Thursday 25 March 2021

जब्त हो सकती है भारतीय संपत्तियां

ब्रिटेन की तेल कंपनी केयर्न एनर्जी पीएलसी ने कहा कि उसने विदेशों में भारतीय संपत्तियों को चिन्हित किया है जिसे वह भारत सरकार की ओर से 1.7 अरब डालर की राशि नहीं लौटाए जाने पर जब्त कर सकती है। एक अंतर्राष्ट्रीय न्यायालीकरण ने पूर्व की स्थिति से की गई कर मांग को निरस्त करते हुए भारत सरकार से 1.7 अरब डालर केयर्न एनर्जी को लौटाने को कहा है। केयर्न ने 2020 की सालाना आय से जुड़े बयान में कहा कि कंपनी को भरोसा है कि जो फैसला आया है, उसे बातचीत के जरिए या फिर भारतीय संपत्तियों को जब्त कर लागू कराया जाएगा। कंपनी ने फैसले को पंजीकृत कराने और उसे मान्यता प्रदान करने के लिए नौ देशों की अदालतों का दरवाजा खटखटाया है। उसने कहा कि न्यायाधिकरण ने आम संपत्ति सहमति यह आदेश दिया कि भारत ने केयर्न के मामले में ब्रिटेन-भारत द्विपक्षीय निवेश संधि के तहत अपनी बाध्यताओं को तोड़ा है और 1.2 अरब डालर के साथ ब्याज तथा लागत का भुगतान करने को कहा। इसके तहत कुल बकाया साल के अंत तक 1.7 अरब डालर था। कंपनी ने कहा कि उसने फैसले को अमल में लाने के लिए भारत सरकार के साथ प्रत्यक्ष रूप से बातचीत की है। इसे भारत की 160 से अधिक देशों में संपत्ति जब्त करके भी लागू किया जा सकता है जिसने विदेशी न्यायाधिकरण के आदेश को मान्यता देने एवं प्रवर्तन के लिए 1950 के न्यूयार्क कन्वेंशन को मंजूरी दी हुई है और हस्ताक्षर किया है। बयान में कहा गया है कि केयर्न ने उन प्रमुख देशों में आदेश को मान्यता प्रदान करने के इरादे से कदम उठाया है, जहां संपत्ति की पहचान की गई है। इससे पहले, एजेंसी ने 8 मार्च को खबर दी थी कि नीदरलैंड के तीन सदस्यीय स्थाई मध्यस्थता न्यायाधिकरण के 21 दिसंबर के निर्णय को अमेरिका, ब्रिटेन, नीदरलैंड, कनाडा और फ्रांस की अदालतों ने मान्यता दी है। अब तक भारत सरकार ने सीधे तौर पर केयर्न मामले में फैसले को चुनौती देने या उसका सम्मान करने को लेकर कोई प्रतिबद्धता नहीं जताई है। हालांकि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपील करने का संकेत दिया है। न्यायाधिकरण ने 21 दिसंबर को अपने आदेश में कहा था कि सरकार ने ब्रिटेन के साथ निवेश संधि का उल्लंघन किया है। अत 10,207 करोड़ रुपए की कर मांग को लेकर कंपनी के जो शेयर उन्होंने जब्त किए और बेचे, लाभांश और कर वापसी जो भी जब्त किए उसे लौटाने की जवाबदेही है। सरकार के पास केयर्न मामले में अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाकीकरण के फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए अप्रैल मध्य तक का समय है। मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने सरकार को ब्रिटेन की केयर्न एनर्जी पीएलसी को 1.2 अरब डालर और ब्याज तथा लागत आदि लौटाने को कहा है। हालांकि इस आदेश की सिर्फ प्रक्रिया का अनुपालन नहीं हुआ आदि जैसे सीमित आधार पर ही चुनौती दी जा सकती है। हेग की स्थानीय मध्यस्थता अदालत में तीन सदस्यीय न्यायाधिकरण की पीठ ने केयर्न एनर्जी के खिलाफ सरकार को 10,247 करोड़ रुपए के कर दावे को खारिज कर दिया था। अदालत ने सरकार को कंपनीज के बेचे गए शेयर, जब्त लाभांश तथा रोके गए कर रिफंड को लौटाने को कहा था। घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले दो लोगों के अनुसार यह पंचनिर्णय 8 जनवरी को नीदरलैंड में पंजीकृत हुआ। भारत ने 19 जनवरी को इसके पंजीकरण पर स्वीकारोक्ति दी। इस फैसले के 90 दिन के अंदर अपील की जा सकती है।

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