Wednesday 12 May 2021

सेंट्रल विस्टा परियोजना सवालों के घेरे में

केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना सेंट्रल विस्टा पर चारों ओर से सवाल उठाए जा रहे हैं। हालांकि यह परियोजना शुरू हुए लंबा समय हो गया, लेकिन देश में कोरोना महामारी के चलते विपक्ष इस परियोजना पर हो रहे खर्च को लेकर जहां सरकार को कठघरे में खड़ा कर रहा है वहीं इसे लेकर सोशल मीडिया पर भी वार छिड़ी हुई है। यहां तक कि सोशल मीडिया पर फर्जी फोटो जारी कर इस परियोजना के नाम पर सैकड़ों पेड़ काटने के आरोप भी लगाए जा रहे हैं। इंडिया गेट से विजय चौक तक सेंट्रल विस्टा का पुनरुद्धार करने की योजना केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना है। इसी परियोजना के एक हिस्से के रूप में सेंट्रल विस्टा के दोनों ओर मंत्रालयों के लिए नए भवन बनाए जाने तथा नए संसद भवन का निर्माण भी किया जाना है। इस परियोजना पर काम शुरू हो गया है। वर्ष 2020 में जब देश में पहली बार कोरोना संकट आया था तो भी उस दौरान कांग्रेस ने सेंट्रल विस्टा परियोजना को बंद करने की मांग की थी अब जब कोरोना की दूसरी लहर से देश त्राहि-त्राहि कर रहा है तो एक बार फिर विपक्ष इस परियोजना पर होने वाले खर्च को लेकर सरकार को घेर रहा है। विपक्ष का आरोप है कि कोरोना संकट काल में हजारों करोड़ क्यों खर्च किए जा रहे हैं? केंद्र सरकार के अनुसार इस परियोजना पर कुल 20 हजार करोड़ खर्च होंगे और यह परियोजना वर्ष 2024 तक पूरी होगी और यह राशि एक साथ खर्च नहीं की जा रही है। अब तक 862 करोड़ रुपए के काम आबंटित किए गए हैं। सरकार इस बात का तर्प भी दे रही है कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकार इस वर्ष लगभग तीन लाख करोड़ रुपए खर्च कर रही है। शिवसेना ने शनिवार को कहा कि कोविड-19 से निपटने में जहां पड़ोस के छोटे देश भारत की मदद की पेशकश कर रहे हैं वहीं सरकार कई करोड़ के सेंट्रल विस्टा परियोजना के काम को रोकने के लिए भी तैयार नहीं है। पार्टी ने कहा कि पंडित जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी और मनमोहन सिंह समेत पूर्व प्रधानमंत्रियों द्वारा पिछले 70 वर्ष में बनाई गई व्यवस्था ने देश को कठिन समय से पार पाने में मदद की है जिसका सामना वह आज कर रहा है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के एक संपादकीय में कहाöयूनिसेफ ने डर व्यक्त किया है कि भारत में जिस गति से कोरोना फैल रहा है उससे दुनिया को विषाणु से खतरा है। उसने यह भी अपील की है कि अधिकतम देशों को कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में भारत की मदद करनी चाहिए। बांग्लादेश ने रेमडेसिविर की 10 हजार शीशियां भेजी हैं जबकि भूटान ने चिकित्सकीय ऑक्सीजन, नेपाल, म्यांमार और श्रीलंका ने आत्मनिर्भर भारत की मदद की पेशकश की है। इसमें कहा गयाöसाफतौर पर भारत नेहरू-गांधी द्वारा बनाई गई व्यवस्था के सहारे है कई गरीब देश भारत को मदद की पेशकश कर रहे हैं। इससे पहले पाकिस्तान, रवांडा और कांगो जैसे देश दूसरों से मदद ले लेते थे। लेकिन आज के शासकों की गलत नीतियों के चलते भारत आज इस स्थिति से गुजर रहा है। शिवसेना ने कहा कि जहां गरीब देश अपने-अपने तरीके से भारत की मदद कर रहे हैं, वहीं प्रधानमंत्री 20 हजार करोड़ रुपए की महत्वाकांक्षी सेंट्रल विस्टा परियोजना को रोकने के लिए तैयार नहीं है। पार्टी ने इस बात पर आश्चर्य जताया। शिवसेना ने कहा कि दुनिया कोविड-19 वैश्विक महामारी की दूसरी लहर से जूझ रही है और विशेषज्ञों का अनुमान है कि तीसरी लहर और खतरनाक होगी लेकिन सत्तारूढ़ भाजपा को आज भी बस पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी को कैसे घेरना है इसकी पड़ी है। उसने कहा कि भाजपा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने स्वास्थ्य मंत्रालय केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को देने की मांग की है और यह इस बात का सुबूत है कि मौजूदा स्वास्थ्य मंत्रालय पूरी तरह विफल रहा है। -अनिल नरेन्द्र

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