Friday, 7 May 2021
तालाबंदी के दौरान स्कूल पूरी फीस नहीं ले सकते
उच्चतम न्यायालय ने एक बड़े फैसले में स्कूलों को आदेश दिया कि वे छात्रों से सत्र 2020-21 की वार्षिक फीस ले सकते हैं लेकिन इसमें 15 फीसदी की कटौती करें क्योंकि छात्रों ने उनसे वे सुविधा नहीं ली जो स्कूल आने पर लेते। जस्टिस एएम खानविलकर की पीठ ने आदेश दिया कि ये फीस छह किस्तों में 5 अगस्त 2021 तक ली जाएगी और फीस नहीं देने पर या देरी पर 1ˆवीं और 12वीं छात्रों का रिजल्ट नहीं रोका जाएगा और न ही उन्हें परीक्षा में बैठने से रोका जाएगा कोर्ट ने कहा कि यदि कोई माता-पिता फीस देने की स्थिति में नहीं है तो स्कूल उनके मामलों पर विचार करेंगे लेकिन उनके बच्चों का रिजल्ट नहीं रोकेंगे। पीठ ने माना कि आदेश डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट 2005 के तहत नहीं दिया जा सकता क्योंकि इसमें यह कहीं भी नहीं है कि सरकार महामारी की रोकथाम के लिए शुल्क और फीस के या अनुबंध में कटौती करने के आदेश दे सकती है। इस एक्ट में अथारिटी के आपदा के प्रसार की रोकथाम के उपाए करने के लिए अधिकृत किया गया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि स्कूलें ने लॉकडाउन के दौरान बिजली, पानी, पेट्रोल, स्टेशनरी और रखरखाव की कीमत बढ़ाई है। ये बढ़त 15 फीसदी के आसपास बैठती है। ऐसे में छात्रों से ये पैसा वसूलना शिक्षा का व्यवसायिकरण करने जैसा होगा। मामला राजस्थान के 36 हजार सहायता प्राप्त निजी स्कूलों और 220 सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक स्कूलों का है। राजस्थान सरकार ने स्कूलों को आदेश दिया था कि लॉकडाउन को देखते हुए स्कूल छात्रों से 30 फीसदी की कटौती करें। स्कूलों को फीस में कटौती करने का आदेश डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट-2005 की धारा 32 के तहत दिया गया था। इस आदेश को स्कूलों ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी और कहा था कि ये आदेश उन्हें संविधान के अनुच्छेद 19.1 जी के तहत मिले व्यवसाय करने के मौलिक अधिकार के विरुद्ध है।
-अनिल नरेन्द्र
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment