Saturday 22 May 2021

हमास ः फिलस्तीनी संगठन जो इजरायल को मिटा देना चाहता है

हमास फिलस्तीनी चरमपंथी गुटों में सबसे बड़ा गुट है। इसका नाम एक संगठनöइस्लामिक रेजिस्टेंस मूवमेंटöके अरबी नाम के पहले अक्षरों से मिलकर बना है। इसकी शुरुआत 1983 में फिलस्तीनियों के पहले इंंतिफादा या बगावत के बाद हुई, जब वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी में इजरायली कब्जे का विरोध शुरू हुआ था। इस गुट के चार्टर में लिखा है कि वो इजरायल को तबाह करने के लिए संकल्पबद्ध है। हमास की जब शुरुआत हुई थी तो इसके दो मकसद थे। एक तो इजरायल के खिलाफ हथियार उठाना जिसकी जिम्मेदारी उसके सैन्य गुट इज्जदीन अल-कसाम ब्रिगेड पर थी। इसके अलावा उसका दूसरा मकसद समाज में कल्याण के काम करना है। उसने 2006 में फिलस्तीनियों के इलाके में होने वाले चुनाव में जीत हासिल की और उसके अगले साल गाजा में राष्ट्रपति महमूद अब्बास के प्रतिद्वंद्वी गुट फतह को हटाकर वहां की सत्ता अपने हाथ में ली। उसके बाद से गाजा के चरमपंथी इजरायल के साथ तीन लड़ाइयां लड़ चुके हैं। इजरायल ने मिस्र के साथ मिलकर गाजा पट्टी की घेराबंदी की हुई है ताकि हमास अलग-थलग पड़े और उस पर हमले बंद करने का दबाव पड़े। हमास सैन्य गुट को इजरायल, ब्रिटेन, अमेरिका, यूरोपीय संघ और कई अन्य देश एक आतंकवादी संगठन मानते हैं। हमास का नाम पहली इंतिफादा के बाद सबसे प्रमुख फिलस्तीनी गुट के तौर पर उभरा जिसने 19s90 के दशक में इजरायल और ज्यादातर फिलस्तीनियों की नुमाइंदगी करने वाले फिलस्तीनी मुक्ति संगठन (पीएलओ) के बीच ओस्लो में हुए शांति समझौते का विरोध किया। इजरायल के कई अभियानों के बावजूद हमास ने आत्मघाती हमले करके जता दिया कि उसके पास इस शांति प्रक्रिया को रोकने की क्षमता है। हमास के बम निर्माता याहिया अय्याश की 1995 के दिसम्बर में की गई हत्या के जवाब में संगठन ने 1996 को फरवरी और मार्च में कई आत्मघाती बम धमाके किए थे। हमास के आध्यात्मिक नेता शेख अहमद यासीन की 2004 में एक इजरायली मिसाइल हमले में मौत हो गई थी। 2004 के मार्च और अप्रैल में हमास के आध्यात्मिक नेता शेख अहमद यासीन और उनके उत्तराधिकारी अब्दुल अजीज अल-रनतिसी को भी इजरायल ने मार गिराया। उसी साल नवम्बर में फतह गुट के नेता यासिर अराफात का निधन हो गया और फिर फिलस्तीनी प्राधिकरण की कमान महमूद अब्बास के हाथों में आ गई जो मानते थे कि हमास के रॉकेट हमलों से नुकसान हो रहा है। इजरायल हमास को गाजा से होने वाले हमलों के लिए जिम्मेदार मानता है और वो वहां तीन बार सैन्य कार्रवाई कर चुका है जिसके बाद सीमापार जाकर लड़ाई भी हुई। 2008 के दिसम्बर में इजरायली सेना ने रॉकेट हमलों को रोकने के लिए ऑपरेशन कास्ट लीड चलाया। 22 दिन तक चले इस संघर्ष में 1300 से ज्यादा फिलस्तीनी और 13 इजरायली मारे गए। 2014 में जून के मध्य में एक बार फिर गाजा से रॉकेट हमले तेज हो गए जब इजरायल ने हत्या कर दिए गए तीन इजरायली लड़ाकों की तलाश करते हुए वेस्ट बैंक में हमास के कई सदस्यों को पकड़ लिया। 50 दिनों तक चली लड़ाई में कम से कम 2251 फिलस्तीनी मारे गए जिनमें 1462 आम नागरिकों को इजरायल की ओर 67 सैनिकों और छह नागरिकों की मौत हुई। 2014 के बाद से दोनों पक्षों में लगातार हिंसक झड़पें होती रही हैं। मगर मिस्र, कतर और संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता से संघर्षविराम होता रहा। घेराबंदी के कारण होते दबाव के बावजूद हमास ने गाजा में अपनी सत्ता बनाई हुई है और वो अपने रॉकेट के भंडार को बढ़ाता और बेहतर बनाता जा रहा है। इसी बीच गाजा में रह रहे 20 लाख फिलस्तीनियों की हालत खराब होती जा रही है। वहां की अर्थव्यवस्था चौपट हो चुकी है, न बिजली है, न पानी और न दवा, सभी की किल्लत है।

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