Wednesday 19 May 2021

अनाथ बच्चों, बेसहारा बुजुर्गों का सहारा बनेगी दिल्ली सरकार

इस कोरोना महामारी के प्रकोप से दर्जनों बच्चे अनाथ हो गए हैं। उनके माता-पिता, दोनों कोरोना के शिकार हो गए। उनकी परवरिश की समस्या हो गई है। इनकी देखभाल कौन करेगा? कुछ की तो करीबी रिश्तेदारों ने जिम्मेदारी ले ली है पर दर्जनों बच्चों के भविष्य को लेकर समस्या हो गई है। दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने फैसला किया है कि वह कोविड से अनाथ हुए बच्चों की शिक्षा और जीवन-यापन का खर्च उठाएगी। जिस तरह की खबरें आ रही हैं, उनसे यही आशंका होती है कि ऐसे बच्चों की संख्या काफी है। किसी भी संवेदनशील सरकार और समाज की जिम्मेदारी है कि वह ऐसे बच्चों को आर्थिक संकट और असुरक्षा से बचाए। अगर दिल्ली सरकार ऐसा करती है तो वह अपनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाएगी। शुक्रवार को इसका ऐलान करते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने कहा कि ऐसे कई बच्चे जिनके माता-पिता, दोनों चल बसे, उन बच्चों की पढ़ाई और परवरिश का सारा खर्च दिल्ली सरकार उठाएगी। इसके अलावा जिन बुजुर्गों ने अपने घर के युवाओं को खो दिया है दिल्ली सरकार उनका भी ख्याल रखेगी। मुख्यमंत्री ने ऐसे बच्चों व बुजुर्गों को उनके पड़ोसियों और रिश्तेदारों से अपना प्यार और हमदर्दी देने की अपील की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम ऐसे परिवारों की आर्थिक मदद तो कर देंगे, पर ऐसे बच्चों और बुजुर्गों को इस वक्त प्यार की जरूरत है, हमदर्दी की जरूरत है। ऐसे परिवारों के सभी पड़ोसियों और उनके रिश्तेदारों से मेरी विनती है कि इनका ख्याल रखना। ऐसे परिवारों पर बहुत बड़ी मुसीबत आई है। दिल्ली में दो करोड़ लोग, हम सब एक परिवार हैं। इस दुख की घड़ी में हमें एक-दूसरे की मदद करनी है। केजरीवाल ने कहा कि हम सभी के लिए पिछले कुछ दिन बेहद दुखदायी बीते हैं। सभी कोशिशों के बावजूद हम अपने कई दिल्लीवासियों को बचा नहीं पाए। कई परिवारों में तो एक से ज्यादा मौतें हुई हैं। मैं भगवान से प्रार्थना करता हूं कि इन सभी आत्माओं को शांति प्रदान करें। मैं ऐसे कई बच्चों को जानता हूं, जिनके दोनों, माता-पिता चल बसे। मैं ऐसे बच्चों को कहना चाहता हूंöमैं उनके दुख को समझता हूं, पर बच्चों आप चिन्ता मत करना। आप अपने आपको अनाथ मत समझना। मैं हूं ना। हम किसी भी बच्चे की पढ़ाई बीच में नहीं छूटने देंगे। ऐसे कई बुजुर्ग हैं, जिनके जवान बच्चे थे, वह कमाते थे, तब उनका घर चलता था। अब वह कमाने वाले बच्चे नहीं रहे। मैं ऐसे सभी बुजुर्गों को कहना चाहता हूं कि आपके बच्चे चले गए। आप चिन्ता मत करना। अभी आपका यह बेटा जिन्दा है। हम केजरीवाल और उनकी सरकार को इस कदम के लिए बधाई देना चाहते हैं। उम्मीद करते हैं कि देश के अन्य राज्य भी अपने स्तर पर ऐसी लोक कल्याणकारी योजनाओं पर काम करें। ऐसी योजनाएं सरकारों को उनके तंत्र की शक्तियों और कमजोरियों को पहचानने व बेहतर तंत्र बनाने में मदद कर सकती हैं। कोविड-19 में हमें यह बता दिया है कि आखिरकार यही काम आता है कि किसी राज्य में सार्वजनिक सेवाएं कितनी चुस्त हैं। बहुत अमीर राज्य में भी अगर सरकारी व्यवस्थाएं चुस्त-दुरुस्त नहीं हैं, तो वह किसी भी संकट का सामना नहीं कर सकतीं। कोविड संकट ने परिवारों का ताना-बाना तोड़कर रख दिया है। कई परिवारों को नए सिरे से अपनी जिन्दगी शुरू करनी पड़ेगी। सरकार और समाज को इस संकट की घड़ी में पूरा-पूरा योगदान देना होगा।

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