Wednesday 24 March 2021

इमरान के बाद अब जनरल बाजवा

पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने भारत के साथ रिश्तों को लेकर अचानक जो रुख बदला है और दोस्ती का हाथ बढ़ाने की बात की है अगर वह इस पर ईमानदार हैं तो यह अच्छी बात है और ऐसा होना भी चाहिए। पर जनरल बाजवा की बात पर यकीन करना इसलिए मुश्किल है क्योंकि भारत के खिलाफ जिस कट्टर रुख को पाक ने अपनाया हुआ है उसके सूत्रधार भी यही जनरल बाजवा हैं। पिछले कुछ समय में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भी इसी तरह की बातें करके यह जताते रहे हैं कि दोनों देशों के बीच अच्छे संबंध होने चाहिए। खास बात यह है कि जनरल बाजवा की तरफ से पिछले दो महीने में भारत से बातचीत की यह तीसरी पेशकश है। जनरल बाजवा ने यह पेशकश इस्लामाबाद में इस्लामाबाद डायलॉग नाम के आयोजन में की, जहां देश-विदेश के कई कूटनीतिक विशेषज्ञ व राजदूत उपस्थित थे। भारत-पाक के बीच पिछले महीने ही नियंत्रण रेखा पर संघर्षविराम की सहमति बनी है। इमरान खान ने पिछले दिनों कहा था कि अगर भारत पाकिस्तान के साथ शांतिपूर्ण संबंध बनाता है तो इसका उसे आर्थिक लाभ मिलेगा। भारत और पाकिस्तान के बीच दोस्ती से भारत को पाकिस्तान भूभाग के रास्ते संसाधन बहुल मध्य एशिया में सीधे पहुंचने में मदद मिलेगी। इमरान खान ने जब सत्ता संभाली थी तब भी वह बढ़चढ़ कर ऐसी बातें करते थे और मौका मिलते ही यह कहने से नहीं चूकते थे कि रिश्तों की बढ़ोत्तरी के लिए अगर भारत एक कदम आगे बढ़ेगा तो पाकिस्तान दो कदम बढ़ाएगा लेकिन वह अपने वादों और दावों पर कितने खरे उतरे, यह किसी से छिपा नहीं है। सवाल यह है कि आखिर पाकिस्तान का अचानक से हृदय परिवर्तन कैसे हो गया, क्यों उसे लगने लगा कि पड़ोसी देश भारत के साथ दोस्ताना रिश्ते रखने चाहिए? क्या दुनिया के सामने अपनी धूमिल छवि को साफ करने के लिए वह ऐसा कर रहा है या फिर वह किसी के दबाव में इस रणनीति पर चल रहा है? बता दें कि पाकिस्तान की पिछली सरकारें भी शांति की बातें करती रही हैं। उसके बाद पुलवामा हमला हो गया, आए दिन कश्मीर में पाक समर्थक आतंकी संगठन हमले करते रहते हैं। भारत-पाकिस्तान के बीच सबसे बड़ा मुद्दा पाक प्रायोजित आतंकवाद है। इनकी जमीन पर, इनकी मदद से आतंकी संगठन फल-फूल रहे हैं। भारत बार-बार इन आतंकी गुटों की हरकतों के सुबूत देता रहा है पर पाकिस्तान ने हमेशा इनको टाल दिया है। यह कोई छिपी बात नहीं है कि लंबे समय से पाकिस्तान भारत को गहरे जख्म देता रहा है। ऐसे में अगर वह शांति की दुहाई देने लगे तो संशय पैदा होना लाजिमी है। आखिर भारत कैसे भूल सकता है पुलवामा की घटना को या संसद भवन से लेकर मुंबई तक कराए गए आतंकी हमलों को। इन सब हमलों के आरोपी आज भी पाकिस्तान में सेना और आईएसआई के संरक्षण में मौज काट रहे हैं। भारत ने सभी के खिलाफ पाकिस्तान को पुख्ता सुबूत दिए, लेकिन किसी के खिलाफ भी पाकिस्तान ने आज तक कोई सख्त कार्रवाई नहीं की, न ही हमलों के आरोपियों को भारत के हवाले ही किया। ऐसे में पाकिस्तान कैसे यह कल्पना कर रहा है कि भारत सारी पिछली बातों को भूलकर अब आगे बढ़े और उसके साथ अच्छे रिश्ते बनाए? घरेलू मोर्चे पर इमरान सरकार पहले ही संकटों में घिरी है। विपक्षी दलों के प्रदर्शन ने सरकार की नींद उड़ा रखी है। अर्थव्यवस्था का भट्ठा बैठ चुका है। शायद इसीलिए अब जनरल कमर जावेद बाजवा को भारत के साथ अच्छे रिश्तों का इल्म हुआ लगता है।

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