Friday 21 May 2021

गंगा में इतनी लाशें कि गिनती मुश्किल

उत्तर प्रदेश में गंगा किनारे शवों का मिलना जारी है। प्रयागराज में श्रृंगवेरपुर धाम के पास बड़ी संख्या में शव गंगा किनारे दफनाए गए हैं। हालात यह हैं कि एक छोर से दूसरे छोर तक केवल शव ही नजर आ रहे हैं। यहां करीब एक किलोमीटर की दूरी में दफन शवों के बीच एक मीटर का फासला भी नहीं है। इन शवों के किनारे झंडे और डंडे भी गाड़े गए हैं। यही नहीं, शवों के साथ आने वाले कपड़े और दूसरे सामान भी वहीं छोड़ दिए गए हैं। ऐसे में गंगा किनारे काफी गंदगी हो गई है। पुलिस का पहरा भी कोई काम नहीं आ रहा है। अंतिम संस्कार का सामान भी बहुत महंगा हो गया है। घाट पर पूजा-पाठ कराने वाले पंडितों का कहना है कि पहले रोज यहां आठ से 10 शव ही आते थे, लेकिन पिछले एक महीने से हर रोज 60 से 70 शव आ रहे हैं। किसी दिन तो 100 से भी ज्यादा लाशें आ रही हैं। एक महीने में यहां चार हजार से ज्यादा शव आ चुके हैं। शासन की रोक के बाद भी शैव संप्रदाय के अनुयायी यहां शव दफना रहे हैं। घाट पर मौजूद पंडित कहते हैं कि शैव संप्रदाय में गंगा किनारे शव दफनाने की पुरानी परंपरा है। इसे रोका नहीं जा सकता। इससे लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत होंगी। श्रृंगवेरपुर धाम पर पुरोहित का काम करने वाले शिवबरन तिवारी बताते हैं कि सामान्य दिनों में यहां आने वाले गरीब लोग शव लेकर आते हैं, उनके पास खाने के भी पैसे नहीं होते और वह दाह-संस्कार का खर्च वहन नहीं कर पाते, वही दफनाते हैं जो सक्षम हैं। वह शवों का बाकायदा दाह-संस्कार करते हैं। लेकिन कोरोना ने जब से जोर पकड़ा है तब से अकेले श्रृंगवेरपुर में ही रोजाना 60 से 70 शव आ रहे हैं। शिवबरन बताते हैं कि कोरोना के डर के कारण काफी दिन तक घाट से पंडों-पुरोहितों ने भी डेरा हटा लिया था। सभी डर रहे थे कि कोरोना न हो जाए। ऐसे में जो जैसा आया और जहां जगह दिखी, वहीं शवों को दफना दिया। कोई रोक-टोक न होने के कारण गंगा के घाट किनारे जहां लोग आकर स्नान-ध्यान करते हैं, वहां तक लोगों ने शव दफना दिए। कोरोना संक्रमितों के अंतिम संस्कार के लिए शमशानों में जिस तरह से लूट-खसोट मची है, मोटी रकम ऐंठी जा रही है और घंटों कतार में लगना पड़ रहा है, वह किसी से छिपा नहीं है। दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि जिन जिलों में यह सब देखने को मिल रहा है, वह महामारी की चपेट में हैं। भले ही सरकारें कितने दावे क्यों न करती रहें कि ग्रामीण इलाकों में हालात काबू में हैं, इलाज के सारे बंदोबस्त हैं, लेकिन लाशों के यह ढेर असलियत उजागर करने के लिए काफी हैं। अब इसमें ज्यादा शक नहीं बचा कि संक्रमण की जांच, इलाज से लेकर अंतिम संस्कार तक में सरकारों की लापरवाही दिखाई दी, यह शव उसी का नतीजा हैं।

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