Wednesday, 31 March 2021

क्या महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे सरकार गिरने वाली है?

महाराष्ट्र में उद्योगपति मुकेश अंबानी के निवास एंटीलिया केस के आरोपी सचिन वाजे के राज्य के गृहमंत्री अनिल देशमुख से रिश्तों पर राज्य की सियासत गरमा गई है। इस बीच उद्धव सरकार के सहयोगी राकांपा के दो बड़े नेताओं की गुजरात यात्रा ने सरकार की नींद उड़ा दी है। खबर यह है कि शरद पवार और प्रफुल्ल पटेल ने अहमदाबाद में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से आधी रात के बाद मुलाकात की। शाह की पवार से मुलाकात को महाराष्ट्र में सरकार चला रही महाविकास अघाड़ी के लिए खतरे की घंटी माना जा रहा है। इस मुलाकात पर शाह ने यह कहकर सस्पेंस और बढ़ा दिया कि हर बात सार्वजनिक नहीं की जाती। इससे सियासी जानकार कयास लगा रहे हैं कि महाराष्ट्र में जल्द उलटफेर हो सकता है। बताते हैं कि अहमदाबाद में भाजपा के करीबी कारोबारी के यहां शरद पवार और प्रफुल्ल पटेल की अमित शाह के साथ बैठक हुई। रविवार को प्रेस कांफ्रेंस के दौरान जब अमित शाह से पूछा गया कि आप कल अहमदाबाद में थे और बताया जा रहा है कि वहां आपकी शरद पवार और प्रफुल्ल पटेल से मुलाकात भी हुई है। इस पर शाह ने जवाब दिया कि यह सब चीजें सार्वजनिक नहीं होती हैं। इधर शिवसेना ने भी रविवार को अपने मुखपत्र सामना के जरिये देशमुख पर निशाना साधा। संजय राउत ने सामना में लिखे अपने लेख में पूछा कि आखिर सस्पेंड पुलिस अधिकारी सचिन वाजे की वसूली की जानकारी गृहमंत्री को कैसे नहीं हुई? उन्होंने गृहमंत्री अनिल देशमुख को एक्सीडेंटल मिनिस्टर बताते हुए उन्हें नसीहत भी दे डाली। साथ ही विपक्ष को भी जता दिया कि लाख कोशिश कर लो महाविकास अघाड़ी की सरकार नहीं गिरेगी। लेख में आगे कहा गया कि गृहमंत्री अनिल देशमुख ने कुछ वरिष्ठ अधिकारियों से बेवजह पंगा लिया। गृहमंत्री को कम से कम बोलना चाहिए। बेवजह कैमरे के सामने जाना और जांच के आदेश जारी करना अच्छा नहीं है। ‘सौ सुनार की एक लोहार की’ ऐसा बर्ताव गृहमंत्री का होना चाहिए। पुलिस विभाग का नेतृत्व सिर्फ सैल्यूट लेने के लिए नहीं होता। वह प्रखर नेतृत्व देने के लिए होता है। राउत ने आगे लिखा कि राकांपा के सीनियर नेताओं जयंत पाटिल और दिलीप कल्से पाटिल ने गृहमंत्री का पद लेने से इंकार कर दिया था। इसलिए शरद पवार ने अनिल देशमुख को गृहमंत्री बना दिया। आज मौजूदा सरकार के पास डैमेज कंट्रोल की कोई योजना नहीं है। संदिग्ध व्यक्ति के घेरे में रहकर राज्य के गृहमंत्री पद पर बैठा कोई भी व्यक्ति काम नहीं कर सकता है। पुलिस विभाग पहले ही बदनाम है। उस पर इतने सारे आरोपों से संदेह बढ़ता है। वहीं राउत के लेख पर महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम और शरद पवार के भतीजे अजीत पवार ने नाराजगी जताई है। पवार ने कहा कि महाविकास अघाड़ी सरकार के प्रमुख नेताओं को इस तरह के बयान देकर सरकार को मुश्किल में लाने का काम नहीं करना चाहिए। एनसीपी नेता अजीत पवार ने पुणे के बारामती शहर में पत्रकारों से कहा कि मंत्री पद का आबंटन एक गठबंधन में हर सत्ताधारी दल के प्रमुख का विशेषाधिकार होता है। इधर महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और राकांपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता नवाब मलिक ने पार्टी प्रमुख शरद पवार और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बीच मुलाकात का रविवार को खंडन किया। मलिक ने आरोप लगाया कि इस तरह की बातें करके भ्रम पैदा करना भाजपा का तरीका है। उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से झूठी जानकारी है जो कुछ लोगों ने भ्रम पैदा करने के लिए जानबूझ कर फैलाई है। भाजपा कुछ भ्रम पैदा करना चाहती है, ऐसी कोई मुलाकात नहीं हुई है। शरद पवार का अमित शाह से मिलने का कोई कारण नहीं है। राजनीति में ऐसे खंडन आते ही रहते हैं पर इतना जरूर लगता है कि अंदरखाते शरद पवार और अमित शाह के बीच खिचड़ी जरूर पक रही है।

पांच माह में मिल गया बेटी को इंसाफ

हत्याकांड के महज पांच माह में ही फरीदाबाद की निकिता को इंसाफ मिल गया। फैसले के जल्दी आने का कारण मामले की सुनवाई केवल फास्ट ट्रैक में होना ही नहीं है। इसके कई पहलू हैं, जिस कारण जल्द से जल्द आरोपियों को सजा सुनाई जा सकी है। 26 अक्तूबर 2020 को तौसीफ ने निकिता की गोली मारकर हत्या कर दी थी। कुछ घंटों बाद ही हरियाणा क्राइम ब्रांच डीएलएफ ने आरोपी को सोहना से काबू कर लिया। इसके अगले दिन उसका साथी भी नूंह से पकड़ लिया गया। एसआईटी ने मात्र 11 दिन में ही दिन-रात मेहनत कर 700 पेज की चार्जशीट तैयार कर कोर्ट में दाखिल कर दी। चार्जशीट को तैयार करने के बाद एनआईए के चीफ रहे वरिष्ठ आईपीएस अलोक मित्तल, डिस्ट्रिक अटॉर्नी, वरिष्ठ अधिवक्ता और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने गहनता से उसका अध्ययन किया। शुरुआत में पुलिस द्वारा 64 गवाह बनाए गए थे। इसके बाद 10 गवाह और जोड़े, लेकिन मामले को जल्द निपटाने के लिए मात्र 57 गवाहों के बयान दर्ज किए गए। अदालत ने दोषी तौसीफ को धारा 302 व 34 के तहत उम्रकैद तथा 20 हजार रुपए जुर्माना, धारा 36 व 511 में पांच साल कैद व दो हजार जुर्माना, धारा 27 आर्म्स एक्ट में चार साल कैद व दो हजार जुर्माना, धारा 120बी में पांच साल कैद व दो हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। उसके साथी रेहान को 27 आर्म्स एक्ट के अलावा बाकी सभी धाराओं में तौसीफ के बराबर का दोषी मानते हुए उम्रकैद व 26 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। बी.कॉम कर निकिता के अपहरण में विफल रहने पर तौसीफ और रेहान ने कॉलेज के सामने दिनदहाड़े गोली मारकर उसकी हत्या कर दी थी। अभियोजन पक्ष ने मामले को दुलर्भ से दुलर्भ तय श्रेणी (रेयरेस्ट ऑफ रेयर) में रखने की अपील करते हुए दोषियों को फांसी का सजा देने की मांग की। वहां बचाव पक्ष ने लगभग 12 मामलों का जिक्र करते हुए केस को सामान्य अपराध की श्रेणी में रखते हुए उन्हें फांसी की सजा नहीं देने का आग्रह किया। अदालत ने बुधवार को इन्हें दोषी करार देते हुए सजा पर फैसला 26 मार्च के लिए सुरक्षित रख लिया था, जबकि इन्हें हथियार उपलब्ध करवाने वाले तीसरे आरोपी अजहरुद्दीन को बरी कर दिया था। दोनों पक्षों के वकीलों की सुनवाई और जिरह के बाद न्यायाधीश सरताज बसवाना ने दोपहर साढ़े तीन बजे तक कार्रवाई स्थगित कर दी। हालांकि बाद में दोपहर साढ़े तीन बजे का समय बदलकर चार बजे रख दिया। इसके एक मिनट बाद दोषियों को उम्रकैद और जुर्माने की सजा सुना दी। हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज व निकिता के मां-बाप इस फैसले से संतुष्ट नहीं हैं। गृहमंत्री अनिल विज निकिता के हत्यारों को उम्रकैद की सजा से नाखुश हैं। सरकार फास्ट ट्रैक कोर्ट के फैसले का अध्ययन कर रही है। हत्यारों को फांसी दिलाने के लिए सरकार हाई कोर्ट जाएगी। उन्होंने कहा कि दोषियों के लिए हर कोई मृत्युदंड से कम सजा नहीं चाहता। ऐसे मामलों में सजा संबंधी फैसले समाज के लिए नजीर बनने चाहिए। निकिता की मां विजयवती व पिता मूलचन्द तोमर का कहना है कि जब तक उनकी बेटी के हत्यारों को फांसी की सजा नहीं मिल जाती, तब तक वह सुकून से नहीं रह सकते। इसे लेकर वह सुप्रीम कोर्ट तक का दरवाजा खटखटाएंगे। हमारी बेटी को इंसाफ नहीं मिला है। दोषियों को फांसी होनी चाहिए।

स्वेज नगर में फंसे पोत को निकालना चुनौती है

मिस्र की स्वेज नहर में फंसे 400 मीटर लंबे मालवाहक पोत (द एवर ग्रीन कंटेनर शिप) को निकालने के लिए लगातार एक हफ्ते से कोशिश जारी है। अधिकारियों ने कहा कि 2.20 लाख टन वजनी पोत को निकालने में कई हफ्ते लग सकते हैं। इस मालवाहक जहाज के अटकने के पीछे तकनीकी या मानवीय त्रुटि भी हो सकती है। स्वेज नहर प्राधिकरण के प्रमुख ओसामा रैबी ने शनिवार को यह बात कही। कंटेनर शिप के फंसने से स्वेज नहर से एक हफ्ते से आवागमन बंद है। 320 से अधिक जहाज इस जलमार्ग से निकलने का इंतजार कर रहे हैं। मिस्र के प्रधानमंत्री मुस्तफा मदबौली ने घटना को अप्रत्याशित बताया है। प्रेस कांफ्रेंस में ओसामा रैबी से यह पूछे जाने पर कि कब तक इसको निकाल लिया जाएगा, रैबी ने कहा कि यह इस पर निर्भर करता है कि जहाज पर हवा का क्या प्रभाव पड़ता है। इस अभियान में 10 शक्तिशाली नौकाओं की मदद ली जा रही है। जहाज के बड़े आकार और उस पर बड़ी संख्या में कंटेनर लदे होने से परेशानी आ रही है। ज्वार आने के बाद पानी का स्तर कम होने पर निकालने की योजना बनाई गई है। स्वेज नहर बंद होने से मिस्र को प्रतिदिन करीब एक अरब रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है। अमेरिका की बिडेन सरकार ने मिस्र को मदद की पेशकश करते हुए कहा है कि उसके पास इस तरह की स्थितियों से निपटने के लिए न केवल क्षमता है बल्कि जरूरी उपकरण भी हैं, जो दूसरे देशों के पास नहीं हैं। नीदरलैंड की कंपनी बोस कलिस को भी जहाज निकालने में लगाया गया है। बता दें कि इस जहाज की लंबाई 1300 फुट या फुटबॉल के चार मैदान के बराबर है। बता दें कि स्वेज नहर भू-मध्य सागर को लाल सागर से जोड़ती है। इस मार्ग के जरिये एशिया और अफ्रीका घूमकर यूरोप नहीं जाने की जरूरत है। अगर शिप को जल्द न हटाया गया तो तेल-गैस का नया संकट खड़ा हो जाएगा। -अनिल नरेन्द्र

Sunday, 28 March 2021

क्या केजरीवाल मोदी का विकल्प बन सकते हैं?

दिल्ली के आम आदमी पार्टी (आप) के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बृहस्पतिवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि दिल्ली के अधिकारों के मामले में केंद्र सरकार ने जो बिल पास किया है, यह मोदी और भाजपा की असुरक्षा दर्शाता है। पूरे देश में केजरीवाल मॉडल की चर्चा हो रही है। अरविन्द केजरीवाल को लोग मोदी के विकल्प के रूप में देखने लगे हैं, इससे घबरा कर केजरीवाल के अच्छे काम करने से रोकने के लिए यह बिल लाया गया है। सिसोदिया ने कहा कि अगर कोई अच्छा काम कर रहा है तो उसके सामने और बेहतर काम करके लंबी लकीर खींचनी चाहिए, न कि उसकी लकीर को मिटाने की कोशिश करनी चाहिए। मनीष सिसोदिया ने कहा कि पिछले छह साल में दिल्ली में अभूतपूर्व काम हुआ है, दिल्ली के अस्पताल बहुत अच्छे हो गए हैं, हर इलाके में मोहल्ला क्लीनिक बन गए हैं। लोगों को 24 घंटे फ्री बिजली मिल रही है, दिल्लीवासियों को फ्री में साफ पानी मिल रहा है। पूरे देश में केजरीवाल मॉडल की खूब चर्चा हो रही है। पूरे देश में केजरीवाल मॉडल की डिमांड हो रही है और जब मोदी और भाजपा केजरीवाल मॉडल ऑफ गवर्नेंस से मुकाबला नहीं कर पा रहे तो इनके सामने एक ही रास्ता बचा है कि केजरीवाल को काम करने से रोको। केजरीवाल दिल्ली में राशन की होम डिलीवरी योजना ला रहे हैं, मगर केंद्र सरकार इसमें भी अड़ंगा लगा रही है। सिसोदिया ने कहा कि देश की जनता को अब पता चल गया है कि मोदी और भाजपा को अब केजरीवाल से डर लगने लगा है, अभी तक लोग पूछते थे कि मोदी नहीं तो कौन, मोदी के बाद कौन? अब लोगों को मोदी के विकल्प के तौर पर केजरीवाल मिल गए हैं।

दुस्साहस ः हिरासत से आरोपी को भगा ले गए बदमाश

राजधानी दिल्ली में बदमाशों का दुस्साहस इतना बढ़ गया है कि बदमाश जेल से अस्पताल में इलाज करवाने पहुंचे अपने साथी को पुलिस की आंखों में मिर्च झोंककर दिनदहाड़े छुड़ा ले गए। जीटीबी अस्पताल कैंपस में तकरीबन आठ बदमाश पुलिस से भिड़ गए और फायरिंग करते हुए दो लाख के इनामी कुलदीप मान उर्फ फज्जा (29) को ले गए। मुठभेड़ में एक बदमाश रवि ढेर हो गया, जबकि दूसरा जख्मी है। हरियाणा की मशहूर गायिका हर्षिता दहिया हत्याकांड में शामिल जितेंद्र उर्फ गोगी गैंग के बदमाश कुलदीप को पुलिस ने गुरुग्राम से गिरफ्तार किया था। दिल्ली पुलिस की तीसरी बटालियन के पांच जवान इलाज करवाने कुलदीप को मंडोली जेल से लाए थे। अस्पताल परिसर में 12ः30 बजे स्कॉर्पियो सवार बदमाशों ने पुलिसकर्मियों की आंखों में मिर्च झोंककर कुलदीप को छुड़ाने के लिए फायरिंग की। पुलिस ने भी जवाबी कार्रवाई की। इसमें रवि मारा गया और अंकुश घायल हो गया। गोलीबारी से मची अफरातफरी के बीच बाकी बदमाश कुलदीप को लेकर पैदल ही अस्पताल परिसर से बाहर चले गए। वहां बदमाशों ने एक युवक से बाइक लूटी और बैठकर फरार हो गए। दिल्ली के नरेला निवासी कुलदीप ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के नामी कॉलेज से बॉटनी ऑनर्स की पढ़ाई की है। उस पर कई राज्यों में मकोका समेत हत्या, हत्या के प्रयास, लूटपाट, जबरन वसूली, अपहरण जैसे आपराधिक गतिविधियों में 70 से ज्यादा मामले दर्ज हैं। पिछले साल तीन मार्च को पुलिस ने गुरुग्राम से जितेंद्र उर्फ गोगी, कुलदीप मान, रोहित भाई व कपिल उर्फ गौरव को गिरफ्तार किया था। गैंग ने 17 अक्तूबर 2017 को पानीपत की मशहूर हरियाणवी गायिका हर्षिता दहिया की हत्या कर दी थी। तब जितेंद्र की गिरफ्तारी पर दिल्ली में चार लाख व हरियाणा में ढाई लाख व कुलदीप पर दो लाख का इनाम घोषित किया था। रवि बेगमपुर का रहने वाला था, जबकि अंकुश मुंडका में रहता है। अंकुश पर हत्या व हत्या के प्रयास के कई मामले दर्ज हैं। पुलिस की सफाईöघात लगाए बैठे थे बदमाश। संयुक्त पुलिस आयुक्त अलोक कुमार ने बताया कि सर्जरी विभाग में इलाज के बाद पुलिसकर्मी कुलदीप को लेकर अस्पताल से निकलने लगे। इस बीच गेट नम्बर सात के पास पहले से घात लगाए बदमाशों ने पुलिस टीम पर धावा बोल दिया। कुलदीप का वीडियो बना रहे एएसआई ब्रह्मपाल की आंखों में मिर्च पाउडर झोंकने के बाद बदमाशों ने सिपाही अरविन्द को पीछे से पकड़ लिया। इस बीच बदमाश गोलियां चलाने लगे। किसी तरह पुलिसकर्मियों ने खुद को बचाकर जवाबी फायरिंग शुरू की। पिछले कुछ समय से राजधानी और एनसीआर में इन बदमाशों के हौंसले बहुत ज्यादा बढ़ गए हैं। अब तो दिनदहाड़े ही यह पुलिस पर हमला करने लगे हैं।

जब दो ननों को जबरन ट्रेन से उतारा

बीते सप्ताह धर्मांतरण के संदेह में दो नन व उनके साथ जा रही दो किशोरियों को झांसी रेलवे स्टेशन पर ट्रेन से उतारे जाने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। केरल के मुख्यमंत्री द्वारा इस घटना पर आपत्ति जताए जाने के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पूरे मामले की रिपोर्ट जीआरपी से तलब की है। वहीं गृहमंत्री अमित शाह ने केरल में हुई एक चुनावी जनसभा में कहा कि आरोपी बख्शे नहीं जाएंगे। 19 मार्च को उत्कल एक्सप्रेस के कोच नम्बर बी-दो में नन लीबिया थॉमस, हेमलता और श्वेता व बी.तरंग हजरत निजामुद्दीन से राउरकेला (ओडिशा) के लिए यात्रा कर रही थीं। इसी ट्रेन के कोच नम्बर बी-एक में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कुछ कार्यकर्ता भी झांसी आ रहे थे। कार्यकर्ताओं ने धर्मांतरण के संदेह में किशोरियों को ले जाने की सूचना रेलवे के 182 नम्बर पर आरपीएफ को दी थी। कार्यकर्ताओं की सूचना के बाद एक संगठन के नेता भी झांसी स्टेशन पहुंच गए थे। आरपीएफ से सूचना मिलने के बाद जीआरपी ने भी प्लेटफॉर्म पर पहुंचकर शाम करीब साढ़े सात बजे चारों को ट्रेन से उतार लिया था। डेढ़ घंटे की पड़ताल के बाद धर्मांतरण की शिकायत गलत निकलने पर सभी को छोड़ दिया गया था। इसके बाद वह सभी दूसरी ट्रेन से राउरकेला रवाना हो गई थीं। केरल के मुख्यमंत्री ने भी घटना पर आपत्ति जताते हुए केंद्रीय गृहमंत्री को पत्र लिखा था। इस पर गृह मंत्रालय की ओर से बुधवार को इस पूरे मामले की रिपोर्ट झांसी जीआरपी से तलब की गई है। इससे खलबली मच गई है। गृहमंत्री अमित शाह ने केरल की ननों के साथ कथित छेड़छाड़ मामले में दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का भरोसा दिलाया है। कांजीरापल्ली की एक चुनावी रैली में शाह ने कहा कि मैं केरल के लोगों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि इस घटना के पीछे जो भी लोग शामिल हैं, उन्हें जल्द कानून का सामना करना पड़ेगा। कांजीरापल्ली से अमित शाह ने केरल की जनता को आश्वस्त किया। -अनिल नरेन्द्र

Saturday, 27 March 2021

परमबीर के आरोप गंभीर हैं

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि इस बात में कोई संदेह नहीं है कि मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह द्वारा अपनी याचिका में महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ उठाए गए मुद्दे अत्यंत गंभीर हैं। गृहमंत्री अनिल देशमुख के घर के बाहर लगे सीसीटीवी फुटेज को जब्त कर उसकी जांच करवाने की मांग परमबीर ने अपनी याचिका में की। परमबीर ने कहा कि अगर उनके आरोपों की जल्द जांच नहीं की गई तो हो सकता है कि अनिल देशमुख सभी सुबूतों को मिटा दें और सीसीटीवी फुटेज को डिलीट कर दें। अनिल देशमुख ने फरवरी में अपने आवास पर कई मीटिंग की। मुंबई क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट (एमसीआईयू) के इंस्पेक्टर सचिन वाजे भी इसमें शामिल हुए थे। उस दौरान गृहमंत्री अनिल देशमुख ने वाजे को होटल, बार और रेस्टोरेंट से हर महीने 100 करोड़ रुपए की उगाही करने को कहा था। 24-25 अगस्त 2020 को राज्य खुफिया विभाग की इंटेलिजेंस कमिश्नर रश्मि शुक्ला ने डीजीपी को अनिल देशमुख की ओर से ट्रांसफर पोस्टिंग में किए जा रहे भ्रष्टाचार की जानकारी दी थी। डीजीपी ने यह जानकारी गृह मंत्रालय में एडिशनल चीफ सैक्रेटरी को दी थी। यह जानकारी टेलीफोन पर हुई बातचीत को रिकॉर्ड कर जुटाई गई थी। न्यायमूर्ति संजय कौल और न्यायमूर्ति आरएस रेड्डी की पीठ ने परमबीर सिंह को अपनी शिकायत लेकर बंबई उच्च न्यायालय जाने की छूट प्रदान कर दी। शीर्ष अदालत ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह मामला अत्यंत गंभीर है लेकिन याचिकाकर्ता को बंबई उच्च न्यायालय जाना चाहिए। सिंह का पक्ष रखने के लिए अदालत में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि वह आज ही बंबई हाई कोर्ट में याचिका दायर करेंगे। पीठ ने रोहतगी से कहा कि दो प्राथमिक सवाल हैंöपहला यह कि अनुच्छेद 32 के तहत शीर्ष अदालत में याचिका क्यों दायर की गई है और याचिकाकर्ता ने अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालय से सम्पर्क क्यों नहीं किया? दूसरा सवाल यह है कि सिंह ने अपनी याचिका में राज्य के गृहमंत्री को पक्ष क्यों नहीं बनाया है? रोहतगी ने कहा कि वह देशमुख को मामले में पक्ष बनाएंगे और इस संबंध में आवेदन तैयार है। उन्होंने कहा कि यह गंभीर मामला है जिसने राज्य के प्रशासन को प्रभावित किया है। पीठ ने कहा कि अदालत का मत है कि याचिकाकर्ता को उच्च न्यायालय से सम्पर्क करना चाहिए और यदि वह मामले में किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच करवाना चाहते हैं तो उच्च न्यायालय इस मुद्दे को भी देख सकता है। रोहतगी ने कहा कि वह आज ही उच्च न्यायालय से सम्पर्क करेंगे और शीर्ष अदालत उच्च न्यायालय से मामले को कल देखने के लिए कह सकती है। उन्होंने कहा कि सीसीटीवी फुटेज के रूप में सुबूत हैं जो एटीएस के कब्जे में हैं जिसने इन्हें राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) को नहीं सौंपा है। एनआईए उद्योगपति मुकेश अंबानी के मुंबई स्थित घर के बाहर 25 फरवरी को मिली एसयूवी से संबंधित मामले की जांच कर रही है जिसमें विस्फोटक सामग्री रखी गई थी। 1988 बैच के अधिकारी परमबीर सिंह ने अदालत से मुंबई पुलिस आयुक्त पद से हटाने को भी रद्द करने का भी अनुरोध किया था। उनका आरोप है कि यह आदेश मनमाना और गैर-कानूनी है।

सुप्रीम कोर्ट के नए चीफ जस्टिस

प्रधान न्यायाधीश एसए बोबड़े ने सुप्रीम कोर्ट के दूसरे वरिष्ठतम न्यायाधीश एनवी रमना को अगला प्रधान न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की है। परंपरा का निर्वाह करते हुए जस्टिस बोबड़े ने जस्टिस रमना की सिफारिश का पत्र सरकार को भेजा है। प्रधान न्यायाधीश एसए बोबड़े 23 अप्रैल को सेवानिवृत्त होने वाले हैं। परंपरा के मुताबिक सेवानिवृत्त होने के एक महीने पहले प्रधान न्यायाधीश अपने उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश सरकार को भेजते हैं। जस्टिस बोबड़े की संस्तुति अगर सरकार ने स्वीकार कर ली तो जस्टिस रमना भारत के 48वें मुख्य न्यायाधीश होंगे। वैसे परंपरा सुप्रीम कोर्ट के दूसरे वरिष्ठतम न्यायाधीश को ही प्रधान न्यायाधीश नियुक्त किए जाने की है। जस्टिस बोबड़े ने जस्टिस रमना के नाम की संस्तुति करके उनके अगले प्रधान न्यायाधीश बनने का रास्ता प्रशस्त कर दिया है। प्रधान न्यायाधीश के पत्र के बाद सरकार में भी अगला प्रधान न्यायाधीश नियुक्त किए जाने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। जस्टिस रमना 24 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बनेंगे। वह करीब एक साल चार महीने तक चीफ जस्टिस रहेंगे और 26 अगस्त 2022 को सेवानिवृत्त होंगे। उनका जन्म आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के पुन्नावरम गांव में 27 अगस्त 1957 को हुआ था। उन्होंने एलएलबी करने के बाद 10 फरवरी 1983 को एडवोकेट पंजीकृत हुए। 27 जून 2000 को जस्टिस रमना आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में स्थायी न्यायाधीश नियुक्त हुए। उन्होंने आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में 10 मार्च 2013 से लेकर 20 मई 2013 तक कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के तौर पर काम किया। वह दो सितम्बर 2013 को दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बने और बाद में 17 फरवरी 2014 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बने। हम जस्टिस रमना को बधाई देते हैं और उम्मीद करते हैं कि उनके कार्यकाल में इंसाफ के नए कीर्तिमान बनेंगे।

गोलीबारी से 10 लोगों की मौत, सात दिन में सातवीं घटना

अमेरिका के कोलोराडो के बोल्डर शहर में सोमवार को एक बंदूकधारी ने अंधाधुंध फायरिंग की। ग्रोसरी सुपर मार्केट में हुई इस गोलीबारी की घटना में एक लोकल पुलिस अफसर सहित 10 लोगों की मौत हुई है। पुलिस ने एक संदिग्ध व्यक्ति को घायल अवस्था में गिरफ्तार किया है। उसे इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। पुलिस के मुताबिक अभी घटना के कारणों का पता नहीं चल पाया है। करीब तीन साल पहले कोलोराडो में ही हुई फायरिंग में तीन लोगों की मौत हो गई थी, जबकि एक महिला जख्मी हुई थीं। बीते सात दिन में अमेरिका में गोलीबारी (मास शूटिंग) की सात घटनाएं अमेरिका में हो चुकी हैं। 16 मार्च को एटलांटा में एशियाई मूल के लोगों के स्पा सेंटर पर गोलीबारी की तीन घटनाएं एक साथ हुई थीं। इसमें छह कोरियाई लोगों सहित आठ लोगों की मौत हो गई थी। फिर 17 मार्च को कैलीफोर्निया में सिक्योरिटी जॉब पर जा रहे पांच लोगों पर गोलीबारी हुई। हालांकि किसी की जान नहीं गई। 22 मार्च को डलास में आठ लोगों पर और 20 मार्च के ह्यूस्टन व फिलाडेल्फिया में भी गोलीबारी हुई। इनमें एक की मौत हो गई और पांच अस्पताल में हैं। अमेरिका प्रति व्यक्ति बंदूक के मामले में औसत के हिसाब से दुनिया में नम्बर वन है। वहां हर 100 लोगों के पास 120 बंदूकें हैं। यह दूसरे नम्बर के देश यमन की तुलना में दोगुनी है। पिछले साल अमेरिका में हैंडगन और राइफल समेत 2.1 करोड़ बंदूकें बिकीं। यह 2019 की तुलना में 60 प्रतिशत ज्यादा है। 2016 में 1.6 करोड़ बंदूकों की बिक्री का रिकॉर्ड था। अमेरिका में हर साल गोलीबारी की घटनाओं में हजारों लोगों की जान जाती है। साल 2019 में 40 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई। कोरोना के बाद अमेरिका में नस्लीय हमले भी तेज हो गए हैं। पुलिस के हाथों जॉर्ज फ्लॉयड की मौत और उसके बाद ब्लैक लाइव मैटर आंदोलन से स्थिति और तनावपूर्ण हुई है। जिन लोगों ने 2020 में पहली बार बंदूकें खरीदी हैं, उनमें ज्यादातर अश्वेत और महिलाएं हैं। बंदूक वहां बिकीं, जहां अश्वेत ज्यादा हैं और उन पर हमले अधिक हुए। अमेरिका के इस गन कल्चर ने आम अमेरिकियों की जिंदगी तबाह कर दी है। किसी को नहीं पता कि कब कौन सिरफिरा गोलीबारी कर दे। गोलीबारी करने वाले भी अधिकतर ऐसे स्थानों को चुनते हैं जहां भीड़ ज्यादा होने की संभावना होती है। राष्ट्रपति जो बिडेन के लिए यह एक बहुत बड़ी चुनौती है इस गन कल्चर पर अंकुश लगाना। मुश्किल यह है कि अमेरिका में गन बनाने वाली कंपनियों की लॉबी इतनी मजबूत है कि जब भी बंदूकों की सेल पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास होता है, यह ऐसे कानून को संसद से पास ही नहीं होने देते। मुझे याद है कि राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इस पर अंकुश लगाने का प्रयास किया था पर अमेरिकन गन लॉबी ने उन्हें सफल नहीं होने दिया। देखना अब यह है कि राष्ट्रपति जो बिडेन इस ज्वलंत समस्या पर हाथ डालते हैं या नहीं? -अनिल नरेन्द्र

Friday, 26 March 2021

मामला मनसुख हिरेन की हत्या का

महाराष्ट्र आतंकरोधी दस्ते (एटीएस) ने मनसुख हिरेन हत्या मामला राष्ट्रीय जांच एजेंसी को सौंपे जाने के दूसरे दिन ही इसे सुलझाने का दावा किया। कहा कि निलंबित सहायक पुलिस इंस्पेक्टर सचिन वाजे के कहने पर ही यह वारदात हुई थी। उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के पास मिलीं जिलेटिन की छड़ों से लदी स्कॉर्पियो के मालिक हिरेन की हत्या में एटीएस ने सचिन वाजे को मुख्य आरोपी बनाया है। एटीएस अफसरों के मुताबिक वाजे को एक बुकी ने कई सिम कार्ड मुहैया कराए थे, जो अपराध में इस्तेमाल किए गए थे। एटीएस ने इसी मामले में निलंबित पुलिस कांस्टेबल विनायक शिंदे (55) और बुकी नरेश गौड़ (31) को भी गिरफ्तार किया है। इन्हें स्थानीय कोर्ट ने 30 मार्च तक एटीएस हिरासत में भेज दिया। शिंदे लखन भैया मुठभेड़ मामले का दोषी है और पैरोल पर बाहर है। बताया जा रहा है कि शिंदे ने ही चार मार्च की रात पूछताछ के लिए मनसुख को फोन कर बुलाया था। उसके बाद पांच मार्च को मनसुख का शव मुंब्रा रतीबंदर स्थित खाड़ी में पाया गया था। एटीएस ने आरोपियों से तीन मोबाइल फोन और गुजरात वोडाफोन के आठ सिम कार्ड बरामद किए हैं। दोनों को कस्टडी में लेने के बाद एटीएस अब मनसुख की हत्या की साजिश का पता लगाएगी। साथ ही मनसुख की सोने की चेन, पुखराज पत्थर, घड़ी, पर्स, कैडिट कार्ड और डेबिट कार्ड आदि बरामद करने का प्रयास करेगी। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस मामले को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंपा था। ऐसे में गिरफ्त में आए दोनों आरोपियों से जांच एजेंसी भी पूछताछ करेगी। हालांकि अभी तक यह केस एटीएस के पास ही है। माना जा रहा है कि बहुत जल्द एनआईए मनसुख की मौत का मामला अपने हाथ में ले लेगी। -अनिल नरेन्द्र

ऐसी भीड़ होगी तो कहीं नहीं जाएगा कोरोना

दिल्ली में बीते साल कोरोना वायरस की तीन वेब देखी गईं और लगभग सभी या तो त्यौहारों के कारण आई या फिर लोगों की लापरवाही की वजह से। जिस तरह दिल्ली में हालात चल रहे हैं उससे तो लगता है कि हमें चौथी वेब देखने को मिल सकती है। दिल्ली में एक बार फिर से कोरोना वायरस के केस तेजी से बढ़ रहे हैं। हालांकि अगर आप मार्केट, मेट्रो, ट्रेन, गली-मोहल्लों आदि में नजर दौड़ाएं तो अब लोगों में कोरोना का ज्यादा डर नजर नहीं आ रहा है। लोग फिर से पुराने ढर्रे पर लौट आए हैं। पिछले साल कोरोना महामारी की शुरुआत के वक्त लोगों में जो डर का माहौल था, अब वह पूरी तरह से खत्म हो गया लगता है। लोगों के डर खत्म होने के पीछे एक वजह वैक्सीन का आना भी है। लोगों को लगने लगा है कि अब कोरोना से क्यों डरना, वैक्सीन तो है ही। लेकिन वह इस बात से अनजान हैं कि वैक्सीनेशन के बाद भी कोरोना हो सकता है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक वैक्सीन लगने के बाद भी किसी में अच्छी एंटीबॉडी बन जाती है तो किसी में कम एंटीबॉडी बन पाती है जिसके चलते कोविड हो सकता है। एक कारण यह भी है कि दिल्ली में अब तक कोरोना की तीन वेब देख चुकी है इसलिए चौथी वेब आने से भी लोगों को ज्यादा फर्प नहीं पड़ रहा है। अगर हम न सिर्प मेट्रो बल्कि दिल्ली के बाजारों में नजर दौड़ाएं तो वहां स्थिति और भी ज्यादा खराब है। किसी भी बाजार में चले जाएं, लोगों की भीड़ जरूर नजर आ जाएगी। अब तो मार्केट में लोगों के मुंह से मास्क भी गायब हो गए हैं। अगर किसी के चेहरे पर मास्क नजर आता भी है तो वह नाक से नीचे नजर आता है। ऐसे में कोरोना के केस बढ़ने लाजिमी हैं। चूंकि अब होली, नवरात्र, रमजान और ईद जैसे त्यौहार भी आ रहे हैं, इस वजह से भी मार्केट में खरीददारी करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। दिल्ली में बीते साल कोरोना वायरस की तीन वेब देखी गई और सभी किसी न किसी त्यौहार के बाद ही आई थी। उस वक्त एक्सपर्ट्स ने चेताया था कि यदि लोग त्यौहारों को मनाने के लिए बाहर निकलेंगे तो केसों में बढ़ोत्तरी देखी जा सकती है और ऐसा ही हुआ भी। बीते साल रक्षाबंधन व उसके साथ आई ईद के बाद केस बढ़ने शुरू हुए थे तो वहीं अक्तूबर में दशहरे के बाद नवम्बर में दीपावली के बाद तक यह सिलसिला जारी रहा। अब ऐसे में चिन्ता इस बात की है कि कुछ दिनों में होली आ रही है। ऐसे में यदि लोगों ने त्यौहारों पर नियमों का पालन नहीं किया तो दिल्ली में कहीं चौथी वेब न देखने को मिल जाए। बाजारों में आजकल लोग सोशल डिस्टेंसिंग जैसे नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। दिल्ली में तमाम मार्केटों में यही हाल देखने को मिलेगा। अगर आप पीक आवर्स में मेट्रो से सफर करें तो आप देखेंगे कि किस तरह से लोग सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। लोग कोरोना काल से पहले की तरह बेफिक्र होकर सफर कर रहे हैं। न सिर्प खड़े होने, बल्कि सीट पर बैठने को लेकर भी लोग कोरोना के नियमों का ख्याल नहीं रख रहे हैं। वह भी तब जब डीएमआरसी की ओर से पूरी मेट्रो में मास्क लगाने और सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने के पोस्टर लगाए गए हैं। साथ ही यात्रा के दौरान नियमित अंतराल पर इन नियमों के पालन के लिए अनाउंसमेंट भी कराई जा रही है। कल मैं टीवी पर प्रधानमंत्री की चुनाव रैली देख रहा था। चुनाव रैलियों में लाखों लोग आते हैं और शायद ही कोई मास्क पहने हो या सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहा हो। अगर कोरोना बढ़ रहा है तो इसके लिए हम खुद जिम्मेदार हैं।

युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं केजरीवाल

राजधानी दिल्ली में अरविन्द केजरीवाल सरकार ने शराब पीने की लीगल उम्र घटा दी है। सरकार ने इसे 25 साल से घटाकर 21 साल कर दिया है। साथ ही इससे कम उम्र के व्यक्ति को ऐसी किसी जगह में प्रवेश करने की अनुमति नहीं होगी, जहां शराब की बिक्री या सेवन किया जाता है। दिल्ली सचिवालय में सोमवार को एक प्रेसवार्ता के दौरान दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बताया कि दिल्ली की एक्साइज पॉलिसी में केजरीवाल सरकार ने महत्वपूर्ण बदलाव किया है। कैबिनेट ने शराब सेवन की उम्र 25 साल से घटाकर 21 साल करते हुए नई आबकारी नीति को सोमवार को मंजूरी दे दी। नई नीति के अनुसार दिल्ली में शराब की नई दुकानें नहीं खुलेंगी और सरकार कोई शराब की दुकान नहीं चलाएगी। सिसोदिया ने कहा कि नई आबकारी नीति के लिए लोगों ने 14700 सुझाव दिए थे और एक्सपर्ट कमेटी ने भी अपनी राय दी थी। इसके बाद सरकार ने मंत्री समूह का गठन किया और मंत्री समूह ने 14700 सुझाव और एक्सपर्ट कमेटी की राय पर सरकार से सिफारिशें की जिसके आधार पर दिल्ली कैबिनेट ने नई आबकारी नीति को मंजूरी दी। उन्होंने कहा कि नई एक्साइज पॉलिसी में सरकार ऐसे सभी फैक्टर्स को हटा रही है जिससे शराब माफिया अवैध शराब का धंधा न कर सकें। इसके अलावा सरकार एक्साइज रेवेन्यू की लीकेज रोकने के लिए भी एक्साइज पॉलिसी में बड़े बदलाव कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार दिल्ली-भर में शराब की दुकानों का सामान रूप से वितरण सुनिश्चित करेगी ताकि शराब माफिया को इस धंधे से उखाड़ फेंके। दिल्ली में कई इलाकों में शराब की दुकानें नहीं होने से माफिया का कारोबार फैल रहा है। पिछले कुछ वर्षों में की गई कार्रवाई में काफी मात्रा में अवैध शराब पकड़ी गई है। दिल्ली में करीब 60 प्रतिशत दुकानें सरकारी हैं। सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली में मोटे तौर पर करीब 850 अधिकृत शराब की दुकानें हैं, लेकिन शराब माफिया 2000 से अधिक दुकानें चलाते हैं। यह दुकानें घरों में चलती हैं या दुकानों से आपूर्ति की जाती है। नई नीति अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए है। एक तरफ शराब माफिया घरों, दुकानों और गोदामों में अवैध रूप से शराब बेचते हैं दूसरी तरफ 50 प्रतिशत दुकानें केवल 45 वार्ड में हैं। दिल्ली में 2016 में जितनी दुकानें थीं, उसके बाद से कोई भी नई शराब की दुकान नहीं खोली गई हैं और आगे भी नहीं खोली जाएंगी। उधर भाजपा ने दिल्ली सरकार द्वारा नई आबकारी नीति लाने पर इसे इतिहास का काला दिन करार दिया है। शराब पीने की उम्र 25 से घटाकर 21 वर्ष करने को लेकर भाजपा ने आपत्ति जाहिर की है। साथ ही मंगलवार को इस संबंध में उपराज्यपाल अनिल बैजल से भी मुलाकात कर शिकायत करने का फैसला लिया है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार दिल्ली को बर्बाद करने पर लगी हुई है। हर वार्ड में शराब की दुकानों की संख्या बढ़ाना राजनीतिक फंडिंग का बड़ा प्लान है। सरकारी शराब की दुकानें बंद कर माफिया को सौंपने की यह योजना है। इससे 1500 से 2000 करोड़ रुपए अतिरिक्त आय होने वाली है, केजरीवाल ने वर्ष 2014 में दिल्ली के युवाओं को नशामुक्त करने का वादा किया था, लेकिन अब सरकार युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है, जहां शराब पीने पर रोक लगनी चाहिए वहीं सरकार इसको बढ़ावा दे रही है। इसका सबसे ज्यादा असर महिलाओं पर पड़ेगा। जब रात के तीन बजे तक शराब की दुकानें खुलेंगी और 21 साल की उम्र में ही बेटा हो या बेटी को शराब पीने की छूट होगी तो परिवार कैसे बचेगा?

Thursday, 25 March 2021

महाराष्ट्र की लड़ाई संसद से सुप्रीम कोर्ट पहुंची

महाराष्ट्र में चल रहे सियासी संकट की आंच सोमवार को संसद से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गई। मुंबई के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह के द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच केन्द्राrय एजेंसियों से कराने और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और गृह मंत्री के इस्तीफे की मांग को लेकर लोकसभा में भाजपा के सांसद मुखर रहे। मामले की जांच सीबीआई से कराने और उनके तबादले को रद्द करने की अपील लेकर परमबीर सिंह सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। उधर राकांपा प्रमुख शरद पवार ने साफ कर दिया कि गृह मंत्री अनिल देशमुख इस्तीफा नहीं देंगे, उन पर लगे आरोप गलत हैं। परमबीर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में कहा कि 100 करोड़ रुपए उगाही करने के तथ्य वाली बात उन्होंने मुख्यमंत्री को भी बताई थी। कुछ दिन बाद ही उनका ट्रांसफर कर दिया गया। परमबीर सिंह ने अपने ट्रांसफर के आदेश को भी चुनौती दी है। ट्रांसफर पोस्टिंग पर अफसर रश्मि शुक्ला की fिरपोर्ट की जांच की जानी चाहिए। उन्होंने आरोपों की जल्द निष्पक्ष व स्वतंत्र जांच के निर्देश दिए जाने की अपील की। परमबीर ने आरोप लगाया, सांसद मोहन डेलकर खुदकुशी मामले में देशमुख भाजपा नेताओं को फंसाने के लिए दबाव डाल रहे थे। परमबीर ने याचिका से जुड़े सुबूत भी कोर्ट को सौंपे हैं। उन्होंने दावा किया कि तत्काल सीबीआई जांच के आदेश नहीं दिए तो देशमुख के आवास के सीसीटीवी फुटेज नष्ट कर दिए जाएंगे। उन्होंने आरोप लगाया, देशमुख ने फरवरी में आला असफरों की अनदेखी करते हुए अपराध खुफिया इकाई के सचिन वाजे व समाज सेवा शाखा के एसीपी संजय पाटिल सहित अन्य अधिकारियों के साथ बैठक की और हर महीने 100 करोड़ रुपए की वसूली का लक्ष्य दिया था। परमबीर का आरोप है कि देशमुख पुलिस कार्यों में बेजा दखल देते थे, हालांकि वह दबाव में नहीं आए। परमबीर ने सोमवार को होमगार्ड के डीजी का पद संभाल लिया। हालांकि सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने अपना तबादला निरस्त करने की भी गुहार लगाई। उन्होंने कहा दो वर्ष का न्यूनतम निर्धारित कार्यकाल पूरा होने के पहले ही तबादला मनमाने और गैर कानूनी तरीके से किया गया। संसद में वाजे का मामला उठाने पर महिला सांसद को शिवसेना सांसद ने तेजाब से हमले की धमकी तक दे दी। महाराष्ट्र के अमरावती की सांसद नवनीत राणा ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर शिवसेना सांसद अरविंद सावंत पर गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने लिखा सावंत ने मुझे संसद परिसर में धमकी दी थी कि ठाकरे सरकार के खिलाफ कुछ भी बोला या सचिन वाजे का मामला उठाया तो ठीक नहीं होगा। सावंत ने तथाकथित कहा तू महाराष्ट्र में कैसे घूमती है, मैं देखता हूं और तुझे भी जेल में डालवा दूंगा। यही नहीं सावंत ने तेजाब हमला कराने की भी धमकी दी। उधर एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने सोमवार को प्रेस कांप्रेंस कर महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख का बचाव किया। उन्होंने कहा, संक्रमण के चलते 5 से 15 फरवरी तक देशमुख नागपुर के अस्पताल में भर्ती थे। उसके बाद 27 फरवरी तक होम आइसोलेशन में थे। उन्होंने कहा, मुझे रविवार को यह नहीं पता था कि देशमुख अस्पताल में थे। जाहिर है कि फरवरी में देशमुख और सचिन वाजे के बीच बातचीत के आरोप गलत हैं। देशमुख के इस्तीफे का सवाल ही नहीं उठता। इससे पहले रविवार को पवार ने कहा था कि आरोप गंभीर हैं। देशमुख के इस्तीफे का फैसला सीएम ही लेंगे। पवार ने कहा कि भाजपा की इस मांग में कोई तुक नहीं है कि आरोपों की जांच होने तक देशमुख को इस्तीफा दे देना चाहिए। राकांपा अध्यक्ष ने कहा कि मुख्य मामला उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के बाहर एक कार से विस्फोटक सामग्री मिलने से जुड़ा है। मेरा मानना है कि मुंबई एटीएस सही दिशा में जा रही है।

जब्त हो सकती है भारतीय संपत्तियां

ब्रिटेन की तेल कंपनी केयर्न एनर्जी पीएलसी ने कहा कि उसने विदेशों में भारतीय संपत्तियों को चिन्हित किया है जिसे वह भारत सरकार की ओर से 1.7 अरब डालर की राशि नहीं लौटाए जाने पर जब्त कर सकती है। एक अंतर्राष्ट्रीय न्यायालीकरण ने पूर्व की स्थिति से की गई कर मांग को निरस्त करते हुए भारत सरकार से 1.7 अरब डालर केयर्न एनर्जी को लौटाने को कहा है। केयर्न ने 2020 की सालाना आय से जुड़े बयान में कहा कि कंपनी को भरोसा है कि जो फैसला आया है, उसे बातचीत के जरिए या फिर भारतीय संपत्तियों को जब्त कर लागू कराया जाएगा। कंपनी ने फैसले को पंजीकृत कराने और उसे मान्यता प्रदान करने के लिए नौ देशों की अदालतों का दरवाजा खटखटाया है। उसने कहा कि न्यायाधिकरण ने आम संपत्ति सहमति यह आदेश दिया कि भारत ने केयर्न के मामले में ब्रिटेन-भारत द्विपक्षीय निवेश संधि के तहत अपनी बाध्यताओं को तोड़ा है और 1.2 अरब डालर के साथ ब्याज तथा लागत का भुगतान करने को कहा। इसके तहत कुल बकाया साल के अंत तक 1.7 अरब डालर था। कंपनी ने कहा कि उसने फैसले को अमल में लाने के लिए भारत सरकार के साथ प्रत्यक्ष रूप से बातचीत की है। इसे भारत की 160 से अधिक देशों में संपत्ति जब्त करके भी लागू किया जा सकता है जिसने विदेशी न्यायाधिकरण के आदेश को मान्यता देने एवं प्रवर्तन के लिए 1950 के न्यूयार्क कन्वेंशन को मंजूरी दी हुई है और हस्ताक्षर किया है। बयान में कहा गया है कि केयर्न ने उन प्रमुख देशों में आदेश को मान्यता प्रदान करने के इरादे से कदम उठाया है, जहां संपत्ति की पहचान की गई है। इससे पहले, एजेंसी ने 8 मार्च को खबर दी थी कि नीदरलैंड के तीन सदस्यीय स्थाई मध्यस्थता न्यायाधिकरण के 21 दिसंबर के निर्णय को अमेरिका, ब्रिटेन, नीदरलैंड, कनाडा और फ्रांस की अदालतों ने मान्यता दी है। अब तक भारत सरकार ने सीधे तौर पर केयर्न मामले में फैसले को चुनौती देने या उसका सम्मान करने को लेकर कोई प्रतिबद्धता नहीं जताई है। हालांकि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपील करने का संकेत दिया है। न्यायाधिकरण ने 21 दिसंबर को अपने आदेश में कहा था कि सरकार ने ब्रिटेन के साथ निवेश संधि का उल्लंघन किया है। अत 10,207 करोड़ रुपए की कर मांग को लेकर कंपनी के जो शेयर उन्होंने जब्त किए और बेचे, लाभांश और कर वापसी जो भी जब्त किए उसे लौटाने की जवाबदेही है। सरकार के पास केयर्न मामले में अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाकीकरण के फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए अप्रैल मध्य तक का समय है। मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने सरकार को ब्रिटेन की केयर्न एनर्जी पीएलसी को 1.2 अरब डालर और ब्याज तथा लागत आदि लौटाने को कहा है। हालांकि इस आदेश की सिर्फ प्रक्रिया का अनुपालन नहीं हुआ आदि जैसे सीमित आधार पर ही चुनौती दी जा सकती है। हेग की स्थानीय मध्यस्थता अदालत में तीन सदस्यीय न्यायाधिकरण की पीठ ने केयर्न एनर्जी के खिलाफ सरकार को 10,247 करोड़ रुपए के कर दावे को खारिज कर दिया था। अदालत ने सरकार को कंपनीज के बेचे गए शेयर, जब्त लाभांश तथा रोके गए कर रिफंड को लौटाने को कहा था। घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले दो लोगों के अनुसार यह पंचनिर्णय 8 जनवरी को नीदरलैंड में पंजीकृत हुआ। भारत ने 19 जनवरी को इसके पंजीकरण पर स्वीकारोक्ति दी। इस फैसले के 90 दिन के अंदर अपील की जा सकती है।

संघ में वक्त के साथ बदलाव के संकेत

उम्मीद के अनुरूप जब दत्तात्रेय होसबोले को आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) का सरकार्यवाह चुना गया तो इसे स्वाभाविक निर्णय ही माना गया। वह पिछले एक दशक से भी अधिक समय से इस पद पर कायम मौजूदा सर कार्यवाह भैयाजी जोशी की जगह लेंगे। लेकिन इस स्वाभाविक निर्णय के पीछे भी संघ को वक्त के साथ खुद को एडजस्ट करना और आने वाली चुनौतियों और बदलाव के साथ खुद को तैयार करने के दिशा में एक निर्णायक कदम माना जा रहा है। होसबोले को करीब से जानने वाले लोग मानते हैं कि उनकी नियुक्ति से संघ के लिए अभी दो अहम मोर्चों पर लाभ मिलेगा। होसबोले को वैचारिक स्तर पर व्यापक माना जाता है। उन्हें संघ का प्रोग्रेसिव चेहरा भी माना जाता है। वे नई सोच के साथ सामंजस्य करके आगे बढ़ने की हिमायती रहे हैं। लंबे समय तक छात्र संगठन के साथ काम करने के लिए उन्हें युवाओं की सोच के बारे में भी नजदीक से पता है दरअसल नई पीढ़ी के साथ बेहतर कनेक्ट और संवाद के लिए संघ पिछले कुछ समय से युवाओं के बीच भी कई कोशिश कर रहा है। संघ का मानना है कि उसे आधुनिकरण या ग्लोबल चीजों से परहेज नहीं है। जब तक कि वह हमारे मूल्यों पर अतिक्रमण नहीं करें। संघ को लगता है कि अब इसलिए संगठन के शीर्ष पर ऐसे नेतृत्व की जरूरत है जो संतुलन बनाकर जनरेशन बदलाव को स्वीकार भी करे और अपने मूल्यों को भी। इसलिए होसबोले मौजूदा समय में सबसे बेहतर विकल्प माने जाते हैं। वह उग्र हिंदुत्व की अवधारणा को खारिज करते रहे हैं। ऐसे में जनरेशन बदलाव के लिए होसबोले सबसे बेहतर विकल्प माने जाते थे। वहीं होसबोले के संघ के सीईओ पद पर जाने के बाद बीजेपी और सरकार के साथ समन्वय और बेहतर होने की उम्मीद है। होसबोले के पीएम नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के साथ भी बेहतर संबंध हैं। साथ ही जबसे नरेन्द्र मोदी देश की राजनीति के धुरी बने हैं, तब से संघ को भी पता है कि आज की तारीख में जितनी जरूरत सरकार-बीजेपी को उनकी है, उतनी ही जरूरत संघ को मोदी की है। 2014 में जबसे बीजेपी की अगुवाई वाली सरकार बनी है तब से लगभग हर मामले पर संघ सरकार के बीच तालमेल ठीक रहा है। इसके पीछे अटल सरकार में मिली सीख भी है, जब संघ और बीजेपी के बीच रिश्ते बाद में उतने बेहतर नहीं रहे, जिसका नुकसान 2004 में उठाना पड़ा। ऐसे में संघ ने शीर्ष पर ऐसे व्यक्ति को सामने रखा जो इस संतुलन को और मजबूत बनाने में मददगार ही साबित होंगे। सूत्रों के अनुसार होसबोले अब बीजेपी-आरएसएस कोअर्डिनेशन देखने के लिए नई टीम बनाएंगे। इसमें वह अपने करीबियों को जगह दे सकते हैं। -अनिल नरेन्द्र

Wednesday, 24 March 2021

इमरान के बाद अब जनरल बाजवा

पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने भारत के साथ रिश्तों को लेकर अचानक जो रुख बदला है और दोस्ती का हाथ बढ़ाने की बात की है अगर वह इस पर ईमानदार हैं तो यह अच्छी बात है और ऐसा होना भी चाहिए। पर जनरल बाजवा की बात पर यकीन करना इसलिए मुश्किल है क्योंकि भारत के खिलाफ जिस कट्टर रुख को पाक ने अपनाया हुआ है उसके सूत्रधार भी यही जनरल बाजवा हैं। पिछले कुछ समय में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भी इसी तरह की बातें करके यह जताते रहे हैं कि दोनों देशों के बीच अच्छे संबंध होने चाहिए। खास बात यह है कि जनरल बाजवा की तरफ से पिछले दो महीने में भारत से बातचीत की यह तीसरी पेशकश है। जनरल बाजवा ने यह पेशकश इस्लामाबाद में इस्लामाबाद डायलॉग नाम के आयोजन में की, जहां देश-विदेश के कई कूटनीतिक विशेषज्ञ व राजदूत उपस्थित थे। भारत-पाक के बीच पिछले महीने ही नियंत्रण रेखा पर संघर्षविराम की सहमति बनी है। इमरान खान ने पिछले दिनों कहा था कि अगर भारत पाकिस्तान के साथ शांतिपूर्ण संबंध बनाता है तो इसका उसे आर्थिक लाभ मिलेगा। भारत और पाकिस्तान के बीच दोस्ती से भारत को पाकिस्तान भूभाग के रास्ते संसाधन बहुल मध्य एशिया में सीधे पहुंचने में मदद मिलेगी। इमरान खान ने जब सत्ता संभाली थी तब भी वह बढ़चढ़ कर ऐसी बातें करते थे और मौका मिलते ही यह कहने से नहीं चूकते थे कि रिश्तों की बढ़ोत्तरी के लिए अगर भारत एक कदम आगे बढ़ेगा तो पाकिस्तान दो कदम बढ़ाएगा लेकिन वह अपने वादों और दावों पर कितने खरे उतरे, यह किसी से छिपा नहीं है। सवाल यह है कि आखिर पाकिस्तान का अचानक से हृदय परिवर्तन कैसे हो गया, क्यों उसे लगने लगा कि पड़ोसी देश भारत के साथ दोस्ताना रिश्ते रखने चाहिए? क्या दुनिया के सामने अपनी धूमिल छवि को साफ करने के लिए वह ऐसा कर रहा है या फिर वह किसी के दबाव में इस रणनीति पर चल रहा है? बता दें कि पाकिस्तान की पिछली सरकारें भी शांति की बातें करती रही हैं। उसके बाद पुलवामा हमला हो गया, आए दिन कश्मीर में पाक समर्थक आतंकी संगठन हमले करते रहते हैं। भारत-पाकिस्तान के बीच सबसे बड़ा मुद्दा पाक प्रायोजित आतंकवाद है। इनकी जमीन पर, इनकी मदद से आतंकी संगठन फल-फूल रहे हैं। भारत बार-बार इन आतंकी गुटों की हरकतों के सुबूत देता रहा है पर पाकिस्तान ने हमेशा इनको टाल दिया है। यह कोई छिपी बात नहीं है कि लंबे समय से पाकिस्तान भारत को गहरे जख्म देता रहा है। ऐसे में अगर वह शांति की दुहाई देने लगे तो संशय पैदा होना लाजिमी है। आखिर भारत कैसे भूल सकता है पुलवामा की घटना को या संसद भवन से लेकर मुंबई तक कराए गए आतंकी हमलों को। इन सब हमलों के आरोपी आज भी पाकिस्तान में सेना और आईएसआई के संरक्षण में मौज काट रहे हैं। भारत ने सभी के खिलाफ पाकिस्तान को पुख्ता सुबूत दिए, लेकिन किसी के खिलाफ भी पाकिस्तान ने आज तक कोई सख्त कार्रवाई नहीं की, न ही हमलों के आरोपियों को भारत के हवाले ही किया। ऐसे में पाकिस्तान कैसे यह कल्पना कर रहा है कि भारत सारी पिछली बातों को भूलकर अब आगे बढ़े और उसके साथ अच्छे रिश्ते बनाए? घरेलू मोर्चे पर इमरान सरकार पहले ही संकटों में घिरी है। विपक्षी दलों के प्रदर्शन ने सरकार की नींद उड़ा रखी है। अर्थव्यवस्था का भट्ठा बैठ चुका है। शायद इसीलिए अब जनरल कमर जावेद बाजवा को भारत के साथ अच्छे रिश्तों का इल्म हुआ लगता है।

सचिन वाजे के असली आका व पूरी साजिश का खुलासा जल्द

देश के सबसे अमीर उद्योगपति मुकेश अंबानी के आवास एंटीलिया के बाहर विस्फोटकों से लदी मिली स्कॉर्पियो के मामले में गिरफ्तार मुंबई पुलिस का अधिकारी सचिन वाजे के बजाय कोई अन्य आदमी असली आका है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से जुड़े एक वरिष्ठ सूत्र ने कहा कि पूरा मामला हल किया जा चुका है। वाजे एक अन्य खिलाड़ी से निर्देश लेता था। जल्द ही पूरी साजिश का सार्वजनिक खुलासा कर दिया जाएगा। माना जा रहा है कि एनआईए के इस दावे के बाद ही मुंबई पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह के तबादले की पूरी पटकथा लिखी गई। जांच से जुड़े लोगों के मुताबिक 13 मार्च को गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में सचिन वाजे ने एनआईए अधिकारियों से कहा था कि वह इस पूरे मामले में अपनी पुरानी प्रसिद्धि और नाम हासिल करने के लिए किसी दूसरे के कहने पर जुड़ा था। एनआईए अधिकारियों का कहना है कि इस आधार पर जांच करने के बाद वाजे की बात की पुष्टि हो रही है। हालांकि एनआईए अधिकारियों ने यह नहीं कहा कि यह अन्य व्यक्ति पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह हैं, लेकिन पुलिस महकमे में वाजे के सिर पर परमबीर का हाथ होने की चर्चा आम है। माना जाता है कि परमबीर का संरक्षण होने के चलते ही वाजे का लहजा डीसीपी स्तर के अधिकारी से बात करते समय भी दबंग जैसा रहता था। इसी कारण माना जा रहा है कि आयुक्त पद से हटाए जाने के बाद अब एनआईए की टीम किसी भी वक्त परमबीर सिंह से भी पूछताछ कर सकती है। एनआईए अधिकारियों ने बुधवार को कहा कि अंबानी के घर के करीब विस्फोटों से लदी कार के करीब सीसीटीवी फुटेज में पीपीई किट में दिखे व्यक्ति के सचिन वाजे होने की संभावना लग रही है। हालांकि पुष्टि नहीं हो सकी है। यह दावा मंगलवार को जब्त की गई काली मर्सिडीज कार की तलाशी के बाद किया। कार में से पांच लाख रुपए नकद, नोट गिनने की मशीन, दो नम्बर प्लेट, कुछ कपड़े और कैरोसीन तेल से भरी बोतल मिली थी। एनआईए अधिकारियों का मानना है कि पीपीई किट के नीचे कुर्ता-पायजामा पहना गया था। यह कपड़े जलाकर सूबूत मिटाने के लिए ही कैरोसीन तेल का इस्तेमाल किया गया। वाजे के कैबिन से मिले लैपटॉप में भी सारा डाटा डिलीट कर दिया गया था और उसने अपना मोबाइल भी सुबूत मिटाने के लिए कहीं फेंक दिया था। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फड़नवीस ने जांच में एनआईए और एटीएस, दोनों की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि इस पूरे खेल का असली आका कोई और ही है। उन्होंने मौजूदा मुख्यमंत्री व शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे का भी हाथ सचिन वाजे के सिर पर होने का दावा किया है। मुंबई के पुलिस आयुक्त के तबादले के बाद फड़नवीस ने मीडिया से कहाöएनआईए को मनसुख हिरेन की भी मौत की जांच करनी चाहिए। एनआईए की जांच महज वाजे तक सीमित है, जबकि साफ दिखता है कि असली आका कोई और ही है। वास्तव में इस घटना से शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की गठबंधन वाली राज्य सरकार की छवि को धक्का लगा है, जिसने भाजपा को एक बड़ा सियासी मुद्दा दे दिया है। बहरहाल एनआईए के साथ मुंबई पुलिस की अब जिम्मेदारी है कि वह इस मामले से जुड़ी जांच को जल्द से जल्द उसके तार्किक परिणाम तक पहुंचाए।

ईवीएम में चुनाव चिन्ह की जगह उम्मीदवार की फोटो हो

सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार के अटार्नी जनरल और महान्यायवादी से शुक्रवार को उस जनहित याचिका पर जवाब मांगा है जिसमें इलैक्ट्रॉनिक मशीन में मतपत्र से चुनाव चिन्ह हटाकर उसके स्थान पर उम्मीदवार का नाम, उम्र, शैक्षिक योग्यता और फोटो डाले जाने के लिए निर्वाचन आयोग को आदेश दिए जाने का अनुरोध किया गया है। मुख्य न्यायाधीश शरद अरविन्द बोबड़े, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी. रामा सुब्रह्मण्यम की पीठ ने केंद्र सरकार और निर्वाचन आयोग को कोई नोटिस जारी किए बिना याचिकाकर्ता भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय को उनकी याचिका की एक प्रति अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल व महान्यायवादी तुषार मेहता को देने के लिए कहा। पीठ ने मामले की सुनवाई के लिए अगले हफ्ते सूचीबद्ध करते हुए कहाöआप एजी और एसजी को याचिका की प्रतियां दे दें। फिलहाल हम कोई नोटिस जारी नहीं कर रहे। संक्षिप्त सुनवाई के दौरान पीठ ने उपाध्याय की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विकास सिंह से यह जानना चाहा कि ईवीएम में चुनाव चिन्ह रखे जाने पर क्या आपत्तियां हैं? सिंह ने कहा कि उन्होंने चुनाव आयोग को पत्र लिखा है लेकिन उसका जवाब नहीं मिला। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता इसलिए ईवीएम में चुनाव चिन्ह के बजाय उम्मीदवार का ब्यौरा चाहते हैं ताकि यह पता चल सके कि उम्मीदवार कितना लोकप्रिय है, शिक्षित है। सिंह से यह भी कहा कि उन्होंने ब्राजील की व्यवस्था का अध्ययन किया है। जहां चुनाव चिन्ह पर नहीं बल्कि उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अंक दिए जाते हैं। पीठ ने सिंह से पूछा कि चुनाव चिन्ह किस तरह इलैक्ट्रॉनिक वोटिंग प्रक्रिया को प्रभावित करता है? इस पर सिंह ने कहा कि इस बारे में वह अगली सुनवाई में बताएंगे। याचिकाकर्ता उपाध्याय ने यह घोषणा करने का आदेश देने की मांग की है कि ईवीएम में पार्टी के चिन्ह का इस्तेमाल अवैध, असंवैधानिक और संविधान का उल्लंघन है। उन्होंने कहा है कि भ्रष्टाचार के खात्मे और राजनीतिक अपराधीकरण समाप्त करने का बेहतरीन तरीका ईवीएम से राजनीतिक दल का चिन्ह हटाना और उसकी जगह उम्मीदवार का नाम, उम्र, शैक्षिक योग्यता और उम्मीदवार का फोटो डालना है। -अनिल नरेन्द्र

Tuesday, 23 March 2021

केजरीवाल ने खेला हिन्दू कार्ड

इंसान का इंसान से हो भाईचारा, यही पैगाम हमारा। देशभर में जोरदार मोदी लहर के बावजूद 2014 में पहली बार दिल्ली विधानसभा चुनाव में एकतरफा जीत के बाद अरविन्द केजरीवाल ने मंच से यही गाना गया था। 2020 के विधानसभा चुनाव में भी आम आदमी पार्टी ने स्वास्थ्य और शिक्षा में अपने काम के आधार पर वोट मांगे और लोकप्रियता की लहर पर सवार भाजपा केजरीवाल को अपना शानदार प्रदर्शन दोहराने से रोक नहीं पाई। बुनियादी मुद्दों पर कामयाबी के साथ राजनीति करने के लिए जानी जाने वाली पार्टी अब अचानक देशभक्ति और राम राज्य की बातें करने लगी है। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि इसके पीछे उसकी मंशा क्या है? केजरीवाल खुद को भगवान हनुमान और भगवान राम का भक्त बता चुके हैं। साथ ही वह यह भी कह चुके हैं कि उनकी सरकार दिल्ली की सेवा करने के लिए राम राज्य से पारित 10 सिद्धांतों का पालन करती है। दिल्ली के मुख्यमंत्री यहां तक कह चुके हैं कि जब अयोध्या में बन रहा राम मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा तो वह दिल्ली के वरिष्ठ नागरिकों को वहां की मुफ्त तीर्थयात्रा कराएंगे। कुछ दिन पहले दिल्ली सरकार का बजट देशभक्ति बजट के नाम से पेश किया गया। राष्ट्रीय गौरव की बातें करते हुए कहा कि पूरी दिल्ली में पांच सौ विशाल राष्ट्रीय ध्वज फहराए जाएंगे। केजरीवाल सरकार पहले ही दिल्ली के स्कूलों में देशभक्ति पाठ्यक्रम की बात कर चुकी है। उनका कहना है कि इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य देशभक्त नागरिकों का एक वर्ग बनाना है। सवाल यह है कि क्या यह केजरीवाल की सोची-समझी रणनीति है? वरिष्ठ वकील और केजरीवाल के साथ जुड़े रहे प्रशांत भूषण कहते हैं कि यह सब बातें एक पॉलिटिकल स्ट्रेटेजी का हिस्सा हैं। वह कहते हैं कि इनको लगता है कि इससे उन्हें हिन्दुओं के वोट मिल सकता है। यह भाजपा को एक तरह से उसी के खेल में पछाड़ने की कोशिश कर रहे हैं। इनको लगता है कि हम अपने आपको एक बड़े राष्ट्रीय विकल्प की तरह पेश कर सकते हैं। यह शायद अरविन्द का राजनीतिक आकलन है कि इनको हिन्दू वोट बैंक पर मुख्यत निर्भर होना पड़ेगा क्योंकि इस समय भाजपा ने ध्रुवीकरण कर दिया है। वरिष्ठ पत्रकार और आम आदमी पार्टी के नेता रहे आशुतोष कहते हैं कि धर्म और राष्ट्रवाद की बात करना केजरीवाल और उनकी पार्टी की चुनावी मजबूरी है। आशुतोष आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता रह चुके हैं और अब उन्होंने पार्टी छोड़ दी है। वह कहते हैं कि अरविन्द केजरीवाल को इस बात का अंदाजा है कि दिल्ली में एक बहुत बड़ा तबका है जो भाजपा को भी वोट करता है और आम आदमी पार्टी को भी वोट करता है। अगर आप संसद का चुनाव देखें तो भाजपा को 57 प्रतिशत वोट मिलते हैं और सभी सातों सीटें भाजपा को चली जाती हैं। लेकिन विधानसभा के चुनाव में आम आदमी पार्टी जीत जाती है। इसका मतलब यह है कि अगर आम आदमी पार्टी को अपने वोट बैंक को संभालकर रखना है तो उसको अपने हिन्दू नेता के तौर पर स्थापित करना पड़ेगा। साथ ही दोनों कहते हैं कि अरविन्द केजरीवाल की कोई खास विचारधारा नहीं है और उन्हें लगता है कि जो चीज हमको वोट दिलवाएंगी वो हमको करना चाहिए। वह यह भी कहते हैं कि इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि अरविन्द केजरीवाल का थोड़ा-सा वैचारिक झुकाव सॉफ्ट हिन्दुत्व की तरफ हो सकता है। भूषण कहते हैं कि केजरीवाल एक शुद्ध राजनीतिक प्राणी हैं, जिधर दिखे कि कुछ करने से ज्यादा वोट मिल सकते हैं वो हर काम उसी के हिसाब से कर लेते हैं।

राजस्थान में फोन टेपिंग को लेकर सियासी तकरार

राज्यसभा में शुक्रवार को राजस्थान के कथित फोन टेपिंग मामले को लेकर जमकर हंगामा हुआ। शून्यकाल में भाजपा सदस्य भूपेंद्र यादव ने इस मुद्दे को उठाया और कहा कि यह इंडियन टेलीग्राफ एक्ट का खुला उल्लंघन है। इस पर तुरन्त रोक लगाई जानी चाहिए। राजस्थान सरकार पर लगाए गए इन आरोपों से कांग्रेस बिफर गई और जमकर हंगामा किया। आखिर में सभापति की ओर से व्यवस्था देने के बाद मामला शांत हुआ। फोन टेपिंग मामला आखिर है क्या? पिछले साल जुलाई-अगस्त महीने में राज्य के कुछ प्रतिनिधियों ने फोन टेप किए जाने के आरोपों के बीच भाजपा विधायक कालीचरण सराफ ने अगस्त में आहूत विधानसभा सत्र में एक तारांकित सवाल किया था। पूछा था, क्या यह सही है कि विगत दिवसों में फोन टेप किए जाने के प्रकरण सामने आए हैं? यदि हां, तो किस कानून के अंतर्गत एवं किसके आदेश पर यह हुआ? इसका जवाब राज्य विधानसभा की वेबसाइट पर प्रकाशित हुआ। उसके अनुसार लोक सुरक्षा या लोक व्यवस्था के हित में या किसी ऐसे अपराध को प्रोत्साहित होने से रोकने के लिए जिससे लोक सुरक्षा या लोक व्यवस्था को खतरा हो टेलीफोन अंतर्विरोध (इंटरसेप्ट) भारतीय तार अधिनियम 1885 की धारा 5(2), भारतीय तार अधिनियम (संशोधित) नियम 2007 के नियम 419ए एवं सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 69 में वर्णित प्रावधान के अनुसार सक्षम अफसर की स्वीकृति उपरांत किया जाता है। राजस्थान से भाजपा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री राज्यवर्द्धन सिंह राठौड़ ने फोन टेपिंग को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के इस्तीफे की मांग की। उन्होंने इस विषय की सीबीआई से जांच कराने की मांग की है। सांसद ने कहा कि कांग्रेस सरकार एजेंसियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाती रही हैं, लेकिन राजस्थान में आम आदमी की फोन टेपिंग के लिए कानून का दुरुपयोग किया गया। यह राष्ट्रीय सुरक्षा उद्देश्यों के लिए या कोई आर्थिक अपराध रोकने के लिए नहीं किया गया, बल्कि राजनीतिक कारणों से किया गया था। इस पर राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जवाब देते हुए कहा कि बेवजह मुद्दे बनाकर विधानसभा की कार्रवाई को बाधित किया जा रहा है। राजस्थान विधानसभा में फोन टेपिंग को लेकर 14 अगस्त 2020 को ही पूरी बात रख चुका हूं। ऐसा लगता है कि यह भाजपा का आपसी झगड़ा है। वर्चस्व की लड़ाई है जिसमें बेवजह मुद्दे बनाए जा रहे हैं। भाजपा सदस्य ने राज्यसभा में कहा कि देश के संविधान के तहत कोई भी व्यक्ति किसी के निजी जीवन में दखल नहीं दे सकता है, जब तक उसके खिलाफ किसी तरह का कोई कानूनी मामला न हो, लेकिन राजस्थान में इसका खुला उल्लंघन हो रहा है। मैं राजस्थान से आता हूं भूपेंद्र यादव ने कहा। वहां के छह करोड़ नागरिकों, विपक्षी नेताओं, मीडिया और इसके साथ-साथ कांग्रेस पार्टी के कुछ नेताओं का दर्द यहां बयान करना चाहता हूं। वहां मुख्यमंत्री के ओएसडी द्वारा इन सभी के फोन टेप कराए गए हैं। उन्होंने पूछा कि यह कैसा शासन अब देश में चलाना चाहते हैं? इस मुद्दे को उठाते ही कांग्रेस भड़क गई। साथ ही भाजपा सदस्य के आरोपों को सदन की कार्रवाई से हटाने को लेकर अड़ गई। शोरशराबा बढ़ने पर सभापति ने दखल दिया और समझाने की कोशिश की कि उन्होंने कोई आरोप नहीं लगाया है, बल्कि वह कह रहे हैं कि असंतुष्ट नेता का फोन टेप हुआ है।

चीनी वैक्सीन लेने के बाद इमरान खान को कोरोना

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की कोरोना रिपोर्ट शनिवार को पॉजिटिव आई है। वह घर पर ही सेल्फ आइसोलेशन में हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा, नियमन एवं संयोजन को लेकर पीएम के विशेष सलाहकार डॉक्टर सुल्तान ने ट्विटर का रुख करते हुए इमरान खान के संक्रमित होने की पुष्टि की है। इमरान ने 18 मार्च को ही चीन की कोरोना वैक्सीन सिनोफार्म की पहली डोज लगवाई थी। पाकिस्तान में फिलहाल यही एक वैक्सीन उपलब्ध है, जिसके 5 लाख डोज चीन ने मुफ्त दिए हैं। डॉक्टर फैसल सुल्तान ने ट्वीट कियाöप्रधानमंत्री इमरान खान कोविड-19 की चपेट में आ गए हैं और उन्होंने अपने आवास पर खुद को पृथक् कर लिया है। खान के प्रवक्ता डॉक्टर शाहबाज गिल ने कहा कि प्रधानमंत्री को हल्का बुखार और खांसी है। इससे पहले पीएम के कार्यालय ने ट्वीट कर बताया था कि प्रधानमंत्री इमरान खान को टीका लगाया गया। इस अवसर पर उन्होंने देश के लोगों से महामारी की तीसरी लहर के मद्देनजर मानक संचालन प्रक्रिया का पूर्ण क्रियान्वयन सुनिश्चित करने का आग्रह किया। पाकिस्तान कोरोना की तीसरी लहर का सामना कर रहा है। इस बीच शनिवार को इस साल एक दिन में कोरोना वायरस संक्रमण के सबसे अधिक 3876 नए मामले सामने आए, जिसके साथ ही देश में संक्रमण दर बढ़कर 9.4 प्रतिशत हो गई है। कोरोना के बढ़ते मामले के कारण सियालकोट समेत कई क्षेत्रों में लॉकडाउन लगा दिया गया है। कोरोना के बढ़ने से अस्पताल में मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। पाकिस्तान में ब्रिटेन का स्ट्रेन मरीजों की संख्या में इजाफा कर रहा है। पाकिस्तान कोरोना टीकाकरण के लिए चीनी टीका सिनोफर्म का उपयोग कर रहा है। हाल ही में चीन से पाकिस्तान को वैक्सीन की 5 लाख खुराक प्राप्त हुई थी। फिलहाल वरिष्ठ नागरिकों का टीकाकरण अभियान चल रहा है। -अनिल नरेन्द्र

Sunday, 21 March 2021

बिडेन ने पुतिन को बताया हत्यारा

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन को लेकर एक ऐसा बयान दे डाला है जिससे हलचल मचना स्वाभाविक ही है। दरअसल पिछले साल हुए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में दखल देने के मामले में उन्होंने पुतिन को हत्यारा बताते हुए कहा कि उन्हें इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी। बिडेन के बयान से भड़के रूस ने वाशिंगटन में मौजूद अपने राजदूत को वापस बुला लिया है। इसकी वजह बताई गई है कि उन्हें मामले पर चर्चा के लिए वापस बुलाया गया है। एबीसी न्यूज के साथ इंटरव्यू के दौरान बिडेन से उस अमेरिकी इंटेलिजेंस रिपोर्ट के बारे में पूछा गया था, जिसमें कहा गया है कि डोनाल्ड ट्रंप को फायदा पहुंचाने के लिए पुतिन ने या तो चुनाव में दखल देने के ऑपरेशन की निगरानी की थी या कम से कम उसे मंजूरी दी थी। इस पर जो बिडेन ने कहा कि पुतिन ने जितने भी गलत काम किए हैं, सभी का पर्दाफाश जल्द होगा। इसके लिए वह जो कीमत अदा करने जा रहे हैं, आप जल्द ही देखेंगे। इस दौरान उन्होंने पिछले महीने पुतिन के साथ अपनी पहली कॉल का जिक्र भी किया। बता दें कि अमेरिका में पिछले साल हुए राष्ट्रपति चुनाव में रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन की भूमिका को लेकर आई खुफिया रिपोर्ट ने लोगों को चौंका दिया है। नेशनल इंटेलिजेंस के डायरेक्टर के ऑफिस की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि पुतिन ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के दौरान डोनाल्ड ट्रंप के समर्थन में प्रचार अभियान चलाने में मदद का आदेश दिया था। हालांकि वह उन्हें जिताने में कामयाब नहीं हो सके। इधर अमेरिकी वाणिज्य विभाग ने यह घोषणा की कि वह नवलेनी को जहर देने के लिए सजा के तौर पर रूस पर लगे निर्यात प्रतिबंधों को और सख्त कर रहा है। इसके तुरन्त बाद रूस ने मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए अपने राजनयिक को मास्को वापस बुला लिया। हालांकि रूस ने कहा कि वह दोनों देशों के संबंधों को खराब नहीं करना चाहते। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बिडेन के प्रशासन के साथ बढ़ते तनाव के बीच राजदूत एनातोली एनतोमेव को मास्को बुलाने का फैसला बुधवार को लिया गया। रूस ने कहा कि वह नहीं चाहता है कि अमेरिका के साथ उसके रिश्ते ऐसी जगह न पहुंच जाएं, जहां से वापस न आया जा सके। इससे पहले 1988 में रूस ने इराक में हमले के विरोध में अमेरिका और ब्रिटेन से अपने राजदूत वापस बुला लिए थे। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने हाल ही में राष्ट्रपति पद संभाला है। उनके प्रशासन के शुरुआती दिनों में ही इतना बड़ा फैसला दोनों देशों के रिश्तों में तनाव बढ़ा सकता है। राष्ट्रपति बिडेन ने हिंट किया है कि इस मामले में अभी और भी रहस्योद्घाटन की संभावना है। उम्मीद करते हैं कि दुनिया के इन दो महान देशों के संबंध और न बिगड़ें।

तमिलनाडु में मुस्लिम वोट में भी ओवैसी ने लगाई सेंध

तमिलनाडु विधानसभा चुनाव दिलचस्प होता जा रहा है। फिल्म स्टार विजयकांत की पार्टी डीएमडीके-एएमएमके के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने के ऐलान ने तस्वीर बदल दी है। इस गठबंधन के बाद मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। डीएमडीके और एएमएमके गठबंधन में ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम भी शामिल है। ऐसे में मुस्लिम वोट में विभाजन से डीएमके-कांग्रेस गठबंधन को सीधा नुकसान होगा। राज्य में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या छह प्रतिशत है। किसी भी सीट पर मुस्लिम मतदाताओं का वर्चस्व नहीं है, पर करीब 50 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 20 हजार के करीब है। यह मतदाता अमूमन डीएमके-कांग्रेस गठबंधन को वोट करते रहे हैं। पर इस चुनाव में ओवैसी का एएमएमके संग गठबंधन इन सीटों पर असर डाल सकता है। क्योंकि इनके साथ स्थानीय मुस्लिम पार्टी सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) का भी गठबंधन है। मक्कल नीधि मय्यम (एमएनएम) के प्रमुख कमल हसन की नजर भी मुस्लिम वोट पर है। ओवैसी के विजयकांत की डीएमडीके और दिनाकरन की एएमएमके के साथ आने से गठबंधन भी मुस्लिम वोटरों में सेंध लगाएगा। ऐसे में इन सीटों पर मुस्लिम वोट विभाजित होता है तो इसका सीधा नुकसान डीएमके-कांग्रेस और एआईयूएमएल गठबंधन को होगा। क्योंकि डीएमके गठबंधन की चुनावी जीत का गणित मुस्लिम दलित वोट पर है। कांग्रेस के रणनीतिकार मानते हैं कि एआईएमआईएम के दिनाकरन के साथ गठबंधन ने स्थिति बदल दी है। ओवैसी चुनाव गठबंधन नहीं करते तो शशिकला का भतीजा होने से दिनाकरन एआईएडीएमके को नुकसान पहुंचा सकता था। क्योंकि शशिकला ने भले ही राजनीति से संन्यास ले लिया हो पर पार्टी में उनके समर्थकों की कमी नहीं है। ओवैसी और डीएमडीके गठबंधन ने हालात बदल दिए हैं।

मां को जड़ा थप्पड़, मां ने दम तोड़ दिया

राजधानी दिल्ली में किरायेदार से झगड़े के बाद एक बेटे ने कहासुनी के दौरान अपनी 76 वर्षीय मां को थप्पड़ मार दिया, जिससे बुजुर्ग महिला अवतार कौर की मौत हो गई। मां की मौत के बाद बेटे ने बिना पुलिस को बताए ही उसका अंतिम संस्कार भी कर दिया। लेकिन सोशल मीडिया में वारदात का वीडियो वायरल हो गया, जिसके बाद पुलिस हरकत में आई और मामले की छानबीन शुरू करने के बाद आईपीसी एक्ट की धारा 304 के तहत केस दर्ज कर बेटे को हिरासत में ले लिया। फिलहाल पुलिस आरोपी से पूछताछ कर रही है। पुलिस आयुक्त संतोष कुमार मीणा ने बताया कि मृतक बुजुर्ग अवतार कौर अपने बेटे रणबीर व बहू के साथ सेवक पार्क में रहती थीं। पुलिस के अनुसार 15 मार्च को दिन में पुलिस को एक महिला ने शिकायत में बताया कि पार्किंग को लेकर यहां मकान मालिक से विवाद चल रहा है। मौके पर पहुंची पुलिस ने पाया कि मामला सुलझ चुका है। पुलिस को महिला ने कहा कि वह अब इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं चाहती हैं। उधर इस घटना के बाद रणबीर अपनी मां से झगड़ा करने लगा। इस दौरान उसकी पत्नी भी अपने पति का साथ दे रही थीं। झगड़े के दौरान ही रणबीर ने अपनी मां को जोरदार थप्पड़ मारा। थप्पड़ लगने के बाद बुजुर्ग महिला सड़क पर ही गिर गईं और बेसुध हो गईं, जिसके बाद बुजुर्ग की बहू ने उसे उठाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं उठीं, जिसके बाद परिजन उन्हें लेकर अस्पताल पहुंचे तो डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। परिजन अस्पताल से बुजुर्ग के शव को लेकर सीधा अपने घर पहुंचे और वहां से उन्हें अंतिम संस्कार के लिए ले गए। उन्होंने मामले की सूचना पुलिस तक को नहीं दी और अंतिम संस्कार भी कर दिया। -अनिल नरेन्द्र

Saturday, 20 March 2021

सभी को वैक्सीन की अनुमति से बढ़ सकती है वैक्सीनेशन की रफ्तार

महामारी के दिनोंदिन फिर बढ़ते मामलों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से कहा कि कोरोना की दूसरी लहर को तुरन्त रोकना होगा। देश के 70 जिलों में 15 दिन में केस 150 प्रतिशत तक बढ़ने का जिक्र कर प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर तेजी से हमने निर्णायक कदम नहीं उठाए तो देशभर में इसका प्रसार हो सकता है। गांवों में मामले बढ़े तो संभालना मुश्किल होगा। पीएम ने वायरस पर लगाम लगाने के तीन मंत्र याद दिलाया और कहा कि हमें देशभर में टेस्टिंग, ट्रैकिंग और ट्रीटमेंट पर फिर से जोर देना होगा। साथ ही ऐसे कदम नहीं उठाने को नसीहत दी जिनसे आम लोगों में डर का माहौल बने। प्रधानमंत्री ने महामारी की मौजूदा स्थिति और टीकाकरण को लेकर राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये बैठक की। पीएम मोदी ने कहा कि कुछ इलाकों में स्थानीय प्रशासन मास्क को लेकर गंभीर नहीं है, यहां बेहद सतर्कता की जरूरत है। माइक्रो कंटेनमेंट जोन भी बनाए जाएं। कोरोना महामारी पर प्रधानमंत्री द्वारा दिए सुझाव व चेतावनी पर ध्यान देना अति आवश्यक है। इधर जहां कोरोना की रफ्तार एक बार फिर बढ़ रही है, वहीं दिल्ली में वैक्सीनेशन की स्पीड स्लो चल रही है। एक्सपर्ट का कहना है कि अभी तक जिस टारगेट तक पहुंचना चाहिए था, उससे दिल्ली काफी दूर है। इसकी एक वजह कैटेगरी में वैक्सीन लगाने को बताया जा रहा है। ऐसे में एक्सपर्ट्स की सलाह है कि अब समय आ चुका है कि दिल्ली में सभी लोगों के लिए वैक्सीनेशन के दरवाजे खोल दिए जाएं, लेकिन यह तभी संभव है जब वैक्सीन की सप्लाई दिल्ली को मिल सके। राजीव गांधी सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल के नोडल ऑफिसर डॉ.अजीत जैन कहते हैं कि वैक्सीन लगवाने की अनुमति देनी पड़ेगी। हालांकि इसके लिए जरूरी है कि दिल्ली को वैक्सीन की पर्याप्त मात्र मिल सके। वैक्सीनेशन में तेजी लाने और सभी लोगों को टीके को आसान बनाने का एक बढ़िया तरीका यह है कि मार्केट में वैक्सीन उपलब्ध करवाई जाए और उसके रेट तय कर दिए जाएं। इससे फायदा यह होगा कि जिस भी उम्र का व्यक्ति वैक्सीन लगवाना चाहे, वह मार्केट से खरीद कर किसी रजिस्टर्ड डॉक्टर से टीका लगवा सकता है। डॉ. जैन का कहना है कि अभी देश में दो तरह की वैक्सीन को अनुमति दी गई है, लेकिन जल्द ही और भी वैक्सीन आने वाली है। ऐसे में यदि सरकार मार्केट में यह वैक्सीन उपलब्ध करवाती है तो वैक्सीनेशन ड्राइव में बेहद तेजी आ जाएगी और यह आना जरूरी भी है। ऐसा इसलिए क्योंकि जिस आयु वर्ग को अभी वैक्सीन लगाने की अनुमति नहीं मिली है, उसी की संख्या देश में सबसे ज्यादा है। ऐसे में यदि अनुमति मिल जाती है तो वैक्सीन का डेटा कुछ ही दिन में कई गुना बढ़ जाएगा। हालांकि अभी दिल्ली सरकार की ओर से सभी को वैक्सीन लगवाने की अनुमति देना थोड़ा मुश्किल है क्योंकि यदि अनुमति दे देते हैं तो वैक्सीन कम पड़ जाएगी और वैक्सीन लगवाने वालों की संख्या ज्यादा हो जाएगी। ऐसे में ब्लैक की समस्या होने की संभावना है इसलिए वैक्सीन की संख्या ज्यादा होने पर ही यह कदम उठाया जा सकता है। अगर वैक्सीन पर्याप्त संख्या में है तो सभी को टीका लगवाने की अनुमति देना बेहतर होगा।

इमरान सरकार देश चलाने में अक्षम हैं

पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) ने सोमवार को इमरान खान की अगुवाई वाली सरकार को जमकर फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि सरकार ने पिछले दो महीने से काउंसिल ऑफ कॉमन इंटरेस्ट्स (सीसीआई) की बैठक नहीं बुला पाई है। अदालत ने कहा कि क्या देश इस तरीके से चलेगा? कोर्ट ने कहा है कि सरकार देश चलाने में अक्षम है। जनगणना की घोषणा न करने, केंद्र-राज्य शक्तियों को लेकर होने वाली सीसीआई की बैठक भी न बुलाना सरकार को अयोग्यता को सिद्ध करते हैं। अदालत ने यह टिप्पणी एक केस के संबंध में चल रही सुनवाई के दौरान की। मामले की सुनवाई जस्टिस काजी फैज ईसा समेत दो सदस्यीय पीठ कर रही थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस बात को रेखांकित करते हुए कहा कि जनगणना देश को चलाने के लिए एक बुनियादी आवश्यकता है। न्यायमूर्ति ईसा ने कहा कि क्या जनगणना के परिणाम जारी करना सरकार की प्राथमिकता नहीं है? तीन प्रांतों में सरकार होने के बावजूद परिषद में कोई निर्णय नहीं लिया जा रहा है? मीडिया रिपोर्ट के हवाले से बताया गया है कि न्यायाधीश ने पूछा कि क्या देश इस तरीके से चलेगा, देश को यह जानने की जरूरत है कि प्रांत और केंद्र क्या कर रहे हैं? ऐसी स्थिति में दो ही बातें हैं, सरकार देश चलाने में अक्षम है या उसमें निर्णय लेने की क्षमता नहीं है। अदालत ने कहा कि काउंसिल ऑफ कॉमन इंटरेस्ट्स (सीसीआई) की बैठक दो माह से नहीं बुलाई गई है। सीसीआई पाक में संघीय और राज्य की शक्तियों को निर्धारित करती है और इसकी हर माह बैठक होनी चाहिए। इमरान दूसरे मोर्चे पर विपक्ष का शिकार वैसे ही बने हुए हैं। वह उनके इस्तीफे का दबाव बना रहे हैं और अब सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी?

सांसद शर्मा ने आत्महत्या क्यों की?

हिमाचल प्रदेश के मंडी क्षेत्र से भाजपा सांसद राम स्वरूप शर्मा की अपने दिल्ली आवास नॉर्थ एवेन्यू में अचानक संदिग्ध हालात में हुई मौत ने सभी को सकते में डाल दिया है। उन्होंने फांसी लगाकर जाने दे दी। घटनास्थल से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। 63 वर्षीय शर्मा ने सुसाइड क्यों किया? परिवार और उनके जानकारों को यकीन नहीं हो रहा कि वह अब उनके बीच नहीं रहे। चार दिन पहले ही तो उन्होंने कोविड-19 रक्षक कोविडशील्ड की डोज ली थी। उन्होंने लोगों को संदेश दिया था कि वह काफी मूल्यवान हैं। कोरोना वैक्सीन से हमें डरना नहीं बल्कि सभी को यह डोज लेनी चाहिए। राम स्वरूप के जानकारों के मन में सवाल है कि उत्साह के साथ जीवन को जीने और जीवन का महत्व समझने वाले व्यक्ति ने आत्महत्या जैसा कदम क्यों उठाया? वह रूटीन चैकअप के लिए दिल्ली के बड़े अस्पताल में जाते थे। केंद्र सरकार उनकी मौत की न्यायिक जांच कराए। हिमाचल के पूर्व मंत्री गुलाब सिंह ठाकुर ने भी न्यायिक जांच की मांग की है। सांसद शर्मा की पत्नी और तीन बेटे हैं। आमतौर पर शर्मा सुबह 6ः30 बजे तक उठ जाते थे, बुधवार को जब देर तक नहीं उठे तो उनके पीए सुनील ने दरवाजा खटखटाया, लेकिन अंदर से कोई जवाब नहीं मिला, थोड़ी देर बाद फिर दरवाजा खटखटाने पर जब कोई आवाज नहीं आई तो सुबह 8ः30 बजे पुलिस को सूचना दी गई। सूचना पर पहुंची पुलिस ने दरवाजा तोड़ा तो शर्मा का शव पंखे से लटका मिला। पुलिस को शुरुआती जांच में लग रहा है कि शर्मा ने बैड पर कुर्सी रखकर रस्सी से पंखे में फंदा लगाकर जान दे दी। शर्मा ने आखिरी बार अपनी पत्नी चन्दा शर्मा से करीब 100 सैकेंड बात की थी। इन पलों में ही उनकी खुदकुशी का राज छिपा हो सकता है? सांसद राम स्वरूप शर्मा की मौत का क्या कारण हो सकता है यह तो पुलिस जांच से पता चलेगा पर उनका यूं जाना अत्यंत दुखदायी है। भगवान उनकी आत्मा को शांति दें। -अनिल नरेन्द्र

Thursday, 18 March 2021

एलजी व दिल्ली सरकार के बीच जंग शुरू होना तय

केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच एक बार फिर टकराव की स्थिति बनती दिख रही है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सोमवार को लोकसभा में एक विधेयक पेश किया जो उपराज्यपाल (एलजी) को अधिक शक्तियां देता है। यह विधेयक उपराज्यपाल को कई विवेकाधीन शक्तियां देता है, जो दिल्ली के विधानसभा से पारित कानूनों के मामले में भी लागू होती हैं। प्रस्तावित कानून यह सुनिश्चित करता है कि मंत्रिपरिषद (या दिल्ली कैबिनेट) के फैसले लागू करने से पहले एलजी की राय के लिए उन्हें जरूरी मौका दिया जाना चाहिए। इसका मतलब हुआ कि मंत्रिमंडल को कोई भी कानून लागू करने से पहले उपराज्यपाल की राय लेना जरूरी होगा। इससे पहले विधानसभा से कानून पास होने के बाद उपराज्यपाल के पास भेजा जाता था। 1991 में संविधान के 239एए अनुच्छेद के जरिये दिल्ली को केंद्र शासित राज्य का दर्जा दिया गया था। इस कानून के तहत दिल्ली की विधानसभा को कानून बनाने की शक्ति हासिल है लेकिन वह सार्वजनिक व्यवस्था, जमीन और पुलिस के मामले में ऐसा नहीं कर सकती है। दिल्ली और केंद्र सरकार के बीच टकराव की यह कोई नई बात नहीं है। दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार भाजपा शासित केंद्र सरकार के राष्ट्रीय राजधानी को लेकर लिए गए कई प्रशासनिक मामलों को चुनौती दे चुकी है। दिल्ली की राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार (संशोधन) विधेयक 2021 को सोमवार को केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी ने पेश किया। यह विधेयक 1991 के अधिनियम के 21, 24, 33 और 44 अनुच्छेद में संशोधन का प्रस्ताव करता है। गृह मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि 1991 अधिनियम का अनुच्छेद 44 समय से प्रभावी काम करने के लिए कोई संरचनात्मक तंत्र नहीं देता। बयान में कहा गया है कि कोई आदेश जारी करने से पहले किन प्रस्तावों या मामलों को उपराज्यपाल को भेजना है इस पर भी तस्वीर साफ नहीं है। 1991 अधिनियम का अनुच्छेद 44 कहता है कि उपराज्यपाल के सभी फैसले जो उनके मंत्रियों या अन्य की सलाह पर लिए जाएंगे, उन्हें एलजी के नाम पर उल्लेखित करना होगा। यानि एक प्रकार से इसको समझा जा रहा है कि इसके जरिये उपराज्यपाल को दिल्ली सरकार के रूप में परिभाषित किया गया है। दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने भाजपा पर दिल्ली सरकार की शक्तियों को कम करने का आरोप लगाया है। वहीं भाजपा का कहना है कि दिल्ली सरकार और एलजी पर 2018 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद प्रस्तावित विधेयक आम आदमी पार्टी (आप) शासित सरकार के असंवैधानिक कामकाज को सीमित करता है। एलजी और दिल्ली सरकार के बीच कामकाज का मामला अदालतों तक जा चुका है। चार जुलाई 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने पाया था कि मंत्रिमंडल पर एलजी को अपने फैसले के बारे में सूचित करने का दायित्व है और उनकी कोई सहमति अनिवार्य नहीं है। 14 फरवरी 2019 के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि विधायकी शक्तियों के कारण एलजी मंत्रिमंडल की सलाह से बंधे हुए हैं। वह सिर्फ अनुच्छेद 239एए के आधार पर ही उनसे अलग रास्ता अपना सकते हैं। मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने सोमवार को प्रस्तावित विधेयक का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार संसद में असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक बिल लेकर आई है। इस बिल के पास होने के बाद दिल्ली की जनता द्वारा चुनी हुई सरकार की बजाय उपराज्यपाल ही दिल्ली सरकार बन जाएंगे। उपराज्यपाल को अलोकतांत्रिक तरीके से निरंकुश शक्तियां दी जा रही हैं। वहीं कांग्रेस ने कहा है कि केंद्र सरकार ने सोमवार को संसद में जीएनसीटी 1991 एक्ट में संशोधन करके दिल्ली की चुनी हुई सरकार के जनता के प्रति जवाबदेही के सभी अधिकारों को उपराज्यपाल की शक्तियों में समाहित करके लोकतंत्र की हत्या करने का काम किया है। इस काले कानून के तहत लोकतंत्र में चुनी हुई सरकार के अधिकारों को सीमित बना दिया है।

घायल बाघ और अधिक खतरनाक होता है

पश्चिम बंगाल के नंदीग्राम में चुनाव प्रचार के दौरान घायल होने के करीब चार दिन बाद तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने रविवार को व्हीलचेयर पर बैठकर रोड शो किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि एक घायल बाघ और ज्यादा खतरनाक होता है। बनर्जी के साथ टीएमसी के वरिष्ठ नेता भी थे। बनर्जी हाथ जोड़कर लोगों का अभिवादन कर रही थीं, जबकि सुरक्षाकर्मी व्हीलचेयर को पकड़ कर आगे बढ़ा रहे थे। बनर्जी नंदीग्राम दिवस के मौके पर पांच किलोमीटर लंबे रोड शो में शामिल हुईं। टीएमसी 14 मार्च को नंदीग्राम दिवस के तौर पर मनाती है। ममता हाई-प्रोफाइल नंदीग्राम सीट पर पहली बार चुनाव लड़ रही हैं। यहां उनका मुकाबला उनके पूर्व भरोसेमंद शुभेंदु अधिकारी के साथ है। अब भाजपा में वह शामिल हो चुके हैं। रोड शो के बाद सभा को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि उन्हें चुनाव प्रचार करने से रोकने के प्रयास विफल हो गए हैं। उन्होंने कहा कि वह व्हीलचेयर पर राज्यभर में टीएमसी उम्मीदवारों के लिए प्रचार करेंगी। उन्होंने कहा कि मैंने अपने जीवन में बहुत सारे हमलों का सामना किया है। लेकिन मैंने किसी के सामने कभी भी आत्मसमर्पण नहीं किया है। मैं अपना सिर कभी नहीं झुकाऊंगी। एक घायल बाघ और अधिक खतरनाक हो जाता है। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों ने मुझे आज प्रचार के लिए बाहर नहीं जाने की सलाह दी। लेकिन मुझे लगा कि मुझे आज की रैली में शामिल होना चाहिए, क्योंकि मेरी चोट के कारण हम पहले ही कुछ दिन गंवा चुके हैं। मेरा दर्द लोगों की पीड़ा से अधिक नहीं है, क्योंकि तानाशाही के जरिये लोकतंत्र को रौंदा जा रहा है। इस दौरान टीएमसी के कार्यकर्ताओं ने ममता को बंगाल की बेटी बताने वाले पोस्टर और तख्तियां पकड़ी हुई थीं। तृणमूल कांग्रेस समर्थकों ने भाजपा के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। मानना पड़ेगा कि ममता चोट खाने के बाद भी घायल बाघिन की तरह हुंकार भर रही हैं।

केवल असम में भाजपा को मिलेगी जीत

राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने रविवार को दावा किया कि असम को छोड़कर भाजपा बाकी चार राज्यों में चुनाव हारेगी। उन्होंने कहा कि पांच राज्यों में चुनाव के रूझान से देश को एक नई दिशा मिलेगी। महाराष्ट्र के पुणे जिले के बारामती शहर में संवाददाताओं से बातचीत में पवार ने चुनावी राज्य पश्चिम बंगाल में (कथित रूप से) शक्ति का दुरुपयोग करने के लिए केंद्र सरकार की आलोचना की। महाराष्ट्र में शिवसेना की अगुवाई वाली सरकार में पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी भी कांग्रेस के साथ एक घटक है। पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु, असम व केंद्र शासित पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव मार्च-अप्रैल में होने हैं। उन्होंने कहाöपांच राज्यों में चुनाव परिणाम के बारे में आज बात करना गलत है, क्योंकि इन राज्यों की जनता इस बारे में निर्णय करेगी। जहां तक केरल का सवाल है, वामदल और राकांपा एक साथ आए हैं और हम इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि हमें स्पष्ट बहुमत मिलेगा। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि तमिलनाडु में लोग द्रमुक और इसके अध्यक्ष एफके स्टालिन का समर्थन करेंगे और वह लोग सत्ता में आएंगे। राकांपा प्रमुख ने कहा-पश्चिम बंगाल में केंद्र खासकर भाजपा सत्ता का दुरुपयोग कर रही है और एक बहन पर हमला करने का प्रयास कर रही है, जो राज्य के लोगों के लिए लड़ने का प्रयास कर रही हैं। उन्होंने कहाöमुझे इस बात में कोई शक नहीं है कि ममता बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस (चुनाव के बाद) सत्ता में बनी रहेगी। पवार ने कहा कि असम की स्थिति से वह अवगत है और उनकी पार्टी के लोगों से प्राप्त सूचना के आधार पर लगता है कि वहां सत्तारूढ़ भाजपा दूसरों की तुलना में अच्छी स्थिति में है। -अनिल नरेन्द्र

Wednesday, 17 March 2021

सरकारी अधिकारी राज्यों के चुनाव आयुक्त नहीं बन सकते

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहाöकोई भी केंद्र या राज्य सरकार का कर्मचारी राज्य के चुनाव आयुक्त के रूप में काम नहीं कर सकता। सरकार में किसी पद पर बैठे व्यक्ति को राज्य चुनाव आयुक्त का अतिरिक्त प्रभार सौंपना संविधान का माखौल उड़ाना है। उसे स्वतंत्र व्यक्ति होना जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला गोवा सरकार के सचिव को राज्य चुनाव आयुक्त का अतिरिक्त प्रभार देने के मामले में सुनाया गया है। जस्टिस रोहिंटन एफ. नरीमन और बीआर गवई की पीठ ने कहाöलोकतंत्र में चुनाव आयोग की स्वतंत्रता से समझौता नहीं किया जा सकता। ऐसे किसी भी व्यक्ति को जो केंद्र या किसी राज्य सरकार के अधीन कार्यरत या लाभ का पद धारण करता है, चुनाव आयुक्त नियुक्त नहीं किया जा सकता है। पीठ ने कहाöयह एक परेशान करने वाली तस्वीर है कि एक सरकारी कर्मचारी जो सरकार के साथ रोजगार में था, गोवा में चुनाव आयोग का प्रभारी भी है। पीठ ने आदेश दिया कि इसके बाद ऐसे किसी व्यक्ति को केंद्र या राज्य सरकार द्वारा चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्त नहीं किया जाएगा। पीठ ने यह आदेश संविधान के अनुच्छेद 142 और 144 के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए जारी किया। अनुच्छेद 142 के तहत सुप्रीम कोर्ट अदालत को पूर्ण न्याय करने के लिए निर्देश जारी करने का अधिकार है, जबकि अनुच्छेद 144 सभी अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट की सहायता में कार्य करने के लिए बाध्य करता है। दरअसल मामला यूं थाöगोवा सरकार ने हाई कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी, जिसने राज्य के पांच नगरपालिकाओं के चुनाव रद्द कर दिए थे क्योंकि कानून के अनुसार महिलाओं के लिए वार्डों को आरक्षित नहीं किया गया था। शीर्ष अदालत ने राज्य में नगरपालिका परिषद चुनाव कराने के लिए अपने कानून सचिव को राज्य चुनाव आयुक्त का अतिरिक्त प्रभार देने से रोक दिया। पीठ ने राज्य सरकार की अपील पर दिए अपने फैसले में कहा कि संविधान के प्रावधानों के तहत यह राज्य सरकार का कर्तव्य है कि वह राज्य चुनाव आयोग के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करे। यह टिप्पणियां और निर्देश 96 पन्नों के फैसले में दिए गए जिसे न्यायमूर्ति नरीमन ने गोवा के शहरी स्थानीय निकाय चुनाव कराने से जुड़ी कई याचिकाओं पर दिए। न्यायमूर्ति ने कहाöराज्य निर्वाचन आयुक्त राज्य सरकार से इतर स्वतंत्र व्यक्ति होना चाहिए, क्योंकि वह महत्वपूर्ण संवैधानिक अधिकारी होता है जो राज्य में पूरे चुनावी प्रक्रिया के साथ ही पंचायतों एवं नगर निगमों के चुनाव को भी देखता है।

कोलकाता पहुंचे टिकैत ः हमारा मकसद भाजपा को हराना है

बंगाल के सियासी घमासान में अब किसान आंदोलन की भी एंट्री हो गई है। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत शनिवार को बंगाल पहुंचे। यहां वह कोलकाता के भवानीपुर में आयोजित किसान महापंचायत में शामिल हुए। इस दौरान टिकैत ने कहा कि आप भाजपा को वोट मत दीजिए, भले चाहे किसी और पार्टी को दे दीजिए। हम यहां क्रांतिकारियों की धरती से अपनी लड़ाई आगे बढ़ाने आए हैं। जब तक कानून वापसी नहीं, तब तक घर वापसी नहीं। उन्होंने कहा कि पूरी सरकार दिल्ली छोड़कर बंगाल में चुनाव प्रचार करने में व्यस्त है। इसीलिए हमारे सारे नेता भी यहां पहुंच गए हैं। सरकार किसानों से बात नहीं कर रही। हम आंदोलन आठ और महीने चलाने को तैयार हैं। जब तक सरकार कानून वापस नहीं लेती, हमारा आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि जहां-जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जाएंगे, हम उन्हें फॉलो करेंगे। इसके बाद टिकैत ने शाम को नंदीग्राम में भी किसानों को संबोधित किया। उन्होंने रविवार (14 मार्च) को सिंगूर और आसनसोल में भी पंचायत की। एसकेएम नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि हम किसी पार्टी का समर्थन नहीं कर रहे हैं और न ही लोगों से किसी खास पार्टी को वोट देने के लिए कह रहे हैं। हमारा मकसद है भाजपा को सबक सिखाना। उन्होंने कहा कि सरकार के कानों तक हमारी बात पहुंचाने के लिए जरूरी है कि आगामी चुनाव में उसका नुकसान किया जाए। भाजपा पर आरोप लगाते हुए सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटेकर ने कहा कि सरकार कुछ कारपोरेट्स के हाथों देश को बेचने की कोशिश कर रही है। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वह सावधानी से अपने मताधिकार का प्रयोग करें। किसानों का अपमान करने के लिए केंद्र की निंदा करते हुए पाटेकर ने कहा कि ब्रिटिश शासकों ने भी इसका सहारा नहीं लिया था, जिसे मौजूदा सरकार कानून का रूप दे रही है। सरकार को यह कानून वापस लेने होंगे।

जेम्स बांड अंदाज में वैक्सीन की सुरक्षा

दुनियाभर में पैर पसार चुकी कोरोना महामारी से निपटने के लिए टीकाकरण चल रहा है। अब सबसे बड़ी चुनौती वैक्सीन पहुंचाने में लगी कंपनियों की है। वजह हैöडोज तेजी से पहुंचाने में ट्रक से लेकर रेल, एयरप्लेन और जहाज से वैक्सीन पहुंचाते समय चोरी या लूट की आशंका। बताया जा रहा है कि डोज लादने के बाद एक कार्गो सात करोड़ डॉलर (500 करोड़ रुपए तक) पहुंच गया है। शिपिंग कंपनियों ने डोज चोरी रोकने के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल शुरू किया है। कंपनियां अतिरिक्त कर्मचारियों की तैनाती के साथ 007 जैसे डिजिटल स्पाइक्राफ्ट (जासूसी ड्रोन) लगा रही है। नीदरलैंड की शिपिंग कंपनी एच एसर्स ने फाइजर वैक्सीन पहुंचाने के लिए अपने सबसे अनुभवी ड्राइवर्स को चुना है। वहीं मॉडर्ना और सिनोवैक पहुंचा रही स्विट्जरलैंड की कुहने+नेगल ने अपने वाहनों की सुरक्षा के लिए हथियारबंद जवानों का पहरा लगा दिया है। इसके साथ ही ट्रैकिंग टेक्नोलॉजी की मदद ले रही है। उधर जर्मन एयर कार्गो ट्रांसपोर्ट जीएमबीएच वैक्सीन लदे एक वाहन के परिवहन पर 2.2 करोड़ रुपए खर्च कर रही है। सुरक्षा के लिए उसने एक दर्जन मर्सिडीज लगाई हैं। कार्गो वाहनों के दरवाजों में अलार्म फिट किए गए हैं। अगर कोई अनजान इन दरवाजों को खोलता है तो उनसे घास काटने वाली मशीन जैसी 90 डेसीमल की कानफोड़ू आवाज का सामना करना होगा। कुछ कंपनियों ने तो प्लेनक्लोथ गार्ड और निगरानी वेन का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। एक कंपनी ने किलिंग स्विच लगवा दिया है। यूरोप में ट्रांसपोर्टेड एसेट प्रोटेक्शन के सीईओ ने बताया कि जब से वैक्सीन लगनी शुरू हुई है, तब से सुरक्षा सबसे बड़ी चुनौती है। इंटरपोल ने दिसम्बर में ही चेताया था कि वैक्सीन कार्गो को हथियार लैस अपराधी फिल्मी अंदाज में (जेम्स बांड अंदाज) लूट सकते हैं। दूसरा खतरा वैक्सीन विरोधी आतंकियों से है। -अनिल नरेन्द्र

Tuesday, 16 March 2021

यह सिर्फ ट्रेलर है, पिक्चर अभी बाकी है

मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के बाहर जो विस्फोटों से लदी स्कार्पियो कार मिली थी क्या उसके पीछे साजिश के तार दिल्ली के तिहाड़ जेल से जुड़े हैं? सूत्रों ने इसकी पुष्टि मुंबई पुलिस कमिश्नर के उस सीक्रेट इनपुट से की है, जो दिल्ली पुलिस कमिश्नर को भेजा गया है। इन इनपुट में आईपी एड्रेस समेत उस टेलीग्राम अकाउंट का जिक्र है जिसके जरिये जैश-उल-हिन्द नाम के आतंकी संगठन ने विस्फोटक की जिम्मेदारी ली। 25 फरवरी को विस्फोटक मिला था। 27 फरवरी को टेलीग्राम अकाउंट के जरिये इसकी जिम्मेदारी ली गई। जांच में पता चला है कि टेलीग्राम अकाउंट तिहाड़ की जेल संख्या तीन और चार में बंद कैदियों ने 26 फरवरी को बनाया था। कथित रूप से तिहाड़ से भेजे गए संदेश में वाहन (स्कार्पियो) को पार्क करने की जिम्मेदारी के साथ ही अंबानी से पैसे की मांग की गई थी। इसमें एक क्रिप्टोकरंसी पेमेंट का लिंक भी था। मुंबई पुलिस की जांच में सामने आया कि यह लिंक काम नहीं कर रहा है। मैसेज में लिखा गया था कि यह सिर्फ ट्रेलर है। पिक्चर अभी बाकी है। सीक्रेट इनपुट में दी गई डिटेल को खंगालने के लिए स्पेशल सेल और खुफिया एजेंसियां तिहाड़ जेल के प्रशासन से सम्पर्क में है। जैश-उल-हिन्द उस समय सुर्खियों में आया था, जब इजरायली दूतावास के बाद ब्लास्ट हुआ था। इसकी जिम्मेदारी टेलीग्राम के जरिये ली गई थी। उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के सामने विस्फोटक भरी स्कार्पियो मिलने का मामला अब दिल्ली की तिहाड़ जेल तक पहुंच गया है। खबरों के मुताबिक देश के सबसे बड़े और सुरक्षित जेल तिहाड़ की बैरक नम्बर आठ से एक मोबाइल और सिम बरामद की गई है। इसी से पिछले दिनों टेलीग्राम चैनल (व्हॉट्सएप ग्रुप जैसा) बनाया गया था। उस चैनल पर संदेश भेजकर अंबानी के घर के सामने विस्फोटक भर कार रखवाने की जिम्मेदारी जैश-उल-हिन्द नाम के आतंकी संगठन ने ली थी। साथ ही धमकी भी दी थी। खबरों में सामने आया है कि दिल्ली पुलिस को इस बाबत सुराग मिलने के बाद दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने वीरवार को शाम छह बजे से रात नौ बजे तक जेल की छापेमारी की। इसी दौरान आठ नम्बर के बैरक से मोबाइल और सिम बरामद हुई। इस बैरक में इंडियन मुजाहिद्दीन का आतंकी तहसीन अख्तर कैद है। पुलिस ने कहा है कि अब इस फोन की फोरेंसिक सहित अन्य जांच की जाएगी। तहसीन से पूछताछ भी की जा रही है। उसे जेल से रिमांड पर लेने के लिए कोर्ट में अर्जी लगा दी गई है। इंडियन मुजाहिद्दीन का सदस्य तहसीन अख्तर पटना के गांधी मैदान में अक्तूबर 2013 की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली के दौरान बम विस्फोट कराने की घटना में भी शामिल था। उस पर हैदराबाद और बिहार के बोधगया विस्फोटों में भी शामिल होने का आरोप है। इस समय मुंबई और दिल्ली दोनों जगहों पर अलग-अलग बिन्दुओं पर जांच चल रही है। दिनोंदिन यह मामला गंभीर होता जा रहा है। मुकेश अंबानी के घर के बाहर विस्फोटों से भरी स्कार्पियो के पीछे कौन था और क्यों था, क्या थी साजिश इसका खुलासा आने वाले दिनों में हो सकता है।

गौतम अडानी ने पीछे छोड़ा मस्क-बेजोस को

अडानी ग्रुप के मुखिया गौतम अडानी ने इस साल दौलत कमाने में दुनिया के सभी अरबपतियों को पीछे छोड़ दिया है। ब्लूमबर्ग बिलेनियर्स इंडेक्स के मुताबिक दैनिक भास्कर में छपी रिपोर्ट के अनुसार साल 2021 में गौतम अडानी की सम्पत्ति में 16.2 अरब डॉलर (करीब 1.2 लाख करोड़) की बढ़ोत्तरी हुई है। अडानी की सम्पत्ति अब 50 अरब डॉलर (3.65 लाख करोड़ रुपए) हो गई है। दौलत कमाने के मामले में इस साल अभी तक गौतम अडानी ने भारत के सबसे अमीर व्यक्ति मुकेश अंबानी को ही नहीं बल्कि दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति जेफ बेजोस और एलन मस्क को भी पीछे छोड़ दिया है। अडानी ग्रुप की एक कंपनी को छोड़कर बाकी सभी कंपनियों के शेयर इस साल कम से कम 50 प्रतिशत चढ़ गए हैं। अडानी टोटल गैस ने इस साल 97 प्रतिशत की छलांग लगाई। जबकि अडानी एंटरप्राइज ने 87 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दर्ज की। अडानी ट्रांसमिशन 77 प्रतिशत ऊपर है। अडानी पॉवर और अडानी पोर्ट एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन लिमिटेड ने इस साल 50 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ोत्तरी हासिल की है। अडानी ग्रीन एनर्जी ने पिछले साल 500 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की थी। इस साल 10 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी पर है। कहां से कितनी कमाईöअडानी लगातार अपने व्यवसाय को उन इलाकों में विस्तार कर रहे हैं, जो बाजार के उतार-चढ़ाव के लिए लचीले हैं। अब डेटा सेंटर बिजनेस में प्रवेश के साथ उनके समूह ने टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भी उतरने के संकेत दिए हैं। जहां कोरोना महामारी के चलते लाखों लोग तबाह हो गए वहीं लॉकडाउन के दौरान भी गौतम अडानी की सम्पत्ति में वृद्धि हो रही थी। पर यहां तो उल्टा ही हिसाब हो रहा है। महामारी में भी इनकी दौलत बढ़ी है।

ममता पर जब-जब हमले हुए, उन्हें फायदा हुआ

ममता बनर्जी को नंदीग्राम में बुधवार को चोट लगने से पश्चिम बंगाल की सियासत गरमा गई है। ममता की टांग में चोट लगी है और अब वह प्लास्टर लगाकर व्हीलचेयर पर प्रचार करेंगी। तृणणूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी के चोट से घायल होने के बाद पार्टी की आक्रामक चुनाव रणनीति में सहानुभूति का कार्ड भी जुड़ गया है। पार्टी ममता की चोट के बहाने भाजपा की पूरे राज्य में जबरदस्त घेराबंदी करेगी। जानकारों का कहना है कि ममता की चोट उसके समर्थक खासकर महिलाओं में सहानुभूति पैदा कर सकती है। वैसे बता दें कि जब-जब ममता पर हमले हुए हैं तब-तब उन्हें फायदा हुआ है। छह अगस्त 1990 को सीपीआई (एम) के गुंडे लालू आलम ने ममता पर जानलेवा हमला किया था। तब वह यूथ कांग्रेस की लीडर थीं। उस घटना के बाद ममता कांग्रेस की फायर ब्रांड नेता के रूप में उभरी थीं। फिर 1993 में तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्योति बसु के सामने ही ममता को राइर्ट्स बिल्डिंग यानि सचिवालय के सामने से घसीट कर बाहर कर दिया गया था। इससे फिर वो हर जगह चर्चा में आ गई थीं। 2006-07 में नंदीग्राम-सिंगूर आंदोलन के वक्त भी उन पर हमलों की कोशिश हुई। नतीजा यह हुआ कि वो 2011 में सरकार में आ गईं। अब ममता एक बार फिर चोटिल हो गई हैं और उन्होंने कहा है कि वो व्हीलचेयर से ही प्रचार-प्रसार शुरू करेंगी। पहले की घटनाएं देखें तो लगता है कि जब-जब ममता पर अटैक हुआ तब-तब उन्हें फायदा हुआ। लेकिन इस बार का मामला थोड़ा अलग दिख रहा है। पश्चिम बंगाल के वरिष्ठ पत्रकार रयामलेदू मित्रा कहते हैं, ममता पर पहले जो हमले हुए उसमें और इस हमले में अंतर है। पहले वे विपक्ष में थीं। जो हमले हुए उनके कई गवाह भी थे। लेकिन इस बार वे सरकार में हैं और जिसे हमला बताया जा रहा है, उसका घटना का कोई साक्ष्य नहीं है। घटनास्थल पर मौजूद लोगों का ही कहना है कि यह एक एक्सीडेंट था, न कि हमला। वे कहते हैं कि इससे कितनी सहानुभूति मिलेगी, वह तो रिजल्ट ही बताएंंगे लेकिन ममता चर्चा में जरूर आ गई हैं। -अनिल नरेन्द्र

Sunday, 14 March 2021

लापरवाही कहीं भारी न पड़ जाए

देश में लगातार बढ़ रहे कोरोना के नए मामलों ने फिर से दिसम्बर के हालात पैदा कर दिए हैं। यह संख्या 23 दिसम्बर के बाद सबसे ज्यादा है। कुल मामले एक करोड़ 13 लाख के पार हो गए हैं। 24 घंटे में देश में 23,285 नए केस आए हैं। 117 मौतें हुई हैं। 15,157 लोग रिकवर हुए हैं। यानि कुल एक्टिव केस अब 1,97,237 यानि दो लाख से कुछ ही कम हैं। इधर दिल्ली में भी हालात बिगड़ते दिख रहे हैं। 61 दिन बाद दिल्ली में कल 400 से अधिक नए मामले आए। इस साल पहली बार एक्टिव मरीजों की संख्या दो हजार के पार पहुंच गई है। दिल्ली में संक्रमण रेट भी बढ़ा है। इससे अस्पतालों में एडमिट मरीजों की संख्या फिर से बढ़ने लगी है। लोक नायक अस्पताल के एक डाक्टर ने बताया कि जनवरी में ऐसे कई दिन थे, जब हमारे अस्पताल में कोविड का कोई नया मरीज भर्ती नहीं हुआ। लेकिन पिछले कुछ हफ्तों में हर रोज पांच से छह मरीजों को भर्ती करना पड़ा। दिल्ली पिछले साल जून, सितम्बर और नवम्बर में पीक्स देख चुकी है। ऐसे में बढ़ते केसेज को देखते हुए राजधानी में कोरोना की चौथी वेव का खतरा बताया जा रहा है। एक्सपर्ट का कहना है कि जरूरी है कि राज्य टेस्टिंग, ट्रैकिंग और आइसोलेशन को लगातार जारी रखें और पॉजिटिव केस आने पर माइक्रो लेवल पर कंटेनमेंट जोन बनाकर संक्रमण की चेन को फैलने से रोकें। कई राज्यों ने तो अपने सबसे ज्यादा प्रभावित शहरों में फिर से लॉकडाउन लागू कर दिया है। एम्स के जाने-माने डाक्टर रणदीप गुलेरिया ने चेतावनी दी है कि अगर सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क के नियमों का पालन नहीं होता तो मामले और बढ़ सकते हैं। महामारी अभी खत्म नहीं हुई है। लेकिन लोगों की भीड़ रेस्तरां, सिनेमा घर जैसी जगहों पर जुटने लगी है। पार्टियां जोरों पर हो रही हैं, जिनमें फिजिकल डिस्टेंसिंग और मास्क जैसे प्रीवेंटेव कदमों का ध्यान नहीं रखा जाता। आज के जमाने में जब डाक्टर मरीज को कहता है कि एमआरआई व सीटी स्कैन करवाकर आओ तो गरीब मरीज तो वहीं इतना घबरा जाता है कि अब इनके लिए पैसे

50 रुपए में एमआरआई और सीटी स्कैन जांच

कहां से लाऊं? धन्य हो सिख बिरादरी का, जिन्होंने गरीबों को बचा लिया है। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने गुरुवार से आर्थिक वर्ग के कमजोर लोगों के लिए सबसे सस्ती एमआरआई और सीटी स्कैन टेस्ट की सुविधा शुरू कर दी है। वहीं प्राइवेट डायग्नोस्टिक सेंटरों में एमआरआई और सीटी स्कैन टेस्ट का खर्च करीब पांच से सात हजार तक आता है, जिसे डीएमजीएमसी अपने डायग्नोस्टिक सेंटर में मात्र 50 रुपए में कर रही है। इसका उद्घाटन दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान सरदार मनजिंदर सिंह सिरसा व सचिव हरमीत सिंह कालरा ने किया। सिरसा ने बताया कि जर्मनी की सबसे लेटेस्ट टेक्नोलॉजी की इस मशीन पर एमआरआई या सीटी स्कैन टेस्ट के लिए मशीन पर किसी भी जरूरतमंद को मात्र 50 रुपए देने होंगे। गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही बालाजी अस्पताल में देश की सबसे बड़ी किडनी डायलेसिस सेवा शुरू की गई थी। डीएसजीएमसी पदाधिकारियों के मुताबिक जांच शुल्क को तीन श्रेणियों में बांटा गया है। पहली कैटेगरी में 50 रुपए की नॉर्मल पर्ची काटी जाएगी। इसमें मरीज के पूरे दस्तावेज चैक होने के बाद गुरुद्वारा कमेटी के प्रधान स्वयं मरीज का नाम सेंटर भेजेंगे, जिनकी आर्थिक स्थिति ज्यादा कमजोर होगी उन्हें ही इस क्षेणी में रखा जाएगा। वहीं दूसरी कैटेगरी में एमआरआई 700-1000 रुपए में होगी। इसमें जरूरतमंद लोग आएंगे जिनके नाम कमेटी के सदस्य भेजेंगे। वहीं तीसरी श्रेणी में कोई भी मरीज 1400-1500 रुपए में एमआरआई करा सकता है। सतनाम वाहे गुरु।

सऊदी अरब तेल कंपनी पर आतंकी हमला

देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में इजाफे के बीच रविवार को सऊदी अरब में दुनिया की सबसे बड़ी सरकारी तेल कंपनी अरामको पर हमला हो गया। हूती विद्रोहियों ने 14 ड्रोन और आठ बैलेस्टिक मिसाइल से रिफायनरी पर हमला किया। हालांकि मिसाइल को हवा में ही तबाह कर दिया गया। मिसाइल के कुछ टुकड़े रहवानी इलाके में गिरे। अरामको को नुकसान नहीं पहुंचा। भारतीय तेल विशेषज्ञों का कहना है कि इससे भारत में पेट्रोल-डीजल के दामों पर तत्काल असर नहीं पड़ेगा। हालांकि हमले के बाद कच्चे तेल के दाम सालभर के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गए। सोमवार को मई डिलीवरी वाला क्रूड ऑयल 1.75 डॉलर की तेजी (+2.9…) के साथ 71.37 डॉलर प्रति बैरल हो गया। कोरोना काल के बाद क्रूड का यह सबसे ऊंचा दाम है। इससे पहले आठ जनवरी 2020 को दाम 71 डॉलर पार गए थे। जानकारों का कहना है कि वैश्विक तनाव में क्रूड 73 डॉलर तक पहुंच सकता है। ओपेक और मिस्र राष्ट्रों द्वारा उत्पादन न बढ़ाए जाने की बात कहने से भी कीमतें बढ़ रही हैं। ऐसे में निकट भविष्य में तेल के दाम बढ़ सकते हैं। मालूम हो, भारत 80… तेल आयात करता है। सऊदी अरब से 20… तेल खरीदता है। विद्रोहियों ने हमला क्यों किया? अमेरिकी मदद नहीं मिलने से सऊदी कमजोर हो गया है। बिडेन ने हूती को आतंकी सूची से बाहर कर दिया था। इसलिए हूती का मनोबल बढ़ गया। उन्हें ईरान खुलकर मदद कर रहा है। चीन का भी समर्थन है। उम्मीद है कि संघर्ष लंबा न चले। अमेरिका आगे नहीं आया तो सऊदी कुछ नहीं कर पाएगा। हमले बढ़ते जाएंगे। हालांकि अरामको पर हमले के कारण अमेरिका चुप नहीं बैठेगा। उसे मदद करनी ही होगी। -अनिल नरेन्द्र

Saturday, 13 March 2021

हमला है या नौटंकी है?

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने विधानसभा क्षेत्र नंदीग्राम में गुरुवार को चोटिल हो गईं। ममता का आरोप है कि भाजपा ने उनके खिलाफ साजिश की है। वहीं भाजपा का कहना है कि ममता झूठ बोल रही हैं। बहरहाल इस सच और झूठ पर दोनों पार्टियां एक बार फिर से भिड़ गई हैं और दोनों ने एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव आयोग के पास शिकायत दर्ज की है। भाजपा नेता रूपा गांगुली ने कहाöममता बनर्जी को चोट लगी है। हमें इस चीज का दुख है। लेकिन यह एक हादसा है। संभवत बैलेंस बिगड़ने से उनको चोट लगी है। ममता को इस पर राजनीति नहीं करनी चाहिए। भाजपा नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल ममता की शिकायत करने चुनाव आयोग से मिला। भाजपा ने ममता पर नंदीग्राम में हमले पर झूठी खबर फैलाने का आरोप भी लगाया है। दूसरी तरफ कांग्रेस के नेताओं का प्रतिनिधिमंडल चुनाव आयोग जाने की तैयारी में है। टीएमसी का आरोप है कि ममता पर जानबूझ कर हमला कराया गया है। टीएमसी सांसद डेरेक ओ. ब्राइन ने कहा कि इस जघन्य घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज होना चाहिए। इस घटना के 30 मिनट के भीतर ही लोगों ने बेहद खराब बयान दिए। हम उनके बयानों की निंदा करते हैं। डाक्टरों से बात करेंगे और देखेंगे कि आखिर क्या हुआ है? डेरेक के बयान के हवाले से एएनआई ने लिखा हैöनौ मार्च को ईसी और डीजीपी बदला, 10 मार्च को एक भाजपा सांसद ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कियाöआप समझ जाएंगे शाम पांच बजे के बाद क्या होने वाला है और कल छह बजे नंदीग्राम में ममता दीदी के साथ यह हादसा हुआ। हम उस घटना की निंदा करते हैं और चाहते हैं कि इसकी सच्चाई सामने आए। पार्थ चटर्जी ने कहाöचुनाव आयोग को ममता बनर्जी पर हमले की जिम्मेदारी लेनी पड़ेगी। वह भाजपा के आदेश पर काम कर रही है। पश्चिम बंगाल के भाजपा प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने ममता बनर्जी पर हमले की निंदा करते हुए इसे हादसा और नौटंकी बताया। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को उम्मीदवार के पीछे चल रहे वीडियो में जो आया है, उसे सार्वजनिक करना चाहिए। आश्चर्य की बात है कि ममता बनर्जी के साथ इतनी पुलिस चलती है और चार लोग घटना करके चले गए। यह बहुत आश्चर्य और दुख की बात है। वहीं कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि अगर यह षड्यंत्र है तो सीबीआई, सीआईडी को बुलाओ। सिर्फ षड्यंत्र का बहाना बनाकर ममता बनर्जी आम लोगों का ध्यान खींचना चाहती हैं, सीसीटीवी फुटेज निकालने से सारा सच सामने आ जाएगा। ममता बनर्जी का इलाज कर रहे डाक्टरों का कहना है कि उनके बाएं पैर और टखनी की हड्डी में गंभीर चोट लगी है जबकि बाएं कंधे, बांह और गर्दन में भी चोट लगी है। कोलकाता के एक सरकारी अस्पताल एसएमकेएन के एक वरिष्ठ चिकित्सक डाक्टर एम. बंधोपाध्याय ने एक बयान जारी कर बताया कि मुख्यमंत्री को अगले 48 घंटे निगरानी में रखा जा रहा है। अभी और जांच की जरूरत है। उनकी स्थिति देखने के बाद हम आगे का इलाज के बारे में फैसला करेंगे। राज्य सरकार ने ममता की चिकित्सा के लिए पांच डाक्टरों की एक टीम गठित की है। विपक्ष ने ममता के साजिश के आरोप खारिज करते हुए पूछा है कि आखिर जैड प्लस सुरक्षा के घेरे में कैसे बाहरी लोग घुस गए? यह नौटंकी है और बिल्कुल साफ है कि लोगों की सहानुभूति लेने के लिए ड्रामा है। इधर दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि जिम्मेदार लोगों को तुरन्त गिरफ्तार किया जाना चाहिए।

स्वीडन की कंपनी ने बस सौदों के लिए दी थी रिश्वत

स्वीडन की नामी कंपनी जो बस-ट्रक बनाती है स्कैनिया ने भारत में सात राज्यों में बसें बेचने के लिए 2013 से 2016 के बीच अफसरों को भारी रिश्वत दी थी। स्वीडिश न्यूज चैनल एसवीटी समेत तीन मीडिया संस्थानों ने एक खुफिया जांच के बाद यह दावा किया है। फॉक्सवेगन एजीज की ट्रक एवं बस का निर्माण करने वाली इकाई स्कैनिया ने 2007 में भारत में काम शुरू किया था और 2011 में विनिर्माण इकाई की स्थापना हुई थी। वहीं स्कैनिया कंपनी के प्रवक्ता ने बताया कि 2017 में कंपनी को कर्मचारियों व शीर्ष प्रबंधन के कामकाज में गंभीर गड़बड़ियां दिखीं। इसके चलते जांच करानी पड़ी और जांच में पता चला कि यह लोग रिश्वतखोरी में लिप्त थे। इसमें कुछ कारोबारी साझेदार भी शामिल थे। प्रवक्ता ने बताया कि इसके बाद स्कैनिया ने भारतीय बाजार में बसों की बिक्री पर ही रोक लगा दी थी। वहीं स्कैनिया के सीईओ हेनरिक हेनरिक्सन ने कहाöनुकसान जरूर हुआ पर हमने वहां अपनी विनिर्माण इकाई को बंद कर दिया। उन्होंने कहा कि भारत में जो भी लोग रिश्वतखोरी में शामिल थे, उन्हें कंपनी से निकाल दिया गया और हमारे बिजनेस पार्टनर्स के करार भी रद्द कर दिए गए। गौरतलब है कि इससे पहले 1986 में बोफोर्स घोटाले में शामिल कंपनी भी स्वीडन की ही थी। तब स्वीडन पुलिस ने ही बोफोर्स कांड का खुलासा किया था। एसवीटी ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया कि भारत सरकार के एक मंत्री को भी रिश्वत दी गई थी। एसवीटी के अनुसार स्कैनिया ने एक मंत्री से जुड़ी एक कंपनी को खास लग्जरी बस दी थी। इसका इस्तेमाल उनकी बेटी की शादी में किया गया था। बस के पूरे पैसे कंपनी को नहीं मिले। हालांकि स्कैनिया के प्रवक्ता ने कहा कि मंत्री को कोई बस नहीं बेची गई थी। उन्होंने इस पर अधिक टिप्पणी से इंकार कर दिया। विवाद के बाद केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के कार्यालय की तरफ से इस बयान पर अपना बयान जारी करते हुए कहा कि एक मीडिया रिपोर्ट में केंद्रीय मंत्री के बेटे के करीबी की कंपनी को नवम्बर 2016 में स्कैनिया कंपनी की तरफ से लग्जरी बस तोहफे में देने की बात कही गई है जो दुर्भावनापूर्ण है। आरोप आधारहीन व मीडिया की कल्पना है।

ब्रिटिश संसद में गूंजा किसानों का मुद्दा

लंदन में भारतीय उच्चायोग ने भारत में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसानों के आंदोलन के बीच शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन करने के अधिकार और प्रेस की स्वतंत्रता के मुद्दे को लेकर कुछ ब्रिटिश सांसदों के बीच हुई चर्चा की निंदा की है। उच्चायोग ने सोमवार शाम ब्रिटेन के संसद परिसर में हुई चर्चा की निंदा करते हुए कहा कि एक तरफ चर्चा में झूठे दावे किए गए हैं। भारतीय मिशन ने ब्रिटिश मीडिया सहित विदेशी मीडिया में भारत में चल रहे किसान आंदोलन का खुद साक्षी बन खबरें देने का जिक्र किया और कहा कि भारत में प्रेस की स्वतंत्रता में कमी पर कोई सवाल नहीं उठता। उच्चायोग ने एक बयान में कहा कि बेहद अफसोस है कि एक संतुलित बहस के बजाय बिना किसी ठोस आधार के झूठे दावे किए गए, इसने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में से एक और उसके संस्थानों पर सवाल खड़े किए हैं, यह चर्चा एक लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर वाली ई-याचिका पर की गई। भारतीय उच्चायोग ने इस चर्चा पर अपनी नाराजगी जाहिर की है। मिशन ने कहा कि आमतौर पर वह सांसदों के एक छोटे समूह के बीच हुई आंतरिक बहस पर कोई टिप्पणी नहीं करता। बयान में कहाöलेकिन जब भारत पर किसी भी तरह की आशंकाएं व्यक्त की जाती हैं, वो दोस्ती, भारत के लिए प्यार या घरेलू राजनीतिक दबाव के किसी भी दावे से परे उसका अपना रुख स्पष्ट करना जरूरी हो जाता है। उसने कहा कि किसानों के प्रदर्शन को लेकर गलत दावे किए जा रहे हैं, जबकि भारतीय उच्चायोग लगातार याचिका में उठाए हर मुद्दे को लेकर संबंधित लोगों को जानकारी देता रहा है। -अनिल नरेन्द्र

Friday, 12 March 2021

20 साल में बदलने पड़े 10 मुख्यमंत्री

पहाड़ी राज्य उत्तराखंड के अस्तित्व में आने के 20 साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन यह अखंड प्रश्न बना हुआ है कि राज्य को स्थिर नेतृत्व क्यों नहीं मिलता? मंगलवार को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने वाले त्रिवेंद्र सिंह रावत 10वें मुख्यमंत्री बन गए। इस्तीफे के बाद उन्होंने मीडिया से कहा कि केंद्रीय नेतृत्व की मंशा के अनुरूप पद छोड़ा है। पार्टी विधायकों ने नए मुख्यमंत्री के रूप में तीरथ सिंह रावत को नया मुख्यमंत्री चुना। चार दिनों की उठापटक के बाद तीरथ सिंह रावत ने एक सादे समारोह में नए मुख्यमंत्री के रूप में पद की शपथ ली। उत्तराखंड में 70 सीटों में से 57 विधायकों की प्रचंड संख्या के बावजूद त्रिवेंद्र सिंह रावत को कुर्सी छोड़नी पड़ी और वह अपनी कुर्सी नहीं बचा पाए। वह पार्टी के विधायकों के असंतोष को भांप पाने में नाकाम रहे। नतीजन उन्हें कुर्सी गंवानी पड़ी। पार्टी के भीतर और बाहर विधायकों की नाराजगी की चर्चाएं गाहे-बगाहे सुनाई देती रहीं, लेकिन मुख्यमंत्री खेमा अंदर ही अंदर सुलग रहे असंतोष को नहीं भांप सका। विधायकों की नाराजगी कभी अफसरशाही की मनमानी के विरोध के रूप में तो कभी उनके विधानसभा क्षेत्रों में विकास योजनाओं के तौर पर सामने आती दिखीं। उनका यह असंतोष कई बार विधानसभा में अपनी ही सरकार के असहज करने वाले सवालों की शक्ल में सामने आया। लोहाघाट के विधायक पूरन फर्त्याल इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं। उन्होंने अपनी ही सरकार के भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति पर प्रश्न खड़े कर दिए। सदन में कार्यस्थगन प्रस्ताव के जरिये इस मुद्दे को उठाने की कोशिश पर सरकार की खूब किरकिरी हुई। इसे मुख्यमंत्री के खिलाफ सीधा मोर्चा खोलने की कवायद के तौर पर देखा गया। रायपुर के विधायक उमेश शर्मा काऊ की नाराजगी तो कई बार सामने आई। अपने विधानसभा क्षेत्र में विकास कार्यों को लेकर उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा तक से शिकायत की। डीडीहाट के विधायक बिशन सिंह मुफाल, लोहाघाट के विधायक पूरन सिंह फर्त्याल की नाराजगी भी कई बार सतह पर दिखी। लेकिन मुख्यमंत्री ने विधायकों के इस असंतोष को हल्के से लिया जो बाद में उनकी कुर्सी पर भारी पड़ा। मुख्यमंत्री की कार्यशैली से केवल विधायक ही असहज नहीं थे। बल्कि मंत्रियों की नाराजगी भी खुलकर सामने आती रही। अपने मंत्रालयों में कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज अफसरशाही की मनमानी से इस कदर व्यथित थे कि उनकी यह व्यथा भाजपा संगठन से लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुख्यालय नागपुर तक पहुंच गई थी। कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत कर्मकार बोर्ड के कथित घोटालों की जांच को लेकर खासे असहज थे। हरक ने जेपी नड्डा से शिकायत की थी। महिला एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य आईएएस अधिकारी डॉ. षणमुगम से विवाद में सरकार की भूमिका से असहज थीं। शिक्षा मंत्री अरविन्द पांडेय भी अफसरशाही की मनमानी से बहुत ज्यादा नाराज थे। रावत ने मंत्रिमंडल में दो रिक्त पदों को भी नहीं भरा, जिससे विधायकों में असंतोष बढ़ रहा था। बहरहाल भाजपा आलाकमान ने पार्टी के भीतर ही भीतर पनप रहे असंतोष को देखते हुए त्रिवेंद्र सिंह रावत को बाहर का रास्ता दिखा दिया है, लेकिन उनकी जगह कमान संभालने वाले नेता के समक्ष भी चुनौती होगी कि वह कमाऊं और गढ़वाल के क्षेत्रीय संतुलन के साथ ही जातीय समीकरणों को कैसे साधते हैं, विधायकों में बढ़ते असंतोष को कैसे काबू करते हैं और बेलगाम नौकरशाहों को लाइन पर कैसे लाते हैं यह समय ही बताएगा।

धुर नक्सली से अब दक्षिणपंथी खेमा

कभी तृणमूल कांग्रेस से सांसद रहे फिल्म अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती ने रविवार को कोलकाता में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनावी रैली में भाजपा का दामन थामने के बाद अपने चिरपरिचित अंदाज में संकेत दिया कि भाजपा की ओर से बंगाल के सियासी मैदान में वह अहम भूमिका निभाने को तैयार हैं। बांग्ला फिल्मों में महागुरु कहे जाने वाले मिथुन चक्रवर्ती के मुंबई स्थित आवास पर राष्ट्रीय सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने पिछले महीने उनसे मुलाकात की थी। इसके बाद उनके भाजपा में शामिल होने की चर्चा तेज होना स्वाभाविक ही थी। तृणमूल कांग्रेस से राज्यसभा सदस्य रह चुके अभिनेता ने सारदा पोंजी घोटाले में नाम आने के बाद 2016 में उच्च सदन की सदस्यता छोड़ दी थी। उन्होंने हालांकि इसके लिए स्वास्थ्य ठीक नहीं होने का हवाला दिया था। उन्होंने मृणाल सेन की 1976 में आई फिल्म मृगया में एक आदिवासी तीरंदाज की भूमिका निभाई थी, जिसके लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था। वो कोलकाता के प्रतिष्ठित स्कॉटिश चर्च कॉलेज के छात्र रहे हैं, जहां से सुभाष चंद्र बोस, नेपाल के प्रथम प्रधानमंत्री बीपी कोइराला और असम के पहले मुख्यमंत्री गोपीनाथ बार्दोलोई ने भी पढ़ाई की थी। फिल्मों में जाने से पहले मिथुन चक्रवर्ती बंगाल के नक्सल आंदोलन से जुड़े थे और तब हत्या के एक मामले में उन्हें वांछित घोषित किया गया था। हिन्दी फिल्मों में डिस्को डांसर की छवि वाले इस अभिनेता को हमेशा से राजनीतिक रूप से जागरूक अभिनेता माना गया। अकसर उन्हें वामपंथी फिल्म निर्देशकों ने अपनी फिल्म में काम करवाया। वह 1980 के दशक में बॉलीवुड और पूर्व सोवियत संघ जैसे विदेशी फिल्म बाजारों में एक लोकप्रिय नाम बन गए थे, जब उन्होंने एक्शन फिल्मों, पारिवारिक फिल्मों और संगीत पर आधारित फिल्मों में अभिनय किया। बॉक्स ऑफिस पर उनकी हिट फिल्मों में डिस्को डांसर, कसम पैदा करने वाले की, सुरक्षा आदि से उनकी खास छवि बनी। वह बंगाली फिल्म उद्योग में भी स्टार बने। अपने लंबे फिल्मी कैरियर में राजनेता की भूमिका उन्होंने दर्जनों बार निभाई। वाम मोर्चा के करीबी रहते हुए उन्होंने जंगीपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस के तत्कालीन उम्मीदवार प्रणव मुखर्जी के समर्थन में प्रचार किया। बंगाल में वामों की सरकार के दौर में मिथुन कि गिनती भाकपा और खासकर तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्योति बसु और तब परिवहन मंत्री रहे सुभाष चक्रवर्ती के सबसे करीबी लोगों में होती थी। मिथुन कई बार खुद को वामपंथी बताते रहे। वर्ष 2011 में वामों का शासन खत्म होने के बाद वह धीरे-धीरे तृणमूल कांग्रेस के करीब आए। दो-तीन साल के दौरान बनी आपसी समझ और रिश्ते मजबूत होने के बाद तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उनको राज्यसभा में उम्मीदवार बनाया और वह जीते। हालांकि कुछ समय बाद ही सारदा चिट फंड घोटाले में नाम आया। करीब तीन साल तक राज्यसभा सदस्य रहने के दौरान वह महज तीन बार ही संसद में गए। तो यह है धुर नक्सली रहे मिथुन चक्रवर्ती को अब रास आ रहा है दक्षिणपंथी खेमा। रविवार को कोलकाता में ब्रिगेड परेड मैदान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनावी रैली से पहले मिथुन चक्रवर्ती औपचारिक रूप से भाजपा में शामिल हो गए। -अनिल नरेन्द्र

Thursday, 11 March 2021

13 साल बाद जांबाज इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा को मिला इंसाफ

दिल्ली के साथ तमाम देशों को हिला देने वाली बाटला हाउस मुठभेड़ के दौरान दिल्ली पुलिस के जांबाज इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की शहादत का कारण बने आरिज खान को दोषी करार दिए जाने से महज एक खूंखार आतंकी को ही उसके किए की सजा मिलना सुनिश्चित नहीं हुआ, बल्कि भारतीय राजनीति का घिनौना चेहरा भी नए सिरे से सामने आ गया। बाटला हाउस एनकाउंटर में दिल्ली पुलिस ने जिन आतंकियों को मार गिराया था, उनको लेकर देश की राजनीति गरम रही है। यह मुठभेड़ 2009 के लोकसभा और उसके आसपास हुए विधानसभा चुनावों का मुद्दा बना था। 13 सितम्बर 2008 के सीरियल ब्लास्ट से जुड़े आतंकियों के बाटला हाउस में छिपे होने की जानकारी मिली थी। पुलिस ने पाया कि आरिज खान समेत पांच लोग छिपे हैं, 19 सितम्बर 2008 को एनकाउंटर में दो आतंकी तो मारे गए पर तीन फरार हो गए। इसी एनकाउंटर में दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल के इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा शहीद हो गए। 2008 में दिल्ली में हुए बम धमाकों में शामिल आरिज खान को अदालत द्वारा दोषी करार देने के साथ ही यह साफ हो चुका है कि दिल्ली पुलिस की जांच और कार्रवाई सही थी। अडिशनल सेशन जज संदीप यादव ने आरिज खान को आईपीसी धारा 186 (सरकारी कर्मचारी के काम में बाधा डालना), 333 (सरकारी कर्मचारी को अपनी जिम्मेदारी निभाने से रोकना और गंभीर चोट पहुंचाना), 353, 302 (हत्या), 307 (हत्या की कोशिश) इत्यादि धाराओं का दोषी पाया। अदालत ने साफ कहा कि यह साबित हो गया है कि आरिज खान ने अपने सहयोगी के साथ मिलकर पुलिस को चोट पहुंचाई। अभियुक्त ने जानबूझ कर और स्वेच्छा से बंदूक की गोली से इंस्पेक्टर की हत्या कर दी। आरिज भगोड़ा घोषित किए जाने के बावजूद अदालत में पेश नहीं हुआ। बाटला हाउस एनकाउंटर में दो आतंकी मारे गए थे और उनसे लड़ते हुए जांबाज इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा वीर गति को प्राप्त हो गए थे। मारे गए आतंकी इंडियन मुजाहिद्दीन के गुर्गे थे और वह देश के अनेक हिस्सों में बम विस्फोट करने के लिए जिम्मेदार थे, लेकिन उन्हें ठिकाने लगाए जाने पर संतोष व्यक्त किए जाने और पुलिस इंस्पेक्टर के सर्वोच्च बलिदान का स्मरण किए जाने के बजाय रोना-धोना शुरू कर दिया गया। आतंकियों के लिए आंसू बहाने में अग्रणी थी कांग्रेस। उसके साथ अन्य राजनीतिक दल भी इस मुठभेड़ को फर्जी करार दे रहे थे। दुखद बात तो यह थी कि कुछ लोग यहां तक आरोप लगाने लगे कि इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा को उन्हीं के लोगों ने मारा है। हालांकि तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री पी. चिदंबरम इस मुठभेड़ को सही बता रहे थे, लेकिन कांग्रेस के ही कई वरिष्ठ नेता उनकी भी सुनने को तैयार नहीं थे। अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा रिकॉर्ड पर लाए गए सुबूतों में कोई संदेह नहीं है कि अभियोजन पक्ष ने सभी उचित संदेह से परे मामले को साबित कर दिया है और अभियुक्त को दोषी ठहराया जाता है। यह साबित हो गया कि आरोपी आरिज खान ने अपने सहयोगी के साथ मिलकर लोक सेवक (पुलिस) को चोट पहुंचाई। अभियुक्त ने जानबूझ कर और स्वेच्छा से बंदूक की गोली से इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की हत्या कर दी। यह साबित हो गया है कि आरोपी आरिज खान गोलीबारी के दौरान भागने में सफल रहा और भगोड़ा घोषित होने के बावजूद अदालत में पेश नहीं हुआ। अंतत 13 साल बाद ही सही इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की आत्मा को संतुष्टि जरूर मिली होगी कि उनके साथ इंसाफ हुआ और सारे फिजूल के आरोप गलत साबित हुए।

सरकार खून मांगती है मैं अपनी शहादत दे रहा हूं

तीन कृषि कानूनों के विरोध में लगातार सौ दिन से ज्यादा समय से चल रहे किसान आंदोलन में टीकरी बॉर्डर धरने में शामिल रहने वाले हिसार के सिसाय गांव के एक किसान ने कसार बाइपास के करीब खेत में पेड़ से रस्सी के सहारे फंदा लगाकर अपनी जान दे दी। मृतक किसान के पास दो पेज का सुसाइड नोट भी मिला है। इसमें अपनी मौत का जिम्मेदार सरकार को ठहराया है। उन्होंने सुसाइड नोट में लिखा है कि सरकार मरने वाले की आखिरी इच्छा पूछती है और पूरा करती है तो मेरी इच्छा यह है कि तीनों कृषि कानूनों को निरस्त किया जाए। जानकारी के अनुसार हिसार जिले के गांव सिसाय का रहने वाला राजबीर आंदोलन की शुरुआत से ही जुड़ा हुआ था। वह सक्रिय रूप से इसमें भागीदारी निभा रहा था। पिछले 10 दिनों से वह टीकरी बॉर्डर पर ही था। शनिवार की रात वह अपने गांव के जत्थे से अलग हो गया और खेतों में जाकर फांसी लगा ली। बताया गया कि राजबीर दो बच्चों का बाप है। राजबीर के पास से मिले सुसाइड नोट में सरकार पर गुस्सा जाहिर करते हुए लिखा है कि यह सरकार खून मांगती है और मैं अपनी शहादत देता हूं। मेरी शहादत खराब नहीं जानी चाहिए। चाहे मेरा शव सड़क पर ही रखना पड़े। इसमें लिखा हुआ है कि भगत सिंह ने देश के लिए जान दी थी और मैं किसानों के लिए जान दे रहा हूं। उन्होंने अपने गांव के किसानों से अपील करते हुए लिखा है कि अपना हक लेकर ही वापस जाएं। सुसाइड नोट में सांसद दीपेंद्र सिंह हड्डा व विधायक बलराज कुंडू का भी जिक्र किया है। लिखा है कि भाई दीपेंद्र हुड्डा और बलराज कुंडू किसानों के हक में लड़ाई लड़ रहे हैं।

राज्य में सीबीआई को अधिकार है या नहीं?

राज्य में विधानसभा चुनाव को लेकर पश्चिम बंगाल और केंद्र सरकार के बीच की लड़ाई सिर्फ चुनावी अखाड़े तक ही सीमित नहीं है। सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच कानूनी जंग की पृष्ठभूमि तैयार हो गई है। मामला यहां फंसा है कि राज्य में जांच के लिए सीबीआईको अधिकार है या नहीं? सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को एक याचिका दाखिल कर पश्चिम बंगाल सरकार ने कोयला तस्करी मामले का मुकदमा दर्ज करने के लिए सीबीआई के अधिकार को चुनौती दी है। यह वही मामला है जिसमें सीबीआई द्वारा टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी की पत्नी से पूछताछ की गई है। अभिषेक बनर्जी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे हैं। बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि जब तक सीबीआई की प्राथमिकता की वैधता का फैसला नहीं आ जाता तब तक इन मामलों की जांच पर रोक लगाई जाए। राज्य सरकार की याचिका में कहा गया है कि सीबीआई, राज्य पुलिस द्वारा इन अपराधों की जांच को बाहर करने का प्रयास कर रही हैं, जबकि वर्ष 2018 में राज्य सरकार ने केंद्रीय एजेंसी को जांच के लिए आम सहमति को रद्द कर दिया था। कहा गया है कि सीबीआई यह नहीं मानकर चल सकती है कि मामला पूर्वी कोयला क्षेत्र लिमिटेड के लीज होल्ड क्षेत्र और कुछ रेलवे क्षेत्रों में कोयले के अवैध खनन का है इसलिए जांच उसके अधिकार क्षेत्र में है। जबकि रेलवे पुलिस बल के माध्यम से राज्य सरकार के पास सामान्य पुलिसिंग का अधिकार है। गत 12 फरवरी को कोलकाता हाई कोर्ट ने सीबीआई को जांच जारी रखने का निर्देश दिया था। राज्य सरकार ने हाई कोर्ट के आदेश को गलत बताते हुए इसे सही करने को कहा है। सोमवार को जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एचआर शाह की पीठ के समक्ष इस मामले को सूचीबद्ध किया गया। -अनिल नरेन्द्र

Wednesday, 10 March 2021

स्वपना के सनसनीखेज बयान से पी. विजयन संकट में

सोना तस्करी मामले की मुख्य आरोपी स्वपना सुरेश के खुलासे से चुनावी राज्य केरल में सियासी भूचाल आ गया है। स्वपना सुरेश ने मुख्यमंत्री पिनराई विजयन, विधानसभा अध्यक्ष पी. श्रीरामकृष्णन और कुछ मंत्रियों के खिलाफ डॉलर तस्करी मामले में सनसनीखेज खुलासे किए हैं। यह दावा शुक्रवार को केरल हाई कोर्ट में मामले की जांच कर रहे सीमा शुल्क विभाग ने किया। राज्य में विधानसभा चुनावों से कुछ हफ्ते पहले अदालत में हलफनामा दायर कर सीमा शुल्क विभाग ने कहा कि सुरेश ने एजेंसी को सीआरपीसी की धारा 108 और 164 के तहत दिए गए बयान में यह खुलासे किए। सीमा शुल्क आयुक्त सुमित कुमार की तरफ से दायर हलफनामे में दावा किया गया। यह बताया जाता है कि धारा 108 और धारा 164 के तहत दिए गए बयान में सुरेश ने माननीय मुख्यमंत्री, केरल विधानसभा के माननीय अध्यक्ष और राज्य कैबिनेट के कुछ माननीय मंत्रियों के खिलाफ स्तब्धकारी खुलासे किए हैं। इसमें बताया गया कि सुरेश ने यह भी आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री के संयुक्त अरब अमीरात के महावाणिज्य दूत के साथ निकट संबंध थे और बयान दिया कि अवैध रूप से धन का लेन-देन हुआ। हलफनामे में दावा किया गया, उसने स्पष्ट रूप से कहा है कि महावाणिज्य दूतावास की मदद से माननीय मुख्यमंत्री और माननीय विधानसभा अध्यक्ष के इशारे पर विदेशी मुद्रा की तस्करी हुई। डॉलर मामला तिरुवंनतपुरम में यूएई वाणिज्य दूतावास के पूर्व प्रमुख द्वारा ओमान के मस्कट में 1,90,000 डॉलर (करीब 1.30 करोड़ रुपए) की कथित तस्करी से जुड़ा हुआ है। सोना तस्करी मामले में आरोपी सुरेश और सह-आरोपी सरित पीएस, डॉलर मामले में भी कथित तौर पर संलिप्त है और सीमा शुल्क विभाग उन्हें गिरफ्तार कर चुका है। हलफनामे में बताया गया कि सीमा शुल्क विभाग को दिए बयान में सुरेश ने यह भी दावा किया कि मुख्यमंत्री और उनके प्रधान सचिव तथा एक निजी कर्मचारी के साथ उसके निकट संबंध थे। इस बीच कांग्रेस ने केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और विधानसभा अध्यक्ष पी. श्रीरामकृष्णन के खिलाफ सोना तस्करी मामले के आरोपी स्वपना सुरेश के खुलासों को शुक्रवार को स्तब्ध कर देने वाला बताया। सत्तारूढ़ भाकपा ने भाजपा नीत केंद्र सरकार पर प्रहार करते हुए विधानसभा चुनावों के मद्देनजर उसकी (केंद्र की) मंशा पर सवाल उठाए हैं। भाकपा की ओर से कहा गया है कि कस्टम विभाग द्वारा हलफनामा यह दिखाता है कि भाजपा यह जानकर परेशान हैं कि वामदल फिर सत्ता में लौट रहे हैं। कांग्रेस नेता रमेश चेन्नीथला ने कहा कि इस खुलासे के बाद विजयन ने मुख्यमंत्री की कुर्सी पर रहने का अधिकार खो दिया है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के. सुरेश ने कहा कि विजयन का जेल जाना तय है। मालूम था कि जांच की आंच मुख्यमंत्री तक पहुंचेगी इसलिए इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।