Thursday, 11 March 2021

13 साल बाद जांबाज इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा को मिला इंसाफ

दिल्ली के साथ तमाम देशों को हिला देने वाली बाटला हाउस मुठभेड़ के दौरान दिल्ली पुलिस के जांबाज इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की शहादत का कारण बने आरिज खान को दोषी करार दिए जाने से महज एक खूंखार आतंकी को ही उसके किए की सजा मिलना सुनिश्चित नहीं हुआ, बल्कि भारतीय राजनीति का घिनौना चेहरा भी नए सिरे से सामने आ गया। बाटला हाउस एनकाउंटर में दिल्ली पुलिस ने जिन आतंकियों को मार गिराया था, उनको लेकर देश की राजनीति गरम रही है। यह मुठभेड़ 2009 के लोकसभा और उसके आसपास हुए विधानसभा चुनावों का मुद्दा बना था। 13 सितम्बर 2008 के सीरियल ब्लास्ट से जुड़े आतंकियों के बाटला हाउस में छिपे होने की जानकारी मिली थी। पुलिस ने पाया कि आरिज खान समेत पांच लोग छिपे हैं, 19 सितम्बर 2008 को एनकाउंटर में दो आतंकी तो मारे गए पर तीन फरार हो गए। इसी एनकाउंटर में दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल के इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा शहीद हो गए। 2008 में दिल्ली में हुए बम धमाकों में शामिल आरिज खान को अदालत द्वारा दोषी करार देने के साथ ही यह साफ हो चुका है कि दिल्ली पुलिस की जांच और कार्रवाई सही थी। अडिशनल सेशन जज संदीप यादव ने आरिज खान को आईपीसी धारा 186 (सरकारी कर्मचारी के काम में बाधा डालना), 333 (सरकारी कर्मचारी को अपनी जिम्मेदारी निभाने से रोकना और गंभीर चोट पहुंचाना), 353, 302 (हत्या), 307 (हत्या की कोशिश) इत्यादि धाराओं का दोषी पाया। अदालत ने साफ कहा कि यह साबित हो गया है कि आरिज खान ने अपने सहयोगी के साथ मिलकर पुलिस को चोट पहुंचाई। अभियुक्त ने जानबूझ कर और स्वेच्छा से बंदूक की गोली से इंस्पेक्टर की हत्या कर दी। आरिज भगोड़ा घोषित किए जाने के बावजूद अदालत में पेश नहीं हुआ। बाटला हाउस एनकाउंटर में दो आतंकी मारे गए थे और उनसे लड़ते हुए जांबाज इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा वीर गति को प्राप्त हो गए थे। मारे गए आतंकी इंडियन मुजाहिद्दीन के गुर्गे थे और वह देश के अनेक हिस्सों में बम विस्फोट करने के लिए जिम्मेदार थे, लेकिन उन्हें ठिकाने लगाए जाने पर संतोष व्यक्त किए जाने और पुलिस इंस्पेक्टर के सर्वोच्च बलिदान का स्मरण किए जाने के बजाय रोना-धोना शुरू कर दिया गया। आतंकियों के लिए आंसू बहाने में अग्रणी थी कांग्रेस। उसके साथ अन्य राजनीतिक दल भी इस मुठभेड़ को फर्जी करार दे रहे थे। दुखद बात तो यह थी कि कुछ लोग यहां तक आरोप लगाने लगे कि इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा को उन्हीं के लोगों ने मारा है। हालांकि तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री पी. चिदंबरम इस मुठभेड़ को सही बता रहे थे, लेकिन कांग्रेस के ही कई वरिष्ठ नेता उनकी भी सुनने को तैयार नहीं थे। अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा रिकॉर्ड पर लाए गए सुबूतों में कोई संदेह नहीं है कि अभियोजन पक्ष ने सभी उचित संदेह से परे मामले को साबित कर दिया है और अभियुक्त को दोषी ठहराया जाता है। यह साबित हो गया कि आरोपी आरिज खान ने अपने सहयोगी के साथ मिलकर लोक सेवक (पुलिस) को चोट पहुंचाई। अभियुक्त ने जानबूझ कर और स्वेच्छा से बंदूक की गोली से इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की हत्या कर दी। यह साबित हो गया है कि आरोपी आरिज खान गोलीबारी के दौरान भागने में सफल रहा और भगोड़ा घोषित होने के बावजूद अदालत में पेश नहीं हुआ। अंतत 13 साल बाद ही सही इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की आत्मा को संतुष्टि जरूर मिली होगी कि उनके साथ इंसाफ हुआ और सारे फिजूल के आरोप गलत साबित हुए।

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