Tuesday 23 March 2021

राजस्थान में फोन टेपिंग को लेकर सियासी तकरार

राज्यसभा में शुक्रवार को राजस्थान के कथित फोन टेपिंग मामले को लेकर जमकर हंगामा हुआ। शून्यकाल में भाजपा सदस्य भूपेंद्र यादव ने इस मुद्दे को उठाया और कहा कि यह इंडियन टेलीग्राफ एक्ट का खुला उल्लंघन है। इस पर तुरन्त रोक लगाई जानी चाहिए। राजस्थान सरकार पर लगाए गए इन आरोपों से कांग्रेस बिफर गई और जमकर हंगामा किया। आखिर में सभापति की ओर से व्यवस्था देने के बाद मामला शांत हुआ। फोन टेपिंग मामला आखिर है क्या? पिछले साल जुलाई-अगस्त महीने में राज्य के कुछ प्रतिनिधियों ने फोन टेप किए जाने के आरोपों के बीच भाजपा विधायक कालीचरण सराफ ने अगस्त में आहूत विधानसभा सत्र में एक तारांकित सवाल किया था। पूछा था, क्या यह सही है कि विगत दिवसों में फोन टेप किए जाने के प्रकरण सामने आए हैं? यदि हां, तो किस कानून के अंतर्गत एवं किसके आदेश पर यह हुआ? इसका जवाब राज्य विधानसभा की वेबसाइट पर प्रकाशित हुआ। उसके अनुसार लोक सुरक्षा या लोक व्यवस्था के हित में या किसी ऐसे अपराध को प्रोत्साहित होने से रोकने के लिए जिससे लोक सुरक्षा या लोक व्यवस्था को खतरा हो टेलीफोन अंतर्विरोध (इंटरसेप्ट) भारतीय तार अधिनियम 1885 की धारा 5(2), भारतीय तार अधिनियम (संशोधित) नियम 2007 के नियम 419ए एवं सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 69 में वर्णित प्रावधान के अनुसार सक्षम अफसर की स्वीकृति उपरांत किया जाता है। राजस्थान से भाजपा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री राज्यवर्द्धन सिंह राठौड़ ने फोन टेपिंग को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के इस्तीफे की मांग की। उन्होंने इस विषय की सीबीआई से जांच कराने की मांग की है। सांसद ने कहा कि कांग्रेस सरकार एजेंसियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाती रही हैं, लेकिन राजस्थान में आम आदमी की फोन टेपिंग के लिए कानून का दुरुपयोग किया गया। यह राष्ट्रीय सुरक्षा उद्देश्यों के लिए या कोई आर्थिक अपराध रोकने के लिए नहीं किया गया, बल्कि राजनीतिक कारणों से किया गया था। इस पर राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जवाब देते हुए कहा कि बेवजह मुद्दे बनाकर विधानसभा की कार्रवाई को बाधित किया जा रहा है। राजस्थान विधानसभा में फोन टेपिंग को लेकर 14 अगस्त 2020 को ही पूरी बात रख चुका हूं। ऐसा लगता है कि यह भाजपा का आपसी झगड़ा है। वर्चस्व की लड़ाई है जिसमें बेवजह मुद्दे बनाए जा रहे हैं। भाजपा सदस्य ने राज्यसभा में कहा कि देश के संविधान के तहत कोई भी व्यक्ति किसी के निजी जीवन में दखल नहीं दे सकता है, जब तक उसके खिलाफ किसी तरह का कोई कानूनी मामला न हो, लेकिन राजस्थान में इसका खुला उल्लंघन हो रहा है। मैं राजस्थान से आता हूं भूपेंद्र यादव ने कहा। वहां के छह करोड़ नागरिकों, विपक्षी नेताओं, मीडिया और इसके साथ-साथ कांग्रेस पार्टी के कुछ नेताओं का दर्द यहां बयान करना चाहता हूं। वहां मुख्यमंत्री के ओएसडी द्वारा इन सभी के फोन टेप कराए गए हैं। उन्होंने पूछा कि यह कैसा शासन अब देश में चलाना चाहते हैं? इस मुद्दे को उठाते ही कांग्रेस भड़क गई। साथ ही भाजपा सदस्य के आरोपों को सदन की कार्रवाई से हटाने को लेकर अड़ गई। शोरशराबा बढ़ने पर सभापति ने दखल दिया और समझाने की कोशिश की कि उन्होंने कोई आरोप नहीं लगाया है, बल्कि वह कह रहे हैं कि असंतुष्ट नेता का फोन टेप हुआ है।

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