Wednesday 3 March 2021

किसान टस से मस नहीं, आंदोलन लंबा खिंचने के संकेत

प्रदर्शनकारी किसानों ने वार्ता के लिए कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के डेढ़ साल कृषि कानून स्थगित रखने और संयुक्त समिति के जरिये विवाद सुलझाने के प्रस्ताव को यह कहकर अस्वीकार कर दिया है कि इसमें कुछ नया नहीं है। अब प्रमुख नेता पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु के चुनाव में जाकर नारा लगाएंगे कि कृषि कानून के हिमायतियों को हटाओ। नए कृषि कानूनों के विरोध में तीन महीने से ऊपर आंदोलन कर रहे किसान अब भी अपनी मांगों पर अड़े हैं। बॉर्डरों पर डटे किसानों का कहना है कि वह यहीं होलिका दहन भी करेंगे और होली भी मनाएंगे। ऐसे में आंदोलन और लबा खिंचता दिखाई दे रहा है। किसान नेताओं का कहना है कि चाहे जितना समय लग जाए, किसान बगैर अपनी मांगों के मनवाए लौटेंगे नहीं। वहीं अब आंदोलन का केंद्र टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर बन गया है। टिकरी बॉर्डर पर अब किसानों की संख्या में इजाफा और गर्मी को ध्यान में रखते हुए बड़े-बड़े पंडाल लगाए जा रहे हैं ताकि किसानों को गर्मी से कोई परेशानी न हो। हालांकि गाजीपुर व सिंघु बॉर्डर पर पहले की तरह भीड़ नहीं है, जो किसान यहां आ रहे हैं वह दो-तीन दिन रुकने के बाद वापस लौट रहे हैं। लेकिन किसानों के आने का सिलसिला लगातार जारी है। होली तक किसानों की भारी भीड़ एकत्रित करने के संबंध में किसान संगठनों में मंथन शुरू हो गया है। इसके लिए गांवों के किसानों से सम्पर्क कर रहे हैं। किसान संगठनों के रेल रोको कार्यक्रम के बाद से दिल्ली पुलिस की ओर से सुरक्षा के चाक-चौबंद इंतजाम किए गए हैं। सुरक्षा बल गश्त भी कर रहे हैं। उधर आंदोलन के चलते यातायात व्यवस्था भी प्रभावित है। इसलिए यातायात पुलिस ने लोगों को जाम वाले मार्गों का इस्तेमाल करने से बचने की सलाह दी है। गाजीपुर बंद है। ऐसे में लोगों को आनंद विहार, चिल्ला, डीएनडी, अप्सरा, भोपुरा और लोनी बॉर्डर का इस्तेमाल करने की सलाह दी गई है। आंदोलनकारियों ने अपने आंदोलन को आगे बढ़ाने और बल देने हेतु महापंचायतों का सिलसिला शुरू कर दिया है। इससे भाजपा में हलचल बढ़ गई है। जमीन पर इन कोशिशों का जवाब जमीनी तौर पर ही देने की तैयारी भाजपा कर रही है। हालांकि पार्टी में एक वर्ग में बेचैनी है कि जाट बेल्ट में इस आंदोलन का असर पड़ने से 40-45 लोकसभा सीटों पर नुकसान हो सकता है। इसी बीच आंदोलनकारी किसान नेताओं ने चार जाट बहुल क्षेत्रों के अलावा बंगाल सहित अन्य राज्यों में भी महापंचायतों की तैयारी कर ली है। राकेश टिकैत ने भी बंगाल में एक महापंचायत करने का ऐलान किया है। सूत्रों के अनुसार भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृहमंत्री अमित शाह ने इस मसले पर लंबी चर्चा की। उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान आदि के सांसदों, विधायकों और अन्य अहम नेताओं से फीडबैक लिया गया है। बैठक में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, राज्यमंत्री संजीव बालियान और अन्य नेता भी मौजूद थे। फीडबैक भी अलग-अलग तरह का है। सूत्र का कहना था कि एक भाजपा नेता ने कहा कि लाल किले की घटना से और देश विरोधी तार जुड़ने के खुलासे से आम किसान आंदोलन से दूर हो गए हैं। एक अन्य नेता का कहना था कि स्थिति को यहीं नहीं संभाला गया तो खासकर जाट बेल्ट में नुकसान हो सकता है। हालांकि हरियाणा में गैर-जाट सीएम होने की लंबी नाराजगी अब भी वहां सरकार को नहीं गिरा पाई है? दूसरी तरफ भाजपा में एक ऐसा वर्ग भी है जो मामले को जल्द सुलटाने की वकालत कर रहा है ताकि इससे उबरे नुकसान को कंट्रोल किया जा सके।

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