Sunday, 9 May 2021

मीडिया की शिकायतें बंद करें संस्थाएं

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोर्ट कार्यवाही की रीयल टाइम रिपोर्टिंग पर रोक नहीं लगाई जा सकती है। कोर्ट ने कहा कि प्रेस की स्वतंत्रता के तहत अभिव्यक्ति की जो आजादी है उसमें ओपन कोर्ट की कार्यवाही को कवर करना भी शामिल है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मद्रास हाई कोर्ट की उस टिप्पणी को हटाने का मामला नहीं बनता क्योंकि चुनाव आयोग को अधिकारियों के खिलाफ जो टिप्पणी की गई थी वह मौखिक थी और ऑर्डर का हिस्सा नहीं था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महामारी के दौरान मद्रास हाई कोर्ट की भूमिका सराहनीय है। लेकिन साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट की चुनाव आयोग के अधिकारियों पर हत्या का केस चलाने संबंधित मौखिक टिप्पणी को कठोर बताया और कहा यह अनुचित था। सुप्रीम कोर्ट में मद्रास हाई कोर्ट की उस टिप्पणी के खिलाफ चुनाव आयोग ने अर्जी दाखिल कर चुनौती दी थी जिसमें हाई कोर्ट ने कहा था कि हत्या का केस चुनाव आयोग के अधिकारियों पर चलना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि संवैधानिक संस्थानों को कोर्ट रिपोर्टिंग की शिकायत करने के बजाय अपना काम बेहतर तरीके से करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा कि संवैधानिक फ्रेमवर्क में चेक और बैलेंस होता है। हम कहना चाहते हैं कि कोर्ट ओपन होता है सिर्फ इन कैमरा कार्यवाही में ओपन नहीं होता। मीडिया की स्वतंत्रता में कोर्ट कार्यवाही कि रिपोर्ट भी शामिल है। इसके लिए संविधान में अनुच्छेद-19(1)(ए) के तहत जो अभिव्यक्ति की व्यवस्था है उसमें कोर्ट की कार्यवाही को कवर करना भी शामिल है। कोर्ट ने कहा कि यह इंटरनेट का दौर है और कोर्ट की कार्यवाही की रिपोर्टिंग को दबाया नहीं जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मीडिया को इस तरह की टिप्पणियों को रिपोर्ट करने से नहीं रोका जा सकता, क्योंकि यह जवाबदेही तय करती है। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट और यहां तक गुजरात हाई कोर्ट ने लोगों को अदालती कार्यवाही देखने तक की इजाजत दी है।

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