Tuesday 25 May 2021

पीएम केयर वेंटिलेटर बेदम

दैनिक भास्कर की एक इंवेस्टीगेशन रिपोर्ट के अनुसार कोरोना महामारी के बीच प्राणवायु देने के लिए राज्यों को पीएम केयर फंड से दिए गए वेंटिलेटर पर आरोप-प्रत्यारोप के बीच कई बातें सामने आई हैं। कहीं वेंटिलेटर में पर्याप्त ऑक्सीजन न पहुंचने तो कहीं चलते-चलते बंद होने की शिकायत आई। कंपनियों ने वेंटिलेटर तो सप्लाई किए लेकिन कई जगह इन्हें इंस्टाल किए लेकिन कई जगह इन्हें इंस्टाल करने की जगह सिर्फ असेंबल करके रख दिया गया। कुछ जगहों पर इस्तेमाल हुआ तो दिक्कतें सामने आने लगीं। पीएम केयर फंड से देश की पांच कंपनियों से 2332 करोड़ रुपए में 58,850 वेंटिलेटर खरीदे गए। सबसे ज्यादा 31 हजार सार्वजनिक क्षेत्र की भारत इलैक्ट्रॉनिक्स (बेल) से, 13 हजार एएमटीजेड से, 10 हजार नोएडा की अग्वा हैल्थकेयर से, पांच हजार गुजरात की ज्योति सीएनसी से और 350 एलाइड मेडिकल से थे। भास्कर ने वेंटिलेटर निर्माता कंपनियों, कुछ राज्यों के डॉक्टरों और तकनीकी स्टाफ से बात की तो पता चला, इसके पीछे गुणवत्ता के साथ ट्रेनिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी के कारण भी हैं। कई राज्यों में वेंटिलेटर्स लगाने के लिए लोकेशन तैयार नहीं थी। ऑक्सीजन पाइप से जोड़ने वाले कनैक्टर नहीं थे। कई अस्पतालों को रातोंरात कोविड सेंटर बना दिया लेकिन वेंटिलेटर चलाने के लिए स्टाफ नहीं थे। वेंटिलेटर की सर्विस और रिपेयर और स्पेयर पार्ट देने की जिम्मेदारी निर्माता कंपनियों की थी, लेकिन कंपनियों में इंजीनियरों की कमी से न तो समय पर ऑक्सीजन सेंसर, फ्यूज, कनैक्टर जैसे स्पेयर पार्ट्स मिल रहे हैं और न सर्विस हो पा रही है। पीएम केयर फंड से खरीदे वेंटिलेटर्स पर विवाद बढ़ने पर प्रधानमंत्री कार्यालय ने इंस्टालेशन की स्थिति और शिकायतों की जांच के आदेश दिए हैं। सोमवार को पीएम नरेंद्र मोदी ने देशभर के डॉक्टरों से बात की थी। इस दौरान रांची रिम्स के एक सीनियर डॉक्टर ने वर्चुअल बैठक में ही वेंटिलेटर में खराबी की शिकायत की। बैठक के बाद पीएमओ ने फोन कर डॉक्टर से इस बारे में जानकारी ली। स्वास्थ्य मंत्रालय ने संसद में पूछे एक सवाल के जवाब में इस साल 12 मार्च को बताया था कि 1850 करोड़ रुपए से खरीदे गए 38,867 वेंटिलेटर्स राज्यों को भेज दिए गए हैं। इनमें से 35,269 इंस्टाल हो गए हैं। सरकार के मुताबिक 90 प्रतिशत से अधिक वेंटिलेटर इंस्टाल हो चुके थे। पिछले साल चार अगस्त को स्वास्थ्य सचिव ने संसदीय समिति को बताया था कि कोविड के 15 प्रतिशत मरीजों को ही अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ी थी। इनमें से सिर्फ पांच प्रतिशत को ही वेंटिलेटर पर ले जाना पड़ा था। सुप्रीम कोर्ट में कोविड-19 से जुड़े मामलों की सुनवाई में पीएम केयर्स फंड को भी पक्षकार बनाने की फरियाद की गई है।। इन मामलों का सुप्रीम कोर्ट ने खुद संज्ञान लिया था और सुनवाई कर रहा है। सामाजिक कार्यकर्ता साकेत गोखले ने हस्तक्षेप की अर्जी दाखिल कर पीएम केयर्स फंड को भी पक्षकार बनाने की अर्जी दी है। हस्तक्षेप अर्जी में कहा गया है कि पीएम केयर्स फंड का मुख्य उद्देश्य जनस्वास्थ्य की आपातस्थिति के लिए किसी भी तरह की सहायता लेना और देना है। इस काम के लिए भारत ही नहीं, विदेश से भी चन्दा लिया गया है। सरकारी कर्मचारियों और मंत्रियों ने भी अपने वेतन से अंशदान दिया है। चूंकि यह एक गैर-सरकारी कोष है और कोविड-19 से लड़ाई में इसकी सक्रिय भूमिका है। लिहाजा सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई में इसे भी प्रतिवादी बनाया जाए। इसे अदालत का अपने कार्यकलापों की जानकारी देनी चाहिए। अस्पताल को बताए कि किसे किस काम के लिए कितना धन आबंटित किया। साकेत गोखले ने अपनी अर्जी में कहा कि पीएम केयर्स फंड ने पिछले साल मई में घोषित किया था कि कोविड-19 से उसने तीन हजार करोड़ रुपए आबंटित किए हैं।

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