Tuesday, 18 May 2021
मुख्तार का कोई बदमाश जिंदा नहीं रहेगा
चित्रकूट जेल में हुआ गैंगवार किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। अंशु दीक्षित उर्प सुमित दीक्षित ने मुकीम काला की बैरक में घुसते ही समुदाय विशेष के बदमाश के जिंदा न रहने की बात कहते हुए उसे गोलियों से भून दिया। इससे पहले अंशु ने परेड के दौरान मेराज को यह कहते हुए गोलियों से भून डाला कि मुख्तार का खास कोई भी जिंदा नहीं रहेगा। कुछ देर बाद अंशु एनकाउंटर में पुलिस की गोली से मारा जाता है। दरअसल सुबह करीब 10 बजे अंशु बैरक से निकलता है, वहां तैनात सुरक्षाकर्मियों से उसने कहा कि वह पीसीओ जा रहा है, किसी को फोन करना है। तब किसी को अंदाजा नहीं था कि वह क्या करने वाला है। इस वक्त उसके पास पिस्टल थी। एक बड़े पुलिस अफसर ने बताया कि मेराज को देखते ही अंशु ने उस पर पिस्टल तान दी। उसने कहा कि तुम लोगों ने बहुत आतंक मचा लिया। अब मुख्तार अंसारी का खेल खत्म हो चुका है। उसका कोई भी गुर्गा जिंदा नहीं रहेगा। अब तक मेराज कुछ समझ पाता अंशु ने उस पर गोलियां दाग दीं। गोलियों की तड़तड़ाहट से वहां भगदड़ मच गई। कुछ ही सैकेंड बाद वह अस्थायी बैरक में पहुंचा जहां पर मुकीम काला का पकड़ लिया। उससे कहा कि तुम्हारा इंतजार था। मुख्तार का कोई बदमाश जिंदा नहीं रहेगा। खेल खत्म। तुरन्त मुकीम को भी गोलियों से भून दिया। मुकीम काला सात मई को ही चित्रकूट जेल में शिफ्ट किया गया था। कोरोना के प्रोटोकॉल के मुताबिक वो अस्थायी जेल में क्वारंटीन था। क्वारंटीन का समय पूरा होने के बाद उसको भी हाई सिक्यूरिटी बैरक में शिफ्ट किया जाना था। सवाल यह है कि जेल में एक अपराधी के पास इतना हथियार कैसे पहुंच गया कि वह जेल प्रशासन के कब्जे में ही नहीं आ रहा था? चूंकि अंशु दीक्षित उस जेल में पहले से ही था। ऐसे में माना जा सकता है कि जेल अधिकारियों की मिलीभगत से उसके पास हथियार पहुंचे होंगे। यह घटना अपराधी सरगना से राजनेता बने मुख्तार अंसारी के गुर्गों के बीच वर्चस्व की लड़ाई लगती है। अंशु दीक्षित मुख्तार अंसारी का शार्प शूटर था, तो मेराज पूर्वी उत्तर प्रदेश में मुख्तार का सहायक था, जिसका अंशु के साथ विवाद था। जबकि दो लाख का इनामी बदमाश मुकीम काला पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आतंक का पर्याय था, जिसके आतंक से व्यापारियों का पलायन शुरू हुआ था। गौरतलब है कि मुख्तार अंसारी के गुर्गों के कैराना बीच जेल में यह खूनी भिड़ंत तब हुई, जब उत्तर प्रदेश सरकार के प्रयासों के बाद मुख्तार को पिछले महीने ही पंजाब से लाकर सूबे की बांदा जेल में रखा गया, जबकि उसके परिजन उत्तर प्रदेश की जेल में उसके मारे जाने की आशंका जता चुके हैं। यह आशंका निराधार भी नहीं है। जुलाई 2018 में माफिया मुन्ना बजरंगी की बागपत जिला में हत्या कर दी गई थी, तो दुर्दांत अपराधी सरगना विकास दुबे को पिछले साल उज्जैन से उत्तर प्रदेश लाते हुए मुठभेड़ में मार गिराया था। इस तरह की घटनाएं सुशासन के नाम पर धब्बा हैं, जिन पर अंकुश लगाना अत्यंत आवश्यक है।
-अनिल नरेन्द्र
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