Wednesday, 17 March 2021
जेम्स बांड अंदाज में वैक्सीन की सुरक्षा
दुनियाभर में पैर पसार चुकी कोरोना महामारी से निपटने के लिए टीकाकरण चल रहा है। अब सबसे बड़ी चुनौती वैक्सीन पहुंचाने में लगी कंपनियों की है। वजह हैöडोज तेजी से पहुंचाने में ट्रक से लेकर रेल, एयरप्लेन और जहाज से वैक्सीन पहुंचाते समय चोरी या लूट की आशंका। बताया जा रहा है कि डोज लादने के बाद एक कार्गो सात करोड़ डॉलर (500 करोड़ रुपए तक) पहुंच गया है। शिपिंग कंपनियों ने डोज चोरी रोकने के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल शुरू किया है। कंपनियां अतिरिक्त कर्मचारियों की तैनाती के साथ 007 जैसे डिजिटल स्पाइक्राफ्ट (जासूसी ड्रोन) लगा रही है। नीदरलैंड की शिपिंग कंपनी एच एसर्स ने फाइजर वैक्सीन पहुंचाने के लिए अपने सबसे अनुभवी ड्राइवर्स को चुना है। वहीं मॉडर्ना और सिनोवैक पहुंचा रही स्विट्जरलैंड की कुहने+नेगल ने अपने वाहनों की सुरक्षा के लिए हथियारबंद जवानों का पहरा लगा दिया है। इसके साथ ही ट्रैकिंग टेक्नोलॉजी की मदद ले रही है। उधर जर्मन एयर कार्गो ट्रांसपोर्ट जीएमबीएच वैक्सीन लदे एक वाहन के परिवहन पर 2.2 करोड़ रुपए खर्च कर रही है। सुरक्षा के लिए उसने एक दर्जन मर्सिडीज लगाई हैं। कार्गो वाहनों के दरवाजों में अलार्म फिट किए गए हैं। अगर कोई अनजान इन दरवाजों को खोलता है तो उनसे घास काटने वाली मशीन जैसी 90 डेसीमल की कानफोड़ू आवाज का सामना करना होगा। कुछ कंपनियों ने तो प्लेनक्लोथ गार्ड और निगरानी वेन का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। एक कंपनी ने किलिंग स्विच लगवा दिया है। यूरोप में ट्रांसपोर्टेड एसेट प्रोटेक्शन के सीईओ ने बताया कि जब से वैक्सीन लगनी शुरू हुई है, तब से सुरक्षा सबसे बड़ी चुनौती है। इंटरपोल ने दिसम्बर में ही चेताया था कि वैक्सीन कार्गो को हथियार लैस अपराधी फिल्मी अंदाज में (जेम्स बांड अंदाज) लूट सकते हैं। दूसरा खतरा वैक्सीन विरोधी आतंकियों से है।
-अनिल नरेन्द्र
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