमें समाधान की ओर देखना है। मैंने अपनी बात कन्विकशन के साथ कही है।

नासा के स्पेसक्राफ्ट ने सूरज को छुआ

अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के अंतरिक्ष यान पार्कर सोलर प्रोब ने सूर्य को छूने का अभूतपूर्व कारनामा किया है। इस समय तक असंभव मानी जाने वाली यह उपलब्धि अंतरिक्ष यान ने आठ महीने पहले यानि अप्रैल में ही हासिल कर ली थी, लेकिन अंतरिक्ष में करोड़ों किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस यान से जानकारी पहुंचने और उसके बाद जानकारी का विश्लेषण करने में वैज्ञानिकों को लंबा समय लग गया। नासा ने अपना पार्कर सोलर प्रोब अंतरिक्ष यान 12 अगस्त 2018 को लांच किया था। नासा का कहना है कि पार्कर प्रोब से जो भी जानकारी मिलेगी, उससे सूर्य के बारे में हमारी समक्ष और विकसित होगी। हॉवर्ड और स्मिथसोनियन के सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स की टीम ने प्रोब में लगे एक अहम उपकरण सोलर प्रोब कप को बनाया है। इस कप से सूर्य के वायुमंडल से कणों को इकट्ठा करने का काम हो रहा है। इसी से पता लगा कि स्पेसक्राफ्ट सूर्य के वायुमंडल की बाहरी सतह कोरोना तक पहुंचने में सफल रही। सोलर प्रोब की यह उपलब्धि फिजिकल रिव्यू लेटर में छपी है। -अनिल नरेन्द्र

Saturday, 18 December 2021

लखीमपुर कांड लापरवाही नहीं साजिश

लखीमपुर खीरी मामले में विशेष जांच दल यानि एसआईटी की रिपोर्ट आने के बाद स्थिति बिल्कुल पलट गई है। एसआईटी ने बड़ा खुलासा किया है। इसके मुताबिक तीन अक्तूबर को केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा ने सोची-समझी साजिश के तहत चार किसानों को अपनी गाड़ी से कुचलकर हत्या कर दी थी। यह वारदात किसी लापरवाही की वजह से नहीं हुई बल्कि योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया गया। इसके बाद भड़के उपद्रव में भी चार लोगों की जान चली गई थी। एसआईटी ने दो महीने बाद एफआईआर की धाराओं में भी बदलाव किया है और इसे गैर-इरादतन हत्या की बजाय हत्या का केस माना है। कोर्ट ने भी इसे मंजूरी दे दी है। एफआईआर में आशीष मिश्रा मोनू मुख्य आरोपी है। धाराओं के बदलने के बाद आशीष सहित 14 आरोपियों पर अब हत्या के साथ हत्या के प्रयासों का भी केस चलेगा। मंगलवार को सभी आरोपियों को कोर्ट में पेश कर नई धाराओं में वारंट जारी करने के बाद जेल भेज दिया गया। इस बीच मंत्री अजय मिश्रा ने जेल में बेटे से मुलाकात की। एसआईटी ने इसे गैर-इरादतन हत्या के बाद हत्या का मामला माना है और सुसंगत धाराओं में केस दर्ज करने की अनुमति भी अदालत से ले ली है। गौरतलब है कि इस घटना से समूचा देश सन्न रह गया था। मंत्री पुत्र का नाम घटना में आने से राजनीति भी गरमा गई है। निकट भविष्य में उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव होने हैं, इसलिए विपक्ष को सरकार पर हावी होने का मौका हाथ में लग गया था। उस समय किसान आंदोलन भी तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहा था। ऐसे में माना जा रहा था कि तत्काल सक्रियता नहीं दिखाई तो प्रदेश सरकार के समक्ष मुसीबतें बढ़ेंगी। इसलिए आनन-फानन में प्रदेश सरकार ने इस मामले में दर्ज दो प्राथमिकियों की जांच के लिए नौ सदस्यीय एसआईटी का गठन कर दिया था। तमाम विपक्षी दल और किसान संगठन शुरू से मांग करते रहे हैं कि लखीमपुर खीरी मामले में मुख्य साजिशकर्ता अजय कुमार मिश्रा हैं। किसान संगठनों ने तो अपनी प्राथमिकी में भी यह बात कही है और शुरू से मांग उठाते रहे हैं कि उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देना होगा और उन्हें मंत्री पद से हटाया जाना चाहिए। अपने तर्प के पक्ष में उन्होंने अजय कुमार मिश्रा के घटना से कुछ दिन पहले के विवादित भाषण और किसानों को ठेंगा दिखाने के प्रमाण भी नत्थी किए थे। उनका कहना था कि उनके रहते मामले की निष्पक्ष जांच संभव नहीं है। मगर केंद्र सरकार ने न जाने किस मोह में उन्हें पद पर बने रहने दिया। सियासी गलियारों में सवाल चल रहे हैं कि क्या केंद्रीय मंत्री के तौर पर अजय मिश्रा टैनी की इनिंग खत्म होने वाली है? इनिंग खत्म हो या न हो, इस मसले के विपक्ष के बाद, संसद और संसद के बाहर खत्म होने के आसार नहीं हैं। मिश्रा को लेकर भाजपा में भी दो राय हैं। एक राय यह है कि लखीमपुर खीरी कांड ने किसान आंदोलन और विपक्ष को ताकत दी है। कोरोनाकाल में उत्तर प्रदेश सरकार के बेहतर काम, भाजपा की हिन्दुवादी विचारधारा की भी अच्छी पकड़ से बने माहौल पर खीरी कांड ने गंदे छींटे डाले हैं, लेकिन दूसरी तरफ अहम राय ब्राह्मण वोट बैंक को एकजुट रखने के बारे में है। यही राय अब तक हावी नजर आई है। यही वजह है कि मिश्रा पद पर बरकरार रहे हैं। पीड़ितों को न्याय मिलने की उम्मीद बढ़ी है, पर साथ ही केंद्र सरकार की किरकिरी भी बढ़ गई है। भाजपा की इमेज पर भारी पड़ रही है टैनी की पारी। -अनिल नरेन्द्र

Friday, 17 December 2021

चार धाम ः राष्ट्र रक्षा का पथ

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड में सामरिक रूप से अहम चार धाम प्रोजेक्ट का ऑल वेदर रोड के चौड़ीकरण का रास्ता साफ कर दिया। कोर्ट ने मंगलवार को ऑल वेदर को 5.5 मीटर की बजाय 10 मीटर चौड़ा बनाने की अनुमति दी। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने एक एनजीओ की याचिका में उठाई गईं आपत्तियों पर केंद्र सरकार को राहत दी। अब ऋषिकेश-बद्रीनाथ हाइवे, ऋषिकेश-गंगोत्री व टनकपुर-पिथौरागढ़ को दो-दो लेन बनाया जा सकेगा। कोर्ट ने कहा कि देश की रक्षा के लिए जरूरी परियोजनाओं की न्यायिक समीक्षा नहीं हो सकती। पीठ ने कहा है कि अदालत न्यायिक समीक्षा में सेना के सुरक्षा संस्थानों के बारे में फैसला नहीं कर सकती। उसने यह भी कहा कि सड़क की चौड़ाई बढ़ाने में रक्षा मंत्रालय की कोई दुर्भावना नहीं छिपी है। जून 2013 में केदारनाथ में आई आपदा के करीब तीन साल बाद 2016 में प्रधानमंत्री मोदी ने इस बारहमासी सड़क परियोजना की आधारशिला रखी थी। उत्तराखंड स्थित चार धामोंöगंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ को जोड़ने वाली करीब 900 किलोमीटर लंबी सड़क परियोजना के तहत राष्ट्रीय राजमार्ग की चौड़ाई को दोगुना कर 10 मीटर करने के फैसले को इस आधार पर चुनौती दी गई थी कि इससे उत्तराखंड के पर्यावरण को नुकसान हो सकता है। चार धाम यात्रा परियोजना सिर्फ धार्मिक कारणों से ही नहीं बल्कि रणनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। निश्चय ही सुरक्षा हितों के साथ ही पर्यावरण को होने वाले नुकसान की अनदेखी नहीं की जा सकती। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण संबंधी उपायों को सुनिश्चित करने के लिए पूर्व न्यायाधीश एके सीकरी के नेतृत्व में एक समिति का भी गठन किया है। ऐसे में इस परियोजना को आगे बढ़ाते हुए सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि राष्ट्रीय सुरक्षा और पर्यावरण से जुड़े हितों के बीच संतुलन बना रहे।

रोहिणी कोर्ट में आईईडी से हुआ था धमाका

दिल्ली के रोहिणी कोर्ट में गुरुवार सुबह बम ब्लास्ट से हड़कंप मच गया। बम को एक लैपटॉप बैग के अंदर टिफिन में छिपाकर रखा गया था। यह धमाका कोर्ट नम्बर 102 में हुआ। धमाके में नायब कोर्ट हेड कांस्टेबल राजीव गंभीर रूप से घायल हो गए। सूत्रों के मुताबिक उन्हें बम धमाके में निकले छर्रे लगे हैं। शरीर में कई जगह टांके भी आए हैं। वहीं एक अन्य व्यक्ति भी मामूली रूप से घायल हुआ है। इस धमाके के बाद रोहिणी कोर्ट में भगदड़ मच गई थी। इस धमाके से कोर्ट में फायरिंग की अफवाह तेजी से फैली। मगर कुछ ही देर में स्थिति साफ हो गई। पुलिस के अलावा दमकल की सात गाड़ियां मौके पर पहुंचीं। वारदात के पीछे आतंकी कनेक्शन होने की बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। एक सूत्र के अनुसार धमाका आईईडी से हुआ था। इसके लिए तीन सौ ग्राम विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया था। इसे टिफिन में रखा गया था। शुरुआती जांच में यह बात सामने आई है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि सही तरीके से सेट नहीं किया गया था। इस कारण बड़ा हादसा टल गया। अब तक की जांच में पुलिस को विस्फोटक रखने वाले के बारे में कोई सुराग हाथ नहीं लगा है। काले रंग का एक डिवाइस मिला है। पुलिस इसे आतंकी हमला मान रही है। विस्फोटक में तीन सौ ग्राम अमोनिया नाइट्रेट, बैटरी, तार और पहली बार बम में छोटे स्क्रू का इस्तेमाल किया गया था साथ ही बम में शीशे के टुकड़े भी डाले गए हैं। आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि जिस तरह से बम तैयार किया गया था, उससे काफी ज्यादा नुकसान हो सकता था। सुबह 10ः30 बजे जिस समय यह ब्लास्ट हुआ संयोग से उस समय सुनवाई शुरू नहीं हुई थी। महानगर दंडाधिकारी कोर्ट रूम में नहीं आए थे। कोर्ट रूम में चंद लोग ही थे। लैपटॉप बैग को कठघरे के पास रखा दिया गया था। कोर्ट कर्मचारी की मानें तो धमाका काफी तेज था, जिससे 15 मिनट तक सुनाई देना बंद हो गया था। अगर भरी अदालत के अंदर बम क्षमता वाला होता तब जानमाल का बड़ा नुकसान हो सकता था। सीसीटीवी कैमरे की जांच के दौरान पुलिस को कई काले बैग लेकर जाते लोग दिखे हैं। उन सभी लोगों के बारे में पुलिस जानकारी हासिल कर रही है। बताया जा रहा है कि गैंगस्टर मंजीत महाल की पेशी होनी थी। इसको लेकर भी इस तरह की घटना को अंजाम दिया जा सकता है। वहीं सूत्रों का कहना है कि गाड़ियों से कोर्ट परिसर में आने वालों की ठीक से जांच नहीं हो पाती है। गाड़ियां भूमिगत पार्किंग में खड़ी की जाती हैं, जहां आठ लिफ्ट हैं। इसमें से सात लिफ्ट के पास तलाशी की व्यवस्था है और एक में नहीं है। दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस आयुक्त को रोहिणी में तीन लोगों की मौत के बाद आवश्यक संख्या में पुलिस कर्मियों को तैनात करने और उपकरण लगाने के लिए एक विशेष टीम द्वारा अदालतों की सुरक्षा व्यवस्था की समय-समय पर समीक्षा करने के निर्देश दिए हैं। बता दें कि रोहिणी कोर्ट में 24 सितम्बर को एनकाउंटर भी हुआ था। मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल व न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने अदालत परिसरों में सुरक्षा और सुरक्षा से संबंधित मामलों में पारित आदेश में कहा कि दिल्ली पुलिस मुख्य रूप से नियमित और निरंतर सुरक्षा के लिए पर्याप्त कर्मियों की तैनाती, सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से निगरानी के लिए जिम्मेदार है। इसके लिए आवश्यक बजटीय आबंटन दिल्ली सरकार करेगी, अगर यह आतंकी हमला था तो यह बड़े हमले का ट्रायल भी हो सकता है। इसलिए पुलिस को तैयार रहना होगा, सुरक्षा व्यवस्था को चुस्त करना होगा। अदालतों की सुरक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है। -अनिल नरेन्द्र

Thursday, 16 December 2021

अब श्रीनगर में पुलिस बस पर हमला

संसद पर हमले की 20वीं वर्षगांठ पर श्रीनगर के बाहरी इलाके जेवान में आतंकियों ने सोमवार की शाम पुलिस बस पर हमला कर अंधाधुंध गोलियां बरसाईं। हमले में जम्मू-कश्मीर पुलिस के दो जवान मारे गए जबकि 12 पुलिसकर्मी घायल हो गए। इस हमले को शाम के करीब सात बजे जेवान कनमोह मार्ग पंथा चौक पर अंजाम दिया गया। इस हमले के बाद कई सवाल खड़े हो गए हैं। जिस जगह पर यह हमला हुआ है उस पूरे इलाके के इर्द-गिर्द सुरक्षा की कड़ी निगरानी रहती है। यह इलाका श्रीनगर-जम्मू राजमार्ग से सटा हुआ है। सोमवार को जवान इलाके की घटना से पहले श्रीनगर के रंगराइट इलाके में पुलिस ने दो चरमपंथियों को एक मुठभेड़ में मारने का दावा किया था। दो दिन पहले ही उत्तरी कश्मीर के बांदीपुर इलाके में जम्मू-कश्मीर पुलिस के दो जवान व एक आतंकी हमले में मारे गए थे। बीते कुछ महीनों में कश्मीर में आम लोगें की हत्याओं में भी सुरक्षा की इतनी बड़ी चूक नहीं होनी चाहिए थी। जम्मू-कश्मीर पुलिस के पूर्व डायरेक्टर जनरल डाक्टर शेष पाल वेद ने बीबीसी को बताया कि इतने बड़े सुरक्षा इलाके में इस तरह का आतंकी हमला नहीं होना चाहिए था और इस हमले को रोका भी जा सकता था। वह बताते हैं-कि यह इलाका शहर का बाहरी इलाका है। दूसरी बात यह है कि इस इलाके में हमेशा सुरक्षा बल तैनात रहते हैं। इलाके की निगरानी रहती है। इस इलाके में आतंकवादी ऐसा करने की कोशिश करें तो यह हमारी चूक है। मुझे लगता है कि रोड ओपनिंग पार्टी (आरओजी) लगी होनी चाहिए थी और एरिया डोमिनेशन भी होनी चाहिए था। मैं समझता हूं कि इस तरह के हमले को रोका जा सकता था और ऐसा नहीं होना चाहिए था। किसी दूर-दराज इलाके में ऐसा हमला होता तो बात कुछ और थी, लेकिन जहां सुरक्षा बलों की मौजूदगी है वहां इस तरह की घटना को टाला जा सकता था। रोड ओपनिंग पार्टी (आरओपी) सुरक्षा बलों के उस दस्ते में होती है, जो सड़क लगाई जाती है और अपने आसपास के इलाके को पूरी निगरानी में रखती है। पुलिस की बस जिस समय वहां से गुजरी है। उससे पहले ही वहां से रोड ओपनिंग पार्टी अपने ठिकानों पर रवाना हो चुकी थी। उनका कहना था कि इस इलाके में सबसे बड़ी चूक यही हुई कि रोड ओपनिंग पार्टी को जब निकाला गया, उसके बाद हमलावरों को हमला करने का मौका मिला और उन्होंने हमले को अंजाम दिया। कश्मीर जोन के इंस्पेक्टर जनरल विजय कुमार को बीबीसी ने हाई सिक्यूरिटी जोन में हुए हमले के हवाले से व्हाट्सअप पर सवाल भेजे थे लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया। श्रीनगर के वरिष्ठ पत्रकार हारुन रेशी कहते हैं कि कश्मीर में आतंकियों के हमले में बढ़ोतरी बताती है कि परिस्थितियां ठीक नहीं हैं। वह कहते हैं कि सुरक्षा एजेंसियां बार-बार दावा कर रही है कि स्थिति नियंत्रण में है लेकिन यह सच नहीं है। हम देख रहे हैं कि आतंकी लगातार हमले कर रहे हैं इसलिए यह साफ है कि कश्मीर में ग्राउंड पर यह हम जो देख रहे है वो अच्छा नहीं है। कश्मीर में आतंकी घटनाओं में अचानक तेजी बताती है कि ये एक सोची समझी साजिश के तहत हो रहा है, कश्मीर में हम उस नेरेटिव को बदलने की कोशिश हो रही है जिसमें कहा जा रहा था कि आर्टिकल 370 को हटाने से कश्मीर में माहौल बेहतर होंगे। अब नेरेटिव को खत्म करने के लिए उस पार से ऐसा करने के मंसूबे बनते हैं। जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवानों को इसलिए निशाना बनाया जा रहा है ताकि वह आतंकियों के खिलाफ अभियानों में शामिल न हों। पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट कर लिखा है। श्रीनगर हमले में दो पुलिस कर्मियों की मौत पर दुख हुआ है। कश्मीर में हालात ठीक होने के सरकार के खोखले दावों से फिर पर्दा उठ गया है और गलतियों से सबक नहीं सीखा जा रहा है। बीजेपी प्रवक्ता अलताफ ठाकुर ने कहा यह बुजदिली है और यह रात के अंधेरे में निशाना बनाया जा रहा है।

ग्वादर आंदोलन के आगे झुकी इमरान सरकार

पाकिस्तान के बंदरगाह शहर ग्वादर (बलूचिस्तान) में करीब एक महीने से जारी सरकार विरोधी प्रदर्शन के बाद प्रधानमंत्री इमरान खान ने आखिरकार ट्वीट कर आश्वासन दिया कि वह ग्वादर के मछुआरों की जायज मांगों पर गौर कर रहे हैं और ट्रालर्स के जरिए अवैध रूप से मछली पकड़ने वालों (चीनी मछुआरों) पर कार्रवाई करेंगे। उन्होंने कहा कि बलूचिस्तान के सीएम से इस संबंध में बात भी करेंगे। दिन पर दिन तेज होते प्रदर्शन को देखते हुए पाकिस्तान के अन्य जिलों से अतिरिक्त पुलिस बल को ग्वादर भेजने के निर्देश जारी किए गए थे। इसके अलावा कुछ दिनों से भारी संख्या में स्थानीय लोगों के ग्वादर के आंदोलन में शामिल होने के कारण सरकार की चिंता भी बढ़ गई थी। पीने के साफ पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित ग्वादर में रहने वाले हजारों लोग अपने हक के लिए शुक्रवार को सड़कें पर उतर आए। प्रदर्शन में शामिल बड़ी संख्या में महिला और बच्चे राज्य तथा केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर रहे थे। डॉन की रिपोर्ट के अनुसार प्रदर्शन में शामिल हजारों लोग अन्य चीजों के साथ-साथ साफ पेयजल उपलब्ध कराने और ट्रालर माफिया को समाप्त करने की मांग कर रहे थे। जमात-ए-इस्लामी के महासचिव (बलूचिस्तान) मौलाना हिदयत-उर-रहमान ने कहा कि प्रदर्शन वास्तव में प्रांतीय व संघीय सरकार के खिलाफ जनमत संग्रह है। जब तक लोगों को उनका अधिकार नहीं मिल जाता तब तक आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने कहा-यह वास्तव में वंचित और उत्पीड़ित बलूचिस्तान वासियों का आंदोलन है। इनमें मछुआरों, ग्रीन श्रमिक आदि शामिल हैं। प्रदर्शन बलूच महाजर बीएमएनए के अध्यक्ष यूसुफ खान की ग्वादर में गिरफ्तारी के एक दिन बाद हुआ वयोवद्ध बलूच राष्ट्रवादी नेता को देश विरोधी गतिविधियों और लोगों को भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

तुम पर नाज है हरनाम संधू

भारत की हरनाम संधू (21) मिस यूनिवर्स चुनी गई हैं। इजराइल के इलियट में 70वीं मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में 21 साल बाद यह ताज भारत के नाम सजा है। इससे पहले 1994 में सुष्मिता सेन ने और 2000 में लारा दत्ता ने यह खिताब जीता था। जिस साल लारा ने खिताब जीता उसी साल हरनाम संधू पैदा हुई थीं। मैक्सिको की पूर्व मिस यूनिवर्स 2020 एंडियामनो ने हरनाम को ताज पहनाया। इस जीत के बाद हरनाम का एक वीडियो सोशल मीडिया पर देशवासियों का दिल जीत रहा है जिसमें वह ‘चक दे फट्टे’ कहते हुए इस मौके पर सेलिब्रिट दिख रही हैं। खिताब जीतने के बाद हरनाम ने कहा-21 साल बाद ताज को भारत जाना गर्व का क्षण है। मेरी जीत की कामना और प्रार्थना करने वाले सभी लोगों को ढेर सारा प्यार। मॉडल और एक्टर हरनाम संधू चंडीगढ़ से हैं और 80 देशों की सुंदरियों को मात देकर उन्होंने यह खिताब हासिल किया है। प्रतियोगिता के अंतिम राउंड में पूछा गया था कि युवा महिलाएं जो दबाव महसूस कर रही हैं, उससे निपटने के लिए उन्हें क्या सलाह देंगी? इस पर हरनाम का जवाब था युवा खुद पर भरोसा करें, आप अद्वितीय हैं और यही आपको सुंदर बनाता है। दूसरों के साथ खुद की तुलना करना बंद करें। बाहर आएं और खुद के लिए बात करें क्योंकि आप ही अपनी जिंदगी के लीडर हैं। आप ही खुद की आवाज हैं। मैंने खुद पर भरोसा किया इसलिए आज में यहां खड़ी हुई हूं। अब तक दुनिया की दो सबसे बड़ी सैंदर्य प्रतियोगिता में भारत कुल नौ बार सफलता हासिल कर चुका है। भारत ने अब तक तीन बार मिस यूनिवर्स और छह बार मिस वर्ल्ड का खिताब जीता है। -अनिल नरेन्द्र

Wednesday, 15 December 2021

देश की पहली नदी जोड़ो परियोजना

बाढ़ और सूखे से बेहाल हमारे देश को बड़ी राहत मिलने का रास्ता खुल गया है। देश की पहली महत्वाकांक्षी नदी जोड़ो परियोजना 16 साल के लंबे इंतजार और उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में जल बंटवारे के विवाद के सुलझने के बाद अस्तित्व में आने जा रही है। केंद्रीय कैबिनेट ने 44,605 करोड़ की केन-बेतवा लिंक परियोजना को बुधवार को मंजूरी दे दी है। इसे आठ साल में पूरी करने का लक्ष्य रखा गया है। परियोजना से 10.62 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होगी और 103 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में मंजूर की गई इस बहुप्रतीक्षित परियोजना से मध्य प्रदेश के बड़े इलाके में किसानों को सिंचाई के लिए पानी मिल सकेगा। परियोजना में 27 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पन्न होगी। परियोजना का काम शुरू करने के लिए केन-बेतवा लिंक परियोजना प्राधिकरण (केबीएलपीए) का गठन किया जाएगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा और जल संसाधन मंत्री तुलसी किलावर ने कहा कि परियोजना से समूचे बुंदेलखंड को फायदा मिलेगा। प्रदेश के छत्तरपुर, पन्ना, टीकमगढ़, निवाड़ी, दमोह, सागर, दतिया, शिवपुरी, विदिशा और रायसेन जिलों को इससे सिंचाई के लिए पानी मिलेगा। वहीं उत्तर प्रदेश के बांदा, महोबा, झांसी और ललितपुर जिलों को राहत मिलेगी यानि 62 लाख लोगों को पीने का साफ पानी मिलेगा। क्षेत्र में भूजल का रिचार्ज अलग से होगा। परियोजना के तहत केन नदी से बेतवा नदी में पानी भेजा जाएगा। यह परियोजना नदियों को आपस में जोड़ने की अन्य परियोजनाओं का भी मार्ग प्रशस्त करेगी। इससे पर्यावरण प्रबंधन भी बेहतर होगा। चूंकि अगले महीने झांसी में इस परियोजना का भूमि पूजन होगा। लिहाजा उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा को इसका लाभ मिलने की उम्मीद है। यह परियोजना इस अर्थ में महत्वपूर्ण है कि इसकी सफलता पर ही दूसरी नदी जोड़ परियोजनाओं का भविष्य कमोबेश निर्भर है। इससे बाढ़ और सूखे की समस्या झेल रहे देश को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। नदियों को आपस में जोड़ने के विचार की अवधारणा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की थी। उनका सपना सफल होने जा रहा है। कृषि उपज बढ़ने से किसान खुशहाल होगा और क्षेत्र में विकास का नया दौर आरंभ होगा। इस महत्वाकांक्षी परियोजना की मंजूरी के लिए प्रधानमंत्री बधाई के पात्र हैं। देखना अब यह होगा कि तय समय के अंदर यह परियोजना पूरी हो जाए।

सऊदी ने तब्लीगी जमात को बताया आतंकवाद का प्रवेश द्वार

सऊदी अरब ने तब्लीगी जमात को समाज के लिए खतरा और आतंकवाद के प्रवेश द्वारों में से एक बताते हुए उसे प्रतिबंधित कर दिया है। इस्लामिक मामलों के मंत्री डॉ. अब्दुल्लातीफ अल अलशेख ने इंटरनेट मीडिया पर यह घोषणा की। उन्होंने मस्जिदों के इमामों से कहा कि वह शुक्रवार की नमाज के दौरान लोगों को तब्लीगी जमात से दूर रहने की चेतावनी जारी करें। जानकारों का मानना है कि सऊदी अरब द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने के बाद तब्लीगी जमात दुनियाभर से धीरे-धीरे सिमटने लगेगी, क्योंकि उसे सर्वाधिक आर्थिक मदद इसी खाड़ी देश की संस्थाओं से मिलती थी। इस्लाम के शुद्धिकरण के नाम पर करीब 100 साल पहले भारत में ही शुरू किए गए इस कथित आंदोलन के खिलाफ कई अन्य देश भी कदम उठा सकते हैं। हालांकि पाकिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया व इंडोनेशिया जैसे देशों को ऐसा करने में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि वहां तब्लीगियों की बड़ी आबादी है। सऊदी अरब के इस्लामिक मामलों के मंत्रालय ने ट्वीट कियाöमंत्री डॉ. अब्दुल्लातीफ अल अलशेख ने मस्जिदों के इमामों को शुक्रवार को नमाज के दौरान तब्लीगी जमात व दावाह (अल अहबाव) से नहीं जुड़ने की चेतावनी जारी करने के निर्देश दिए हैं। सरकार ने इमामों को निर्देश दिए हैं कि वह लोगों को यह बताएं कि तब्लीगी जमात किस प्रकार समाज के लिए खतरा है। मंत्री अलशेख ने यह भी निर्देश दिए कि इस संगठन को गुमराह करने व भटकाने वाला और खतरनाक घोषित किया जाना चाहिए। दावों के विपरीत यह संगठन आतंकवाद का एक प्रवेश द्वार है। मंत्री ने कहा कि तब्लीगी जमात व दावाह की खामियों को उजागर करते हुए यह बताया जाना चाहिए कि यह समाज के लिए खतरनाक है। एक बयान जारी कर यह भी बताया जाए कि सऊदी अरब में इन संगठनों के साथ किसी भी प्रकार का संबंध प्रतिबंधित है।

अमेरिका में 40 तूफानों में 100 मौतें

अमेरिका में शुक्रवार को आए तूफान ने भारी तबाही मचाई है। अब तक छह अमेरिकी राज्यों में 40 से ज्यादा तूफानों की चपेट में आ चुके अलग-अलग इलाकों में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। सैकड़ों लोग घायल भी बताए जा रहे हैं। केंटकी राज्य में ही 80 लोगों के मारे जाने की खबर है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने राज्य में आपातकाल घोषित किया है। सबसे ज्यादा तबाही मेफील्ड में हुई है, जिसे साइक्लोन का ग्राउंड जीरो माना जा रहा है। केंटकी के गवर्नर एंडी बेशियर ने कहाöहमारा मानना है कि इस घटना से मारे जाने वालों की संख्या बढ़कर 50 से ज्यादा हो सकती है। शायद 70 से 100 लोगों की जान चली गई। उन्होंने कहा कि केंटकी के इतिहास की सबसे कठिन रातों में से एक रात यही रही है। कुछ क्षेत्र इस तरह से प्रभावित हुए कि शब्दों में बयान करना मुश्किल है। राज्य में आपातकाल की घोषणा कर दी गई है। दूर-दूर तक उजड़े हुए घर नजर आ रहे हैं। लोग मलबे में अपना सामान और अपनों को ढूंढ रहे हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने लोगों से मदद की अपील करते हुए कहा है और राहत कार्यों के लिए नेशनल गार्ड्स को रवाना कर दिया है। तूफान की चपेट में एमेजॉन कंपनी का गोदाम भी आया है। भीषण बवंडर की वजह से गोदाम की छत टूट गई जिसमें छह कर्मचारियों की मौत हो गई। एमेजॉन के प्रमुख जेफ बेजोस ने इस हादसे को लेकर गहरा दुख जताया है। बेजोस ने कहा कि हम अपने साथियों को खोने से काफी दुखी हैं। हमारी संवेदनाएं मृतकों के परिवारों और परिजनों के साथ हैं। -अनिल नरेन्द्र

Tuesday, 14 December 2021

दहेज प्रथा कैसे दूर हो?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस बात में कोई संदेह नहीं है कि दहेज एक सामाजिक बुराई है। लेकिन इस बात को लेकर समाज के भीतर बदलाव होना चाहिए कि जो महिला परिवार में आई है, उसके साथ किस तरह का व्यवहार किया जाता है और किस तरह लोग उसका सम्मान करते हैं। शीर्ष अदालत ने कहा कि महिलाओं की स्थिति पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है। कानून होने के बावजूद दहेज जैसी सामाजिक बुराई के कायम रहने पर सुप्रीम कोर्ट ने कानून पर फिर विचार करने की जरूरत बताई। कहा कि विधि आयोग को पूरे परिप्रेक्ष्य के साथ इस पर विचार करना चाहिए। हालांकि कोर्ट ने दहेज कानून को और सख्त तथा प्रभावी बनाने के लिए आदेश देने से इंकार करते हुए कहा कि यह विधायिका के क्षेत्राधिकार में आता है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह अपने सुझाव विधि आयोग को दें। विधि आयोग उन पर विचार करेगा। याचिका में की गई थीं यह मांगेंöप्रत्येक राज्य और सरकारी दफ्तर में सूचना अधिकारी की तर्ज पर दहेज निरोधक अधिकारी होना चाहिए, जो दहेज निरोधक कानून को कड़ाई से लागू करे। दहेज निरोधक अधिकारी दहेज न लेने का प्रमाण-पत्र जारी करे और शादी के रजिस्ट्रेशन के लिए वह प्रमाण-पत्र जरूरी किया जाए। सरकारी नौकरी और सरकारी योजनाओं के लिए यह प्रमाण-पत्र जरूरी हो। दहेज निरोधक कानून का दुरुपयोग करने वालों और उसका समर्थन करने वाले पुलिस अधिकारी दोनों पर पेनाल्टी के प्रावधान किए जाएं, ताकि कानून का दुरुपयोग न हो। न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और एएस बोपन्ना की पीठ याचिका की सुनवाई कर रही थी। समाजसेवी साबू स्टीफन और दो अन्य की ओर से दाखिल जनहित याचिका निपटाते हुए यह निर्देश दिए। तीसरी याचिकाकर्ता ने स्वयं को भी दहेज संबंधी मामले में पीड़ित बताया था। याचिका में दहेज पर पूरी तरह रोक लगाने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील बीके बिजू ने कोर्ट से कहा कि कानून होने के बावजूद दहेज प्रथा कायम है, इसलिए कानून को और ज्यादा कड़ा व प्रभावी बनाने की जरूरत है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता की चिंता से सहमति जताते हुए कहा कि मौजूदा कानून में किस तरह के बदलाव और उपायों की जरूरत है, इस पर चर्चा और विचार होना चाहिए। याचिका में कई मांगें की गई थींöएक मांग यह भी थी कि शादी के रजिस्ट्रेशन प्रमाण-पत्र से पहले स्पेशल प्री-मैरिज काउंसलिंग प्रमाण-पत्र होना जरूरी किया जाए। पीठ ने इस संबंध में आदेश देने से मना करते हुए कहा कि इसके गंभीर परिणाम होंगे। भारत सिर्फ केरल, मुंबई या दिल्ली में नहीं बसता। भारत गांवों में भी बसता है। गांवों में क्रिमिनल एक्सपर्ट नहीं मिलेंगे। अगर कोर्ट कह देगा कि जब तक कोर्ट नहीं अटैंड किया तब तक शादी पंजीकृत नहीं होगी तो सोचिए ग्रामीण महिलाओं का क्या होगा, जो यह कोर्ट अटैंड नहीं कर सकतीं। इस प्रथा को समाप्त करने के लिए समाज को इसमें अपनी भूमिका निभानी अति आवश्यक है।

अली अकबर ने छोड़ा इस्लाम

मलयालम फिल्मकार अली अकबर ने पत्नी समेत इस्लाम धर्म त्यागने की घोषणा की है। उन्होंने यह निर्णय चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत के निधन पर इंटरनेट मीडिया पर कुछ लोगों द्वारा अभद्र टिप्पणी करने और खुशी मनाने से क्षुब्ध होकर लिया है। अली अकबर ने यह घोषणा शुक्रवार को इंटरनेट मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट कर की। उन्होंने अपने संदेश में कहाöमैं आज से मुसलमान नहीं हूं। मैं एक भारतीय हूं। शनिवार को उन्होंने बताया कि वह हिन्दू धर्म अपनाएंगे और अब उनका नाम राम सिंह होगा। उन्होंने अपने वीडियो क्लिप में जनरल रावत की मौत से संबंधित समाचार रिपोर्ट के नीचे इमोजी से खुशी जाहिर करने वालों की कड़ी आलोचना की और कहाöमैं अब इन राष्ट्र विरोधी तत्वों के साथ खड़ा नहीं हो सकता। एनएनआई के अनुसार उन्होंने कहा कि सरकार को ऐसे तत्वों का पता लगाकर सजा देनी चाहिए। आगे कहाöमुस्लिम समाज के बहुतेरे धार्मिक नेताओं ने इस तरह की पोस्ट देखीं। लेकिन किसी ने प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की। ऐसे में इस्लाम धर्म का मैं हिस्सा नहीं बना रह सकता। बता दें, फिल्मकार से राजनेता बने अली अकबर ने इसी साल भाजपा की राज्य समिति के सदस्य के रूप में सभी जिम्मेदारियों से इस्तीफा दे दिया था।

हफ्ते में सिर्फ साढ़े चार दिन काम होगा

संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में एक जनवरी 2022 से हफ्ते में सिर्फ साढ़े चार दिन काम होगा। बाकी ढाई दिन छुट्टी होगी। शुक्रवार को आधा दिन ही काम होगा यानि हाफ-डे वर्किंग रहेगा। शनिवार और रविवार को पूरी तरह छुट्टी रहेगी। इसके पहले रविवार से गुरुवार तक काम होता था और शुक्रवार, शनिवार छुट्टी होती थी। वीकेंड शुक्रवार को दोपहर में शुरू होगा जो मुस्लिम देशों में प्रार्थना का दिन होता है। इसका मकसद वर्क लाइफ बैलेंस और आर्थिक प्रतिस्पर्धा में सुधार करना है ताकि प्रॉडक्टिविटी बढ़े। दुनिया के ज्यादातर देशों में फाइव डे वर्किंग वीक कल्चर है। यहां अब जनवरी से सरकारी दफ्तरों के लिए नेशनल वर्किंग वीक जरूरी होगा। नया वर्किंग कैलेंडर एक जनवरी से लागू करने का प्लान इसलिए बनाया गया ताकि इसे लागू करने में दिक्कत पेश न आए। यहां कर्मचारियों के लिए जिस तरह के नियम हैं। उनके आधार पर यह माना जा रहा है कि जल्द ही देश का निजी सेक्टर भी इस तरह के कदम उठाएगा। डब्ल्यूएम की रिपोर्ट में कहा गया कि आर्थिक दृष्टिकोण से यह नई व्यवस्था यूएई को वैश्विक बाजार के साथ कहीं बेहतर तरीके से ज़ोड़ेगी। इसके साथ ही देश की आर्थिक प्रतिस्पर्धा को बेहतर करने के लिए हमारे प्रदर्शन को बढ़ाने में भी इससे मदद मिलेगी। इस फैसले से दुनिया के बाकी देशों के साथ देश की आर्थिक गतिविधियां भी बेहतर होंगी। मिडिल ईस्ट की आर्थिक राजधानी यूएई की इस घोषणा से कर्मचारी काफी खुश हैं। जल्द ही देश के स्कूल और कॉलेज भी इस नए रूल को फॉलो करेंगे। हालांकि स्कूल और निजी सैक्टर के बारे में कोई गाइडलाइंस जारी नहीं की गईं। सरकार का कहना है कि ग्लोबल मार्केट्स के पैटर्न को फॉलो करना चाहती है। 1971 से 1999 तक देश में छह दिन काम होता था। 1999 में इसे बदलकर पांच दिन और अब साढ़े चार दिन किया गया है। -अनिल नरेन्द्र

Sunday, 12 December 2021

आ अब लौट चलें...!

राजधानी की सीमाओं पर 378 दिनों से डटे किसानों की मांगों पर केंद्र के आश्वासन के बाद आखिरकार बृहस्पतिवार को गतिरोध खत्म हो गया। संयुक्त किसान मोर्चा ने आंदोलन स्थगित करने का ऐलान कर दिया है। सिंघु, टीकरी व कोंडली, गाजीपुर सीमा पर किसानों ने एक-दूसरे को बधाई दी, गले मिले और मिठाइयां बांटीं। इसके बाद आंदोलन स्थल से तंबू भी हटने लगे। किसानों ने शनिवार को घर वापसी शुरू कर दी है। पंजाब में यह बुवाई का मौसम है। लेकिन इस राज्य के लोग अभी तक उस दर्द की फसल को नहीं भुला पाए हैं जो उन्होंने पिछले एक साल से काटी है। भारत के खाद्यान्न भंडार में बड़ा योगदान देने वाले पंजाब के किसान पिछले एक साल से राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर उन तीन नए कृषि कानूनों का विरोध करते दिखे जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने संसद में पारित करवाया था। केंद्र सरकार ने भले ही तीनों विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस ले लिया हो और इसके बाद ही दोनों पक्षों के बीच खींचतान कम होती दिखी, लेकिन पंजाब के दर्जनों परिवारों के लिए इस बात के अब कोई मायने नहीं रह गए। यह वो परिवार हैं, जिन्होंने अपनों को किसान आंदोलन के दौरान खोया है। यह वो परिवार हैं, जिनके सदस्य किसानों के विरोध प्रदर्शन में भाग लेने गए लेकिन अपने घर वापस जिंदा नहीं लौटे। इनमें से कई लोगों की अत्याधिक ठंड से, कइयों की सड़क हादसों में और कुछ की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। जहां पंजाब का गांव-गांव किसान आंदोलन के दौरान हुई इन मौतों के शोक में डूबा हुआ है, वहीं हाल ही में केंद्र सरकार ने देश की संसद को बताया कि उसके पास दिल्ली और उसके आसपास हुए किसान आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों की संख्या का कोई रिकॉर्ड नहीं है और इसलिए मारे गए लोगों के परिजनों को आर्थिक सहायता देने का सवाल ही नहीं उठता। बलबीर सिंह राजेवाल ने कहाöसरकार ने कहा कि उसके पास कोई रिकॉर्ड नहीं है। हमने उसे उन सभी लोगों की सूची भेजी है जिन्होंने किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान अपनी जान गंवाई। इस सूची में 700 से ज्यादा नाम हैं जिनमें से 600 से ज्यादा सिर्फ पंजाब से हैं। सिंघु बॉर्डर से करीब 300 किलोमीटर दूर पंजाब के भटिंडा जिले के मडी कलां गांव में एक किसान दम्पत्ति आज भी अपने इकलौते बेटे की मौत से जूझ रहा है। बलजिंदर कौर अपने 24 साल के इकलौते बेटे मनप्रीत सिंह के बारे में बात करती हैं तो अपने आंसू रोक नहीं पातीं। मनप्रीत भी अपने गांव के कई लोगों की तरह विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लेने सिंघु बॉर्डर गया था। इसी साल छह जनवरी को दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हो गई थी। बलजिंदर कौर कहती हैं कि वह कहता था कि सभी किसान अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं तो मैं इस लड़ाई का हिस्सा कैसे नहीं बन सकता। हम कड़ी मेहनत करते थे और एक सुखी जीवन बिता रहे थे। मैंने कभी नहीं सोचा था कि हमारे साथ ऐसा कुछ हो सकता है। हमने मनप्रीत को (बेटे से) प्रदर्शन में जाने के लिए मना किया था क्योंकि वह हमारा इकलौता बेटा था। उसने कहा था कि अगर हम जैसे किसान इस विरोध में हिस्सा नहीं लेंगे तो हमारे पास जो कुछ भी है वह सब कुछ खो जाएगा। गांव दर गांव वही कहानी बस चेहरे बदलते रहे, नाम बदलते रहे, लेकिन गांव दर गांव गम की कहानी तकरीबन एक जैसी रही थी। पंजाब के इन परिवारों के जख्म हरे हैं और न जाने उन्हें भरने में कितना वक्त लगेगा। अगर यह जख्म भर भी गए तो भी इनके निशान इन परिवारों के जहन में जिंदगीभर रहेंगे। जो इन परिवारों ने खोया है उसकी भरपायी शायद कभी नहीं हो पाएगी।

वरुण सिंह की सलामती के लिए करें दुआ

तमिलनाडु के कुन्नूर में हुए हेलीकॉप्टर हादसे में एकमात्र देवरिया के रहने वाले ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह ही जीवित बचे हैं। वह इन दिनों लाइफ सपोर्ट पर हैं। उनकी सलामती के लिए दुआओं का सिलसिला जारी है। उनके पैतृक गांव के साथ अन्य स्थानों पर भी लोग अनुष्ठान कर रहे हैं। गुरुवार की दोपहर सीएम का सांत्वना संदेश लेकर डीएम आशुतोष निरंजन और एस. पीडा श्रीपति मिश्र उनके घर कन्हौली गांव पहुंचे। मुख्यमंत्री ने इस घड़ी में परिवार के साथ संवेदना जताई है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार उनके परिवार के साथ है। रुद्रपुर कोतवाली क्षेत्र के कन्हौली गांव के रहने वाले वरुण सिंह (40) पुत्र कर्नल केपी सिंह वायुसेना में ग्रुप कैप्टन हैं। उनकी तैनाती तमिलनाडु के वेलिंगटन में है। वहीं उनके साथ पत्नी गीतांजलि और बेटा रिद्धिमन व बेटी अराध्या भी रहती हैं। उनके पिता कर्नल केपी सिंह सेना से रिटायर हैं। हेलीकॉप्टर दुर्घटना में जीवित बचे इकलौते व्यक्ति ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह को बेहतर इलाज के लिए गुरुवार को बेंगलुरु ले जाया गया। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह को बेंगलुरु के कमांड अस्पताल में बेहतर इलाज के लिए कोयम्बटूर से (हवाई मार्ग से) वहां लाया गया है। हम कैप्टन वरुण सिंह की जिंदगी बचाने के लिए दुआ में शामिल हैं। उम्मीद है कि वह जल्द स्वस्थ हो जाएं।

विवादों का पर्याय बने वसीम रिजवी

पिछले डेढ़ दशक से उत्तर प्रदेश सेंट्रल वक्फ बोर्ड से जुड़े रहे वसीम रिजवी नया नाम जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी ने भले ही इस्लाम धर्म त्यागकर सनातन धर्म अपना लिया है मगर अपने इस्लाम विरोधी बयानों व गतिविधियों के कारण वह मुस्लिम धार्मिक नेताओं की आंख में किरकिरी हमेशा बने रहे। यह वही वसीम रिजवी हैं जिन्हें 2004 में शिया धर्मगुरु और इमाम-ए-जुम्मा मौलाना कल्बे जव्वाद की सिफारिश से यूपी शिया वक्फ बोर्ड का चेयरमैन बनाया गया था पर बाद में हालात ऐसे बदले कि खुद मौलाना कल्बे जव्वाद को रिजवी का विरोध करना पड़ा और उनकी ही मांग पर रिजवी के खिलाफ शिया वक्फ बोर्ड में भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर 2017 में योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद सीबीआई जांच शुरू हुई। कभी नौ मस्जिदों को हिन्दुओं को सौंपे जाने, कुतुबमीनार को हिन्दुस्तान की धरती का कलंक बताना, राम जन्मभूमि व बाबरी मस्जिद विवाद में सुप्रीम कोर्ट तक हुई लड़ाई में कई बार विवादित बयान देने, यूपी के मदरसों को आतंकवादियों की पनाहगाह करार देना, इस्लामी परचम पर अंकित चांद व तारे के बारे में आपत्तिजनक बातें कहना, कुरान की 26 आयतों को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर करने और पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब पर विवादित किताब लिखने तक को लेकर रिजवी विवादों का पर्याय बन गए। वसीम रिजवी के इस्लाम छोड़ने और हिन्दू धर्म अपनाने का प्रकरण सोशल मीडिया पर छाया रहा। दिनभर इसको लेकर ट्वीट-पोस्ट होते रहे। देर शाम वसीम रिजवी की ओर से दिए गए बयान के विरोध में ट्विटर पर हैशटैग, अरेस्ट वसीम रिजवी ट्रेंड होने लगा। इस हैशटैग पर 64,200 ट्वीट किए गए। -अनिल नरेन्द्र

Saturday, 11 December 2021

आखिरी सैल्यूट

तमिलनाडु के कुन्नूर में हुआ हेलीकॉप्टर हादसा न सिर्फ स्तब्धकारी, बल्कि गंभीर चिंता का विषय भी है। इस हेलीकॉप्टर में प्रमुख रक्षा अध्यक्ष यानि सीडीएस जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी और उनकी सुरक्षा में तैनात कुछ अन्य अफसर सफर कर रहे थे। चालक दल समेत कुल 14 लोग उसमें सवार थे। जनरल रावत वेलिंगटन की रक्षा अकादमी में भाषण देने जा रहे थे। दिल्ली से सुलूर तक वायुसेना के विमान से गए और वहां से हेलीकॉप्टर में वेलिंगटन के लिए उड़ान भरी थी। बीच रास्ते में हेलीकॉप्टर रहस्यमय ढंग से ध्वस्त हो गया। खराब मौसम इसकी वजह बताई जा रही है पर इसके असल कारणों का तभी पता चलेगा जब स्वतंत्र रूप से जांच हो। स्वाभाविक ही सवाल उठ रहे हैं कि एमआई श्रृंखला का यह अत्याधुनिक हेलीकॉप्टर आखिर दुर्घटनाग्रस्त कैसे हो गया। सेना इस हेलीकॉप्टर को बहुत भरोसेमंद मानती है। इसमें एक नहीं दो इंजन लगे होते हैं। किन्हीं परिस्थितियों में एक इंजन में खराबी आने के बाद दूसरा इंजन स्वत काम करना शुरू कर देता है। इस तरह इसके दुर्घटनाग्रस्त होने की संभावना न्यून रहती है। इसके अलावा इसमें अत्याधुनिक उपकरण लगे हैं, जिनके जरिये बहुत सारी सूचनाएं एकत्र की जा सकती हैं। खराब मौसम, बर्फबारी आदि में भी यह हेलीकॉप्टर सक्षमता से उड़ान भर और उतर सकता है। बताते हैं कि पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक में भी सेना ने इसी श्रृंखला के हेलीकॉप्टरों का उपयोग किया था, जिनके जरिये पाकिस्तानी सरहद में 60 सैनिकों को उतारा गया था। यह ऊंचाई वाले स्थानों पर भी कुशलता से उड़ान भर सकता है। जनरल रावत और अन्य को ले जा रहा हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त क्यों हुआ? यह सवाल शीर्ष गलियारों से लेकर आम जनता के बीच घूम रहा है। सभी जानते हैं कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि सबसे बढ़िया माने जाने वाले हेलीकॉप्टर में देश के शीर्षस्थ सैन्य अधिकारी और 12 अन्य का अकाल निधन हो गया। हर जगह यही चर्चा है कि अत्याधुनिक तकनीक और साधनों से सुसज्जित एमआई-17वी5 जैसा हेलीकॉप्टर झटके में तबाह कैसे हो गया? माना जा रहा है कि इसका सही कारण जांच पूरी होने के बाद ही सामने आ पाएगा। हेलीकॉप्टर का ब्लैक बॉक्स मौके से रिकवर हो गया है। अवरोधों की बारीकी से जांच के अलावा हेलीकॉप्टर और कंट्रोल टॉवर के बीच हुए कम्युनिकेशन की भी छानबीन की जाएगी। फिलहाल तमिलनाडु के उस वेदर में खराब रहने वाले मौसम को एक वजह माना जा रहा है, लेकिन क्या खराब मौसम की वजह से हेलीकॉप्टर में कोई तकनीकी खराबी आई? क्या उस बारे में कंट्रोल रूम के साथ कोई संवाद हो पाया? यह जांच भी होनी चाहिए। इस हादसे की तुलना कई विशेषज्ञ और सोशल मीडिया यूजर्स ताइवान के चीन विरोधी सेना प्रमुख के हादसे से कर रहे हैं। जनवरी 2020 में ताइवान के सेना प्रमुख की उस समय हेलीकॉप्टर हादसे में मौत हो गई थी, जब पूरा देश नए राष्ट्रपति के लिए वोट देने वाला था। इस भीषण हादसे में चीफ ऑफ जनरल स्टॉफ शेन ची किंग और तीन अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की मौत हो गई थी। शेन ची किंग का हेलीकॉप्टर ताइपे के नजदीक पहाड़ी इलाके में गिर गया था। जनरल रावत (63) की तरह ही ताइवानी सेना प्रमुख किंग (62) काफी अनुभवी थे। जनरल किंग सामान्य उड़ान पर देश के पूर्वोत्तर के]िमलान काउंटी जा रहे थे और उसी दौरान रास्ते में यह हादसा हो गया। जनरल रावत हेलीकॉप्टर क्रैश के बाद भी जिंदा थे। हादसे के बाद मलबे से निकाले जाने पर उन्होंने हिंदी में अपना नाम भी बताया था। यह जानकारी बचाव दल के एक सदस्य ने दी। कारण कुछ भी हों, यह बहुत बड़ी त्रासदी है। देश ने एक जांबाज सैनिक को खो दिया है। जनरल रावत के प्रयासों को यह देश हमेशा याद रखेगा।

मृत किसानों के परिजनों को मुआवजा मिले

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने मंगलवार को लोकसभा में किसान आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों के परिवारों के लिए मुआवजे और रोजगार की मांग की है। राहुल गांधी ने सदन में शून्यकाल के दौरान इस विषय को उठाया और सदन के पटल पर करीब 500 किसानों की सूची रखी। उन्होंने दावा किया कि इन लोगों ने किसान आंदोलन के दौरान अपनी जान गंवाई। कांग्रेस सांसद ने कहा कि उन्होंने इन किसानों के बारे में पता लगाया है। पंजाब की सरकार ने राज्य में करीब 400 किसानों को मुआवजा दिया है। वह इन किसानों की सूची और प्रदर्शन के दौरान जान गंवाने वाले हरियाणा के कुछ किसानों की एक सूची सदन के पटल पर रख रहे हैं। यह नाम यहां है। वह चाहते हैं कि इन किसानों को हक मिलना चाहिए। उनके परिवारों को मुआवजा मिलना चाहिए। इसके पहले कांग्रेस के नेता अधीर रंजन ने प्रश्नकाल समाप्त होते ही कहा कि राहुल गांधी ने स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया है, उनको बोलने दिया जाए। इस पर लोकसभा अध्यक्ष ने राहुल गांधी को शून्यकाल में बोलने का मौका दिया। गौरतलब है कि सरकार ने गत 30 नवम्बर को लोकसभा में एक सवाल के जवाब में कहा था कि कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान मृत किसानों की संख्या कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के पास नहीं है। राहुल ने कहा कि पूरा देश जानता है कि किसान आंदोलन में करीब 700 किसान शहीद हुए हैं। प्रधानमंत्री ने किसानों से माफी मांगी। उन्होंने स्वीकार किया कि उन्होंने गलती की। हम भी राहुल गांधी की बात का समर्थन करते हैं। प्रभावित परिवारों को मुआवजा मिलना चाहिए। -अनिल नरेन्द्र

Friday, 10 December 2021

उत्तर प्रदेश में चुनावी माहौल गरमाया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गोरखपुर दौरे और समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव व रालोद मुखिया जयंत चौधरी की मेरठ में रैली से मंगलवार को यूपी का सियासी माहौल गरमा गया है। प्रधानमंत्री ने बिना नाम लिए सपा पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि अपनी तिजोरी भरने और आतंकियों पर मेहरबानी दिखाने वाले प्रदेश के लिए खतरे की घंटी हैं। पीएम मोदी ने गहरा तंज कसते हुए कहा कि लाल टोपी वाले यूपी के लिए रेड अलर्ट हैं। इन्हें सिर्फ लाल बत्ती के लिए सत्ता चाहिए। पीएम मोदी ने कहाöआज पूरा यूपी जानता है कि लाल टोपी वालों को सिर्फ लाल बत्ती से मतलब रहा है। इन्हें माफियाओं को छूट देने के लिए, जमीन कब्जाने के लिए और आतंकियों को जेल से छुड़ाने के लिए सरकार चाहिए। पीएम मोदी ने कहा कि सब जानते थे कि गोरखपुर खाद कारखाने और एम्स की कितनी जरूरत थी। यहां इन संस्थानों की कितनी मांग हो रही थी। गोरखपुर में एम्स, खाद कारखाना और आईसीएमआर का क्षेत्रीय मेडिकल रिसर्च सेंटर देश को समर्पित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले की सरकारों ने किसानों के साथ छल किया है। गन्ना किसान नहीं भूल सकते कि कैसे उनको भुगतान के लिए रुला दिया गया था। किस्तों में पैसा मिलता था और महीनों का अंतर होता था। खाद के लिए लाठी-गोली खानी पड़ती थी। जब डबल इंजन की सरकार होती है तो दोगुनी तेजी से काम होता है, आपदाएं भी अवरोध नहीं पैदा कर पातीं। वहीं यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के लिए गठबंधन के औपचारिक ऐलान के बाद पहली परिवर्तन संदेश रैली में सपा मुखिया अखिलेश यादव और आरएलडी सुप्रीमो जयंत चौधरी ने भाजपा पर जमकर हमला बोला। अखिलेश यादव ने कहा कि लाल टोपी ही भाजपा को यूपी की सत्ता से बाहर करेगी। किसानों को हक मिले और एमएसपी के लिए ठोस फैसला हो। भाजपा किसानों के हक में फैसला नहीं करना चाहती। गठबंधन किसानों को उनका हक दिलाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा के मंत्री और समर्थकों ने तो किसानों को गाड़ी से कुचल दिया। हवाई जहाज बेच दिए, एयरपोर्ट बेच दिए, रेलवे स्टेशन बेच दिए। उन्होंने सवाल किया कि हवाई चप्पल वाले को हवाई जहाज में बैठाने का क्या हुआ, आज तो मोटरसाइकिल चलाना भी भारी हो गया है। आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी ने आरोप लगाया कि किसानों पर वार हुआ, लेकिन भाजपा में रहकर राजनीति करने वाले छोटे से बड़े कार्यकर्ता ने एक शब्द भी किसानों के हित में नहीं कहा। अब चुनाव नजदीक आते ही भाजपा को किसानों की याद आई है। जब-जब भी कोई चुनौती आई है, मेरठ के बेटे-बेटियों ने आगे आकर मुकाबला किया है जहां रैली है। इसी गांव के वीर मामचंद शर्मा जी भारत और पाकिस्तान के युद्ध में शहीद हो गए थे। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा का एक सूत्री कार्यक्रम नफरत की बात करना है। हमारी सरकार बनेगी, हम पहला काम मेरठ में शहीद किसानों की स्मृति में एक स्मारक बनाएंगे। साथ ही चौधरी चरण सिंह की जयंती 23 दिसम्बर को अलीगढ़ के इजलास में फिर एकत्रित होने का न्यौता दे रहे हैं। अभी बेशक चुनावों में थोड़ी देरी है पर समीकरण बनने आरंभ हो गए हैं और साथ ही तीखे हमले। इन रैलियों से चुनावी माहौल गरमा जरूर गया है।

देश में 13 अखाड़े, करोड़ों की सम्पत्ति

अखाड़े का मतलब साधुओं का ऐसा दल, जो अस्त्र और शस्त्र विद्या में पारंगत होता है। यह परंपरा हजारों वर्षों से चली आ रही है। मान्यता है कि हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए आदिगुरु शंकराचार्य ने ही पहला अखाड़ा बनाकर साधुओं को शस्त्र कला की शिक्षा दी थी। वर्तमान में मान्यता प्राप्त 13 अखाड़े हैं। यह अलग-अलग पंथ को अपनाते हैं। शैवमत, वैष्णवमत और मदासीन पंथ। ज्यादातर अखाड़ों का बेस यूपी, उत्तराखंड और गुजरात हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार 2019 में किन्नर अखाड़े को भी आधिकारिक मान्यता मिल गई थी। ऐसे में देश में प्रमुख रूप से 14 अखाड़े कहे जा सकते हैं। कई वर्ष पुराने होने के कारण ज्यादातर अखाड़ों के पास काफी जमीन है। कई ऐसे अखाड़े हैं, जो मंदिरों का संचालन भी करते हैं। मंदिरों में आने वाला चंदा करोड़ों में पहुंच जाता है। इसके अलावा अखाड़ों को लाखों की संख्या में लोग मानते हैं। इस कारण अखाड़ों का अपना राजनीतिक रसूख भी होता है। धर्मगुरु के पास नेताओं का आना-जाना लगा रहता है। प्रवचन और भजन करने वाले संत हों या कोई और उनके लाखों-करोड़ों अनुयायी होने के कारण पार्टियां सबसे बेहतर संबंध बनाकर रखती हैं। कुंभ या अर्द्धकुंभ जैसे विशाल धार्मिक आयोजनों के मौके पर सभी अखाड़े भाग लेते हैं। ऐसे आयोजनों में साधु-संतों के टकराव की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए अखाड़ा परिषद की स्थापना हुई। अखाड़ा परिषद की सभा में सर्वसम्मति से अध्यक्ष चुना जाता है। महंत नरेंद्र गिरि दो बार अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रहे। -अनिल नरेन्द्र

Thursday, 9 December 2021

रूस और भारत के रिश्ते समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के बीच सोमवार को 21वीं भारत-रूस वार्षिक शिखर बैठक हुई। दुनियाभर में कोरोना वायरस के नए प्रतिरूप ओमिक्रॉन की दस्तक के बाद भी रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन का भारत आना इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि बीते दो साल में उन्होंने सिर्फ दो बार ही विदेश यात्रा की है। पुतिन भले ही कुछ घंटों के लिए भारत आए, मगर उनकी यात्रा दोनों देशों के रिश्तों की प्रगाढ़ता और निरंतरता को ही रेखांकित करती है। पुतिन की भारत यात्रा ऐसे समय हुई, जब हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में तनाव फैला हुआ है और अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी के बाद से संदेह और आशंका का माहौल बना हुआ है। हालांकि उनकी यह यात्रा संक्षिप्त है, लेकिन इसका महत्व इसलिए बढ़ जाता है कि इसी अवसर पर दोनों देशों के विदेश एवं रक्षामंत्रियों के स्तर पर भी बातचीत हुई। दोनों देशों के बीच की यह प्रगाढ़ता उन चर्चाओं को निराधार साबित करने वाली है कि भारत अमेरिका की तरफ कुछ ज्यादा ही झुक रहा है और इस क्रम में रूस की अनदेखी कर रहा है। यही नहीं, चीन अपनी विस्तारवादी नीतियों को निरंतर अंजाम दे रहा है। पिछले कुछ दशकों में कई बुनियादी बातों में बदलाव आया है। नए समीकरण सामने आए हैं। तमाम बदलावों के बीच भारत-रूस की दोस्ती कायम रही है। दोनों देशों ने एक-दूसरे की मदद की है और एक-दूसरे की संवेदनशीलता का भी ख्याल रखा है। वहीं पुतिन ने भारत को बड़ी ताकत और समय की कसौटी पर परखा हुआ दोस्त बताया। उन्होंने आतंकवाद, नशीली दवाओं की तस्करी और संगठित अपराध को दोनों देशों के लिए साझा चुनौती बताया। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरेथ ने कहा कि भारत ने एस-400 मिसाइल सिस्टम की डील को पूरा कर अमेरिका को मजबूती से जवाब दिया है कि वह एक संप्रभु राष्ट्र है और फैसला ले सकता है कि उसको किससे हथियार खरीदने हैं। अमेरिका ने डील को लेकर प्रतिबंध तक की चुनौती दे दी थी। इस सबके बीच दोनों देशों के रिश्ते में सोमवार को एक नया आयाम तब जुड़ गया, जब दोनों देशों के विदेश और रक्षामंत्रियों के बीच 2+2 वार्ता भी शुरू हो गई। इससे पहले भारत का ऐसा रिश्ता अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के साथ ही रहा है। वास्तविकता यह है कि अंतरिक्ष विज्ञान के साथ ही रक्षा मामलों में भारत और रूस के रिश्ते बेहद भरोसेमंद हैं। इसका प्रमाण सोमवार को अत्याधुनिक असॉल्ट राइफल एके-203 की खरीद के लिए हुए समझौते से भी मिलता है। समझौते के तहत अमेठी की आयुध फैक्टरी में इन राइफलों का निर्माण रूसी मदद से होगा। भारत ने पहले ही रूस से लंबी दूरी के जमीन से हवा में मार करने वाले एयर मिसाइल डिफेंस सिस्टम एस-400 की खरीद के लिए करार किया है, जिसकी आपूर्ति शुरू हो चुकी है। इस सौदे ने अमेरिका को असहज किया है, लेकिन रूस और भारत के द्विपक्षीय रिश्ते समय की कसौटी पर परखे हुए हैं, जिसे पुतिन की यात्रा से और मजबूती मिली है। यह सही है कि रूस की चीन से भी नजदीकी है। लेकिन उम्मीद की जाती है कि भारतीय नेतृत्व रूसी राष्ट्रपति के जरिये उसे सही संदेश देने में सफल होगा।

अर्श से फर्श तक रिलायंस कैपिटल की कहानी

भारी कर्ज में डूबे उद्योगपति अनिल अंबानी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। रिजर्व बैंक ने बड़ा कदम उठाते हुए रिलायंस कैपिटल के बोर्ड को भंग कर बैंक ऑफ महाराष्ट्र के पूर्व एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर नागेश्वर राव को प्रशासक नियुक्त कर दिया है। आखिर क्या वजह रही है कि 2007 में 2583 रुपए प्रति शेयर के उच्चतम स्तर पर पहुंचने वाली कंपनी के शेयर 2021 आते-आते सिर्फ 1905 रुपए रह गए? सितम्बर तक 40 हजार करोड़ रुपए का कर्ज रिलायंस कैपिटल पर था। रिलायंस कैपिटल ने 27 नवम्बर को स्टॉक एक्सचेंज को जानकारी दी कि वह एक्सिस बैंक और एचडीएफसी के 624 करोड़ रुपए के लोन का ब्याज देने में असफल रहा है। यह ब्याज उसे 31 अक्तूबर तक देना था। एचडीएफसी का 4.77 करोड़ रुपए और एक्सिस बैंक का 71 लाख रुपए का ब्याज देना था। रिलायंस कैपिटल पर 28 फरवरी 2021 को कंपनी पर कुल बकाया 20,653 करोड़ रुपए का था। उल्लेखनीय है कि अनिल अंबानी की वित्तीय कंपनी रिलायंस कैपिटल अच्छा प्रदर्शन करती रही है लेकिन बाद में इस कंपनी ने भी कई मौके गंवाए हैं। वहीं बजाज फाइनेंस, श्रीराम कैपिटल जैसी कंपनियां अच्छा प्रदर्शन करती चली आ रही हैं। नकदी की किल्लत के कारण अनिल अंबानी की कई कंपनियां दिवालिया प्रक्रिया का सामना कर रही हैं। इस कारण कई कंपनियां बिक भी गई हैं। रिलायंस कैपिटल के अधीन चार कंपनियों की सम्पत्ति बिकने की प्रक्रिया चल रही है। आरबीआई ने कर्ज में डूबी रिलायंस कैपिटल लिमिटेड (आरसीएल) के खिलाफ दिवाला प्रक्रिया शुरू करने के लिए बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) से मंजूरी मांगी है। आरबीआई ने एक बयान में कहा कि उसने एनसीएलटी की मुंबई पीठ के समक्ष दिवाला प्रक्रिया शुरू करने का आवेदन दिया है। इसमें आरबीआई ने आरसीएल के खिलाफ ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवाला संहिता (आईपीसी) की कई धाराओं के तहत कार्रवाई शुरू करने की मंजूरी मांगी है। केंद्रीय बैंक ने गत 29 नवम्बर को ही इस कंपनी के निदेशक मंडल को बर्खास्त करते हुए अपनी तरफ से एक प्रशासक नियुक्ति कर दिया था। अनिल अंबानी की अगुवाई वाली आरसीएल पर कर्ज भुगतान में चूक और कंपनी संचालन संबंधी कई गंभीर आरोप हैं। आरबीआई के एनसीएलटी के पास आवेदन लगाने के साथ ही रिलायंस कैपिटल पर अंतरिम रोक लग जाएगी। इसमें कर्जदार कंपनी अपनी किसी भी परिसम्पत्ति का स्थानांतरण या बिक्री नहीं कर पाएगी। अर्श से फर्श तक गिरने की अनिल अंबानी की यह कहानी है।

पाकिस्तान में श्रीलंकाई नागरिक की पीट-पीटकर हत्या

श्रीलंका की संसद और प्रधानमंत्री महिंद्रा राजपक्षे ने पाकिस्तान में श्रीलंकाई नागरिक की पीट-पीटकर हत्या किए जाने की घटना की शनिवार को निंदा की है और उम्मीद जताई है कि वहां के प्रधानमंत्री इमरान खान पीड़ित को न्याय दिलाने के लिए दोषियों को न्याय के कठघरे में लाएंगे और शेष श्रीलंकाई प्रवासी श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपनी प्रतिबद्धता बनाए रखेंगे। शुक्रवार को कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी के समर्थकों द्वारा प्रियंता कुमार दियावदाना की पीट-पीटकर हत्या के बाद शव को जला दिया गया था। इन लोगों ने ईशनिंदा के आरोपों को लेकर पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में एक कपड़ा कारखाने पर हमला किया था। श्रीलंका के कैंडी निवासी दियावदाना, लाहौर के करीब 100 किमी दूर सियालकोट जिले में कपड़ा कारखाने के महाप्रबंधक के तौर पर कार्य करते थे। श्रीलंकाई सरकार और विपक्ष एकजुट होकर श्रीलंकाई अधिकारियों से पाकिस्तान में श्रीलंका के बाकी कारीगरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इस्लामाबाद के साथ बातचीत करने का आग्रह कर रहे थे। प्रधानमंत्री राजपक्षे ने ट्वीट कियाöपाकिस्तान में चरमपंथी भीड़ द्वारा प्रियंता दियावदाना पर क्रूर और घातक हमले को देखकर स्तब्ध हूं। मेरा दिल उनकी पत्नी और परिवार के लिए बैठा जा रहा है। श्रीलंका और यहां के नागरिकों को विश्वास है कि प्रधानमंत्री इमरान खान सभी दोषियों को न्याय के कठघरे में लाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता पर अमल करेंगे। खान ने एक ट्वीट में कहाöसियालकोट में एक कारखाने पर भयावह हमला और श्रीलंकाई प्रबंधक को जिंदा जलाने की घटना पाकिस्तान के लिए शर्म का दिन है। मैं जांच की निगरानी कर रहा हूं और कोई गलती नहीं होगी। सभी दोषियों को कानून के तहत गंभीरता से दंडित किया जाएगा। गिरफ्तारियां जारी हैं। पाक राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने ट्वीट कियाöसियालकोट की घटना निश्चित रूप से बहुत दुखद और शर्मनाक है और किसी भी तरह से धार्मिक नहीं है। इस्लाम एक ऐसा धर्म है जिसने मॉब लिंचिंग की बजाय विचारशील न्याय की मिसालें स्थापित की हैं। शिक्षा मंत्री दिनेश गुणवर्धन ने संसद को बताया हमें खुशी है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने इस क्रूर कृत्य की कड़ी निंदा की है। संसद को बताया कि दियावदाना कैंडी के पेराडेनिया विश्वविद्यालय से स्नातक थे। उनकी हत्या तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान के समर्थकों ने की है। -अनिल नरेन्द्र

Wednesday, 8 December 2021

असम राइफल्स की भारी चूक

नगालैंड के मोन जिला स्थित ओरिंग के तिरू में शनिवार शाम 4 बजे असम राइफल्स के जवानों की गोलीबारी की घटना में अब तक 17 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें सेना का एक जवान भी शामिल है। पुलिस ने रविवार को बताया कि गोलीबारी में 13 आम लोगों की मौत हुई थी। हम जांच कर रहे हैं कि यह घटना गलत पहचान की वजह से हुई या कोई और कारण है। वहीं गुस्साए ग्रामीणों ने रविवार को असम राइफल्स के कैंप पर धावा बोल दिया। जवाबी कार्रवाई में तीन और नागरिकों की मौत हो गई। शनिवार को ग्रामीणों के हमले में सेना का एक जवान बुरी तरह घायल हो गया था, जिसने बाद में दम तोड़ दिया। उधर असम राइफल्स के अधिकारी बोले-हमें उग्रवादी गतिविधियों को लेकर खुफिया सूचना मिली थी। उसी आधार पर स्पेशल ऑपरेशन की योजना बनाई गई। मगर जो घटना हुई और उसके बाद जो हिंसा भड़की उसे लेकर बेहद खेद है। मामले की उच्चस्तरीय जांच कराई जा रही है। मारे गए सभी नागरिकें का सोमवार सुबह अंतिम संस्कार कर दिया गया। जानकारी के मुताबिक यह घटना शनिवार को म्यांमार से सटे मोन जिले के तिरू और मोरिंग गांव के बीच हुई जब घात लगाकर बैठे असम राइफल्स के जवानों ने एक कोयला खदान से श्रमिकों को वापस उनके गांव ले जा रहे एक वाहन पर फायरिंग कर दी जिसमें 13 लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए। निसंदेह सीमावर्ती राज्यें में उग्रवादी संगठनों के कारण सुरक्षा बलों को सतर्क होकर काम करना पड़ता है, लेकिन इन सबके बीच एक बड़ा सवाल हमेशा बना रहता है कि उनके ऑपरेशन के कारण स्थानीय लोगों को नुकसान न हो। फिर यह भी नहीं भूलना चाहिए कि पूर्वोत्तर के राज्यों में आफ्सपा (सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम) जैसे कानून के कारण सुरक्षा बलों को असाधारण अधिकार भी मिले हुए हैं जिसके दुरुपयोग की शिकायत भी मिलती रहती है। नगालैंड के स्थानीय लोग अक्सर सुरक्षा बलों पर विद्रोही समूहों के खिलाफ अपने उग्रवाद विरोधी अभियानों में उन्हें गलत तरीके से निशाना बनाने का आरोप लगाते रहे हैं। वैसे पूर्वोत्तर में 2008-09 के बाद से हिंसा में कमी आई है, मगर एनएससीएन (केन्यग आंग) जैसे कुछ अलगाववादी संगठन अब भी सक्रिय हैं। चूंकि नगालैंड कि पहले से ही अशांत क्षेत्र घोषित है इसलिए यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इस घटना के बाद अशांति और अस्थिरता फैलाने वाले तत्व बेलगाम न हो जाएं। ऐसे तत्वों के साथ उन नेताओं से भी सचेत रहना होगा जो इस घटना को लेकर राजनीतिक रोटियां सेंकने की कोशिश में जुट गए हैं। यह पहली बार नहीं जब सुरक्षाबलों से कोई गलती हुई हो। सटीक खुफिया जानकारी के अभाव अथवा उग्रवाद एवं आतंकवाद के खिलाफ अभियानों की तय प्रक्रिया की अनदेखी के कारण ऐसी गलतफहमी पहले भी हुई है। इसके चलते केवल निर्दोष लोगों की जानें नहीं गईं, बल्कि कई बार सुरक्षा बलों को भी क्षति उठानी पड़ी है। जाहिर है कि म्यांमार के साथ बातचीत के जरिए भारत विरोधी गतिविधियों को खत्म करने का प्रयास तेज करने की जरूरत है, ताकि ऐसी घटना की पुनरावृत्ति न हो। इस घटना से गुस्साए स्थानीय लोगों ने तोड़-फोड़ और आगजनी भी की है, लेकिन ऐसे समय में समझदारी से काम लेने की जरूरत है ताकि निहित स्वार्थ तत्व इसका लाभ उठाने की कोशिश न करें।

ड्रग तस्करी और डार्कनेट

अवैध ड्रग कारोबार के मामलों में डार्कनेट का इस्तेमाल लगातार बढ़ रहा है। सुरक्षा एजेंसियों का पकड़ से बचने के लिए ज्यादातर मामलों में तस्करी के लिए इसका इस्तेमाल हो रहा है। एजेसियां माफिया गुटों की रणनीति को ध्यान में रखते हुए इस तरह के सॉफ्टवेयर और तकनीकी विशेषज्ञता पर जोर दे रही हैं, जिससे इस व्यूह को भेदने में सफलता मिले। भारत, अमेरिका, सिंगापुर सहित विभिन्न देशों के डार्कनेट के जरिए अवैध ड्रग कारोबार का चलन बढ़ रहा है। गृह मंत्रालय की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ड्रग तस्कर डार्कनेट के जरिए क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग करके अपना अवैध कारोबार कर रहे हैं। सरकार क्रिप्टोकरेंसी के लिए प्रस्तावित नए प्रावधानें में भी इस चिंता को ध्यान में रख रही है। सुरक्षा एजेंसियां प्रशिक्षण पर भी ध्यान दे रही हैं, जिससे इस टूल को समझकर ऐसे अपराधों पर नकेल कसने की रणनीति एवं एनसीबी सहित अन्य एजेंसियां बना सकें। अवैध ड्रग नेटवर्क से जुड़े अपराधी ऐसे साफ्टवेयर का इस्तेमाल इंटरनेट के तहत करते हैं जिसे पकड़ना तीसरे पक्ष के लिए आसान नहीं होता। नए-नए साफ्टवेयर के जरिए एजेंसियों की पकड़ से बचने की कोशिश की जाती है। सूत्रांs ने कहा कि आतंकी गुट भी इन तरीकों के जरिए सुरक्षबलों के सामने चुनौती पेश करते हैं। लिहाजा ड्रग कारोबार और आतंक के नेटवर्क पर नकेल कसने के लिए आतंकरोधी एजेंसियां भी इस तरह के मामलों की गहन छानबीन करके ठोस रणनीति बनाने में जुटी हैं। केन्द्र सरकार ने नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के अधिकार क्षेत्र को मजबूत करने वाला कदम उठाते हुए सभी राज्यों को दिए एक निर्देश में नशीले पदार्थों से जुड़े चार-पांच प्रमुख मामले एनसीबी को सौंपने के लिए कहा है। गुरुवार को जारी निर्देश में 5 दिसम्बर तक ऐसा करने को कहा गया। सूत्रों के अनुसार केन्द्र ने सभी मुख्य सचिवों और सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के पुलिस महानिदेशकों को पत्र भेजा है। इसमें कहा गया है कि वे नशीले पदार्थों से जुड़े प्रमुख मामलों को एजेंसी के साथ साझा करें। अडानी मुद्रा बंदरगाह से लगभग 3000 किलोग्राम हेरोइन और मुंबई व्रूज ड्रग मामले का भंडाफोड़ होने के बाद यह कदम उठाया गया है।

रेजिडेंट डॉक्टर्स की हड़ताल

कोरोना का नया वेरिएंट ओमिक्रॉन देश में दस्तक दे रहा है और इधर देशभर के रेजिडेंट डाक्टर शनिवार से हड़ताल पर हैं। नीट, पीजी काउंसलिंग में हो रही देरी के विरोध में यह हड़ताल की जा रही है। रेजिडेंट डाक्टरों ने पहले 27 नवम्बर से हड़ताल पर जाने की घोषणा की थी लेकिन स्वास्थ्य मंत्रालय के आश्वासन पर वह काम पर लौट आए थे। अब शनिवार से अस्पतालों में ओपीडी बंद है। जूनियर डाक्टरों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांग पूरी नहीं हुई तो सोमवार से इमरजेंसी सहित अन्य सभी सेवाएं भी बंद कर दी जाएंगी। दिल्ली के सफदरजंग और जीटीबी जैसे अस्पतालों में मरीजों पर समस्याओं का पहाड़ टूट पड़ा है। यहां आज रेजिडेंट डॉक्टरों ने ओपीडी के साथ-साथ इमरजेंसी सेवाओं का भी बहिष्कार कर दिया। लोक नायक अस्पताल व दिल्ली सरकार के अन्य अस्पतालों में केवल ओपीडी बंद रही। कहा जा रहा है कि कल से ज्यादातर अस्पतालों में इमरजेंसी सेवाएं बंद कर दी जाएंगी। देशभर में डाक्टरों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था फोर्ड का कहना है कि देश में डाक्टरों की कमी है जो रेजिडेंट डॉक्टर्स हैं उन पर वर्कलोड बहुत है। पूरा अस्पताल इनके सहारे चलता है। इससे फिजिकल से लेकर मेंटल हेल्थ तक प्रभावित होती है लेकिन नए डॉक्टरों की भर्ती नहीं हो रही है। नीट काउंसलिंग भर्ती का रास्ता है लेकिन उन्हें दिया नहीं जा रहा है। जब तक इस पर सख्त फैसला नहीं आता तब तक देशभर के रेजिडेंट डॉक्टर्स हड़ताल पर रहेंगे। मरीज इलाज के लिए भटकते नजर आए। फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन का कहना है कि स्वास्थ्य मंत्रालय से उन्हें तीन दिन पहले मामले के निपटारे का भरोसा मिला था, लेकिन सरकार की ओर से अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया है। ऐसे वक्त जब देश को स्वास्थ्य सेवाओं व सुविधाओं पर भारी दबाव का सामना करना पड़ रहा है और ओमिक्रॉन के देश में कई मामले सामने आ चुके हैं, रेजिडेंट डॉक्टर्स का हड़ताल पर रहना ठीक नहीं है। सरकार को तत्काल इस मामले में फैसला करना चाहिए। -अनिल नरेन्द्र

Tuesday, 7 December 2021

सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा 30 साल जेल में बदली

सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में हत्या के जुर्म में दो दोषियों की फांसी की सजा को 30 साल के कारावास में बदलते हुए कहा कि अदालत दोषियों में सुधार की संभावना पर विचार करने को बाध्य है। भले ही दोषी खामोश रहे। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सम्पत्ति विवाद में भाई के परिवार के अन्य लोगों की हत्या करने के दो दोषियोंöमेहफिल खान और मुबारक खान की फांसी की सजा खत्म कर दी। यह फैसला न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर, बीआर गवई और बीवी नागरत्ना की पीठ ने अभियुक्तों की ओर से फांसी की सजा के खिलाफ दाखिल पुनर्विचार याचिका पर सुनाया। निचली अदालत, हाई कोर्ट और यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट ने दोनों दोषियों के अपराध को जघन्य मानते हुए फांसी की सजा सुनाई थी। लेकिन दोषियों ने सजा के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी, जो 2015 से सुप्रीम कोर्ट में निलंबित थी। सुप्रीम कोर्ट के नियम के मुताबिक फांसी की सजा के खिलाफ दाखिल पुनर्विचार याचिका पर तीन न्यायाधीशों की पीठ खुली अदालत में सुनवाई करती है। कोर्ट ने कहा कि यह कानून का तय सिद्धांत है कि किसी भी अभियुक्त को मृत्युदंड देते समय उसमें सुधार की संभावनाओं को देखा जाएगा और सुधार की संभावनाओं को सजा कम करने के लिए महत्वपूर्ण तथ्य की तरह लिया जाएगा। अदालत का कर्तव्य है कि वह सभी तथ्यों पर जरूरी जानकारी निकालें और अभियुक्तों में सुधार की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए उनकी फांसी की सजा पर विचार करे। पीठ ने कहा कि इस मामले में निचली अदालत, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का विश्लेषण करने से पता चलता है कि दोषियों को सजा अपराध की जघन्यता को देखते हुए दी गई है। अभियुक्तों में सुधार की संभावनाओं पर विचार नहीं हुआ है। न ही राज्य सरकार ने ऐसा कोई सुबूत पेश किया है, जिससे साबित होता हो कि अभियुक्तों में सुधार की कोई संभावना नहीं है। कोर्ट ने कहा कि उसने अभियुक्तों की सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि पर विचार किया है। उनके खिलाफ कोई पूर्व अपराध के आरोप नहीं हैं। यह मामला छह जून 2007 का झारखंड के लोहरदगा जिले का है। इसमें दोनों अभियुक्तों ने सम्पत्ति विवाद के चलते अपने भाइयों के बच्चों सहित पूरे परिवार के आठ सदस्यों की हत्या कर दी थी। निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक ने दोनों को फांसी की सजा सुनाई थी। इस मामले में कुल 11 अभियुक्त थे, जिनमें निचली अदालत ने सात को बरी कर दिया था और चार को सजा दी थी। हाई कोर्ट ने चार में से दो अभियुक्तोंöसद्दाम खान और वकील खान की फांसी उम्रकैद में तब्दील कर दी थी, लेकिन मेहफिल खान और मुबारक खान की फांसी बरकरार रखी थी। सुप्रीम कोर्ट ने भी दोनों की फांसी पर मुहर लगाई थी। लेकिन पुनर्विचार याचिका पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दोनों की फांसी 30 साल की कैद में तब्दील कर दी।