Saturday, 1 May 2021
जलती चिताएं बयां कर रही हैं कोरोना का कहर
एक रिपोर्ट का कहना है, मैंने एक साथ इतनी बड़ी संख्या में जलती चिताएं पहली बार देखी हैं और एक ही दिन में दिल्ली के तीन शमशान घाटों में यह दुख और अफसोस से भरा मंजर देखने को मिला, जो लाशें जल रही थी वो सभी कोरोना वायरस के शिकार थे। शनिवार को मैंने दिल्ली के अस्पतालों में ऑक्सीजन, आईसीयू और बैड, वेंटिलेटर और दवाओं से जूझते लोगों को देखा। आखिरी सांस लेने वाले कई लोगों के रिश्तेदारों को आंसू बहाते देखा। सोमवार को शमशान घाटों में बुजुर्ग, जवान और बच्चों को एक-दूसरे से गले लगते देखा रोते हुए। चिता जलाने के लिए अपनी बारी का इंतजार करते लोगों को देखा और जब शमशान घाट भी छोटा पड़ गया तो खुले मैदान में मेक शिफ्ट शमशान बनते देखा ताकि आगे आने वाली लाशें जलाई जा सकें। दिल्ली में इन दिनों रोजाना कोविड-19 से मरने वालों की संख्या सरकारी तौर पर 350 से 400 के बीच बताई जा रही है। मैंने तीन शमशान घाटों में केवल कुछ घंटों में 100 से अधिक चिताएं जलती देखीं। सराय काले खान में रिंग रोड से सटे ट्रैफिक की भीड़ से दूर एक विद्युत शवदाह गृह है। वहां एक तरफ एक साथ कई चिताएं जल रही थीं और दूसरी तरफ आते जा रहे शवों के अंतिम संस्कार की तैयारी की जा रही थी। रिश्तेदार, एम्बुलैंस वाले और सेवकों की कभी भीड़ जमा थी। एक समय में करीब 10-12 शव जलाए जा रहे थे। अंतिम संस्कार कराने के लिए एक ही पंडित मौजूद थे और वो इतने व्यस्त थे कि उनसे बात करना मुश्किल था। उन्होंने मेरी तरफ देखे बगैर ही कहा, यहां 24 घंटे शव आ रहे हैं, संख्या कैसे याद रखें। मैंने चरमपंथी हमले, हत्याएं और घटनाओं को कवर किया है लेकिन सामूहिक अंतिम संस्कार पहले कभी नहीं देखा। लोदी रोड विद्युत शवदाह गृह में भीड़ अधिक थी। चिताएं भी ज्यादा संख्या में जल रही थीं। एम्बुलैंस अंदर आ रही थी और शवों को उतारा जा रहा था। गिनती तो नहीं मगर मेरा अंदाजा है कि एक साथ 20-25 चिताएं जल रही थीं। कई रिश्तेदार पीपीई किट पहने थे। वहां मौजूद सभी लोग अपने सगे-संबंधियों को अलविदा कहने आए थे। सीमापुरी का शमशान घाट थोड़ा तंग है लेकिन इसके बावजूद अंदर चिताएं काफी संख्या में जलती नजर आईं। कुछ प्लेटफॉर्म पहले से ही मौजूद थे, कुछ नए बनाए गए थे, अंदर रिश्तेदार शवों को ही खुद ला रहे थे और लकड़ियों का इंतजाम भी खुद ही कर रहे थे। वहां मुझे बजरंग दल का एक युवा मिला जो एम्बुलैंस सेवा से जुड़ा है। उसने मुझे बताया ]िक वो 10 दिनों से लगातार यहां अस्पतालों से शवों को लेकर आ रहा है। सिखों की एक संस्था यहां हर तरह की सुविधाएं पहुंचाने की पूरी कोशिश कर रही थी। एक सिख ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से हालत इतनी खराब हो गई है कि अब लोगों को कहना पड़ेगा कि वो अब दूसरे शमशान घाट जाएं। लोदी रोड शमशान घाट से कुछ दूर मुसलमानों का एक कब्रिस्तान है। लेकिन वहां केवल एक ही जनाजे की नमाज हो रही थी। ओखला के बाटला हाउस में भी एक कब्रिस्तान है। वहां तीन-चार लोगों की कब्रें खोदी जा रही थीं लेकिन अप्रैल के महीने से रोज 20 से 25 कब्रें खोदी जा रही हैं। मैं केवल तीन ही शमशान घाटा गया। एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार भारत में कोरोना से मौतों की वास्तविक संख्या पांच गुणा अधिक है। असल संख्या छिपाने के लिए राज्य सरकारों पर केंद्र का दबाव है। हमारे कार्यालय के पीछे आईटीओ का कब्रिस्तान है। हर रोज हम देखते हैं कि एम्बुलैंस शव लेकर आ रही हैं। दफनाने की जगह खत्म हो गई है। अतिरिक्त जमीन का इंतजाम किया जा रहा है। वास्तविक हालत बहुत ज्यादा खराब है।
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