Saturday, 29 May 2021
चिंता का मुद्दा ः वॉट्सएप व केंद्र आमने-सामने
फेसबुक के स्वामित्व वाले वॉट्सएप ने नए सोशल मीडिया मध्यवर्ती नियमों पर सरकार के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया है, जिसके तहत संदेश सेवाओं के लिए यह पता लगाना जरूरी है कि किसी संदेश की शुरुआत किसने की। वॉट्सएप के एक प्रवक्ता ने पुष्टि की कि कंपनी ने हाल ही में लागू किए गए सूचना तकनीक (आईटी) नियमों के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। वॉट्सएप कंपनी ने यह कदम ऐसे वक्त उठाया है, जब नए सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती संस्थानों के लिए दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम 2021 के जरिये सोशल मीडिया कंपनियों को अधिक से अधिक जवाबदेही और जिम्मेदार बनाने की कवायद चल रही है। वॉट्सएप के प्रवक्ता ने कहा कि मैसेजिंग एप के लिए चैट पर निगाह रखने की आवश्यकता, उन्हें वॉट्सएप पर भेजे गए हर एक संदेश का फिगरप्रिंट रखने के लिए कहने के बराबर है। प्रवक्ता ने कहा कि यह एंड-ई-एंड एक्रिप्शन को तोड़ देगा और लोगों की निजता के अधिकार को कमजोर करेगा। प्रवक्ता ने कहाöहम दुनियाभर में लगातार नागरिक समाज और विशेषज्ञों के साथ उन अनिवार्यताओं का विरोध कर रहे हैं। जो हमारे उपयोगकर्ताओं की गोपनीयता का उल्लंघन करेंगे। इस नए नियम के तहत ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम और वॉट्सएप जैसे बड़े सोशल मीडिया मंचों को अतिरिक्त उपाय करने की जरूरत होगी। वहीं सरकार ने नए डिजिटल नियमों का मंजूरी के साथ बचाव करते हुए बुधवार को कहा कि वह निजता के अधिकार का सम्मान करती है और वॉट्सएप जैसे संदेश मंचों को नए आईटी नियमों के तहत चिन्हित संदेशों के मूल स्रोत की जानकारी देने को कहना निजता का उल्लंघन नहीं है। इसके साथ सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों से इस बारे में अनुपालन रिपोर्ट मांगी है। हालांकि सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि भारत ने जिन भी उपायों का प्रस्ताव किया है उससे वॉट्सएप का सामान्य कामकाज प्रभावित नहीं होगा। साथ ही इससे आम प्रयोगकर्ता पर भी कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने बयान में कहा कि देश की संप्रभुत्ता या सार्वजनिक व्यवस्थता से जुड़े बेहद गंभीर अपराध वाले संदेशों को रोकने या उसकी जांच के लिए ही उनके मूल स्रोत की जानकारी मांगने की जरूरत नए आईटी नियम के तहत है। नए नियमों की घोषणा 25 फरवरी को की गई थी। इस नए नियम के तहत ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम और वॉट्सएप जैसी बड़ी सोशल मीडिया मंचों को अतिरिक्त उपाय करने की जरूरत होगी। इसमें मुख्य अनुपालन अधिकारी, नोडल अधिकारी और भारत स्थित शिकायत अधिकारी की नियुक्ति आदि शामिल हैं। नियमों का पालन न करने पर इन सोशल मीडिया कंपनियों को अपनी मध्यस्थ स्थिति को खोना पड़ सकता है। यह स्थिति उन्हें किसी भी तीसरे पक्ष की जानकारी और उनके द्वारा होस्ट किए गए डाटा के लिए दायित्वों से छूट और सुरक्षा प्रदान करती है। दूसरे शब्दों में इसका दर्जा समाप्त होने के बाद उन पर कार्रवाई की जा सकती है। रविशंकर प्रसाद ने कहाöब्रिटेन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूजीलैंड में सोशल मीडिया कंपनियों को अपने कामकाज में कानूनी हस्तक्षेप की अनुमति देनी पड़ती है। भारत की मांग अन्य देशों की तरफ से मांगी जाने वाली जानकारी बेहद कम है। दुष्कर्म, यौन उत्पीड़न सामग्री या बाल शोषण सामग्री से जुड़ा संदेश होने पर भी उसके मूल स्रोत की जानकारी की जरूरत होगी। कोई मूल अधिकार पूर्ण नहीं स्थापित न्यायिक कथन के तहत निजता का अधिकार सहित कोई भी मूल अधिकार पूर्ण नहीं है, यह तार्किक सीमाओं से संबंधित है। संदेश को सबसे पहले जारी करने वाले या लेखक से जुड़े दिशानिर्देश की जरूरत ऐसे ही तार्किक सीमा का उदाहरण है।
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