Tuesday, 16 March 2021

ममता पर जब-जब हमले हुए, उन्हें फायदा हुआ

ममता बनर्जी को नंदीग्राम में बुधवार को चोट लगने से पश्चिम बंगाल की सियासत गरमा गई है। ममता की टांग में चोट लगी है और अब वह प्लास्टर लगाकर व्हीलचेयर पर प्रचार करेंगी। तृणणूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी के चोट से घायल होने के बाद पार्टी की आक्रामक चुनाव रणनीति में सहानुभूति का कार्ड भी जुड़ गया है। पार्टी ममता की चोट के बहाने भाजपा की पूरे राज्य में जबरदस्त घेराबंदी करेगी। जानकारों का कहना है कि ममता की चोट उसके समर्थक खासकर महिलाओं में सहानुभूति पैदा कर सकती है। वैसे बता दें कि जब-जब ममता पर हमले हुए हैं तब-तब उन्हें फायदा हुआ है। छह अगस्त 1990 को सीपीआई (एम) के गुंडे लालू आलम ने ममता पर जानलेवा हमला किया था। तब वह यूथ कांग्रेस की लीडर थीं। उस घटना के बाद ममता कांग्रेस की फायर ब्रांड नेता के रूप में उभरी थीं। फिर 1993 में तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्योति बसु के सामने ही ममता को राइर्ट्स बिल्डिंग यानि सचिवालय के सामने से घसीट कर बाहर कर दिया गया था। इससे फिर वो हर जगह चर्चा में आ गई थीं। 2006-07 में नंदीग्राम-सिंगूर आंदोलन के वक्त भी उन पर हमलों की कोशिश हुई। नतीजा यह हुआ कि वो 2011 में सरकार में आ गईं। अब ममता एक बार फिर चोटिल हो गई हैं और उन्होंने कहा है कि वो व्हीलचेयर से ही प्रचार-प्रसार शुरू करेंगी। पहले की घटनाएं देखें तो लगता है कि जब-जब ममता पर अटैक हुआ तब-तब उन्हें फायदा हुआ। लेकिन इस बार का मामला थोड़ा अलग दिख रहा है। पश्चिम बंगाल के वरिष्ठ पत्रकार रयामलेदू मित्रा कहते हैं, ममता पर पहले जो हमले हुए उसमें और इस हमले में अंतर है। पहले वे विपक्ष में थीं। जो हमले हुए उनके कई गवाह भी थे। लेकिन इस बार वे सरकार में हैं और जिसे हमला बताया जा रहा है, उसका घटना का कोई साक्ष्य नहीं है। घटनास्थल पर मौजूद लोगों का ही कहना है कि यह एक एक्सीडेंट था, न कि हमला। वे कहते हैं कि इससे कितनी सहानुभूति मिलेगी, वह तो रिजल्ट ही बताएंंगे लेकिन ममता चर्चा में जरूर आ गई हैं। -अनिल नरेन्द्र

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