Thursday, 25 March 2021

संघ में वक्त के साथ बदलाव के संकेत

उम्मीद के अनुरूप जब दत्तात्रेय होसबोले को आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) का सरकार्यवाह चुना गया तो इसे स्वाभाविक निर्णय ही माना गया। वह पिछले एक दशक से भी अधिक समय से इस पद पर कायम मौजूदा सर कार्यवाह भैयाजी जोशी की जगह लेंगे। लेकिन इस स्वाभाविक निर्णय के पीछे भी संघ को वक्त के साथ खुद को एडजस्ट करना और आने वाली चुनौतियों और बदलाव के साथ खुद को तैयार करने के दिशा में एक निर्णायक कदम माना जा रहा है। होसबोले को करीब से जानने वाले लोग मानते हैं कि उनकी नियुक्ति से संघ के लिए अभी दो अहम मोर्चों पर लाभ मिलेगा। होसबोले को वैचारिक स्तर पर व्यापक माना जाता है। उन्हें संघ का प्रोग्रेसिव चेहरा भी माना जाता है। वे नई सोच के साथ सामंजस्य करके आगे बढ़ने की हिमायती रहे हैं। लंबे समय तक छात्र संगठन के साथ काम करने के लिए उन्हें युवाओं की सोच के बारे में भी नजदीक से पता है दरअसल नई पीढ़ी के साथ बेहतर कनेक्ट और संवाद के लिए संघ पिछले कुछ समय से युवाओं के बीच भी कई कोशिश कर रहा है। संघ का मानना है कि उसे आधुनिकरण या ग्लोबल चीजों से परहेज नहीं है। जब तक कि वह हमारे मूल्यों पर अतिक्रमण नहीं करें। संघ को लगता है कि अब इसलिए संगठन के शीर्ष पर ऐसे नेतृत्व की जरूरत है जो संतुलन बनाकर जनरेशन बदलाव को स्वीकार भी करे और अपने मूल्यों को भी। इसलिए होसबोले मौजूदा समय में सबसे बेहतर विकल्प माने जाते हैं। वह उग्र हिंदुत्व की अवधारणा को खारिज करते रहे हैं। ऐसे में जनरेशन बदलाव के लिए होसबोले सबसे बेहतर विकल्प माने जाते थे। वहीं होसबोले के संघ के सीईओ पद पर जाने के बाद बीजेपी और सरकार के साथ समन्वय और बेहतर होने की उम्मीद है। होसबोले के पीएम नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के साथ भी बेहतर संबंध हैं। साथ ही जबसे नरेन्द्र मोदी देश की राजनीति के धुरी बने हैं, तब से संघ को भी पता है कि आज की तारीख में जितनी जरूरत सरकार-बीजेपी को उनकी है, उतनी ही जरूरत संघ को मोदी की है। 2014 में जबसे बीजेपी की अगुवाई वाली सरकार बनी है तब से लगभग हर मामले पर संघ सरकार के बीच तालमेल ठीक रहा है। इसके पीछे अटल सरकार में मिली सीख भी है, जब संघ और बीजेपी के बीच रिश्ते बाद में उतने बेहतर नहीं रहे, जिसका नुकसान 2004 में उठाना पड़ा। ऐसे में संघ ने शीर्ष पर ऐसे व्यक्ति को सामने रखा जो इस संतुलन को और मजबूत बनाने में मददगार ही साबित होंगे। सूत्रों के अनुसार होसबोले अब बीजेपी-आरएसएस कोअर्डिनेशन देखने के लिए नई टीम बनाएंगे। इसमें वह अपने करीबियों को जगह दे सकते हैं। -अनिल नरेन्द्र

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