Friday, 28 May 2021
नए सीबीआई चीफ सुबोध कुमार जायसवाल
सरकार के पसंदीदा अफसर होने के बावजूद राकेश अस्थाना और वीएसके कौमुदी को सीबीआई निदेशक बनने की होड़ से महज एक नियम के कारण बाहर होना पड़ा। दरअसल निदेशक पद के लिए ऐसे अधिकारियों के नाम पर विचार नहीं करने का नियम है, जिनका सेवाकाल छह महीने से कम बचा हो। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमण नए सीबीआई निदेशक के लिए 90 मिनट लंबी बैठक में लगातार इस नियम के पालन पर जोर देते रहे। इसके चलते सरकार को अपने चहेते अफसरों को नजरंदाज कर सुबोध जायसवाल को नया निदेशक घोषित करना पड़ा। फिलहाल सीमा सुरक्षा बल के महानिदेशक की जिम्मेदारी संभाल रहे अस्थाना 31 जुलाई और नेशनल इंवेस्टीगेशन एजेंसी (आईएनए) के प्रमुख वीएसके कौमुदी 31 मई को सेवानिवृत हो रहे हैं। दोनों ही गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं और 1984, 85, 86 और 87 बैच के विचाराधीन 100 अधिकारियों में सबसे वरिष्ठ हैं। वरिष्ठ सरकारी सूत्रों के मुताबिकöछह महीने की मियाद वाले नियम को इससे पहले तवज्जों नहीं दी गई थी। मगर इस बार भी इस नियम को नजरंदाज कर दोनों में से किसी को निदेशक बनाया जाता तो दो साल की निश्चित अवधि वाले अन्य नियम के चलते सेवा 2024 तक चालू रहती। लोकपाल कानून के मुताबिक सीबीआई निदेशक के चुनाव के लिए गठित पैनल में पीएम, चीफ जस्टिस और विपक्षी दल के नेता होते हैं। कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने भी इस नियम को मानने पर सीजेआई का समर्थन किया। आखिर में इन दोनों को सूची से हटाकर समिति के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी सुबोध कुमार जायसवाल, राजेश चन्द्रा और वीएसके कौमुदी के नाम पर ही विचार हुआ, जिसमें जायसवाल को नया निदेशक बनाने पर मुहर लग गई।
-अनिल नरेन्द्र
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