Saturday, 27 March 2021
परमबीर के आरोप गंभीर हैं
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि इस बात में कोई संदेह नहीं है कि मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह द्वारा अपनी याचिका में महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ उठाए गए मुद्दे अत्यंत गंभीर हैं। गृहमंत्री अनिल देशमुख के घर के बाहर लगे सीसीटीवी फुटेज को जब्त कर उसकी जांच करवाने की मांग परमबीर ने अपनी याचिका में की। परमबीर ने कहा कि अगर उनके आरोपों की जल्द जांच नहीं की गई तो हो सकता है कि अनिल देशमुख सभी सुबूतों को मिटा दें और सीसीटीवी फुटेज को डिलीट कर दें। अनिल देशमुख ने फरवरी में अपने आवास पर कई मीटिंग की। मुंबई क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट (एमसीआईयू) के इंस्पेक्टर सचिन वाजे भी इसमें शामिल हुए थे। उस दौरान गृहमंत्री अनिल देशमुख ने वाजे को होटल, बार और रेस्टोरेंट से हर महीने 100 करोड़ रुपए की उगाही करने को कहा था। 24-25 अगस्त 2020 को राज्य खुफिया विभाग की इंटेलिजेंस कमिश्नर रश्मि शुक्ला ने डीजीपी को अनिल देशमुख की ओर से ट्रांसफर पोस्टिंग में किए जा रहे भ्रष्टाचार की जानकारी दी थी। डीजीपी ने यह जानकारी गृह मंत्रालय में एडिशनल चीफ सैक्रेटरी को दी थी। यह जानकारी टेलीफोन पर हुई बातचीत को रिकॉर्ड कर जुटाई गई थी। न्यायमूर्ति संजय कौल और न्यायमूर्ति आरएस रेड्डी की पीठ ने परमबीर सिंह को अपनी शिकायत लेकर बंबई उच्च न्यायालय जाने की छूट प्रदान कर दी। शीर्ष अदालत ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह मामला अत्यंत गंभीर है लेकिन याचिकाकर्ता को बंबई उच्च न्यायालय जाना चाहिए। सिंह का पक्ष रखने के लिए अदालत में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि वह आज ही बंबई हाई कोर्ट में याचिका दायर करेंगे। पीठ ने रोहतगी से कहा कि दो प्राथमिक सवाल हैंöपहला यह कि अनुच्छेद 32 के तहत शीर्ष अदालत में याचिका क्यों दायर की गई है और याचिकाकर्ता ने अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालय से सम्पर्क क्यों नहीं किया? दूसरा सवाल यह है कि सिंह ने अपनी याचिका में राज्य के गृहमंत्री को पक्ष क्यों नहीं बनाया है? रोहतगी ने कहा कि वह देशमुख को मामले में पक्ष बनाएंगे और इस संबंध में आवेदन तैयार है। उन्होंने कहा कि यह गंभीर मामला है जिसने राज्य के प्रशासन को प्रभावित किया है। पीठ ने कहा कि अदालत का मत है कि याचिकाकर्ता को उच्च न्यायालय से सम्पर्क करना चाहिए और यदि वह मामले में किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच करवाना चाहते हैं तो उच्च न्यायालय इस मुद्दे को भी देख सकता है। रोहतगी ने कहा कि वह आज ही उच्च न्यायालय से सम्पर्क करेंगे और शीर्ष अदालत उच्च न्यायालय से मामले को कल देखने के लिए कह सकती है। उन्होंने कहा कि सीसीटीवी फुटेज के रूप में सुबूत हैं जो एटीएस के कब्जे में हैं जिसने इन्हें राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) को नहीं सौंपा है। एनआईए उद्योगपति मुकेश अंबानी के मुंबई स्थित घर के बाहर 25 फरवरी को मिली एसयूवी से संबंधित मामले की जांच कर रही है जिसमें विस्फोटक सामग्री रखी गई थी। 1988 बैच के अधिकारी परमबीर सिंह ने अदालत से मुंबई पुलिस आयुक्त पद से हटाने को भी रद्द करने का भी अनुरोध किया था। उनका आरोप है कि यह आदेश मनमाना और गैर-कानूनी है।
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