Saturday 1 May 2021

युवाओं के टीकाकरण पर लगा ग्रहण

देश में टीकाकरण की रफ्तार बेशक तेजी से बढ़ रही है पर कहीं वैक्सीन की कमी, कहीं इतनी लंबी कतारें कि इसकी रफ्तार में कमी आने की संभावना है। अभी तक 15 करोड़ से ज्यादा खुराक का इस्तेमाल हुआ है, लेकिन अभी महज ढाई करोड़ लोगों का टीकाकरण हो सका है। अब एक मई से 18 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को भी टीका लगाने की घोषणा हो गई है। रजिस्ट्रेशन के चन्द घंटों में ही एक करोड़ से ज्यादा लोगों ने अपना नाम दर्ज कराया। दर्ज कराने वाले लोगों की इतनी भीड़ थी कि सर्वर ही क्रैश हो गया। कोरोना के खिलाफ लड़ाई में पहली मई के टीकाकरण पर ग्रहण की आशंका हो गई है। टीकों की आपूर्ति में देरी के चलते कोरोना से प्रभावित बड़े राज्योंöमहाराष्ट्र, राजस्थान और छत्तीसगढ़ ने टीकाकरण टाल दिया है। हालांकि राहत की बात है कि एक मई से रूसी वैक्सीन स्पूतनिक-वी भी देश में इस्तेमाल के लिए उपलब्ध होगी। महाराष्ट्र ने कोरोना के बढ़ते मामलों के मद्देनजर पाबंदियां 15 मई तक बढ़ा दी हैं। स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने कहा कि लॉकडाउन जैसे पाबंदियों के बढ़ने और टीकों की पर्याप्त खुराकों की अनुपलब्धता के चलते एक मई से युवाओं का टीकाकरण नहीं हो सकेगा। टोपे ने कहा की टीकों की कमी के कारण अभियान शुरू करना मुश्किल है। सीरम और भारत बायोटेक की ओर से जवाब नहीं मिला है लॉकडाउन की वजह से। दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि हमारे पास कोई वैक्सीन नहीं है। जब मिलेगी तो टीकाकरण का फैसला होगा। वैसे भी दिल्ली में 31 मई तक का लॉकडाउन हो गया है। राजस्थान ने कहा कि सीरम इंस्टीट्यूट को 3.75 करोड़ डोज का ऑर्डर दिया है, लेकिन यह कब तक मिलेगी साफ नहीं है। केंद्र से मिलने वाली वैक्सीन भी लगातार नहीं आ पा रही है। छत्तीसगढ़ का कहना है कि भारत बायोटेक जुलाई तक वैक्सीन देगा। जबकि सीरम को लेकर कोई जवाब नहीं मिला। असम सरकार ने टीकाकरण टालने के संकेत दिए हैं। उनके पास ढाई लाख टीके ही बचे हैं। तेलंगाना के लिए डेढ़ लाख खुराक बची है। ऐसे में युवाओं को टीका समय से नहीं लग सकेगा। कर्नाटक सरकार ने 18 से अधिक उम्र के लोगों को टीकाकरण का काम एक सप्ताह बढ़ने के संकेत दिए हैं। तमिलनाडु सरकार ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर टीके की पर्याप्त डोज उपलब्ध कराने का आग्रह किया है। भारत को विदेश से भी कुछ टीके मिल सकते हैं। लेकिन उनसे भारत की मांग पूरी नहीं होगी। ऐसे में युद्ध स्तर पर भारत में ही टीकों का निर्माण तेज करना चाहिए। इसके लिए कच्चे माल अमेरिका से मिले या किसी अन्य देश से, तत्काल आयात की जरूरत है। साथ ही दवा की दूसरी बड़े कंपनियों को भी टीका निर्माण के लिए मंजूरी और प्रोत्साहन देना चाहिए। अभी दवा निर्माण या पेटेंट मापदंडों की लंबी प्रक्रिया की पालना का समय नहीं है, अभी संकट में फंसे जीवन-मृत्यु के बीच फंसे अपने लोगों की जान बचाना प्राथमिकता है। पूरी उदारता के साथ सक्षम भारतीय दवा कंपनियों को टीका निर्माण में उतरना चाहिए, ताकि देश को टीका का कवच जल्दी से जल्दी पहनाया जा सके।

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