Tuesday, 4 May 2021

अंतिम यात्रा में भी मनमाने दाम वसूले जा रहे हैं

जिंदगी के अंतिम स्थल (शमशान) में शुक्रवार को सार्वजनिक स्थल से भी अधिक भीड़ दिखी। पहले सांसों की बेतहाशा कीमत, जब सांसों से नाता टूट गया तो शवों को शमशान तक पहुंचाने का (एम्बुलैंस) किराये में भी तोल-मोल किया जा रहा है। महामारी के इस दौर में इंसानियत की मिसाल पेश करने की बजाय शमशान पर इंतजार की भी कीमत वसूली जा रही है। परिजनों के साथ एम्बुलैंस मालिकों की कहासुनी हो रही है। हालांकि नगर निगम और संस्था की टीम लगातार हालात पर नजर रख रही है ताकि गम में डूबे परिजनों को कम से कम परेशानी हो। द्वारका के सैक्टर-24 के शमशान में सुबह से निजी एम्बुलैंस में शवों को पहुंचाने का सिलसिला शुरू हो गया। मृतकों में सभी उम्र और वर्ग के लोग थे। अलग-अलग अस्पतालों से शवों को जैसे ही शमशान में चिता पर डाला जा रहा था, वहीं एम्बुलैंस चालक किराया वसूलने के लिए भी तोल-मोल करते दिखे। एक चालक को मृतकों के परिजनों ने 3000 की बजाय 4000 रुपए दिए, फिर भी इंतजार के नाम पर और चार्ज न मिलने पर कहासुनी होने लगी। एक एम्बुलैंस वाले न ‘वीर अर्जुन’ की वरिष्ठ पत्रकार को जिसे कोरोना संक्रमण हो गया था, के उनके निवास पश्चिम विहार से राम मनोहर लोहिया अस्पताल पहुंचाने के लिए 40,000 रुपए मांगे। यह हाल है निजी एम्बुलैंस वालों का। नगर निगम ने अंतिम संस्कार के लिए कीमत तय कर रखी है। संस्था के प्रबंधक संदीप हुड्डा (द्वारका) ने बताया कि अंतिम संस्कार पर करीब 3900 रुपए का खर्च आता है। पंडित और जरूरी सामान के लिए यह कीमत 2000 से 2500 रुपए है। उन्होंने बताया कि शवों के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया के लिए सभी मदों में तय रेट पर ही लोगों को सुविधा दी जा रही है। भीड़ अधिक होने की वजह से लोगों की पर्चियां काटने के बाद उन्हें शवों के अंतिम संस्कार के लिए नम्बर दिए जा रहे थे। शमशान में एक साथ छह से सात एम्बुलैंस खड़े होने की व्यवस्था है। एक तरफ चिता में जलते शव और दूसरी तरफ अंतिम यात्रा वाहन के लिए भी अधिक खर्च करना पड़ रहा है। एक मृतक के परिजन ने कहा कि कोरोना संक्रमित व्यक्ति की अगर मृत्यु हो जाती है तो अंतिम संस्कार तक हर तरफ खर्च होता है। अगर इन एम्बुलैंस वालों को मौत के सौदागर कहा जाए तो गलत नहीं होगा। मानवता नाम की बात तो इस महामारी में खत्म हो गई है। यह एक और उदाहरण है।

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