Friday 7 May 2021

ऑक्सीजन न देना नरसंहार के समान

कोरोना मरीजों को ऑक्सीजन की आपूर्ति न होने पर अदालतों ने सख्त रुख अख्तियार कर लिया है। चाहे सुप्रीम कोर्ट हो, चाहे हाई कोर्ट हो सभी जगह सरकार की जबरदस्त खिंचाई हो रही है। दिल्ली में रोजाना 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन सप्लाई का निर्देश देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के अधिकारियों के खिलाफ शुरू की गई अवमानना की कार्यवाही पर रोक लगा दी। दिल्ली हाई कोर्ट ने राजधानी में जरूरत के मुताबिक सप्लाई न होने पर अवमानना नोटिस जारी किया था। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इस पर रोक लगा दी और कहा कि अधिकारियों को जेल में डालने से दिल्ली की ऑक्सीजन नहीं आने वाली है। हम इतना सुनिश्चित करें कि लोगों की जिंदगियां बचाई जा सकें। इस कमेंट के साथ कोर्ट ने साफ किया कि वह कोरोना मामलों से जुड़ी निगरानी के लिए हाई कोर्ट को नहीं रोका जा रहा है। जस्टिस चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने ऑक्सीजन के मुद्दे सुलझाने के लिए तुरन्त केंद्र और दिल्ली सरकार के अधिकारियों को बैठक करने का निर्देश दिया है। साथ ही केंद्र से गुरुवार सुबह तक बताने को कहा था कि पिछले तीन दिन में दिल्ली को कितनी ऑक्सीजन दी गई। अदालत ने कहाöहम दिल्ली के लोगों के प्रति जवाबदेह हैं। हम भी यहीं रहते हैं और असहाय हैं। हम यह कल्पना कर सकते हैं कि लोग किस स्थिति में हैं। उधर उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण के चलते अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति में कमी को लेकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि यह न केवल आपराधिक कृत्य है, बल्कि ऐसा करना नरसंहार से कम नहीं है। ऐसी मौतों की जवाबदेही ऑक्सीजन आपूर्ति करने वालों की है। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा तथा न्यायमूर्ति अजीत कुमार की खंडपीठ ने कहाöमेडिकल साइंस इतना आगे है कि हम हार्ट ट्रांसप्लांट कर रहे हैं। ब्रेन ऑपरेट कर रहे हैं और दूसरी तरफ ऑक्सीजन की कमी से मौतें होती जा रही हैं। अदालत ने कहा कि सामान्यत कोर्ट सोशल मीडिया की खबरों पर ध्यान नहीं देती, मगर इस खबर का समर्थन वकीलों ने भी किया है कि उत्तर प्रदेश में कई जिलों में ऑक्सीजन की आपूर्ति न हो सकने के चलते मौतें हुई हैं। कोर्ट ने कहा कि यह नरसंहार उन लोगों के हाथों हो रहा है जिनके पास लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन मुहैया करवाने और सप्लाई चेन बनाए रखने का जिम्मा है। यह देखना बेहद दुखदायी है कि कोविड-19 के मरीज बिना ऑक्सीजन के मर रहे हैं। हम लोगों को इस प्रकार कैसे मरने दे सकते हैं? वह भी तब जब आज विज्ञान इतना आगे निकल चुका है। पीठ ने मंगलवार को कहाöलखनऊ और मेरठ में ऑक्सीजन की कमी से मौतों की खबरें आई हैं। आमतौर पर खबरों की जांच के लिए वह सरकार या जिला प्रशासन को निर्देश नहीं देती, लेकिन बड़ी संख्या में वकीलों ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि प्रदेश में लगभग सभी जिलों में यही हालात हैं। ऐसे में लखनऊ और मेरठ के जिला अधिकारियों को निर्देश दिए जाते हैं कि वह 48 घंटे में जांच कर हमें रिपोर्ट दें। साथ ही अगली तारीख पर वीडियो कांफ्रेंसिंग में कोर्ट के सामने पेश हों।

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